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कोरबा

अब ड्रोन से होगा नैनो डीएपी और नैनो यूरिया का छिडक़ाव

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जब पाली ब्लाक के डोंगानाला में ड्रोन पहुंचा तो कौतुहलवश लोग बड़ी संख्या में देखने पहुंचे

कोरबा/पाली । खेती को उन्नत और सरल बनाने के लिए लगातार सरकार एवं कृषि वैज्ञानिक काम कर रहे हैं और पिछले 15 से 20 सालों में जहाँ फसल का उत्पादन बढ़ा है, वहीं किसानों को आधुनिक यंत्र और आधुनिक पद्धति से खेती करने में आसानी हो रही है। इसी कड़ी में किसानों को एक बड़ी राहत इंडियन फर्टीलाइजर को आपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने दी है, जब बहुत कम लागत में ड्रोन के माध्यम से नेनो डी ए पी, नैनो यूरिया एवं अन्य कीटनाशकों का छिडक़ाव खेतों में किया जायेगा। जिससे किसानों को कम पैसे, बहुत कम मेहनत में खेतों में दवाई के छिडक़ाव से मुक्ति मिलने जा रही है। इफको कम्पनी ने नगर के प्रगतिशील किसान, कृषि दवाईयों के विक्रेता और ड्रोन पायलेटिंग की योग्यता रखने वाले प्रगतिशील किसान रामफल पटेल को चुना है। पूरे स्वदेशी तकनीक से निर्मित इस ड्रोन को हैदराबाद की कम्पनी ने तैयार किया है। 20 दिनों तक ग्वालियर में ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण ले चुके रामफल पटेल ने बताया की 16 लाख की लागत से मिलने वाले इस ड्रोन के साथ बैटरी चलित गाड़ी, अतिरिक्त बैटरी और ड्रोन उपलब्ध कराया गया है। मात्र पांच से सात मिनट में एक एकड़ में दवाई का छिडक़ाव किया जाता है। इस ड्रोन में एक बार में 30 किलो तक का वजन उठाया जा सकता है और दिन भर में 25 से 30 एकड़ जमीन में दवाई का छिडक़ाव आसानी से किया जा सकता है। इस ड्रोन की खासियत बताते हुए रामफल पटेल ने आगे बताया-यह ड्रोन स्वदेशी एडवांस तकनीक से लैस है । इसे आटोमेटीक मोड में डालकर भी दवाई का छिडक़ाव किया जा सकता है। इसमें अत्याधुनिक सेंसर लगे हैं, जिससे ये किसी भी वस्तु से टकरा नहीं सकता, साथ ही ये जीपीएस से लैस है, जिससे इसका किसी भी प्रकार से गलत उपयोग नहीं हो सकता। वहीं इस ड्रोन से खेत का मैप भी तैयार किया जा सकता। साथ ही इसमें उच्च दर्जे का कैमरा भी लगा हुआ है, जिससे खेत के रोगों या अन्य परेशानी को बड़ी आसानी से देखा जा सकता है। इसके साथ ही कीटनाशक या खादों का छिडक़ाव सामान्य विधि की तुलना में ड्रोन द्वारा 5 गुणा तेजी से होता है एवं इस तकनीक द्वारा पोषक तत्वों, कीटनाशकों का सीधे फसलों की पत्तियों पर छिडक़ाव किया जाता है। जिससे मृदा को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है। इस तकनीक द्वारा 60 से 80 प्रतिशत कम पानी की आवश्यकता होती है। इफको कम्पनी से शासन से सम्बद्ध कम्पनी है, जिसकी मंशा है कि यूरिया नैनो और डीएपी नैनो जो तरल होता है, जिसका कम लागत में उच्च गुणवत्ता के साथ खेतों में उपयोग कराना है, ताकि किसानों को यूरिया डीएपी जैसी खादों के लिए निर्भरता को कम किया जा सके। ये खाद विदेशों से आयात किया जाता है, जिससे विदेशी मुद्रा का व्यय होता है और तमाम तरह की परेशानियों के साथ ये किसानों तक पहुंच पाती है। जिसका तोड़ भारत के वैज्ञानिकों नेनो डीएपी और नेनो यूरिया के रूप में निकाला है, जिसकी आधा लीटर की मात्रा एक एकड़ के लिए पर्याप्त होता है और इसकी कीमत भी कम रहती है। श्री पटेल ने बताया ये खाद से ज्यादा अच्छे तरीके से काम करता है और ड्रोन के माध्यम से बड़ी आसानी से खेतों में इसका छिडक़ाव किया जा सकता है। ड्रोन के माध्यम से जीतने भी शासन के माध्यम से चलने वाले कृषि कार्य और उद्यानकी की फसलों में नेनो यूरिया, नेनो डीएपी एवं अन्य कीटनाशक का उपयोग किया जायेगा।
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और हर्बल उत्पादों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए रामफल पटेल करीब एक दशक से लगे हुए हैं। उन्होंने हर्बल खेती के उत्पादों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए पाली बस स्टैंड में किसान उत्पाद केन्द्र के नाम से दुकान भी खोली है, जिससे लोगों में जागरूकता भी आ रही है। तात्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में रामफल पटेल को प्रगतिशील किसान का अवार्ड भी मिला था।
केन्द्र एवं राज्य सरकार ने हर्बल खेती को बढ़ावा देने के लिए रासायनिक खादों के उपयोग कम से कम करने की अपील की है, जिसका क्रियान्वयन निजी स्तर पर रामफल पटेल कर रहे हैं और हर्बल खेती के लिए 500 से अधिक किसानों को अपने संगठन में में जोडक़र उन्हें प्राकृतिक खेती के लिए जागरूक किया और ये सभी किसान गोबर का ही उपयोग कर धान की खेती कर रहे हैं और बेमतलब की दवाओं के उपयोग से रोक कर उनकी आर्थिक बचत कर रहे हैं। कोरबा जिले में प्रगतिशील किसान रामफल पटेल को ड्रोन चलाने का लाइसेन्स प्राप्त है । नैनो तकनीक से जहाँ किसानों को कम लागत में डीएपी और यूरिया का छिडक़ाव हो पायेगा, वहीं दवाई छिडक़ाव के लिए श्रम शक्ति की भी बचत होगी।

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कोरबा

कोरबा में पहली बार पेसमेकर ट्रांसप्लांट, एक ही दिन 4 एंजियोप्लास्टी भी

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एनकेएच का कैथलैब हृदयरोगियों के लिए अत्यंत लाभकारी साबित हो रहा

कोरबा। शहर के सुपर स्पेशिलिटी हास्पिटल एनकेएच में कैथलैब की सुविधा प्रारंभ होने से हृदय रोगियों को राहत मिलने के साथ जीवन की रक्षा हो रही है। एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी का समय पर लाभ संबंधितों को प्राप्त हो रहा है। इसी कड़ी में एक बड़ी उपलब्धि के साथ जिले का पहला सफल पेसमेकर ट्रांसप्लांट भी किया गया जिससे मरीज को नई जिंदगी मिली। एक ही दिन में 4 सफल एंजियोप्लास्टी भी की गई।
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सतीश सूर्यवंशी व टीम के द्वारा सर्जरी की गई तथा 20 से ज्यादा मरीजों को कॉर्डियक ओपीडी में देखा गया। प्रारंभ से लेकर अभी तक 100 से ज्यादा मरीज का एंजियोप्लास्टी कोरबा में हो चुका है व लगभग 1000 से ज्यादा मरीज हृदय रोग का इलाज भी करा चुके हैं। एनकेएच के डायरेक्टर डॉ. एस चंदानी ने कहा है कि यह सुविधा मिलने से कोरबा जिलावासियों को काफी राहत मिल रही है। अस्पताल में रायपुर के सुपर स्पेशलिस्ट व ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉ.सतीश सूर्यवंशी, डॉ.एस. एस. मोहंती, डॉ भरत अग्रवाल अपनी सेवाएं निरंतर दे रहे हैं। नियमित रूप से एंजियोप्लास्टी एवं एंजियोग्राफी की सुविधा एन के एच में दी जा रही है। जिससे लोग लाभान्वित हो रहे हैं।

क्या है पेसमेकर प्रत्यारोपण

स्थायी पेसमेकर प्रत्यारोपण (Permanent Pacemaker Implantation) एक चिकित्सा प्रक्रिया है जिसका उपयोग असामान्य हृदय गति (अरिदमिया) के इलाज के लिए किया जाता है, जैसे कि ब्रैडीकार्डिया (धीमी हृदय गति)। पेसमेकर एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसे छाती में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह हृदय की गति को नियमित करने के लिए विद्युत आवेग भेजता है।
0 कब आवश्यक होता है पेसमेकर?

  1. ब्रैडीकार्डिया: जब हृदय की गति सामान्य से धीमी हो।
  2. पूर्ण हृदय अवरोध: जब हृदय की विद्युत प्रणाली बाधित हो।
  3. हृदय विफलता : जब विद्युत गड़बड़ी के कारण हृदय सही तरीके से काम नहीं करता।
  4. सर्जरी के बाद अरिदमिया: हृदय सर्जरी के बाद अनियमित धड़कन।
  5. जन्मजात या अर्जित हृदय ब्लॉक: हृदय में विद्यमान रुकावट।
    0 पेसमेकर ट्रांसप्लांट के बाद सावधानियां और देखभाल
  6. नियमित जांच और पेसमेकर का फॉलो-अप।
  7. भारी उपकरणों या चुंबकीय क्षेत्र से बचाव।
  8. लक्षण जैसे चक्कर आना या बेहोशी महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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कोरबा

नगर निगम व पंचायत चुनाव में विधर्मियों को प्रत्याशी न बनाए जाने हेतु नवनियुक्त भाजपा अध्यक्ष मनोज शर्मा को ज्ञापन सौंपा

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कोरबा।विश्व हिंदू परिषद,धर्मसेना, हिन्दू जागरण मंच, धर्मजागरण, आदित्य वाहिनी के तत्वावधान में संयुक्त ज्ञापन म उल्लेख किया गया कि कोरबा जिला,जो अपनी सांस्कृतिक विरासत और शांति प्रिय परंपराओं के लिए जाना जाता है, आज कुछ विधर्मियों की गतिविधियों के कारण अशांति और असुरक्षा का अनुभव कर रहा है।
धर्मांतरण, गौ-तस्करी, लैंड जिहाद, और लव जिहाद जैसी गतिविधियों ने इस जिले के सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित किया है।
इतिहास साक्षी है कि जब भी कुछ धर्म विशेष ने बहुसंख्यक समाज को कुचलने के प्रयास किए हैं, तब समाज में असंतोष और विघटन बढ़ा है। पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि हिंदू समाज को कमजोर करने वाले कार्य लंबे समय तक किसी भी क्षेत्र के लिए हानिकारक होते हैं।ऐसी परिस्थिति में, हमारा आपसे आग्रह है कि आगामी नगर निगम और पंचायत चुनावों में किसी भी विधर्मी व्यक्ति को प्रत्याशी न बनाया जाए। यह निर्णय हिंदू समाज के विश्वास और सहयोग को बनाए रखने में सहायक होगा। यदि इस आग्रह की अनदेखी की जाती है, तो हिंदू संगठन और समाज इस निर्णय का सामूहिक विरोध करेंगे और ऐसे प्रत्याशी के विरुद्ध व्यापक आंदोलन करेंगे।
यह ज्ञापन किसी भी राजनीतिक प्रेरणा से नहीं, बल्कि हिंदू समाज और उसकी भलाई के हित में लिखा गया है। हम आपसे अपेक्षा करते हैं कि आप हमारे आग्रह को गंभीरता से लेंगे और ऐसा निर्णय करेंगे जो क्षेत्र की सामाजिक एकता और शांति को बनाए रखने में सहायक हो।

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कोरबा

भाजपा सरकार ने पूरे प्रदेश में षडयंत्र पूर्वक ओबीसी आरक्षण लगभग खत्म कर दिया – जिला कांग्रेस

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जिला कांग्रेस अध्यक्षद्वय सुरेन्द्र प्रताप जायसवाल एवं सपना चौहान ने लगाया आरोप

कोरबा। जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण अध्यक्ष सुरेन्द्र प्रताप जायसवाल एवं शहर अध्यक्ष श्रीमती सपना चौहान ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर कहा है कि भाजपा सरकार ने पूरे प्रदेश में षडयंत्र पूर्वक ओबीसी आरक्षण को लगभग खत्म कर दिया है, जिसके कारण ओबीसी वर्ग से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी अपने अधिकार का हनन समझ रहे है, जबकि प्रदेश में ओबीसी वर्ग की बहुतायत है।
जिला कांग्रेस ने कहा है कि भाजपा सरकार द्वारा स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण प्रावधानों में किये गये दुर्भावना पूर्वक संसोधन के चलते अधिकांश जिला एवं जनपद पंचायतों में आरक्षण खत्म हो गया है। प्रदेश के 16 जिला पंचायत और 85 जनपदों में जहां पहले 25 प्रतिशत सीटे अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीवारों के लिए आरक्षित थी, अब अनुसूचित क्षेत्रों में ओबीसी आरक्षण लगभग खत्म हो गया है, जिसके कारण ओबीसी वर्ग अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं और अपने अधिकारों का हनन समझ रहे हैं।
मैदानी क्षेत्रों में अनेक पंचायते ऐसी है, जहां पर 90 से 99 प्रतिशत आबादी ओबीसी की है लेकिन वहां पर भी ओबीसी के लिए सरपंच का पद आरक्षित नहीं है। पंचों का आरक्षण भी जनसंख्या के अनुपात में काफी कम है। पूर्व में ओबीसी के लिए आरक्षित ये सभी सीटें सामान्य घोषित हो चुकी है। साय सरकार द्वारा आरक्षण प्रक्रिया के नियमों में दुर्भावना पूर्वक संशोधन के बाद अनुसूचित जिलें और ब्लॉकों में जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य और पंचों का जो भी पद ओबीसी के लिए आरक्षित था, अब वे सामान्य सीटें घोषित हो चुकी हैं।
बस्तर और सरगुजा संभाग में आरक्षित वर्ग को बड़ा नुकसान हुआ है। सरगुजा संभाग के पांच जिलें अंबिकापुर, बलरामपुर, सुरजपुर, कोरिया-महेन्द्रगढ़-चिरमिरी, भरतपुर-सोनहत, बस्तर के 7 जिलें-बस्तर, कांकेर, कोंडागांव, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर सहित मानपुर-मोहला, जशपुर, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही और कोरबा जिलें में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कुछ बचा ही नहीं है।
सरकार द्वारा स्थानीय नगरीय निकाय एवं त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण के प्रावधानों में जो षडयंत्र पूर्वक ओबीसी विरोधी परिवर्तन किया है, उसका परिणाम सामने है। इस सरकार ने ओबीसी वर्ग के हक और अधिकारों में बड़ी डकैती की है। रायपुर जिला पंचायत में 16 में से केवल 4 सीट ही ओबीसी के लिए आरक्षित है, उसी तरह बिलासपुर जिलें में 17 में से केवल 1 क्षेत्र ओबीसी महिला के लिए आरक्षित है। ओबीसी पुरूष के लिए 17 में से 1 भी सीट आरक्षित नही है, उसी तरह 4 जनपद पंचायतों में जनपद पंचायत अध्यक्ष के पद अनुसूचित जाति महिला, 1 अनारक्षित महिला और 1 जनपद अध्यक्ष का पद अनारक्षित मुक्त रखा गया है। यहां एक भी पद ओबीसी के लिए आरक्षित नही है जिसके कारण प्रदेश के ओबीसी वर्ग चुनाव लड़ने से वंचित हो गया है और साय सरकार ने ओबीसी वर्ग हो चुनाव लड़ने से षडयंत्र पूर्वक रोक दिया है और यह सरकार ओबीसी विरोधी बन गयी हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि भाजपा सरकार आरक्षण विरोधी है।

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