बिलासपुर,एजेंसी। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में मुंगेली नगर पालिका के अध्यक्ष के बर्खास्तगी आदेश को निरस्त कर दिया है। जस्टिस पीपी साहू की सिंगल बेंच ने माना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार मामूली अनियमितताओं के लिए राज्य सरकार को ऐसी शक्ति का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
जनप्रतिनिधि को पद से हटाए जाने से उसके व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन पर कलंक लगता है। बता दें कि पूर्ववर्ती सरकार ने आर्थिक अनियमितता के आरोप में नगर पालिका के अध्यक्ष संतुलाल सोनकर को बर्खास्त कर दिया था।
बर्खास्तगी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी
दरअसल, मुंगेली नगर पालिका परिषद में संतुलाल सोनकर साल 2019-20 में अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। इस बीच महज एक साल के कार्यकाल के बाद नाली निर्माण के भुगतान संबंधी अनियमितता में लिप्त होने का आरोप लगाकर कांग्रेस की भूपेश सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था। अपनी बर्खास्तगी आदेश को उन्होंने अपने एडवोकेट के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
इसमें बताया गया कि राज्य शासन ने अपने पद और अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए राजनीतिक दुर्भावना के चलते याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई की है। जबकि, शासन के पास उसे हटाने के लिए कोई मजबूत और ठोस कारण नहीं है। जिन आरोपों के चलते उन्हें हटाया गया है, उसके लिए वो प्रत्यक्ष तौर पर जिम्मेदार भी नहीं है।
हाईकोर्ट ने स्वीकार की याचिका, शासन का आदेश निरस्त इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला दिया गया। सभी पक्षों की सुनवाई के बाद जस्टिस पीपी साहू ने कहा कि छत्तीसगढ़ म्यूनिस्पल्टी एक्ट 1961 की धारा 41-ए के तहत याचिकाकर्ता को नगर पालिका अध्यक्ष पद से हटाना गलत है। कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा याचिकाकर्ता को हटाने के लिए 30 नवंबर 2021 को जारी आदेश को निरस्त कर दिया है।
इन आरोपों के तहत FIR और गिरफ्तारी के बाद पद से हटाया
मुंगेली नगर पालिका क्षेत्र के परमहंस वार्ड में नाली निर्माण किया जाना था। इसके लिए सोफिया कंस्ट्रक्शन को कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था। बाद में इस मामले में यह बात सामने आई कि ठेकेदार ने तो सिर्फ कागजों में ही नाली निर्माण किया है।
इतना ही नहीं यह भी पता चला कि नाली निर्माण में नगर पालिका से 13 लाख 21 हजार 818 रुपए भी ले लिए गए। जांच में बात सामने आई कि ठेकेदार को नगर पालिका कार्यालय से जो चेक जारी किया गया था, उसमें तत्कालीन प्रभारी CMO विकास पाटले और नगर पालिका अध्यक्ष संतुलाल सोनकर के हस्ताक्षर थे।
आर्थिक अनियमितता का आरोप लगने पर कलेक्टर ने मुंगेली SDM के नेतृत्व में जांच कमेटी गठित कर इस मामले की जांच कर जल्द रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए थे। जांच रिपोर्ट के बाद सभी आरोपियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी हुआ था।
इसके बाद कोतवाली थाने में FIR दर्ज कराई गई और अध्यक्ष संतुालाल सोनकर को जेल जाना पड़ा। इस दौरान राज्य शासन ने उन्हें पद से बर्खास्त भी कर दिया।
अध्यक्ष को हटाने राजनीतिक षडयंत्र रचने का आरोप
हाईकोर्ट से पक्ष में फैसला आने के बाद संतुलाल सोनकर ने कहा कि मुझे प्रताड़ित कर तात्कालीन कांग्रेस सरकार ने अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा करने के लिए षडयंत्र रची थी। मेरे खिलाफ आपराधिक केस दर्ज कराने के बाद भाजपा अल्पमत में आ गई और कांग्रेस के हेमेंद्र गोस्वामी को अध्यक्ष बनाया गया।
अब हाईकोर्ट से पक्ष में फैसला आने के बाद संतुलाल सोनकर के अध्यक्ष बनने का रास्ता फिर से साफ हो गया है।