तेहरान/तेल अवीव,एजेंसी। इजराइल ने ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई को मॉडर्न हिटलर कहा है। इजराइली रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने गुरुवार को कहा कि खामेनेई मॉडर्न हिटलर हैं। उनके जैसे तानाशाह को जीने का अधिकार नहीं है। उन्होंने हमेशा अपने एजेंटों के जरिए इजराइल को खत्म करना चाहा है।
ईरान ने आज सुबह इजराइल के चार शहरों तेल अवीव, बीर्शेबा, रमत गण और होलोन पर 30 मिसाइलें दागीं। इनमें 7 मिसाइलों को इजराइली डिफेंस सिस्टम रोकने में नाकामयाब रहा। इसमें 176 लोग घायल हुए हैं। 6 लोगों की हालत गंभीर है।
बीर्शेबा में एक अस्पताल सोरोका मेडिकल सेंटर पर मिसाइल गिरी। इजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ईरान जानबूझकर इजराइली नागरिकों और अस्पतालों को निशाना बना रहा है। हम तेहरान में बैठे अत्याचारियों से इसकी पूरी कीमत वसूलेंगे।
ईरान और इजराइल के बीच जंग सातवें दिन में पहुंच गई है। अब तक इजराइल के 24 लोग मारे गए हैं। वहीं, वॉशिंगटन स्थित एक ह्यूमन राइट्स ग्रुप ने दावा किया है कि ईरान में मौत का आंकड़ा अब 639 हो चुका है और 1329 लोग घायल हुए हैं।
इजराइल ने भी ईरान में अराक हैवी वॉटर रिएक्टर पर हमला किया। हमले के बाद हुए नुकसान की जानकारी नहीं मिली है। हमले से कुछ घंटे पहले ही इजराइली सेना (IDF) ने अराक और खोंडब शहर के लोगों को इलाका खाली करने की चेतावनी दी थी।
अराक में हैवी वाटर रिएक्टर है। यह फैसिलिटी ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम का एक अहम हिस्सा है। इसके साथ ही अराक में बड़े पैमाने पर हथियारों का उत्पादन होता है।
ईरान की अराक हैवी वाटर न्यूक्लियर फैसिलिटी। तस्वीर साल 2011 की है।
इजराइल पर ईरान के हमले की 5 फुटेज…
ईरान ने इजराइल में बीर्शेबा शहर पर मिसाइलें दागीं। इसमें से एक सोरोका हॉस्पिटल पर गिरी, जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई।
सोरोका अस्पताल इजराइल के सबसे अच्छे अस्पतालों में से एक है। यह नेगेव इलाके के लोगों का इलाज करता है।
इजराइल के बीर्शेबा में सोरोका मेडिकल सेंटर में गुरुवार को ईरानी मिसाइल हमले के बाद धुआं उठता हुआ।
ईरान के हमले के बाद सोरोका अस्पताल में लगी आग को बुझाती रेस्क्यू टीम।
इजराइल की राजधानी तेल अवीव के पास होलोन शहर में ईरानी बैलिस्टिक मिसाइल हमले में एक इमारत तबाह हो गई।
इस्लामाबाद,एजेंसी। गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने अपने जरूरी खर्चों को पूरा करने के लिए अब दुबई के बैंकों से 1 अरब डॉलर (लगभग रू.8,600 करोड़) का नया कर्ज लिया है। यह फंड ‘सिंडिकेटेड टर्म फाइनेंस’ के तहत पांच साल की अवधि के लिए लिया गया है, जिसे कई बैंकों ने मिलकर फाइनेंस किया है।
कौन-कौन से बैंक बने कर्जदाता?
पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय के मुताबिक, इस कर्ज व्यवस्था में शामिल प्रमुख बैंक हैं:
दुबई इस्लामिक बैंक (एकमात्र वैश्विक समन्वयक)
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक (लीड अरेंजर)
अबू धाबी इस्लामिक बैंक
शारजाह इस्लामिक बैंक
अजमान बैंक
एचबीएल (हबीब बैंक लिमिटेड)
ये सभी बैंक मिलकर पाकिस्तान को एक अरब डॉलर का लोन दे रहे हैं, जिसे पांच वर्षों में चुकाना होगा।
एडीबी की गारंटी से मिला भरोसा
यह फंडिंग एशियाई विकास बैंक (ADB) द्वारा आंशिक रूप से गारंटीशुदा है। एडीबी के ‘उन्नत संसाधन संग्रहण एवं उपयोग सुधार’ कार्यक्रम के अंतर्गत दी गई यह गारंटी पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर फाइनेंसरों का भरोसा दिलाने में मदद कर रही है।
वित्तीय स्थिति में सुधार का दावा
वित्त मंत्रालय का कहना है कि यह डील पश्चिम एशियाई वित्तीय बाजार में पाकिस्तान की करीब ढाई साल बाद वापसी है। इससे क्षेत्रीय बैंकों के साथ नई साझेदारी की शुरुआत भी हुई है। पाकिस्तान के आर्थिक सलाहकार खुर्रम शहजाद ने इसे “ऐतिहासिक वित्तीय उपलब्धि” बताया है।
दिवालिया होने की कगार से वापसी
गौरतलब है कि 2023-24 में पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की मदद से दिवालिया होने से बचा था। हाल के महीनों में देश ने चालू खाता अधिशेष और खर्च नियंत्रण जैसे संकेतकों में कुछ सुधार दिखाया है। अप्रैल तक के आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तान का चालू खाता अधिशेष 1.8 अरब डॉलर रहा।
लंदन,एजेंसी। बढ़ती महंगाई और मिडिल ईस्ट में जारी भू-राजनीतिक तनाव के बीच बैंक ऑफ इंग्लैंड (BoE) ने बड़ा फैसला लेते हुए ब्याज दरों को स्थिर रखने का ऐलान किया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब इज़राइल-ईरान के बीच टकराव से वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और तेल कीमतों में उछाल की आशंका गहराई हुई है।
BoE ने मौद्रिक नीति पर गुरुवार को फैसला लेते हुए प्रमुख ब्याज दरों को 4.25 प्रतिशत पर स्थिर बनाए रखने की घोषणा की है। यह निर्णय व्यापक रूप से अपेक्षित था, क्योंकि हाल ही में आए आंकड़ों से पता चला है कि यूके में महंगाई दर अभी भी केंद्रीय बैंक के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है।
मौद्रिक नीति समिति (MPC) के नौ में से छह सदस्यों ने ब्याज दरों को यथावत बनाए रखने के पक्ष में मतदान किया। इससे पहले मई में BoE ने एक चौथाई प्रतिशत की कटौती की थी, जो कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक टैरिफ नीति से उपजे वैश्विक व्यापारिक तनाव के मद्देनजर लिया गया कदम था।
वाशिंगठन, एजेंसी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘मेकिंग अमेरिका ग्रेट अगेन’ नीति का असर अब आम उपभोक्ताओं की जेब पर दिखने वाला है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2025 से अमेरिका में 30 अरब डॉलर के ऑटो टैरिफ लागू किए जाएंगे, जिससे कारों की कीमतें औसतन 2,000 डॉलर (करीब ₹1.74 लाख) तक बढ़ सकती हैं। इससे अमेरिका में कारों की कीमतें और भी बढ़ जाएंगी। जानकारों के मुताबिक यह बढ़ी हुई कीमत का बड़ा हिस्सा कार खरीदने वाले को ही चुकाना होगा।
ग्राहकों पर सीधा असर
कंसल्टिंग फर्म AlixPartners का अनुमान है कि कार कंपनियां इस टैरिफ का 80% बोझ सीधे ग्राहकों पर डालेंगी, जिससे एक कार की कीमत औसतन $1,760 ज्यादा हो जाएगी। इससे अगले तीन वर्षों में अमेरिका में वाहन बिक्री 10 लाख यूनिट तक घट सकती है।
हालांकि फर्म को उम्मीद है कि 2030 तक बिक्री बढ़कर 1.7 करोड़ यूनिट सालाना तक पहुंच सकती है, क्योंकि तब तक टैरिफ का असर कुछ हद तक कम हो जाएगा।
कार कंपनियों को भी लगेगा झटका
जनरल मोटर्स (GM) को टैरिफ से $5 अरब के नुकसान का अनुमान
फोर्ड मोटर्स को $2.5 अरब के नुकसान की आशंका
दोनों कंपनियां कीमतों में बदलाव और आपूर्ति श्रृंखला रणनीतियों के ज़रिए इस प्रभाव को सीमित करने की योजना पर काम कर रही हैं।
गिर सकता है टैरिफ
एलिक्स पार्टनर्स का अनुमान दूसरों से कम गंभीर है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका मानना है कि व्यापार वार्ता में प्रगति होने के साथ-साथ टैरिफ समय के साथ कम हो जाएंगे। आयातित कारों पर मौजूदा 25 प्रतिशत टैरिफ पूरी तरह से असेंबल किए गए वाहनों पर 7.5 प्रतिशत और पार्ट्स पर 5 प्रतिशत तक गिर सकता है। अमेरिका-मेक्सिको-कनाडा समझौते (USMCA) के तहत आने वाले वाहनों के लिए दरें और भी कम हो सकती हैं।