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कोरबा

धान का जब मिलने लगा अच्छा दाम तो युवाओं को भी भाने लगा है खेती-किसानी का काम

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कोरबा । तेज धूप व लू के थपेड़ों के बीच बारिश का इंतजार करते हुए घर में हल को दुरस्त करते हुए, कभी खाद-बीज के लिए पैसों का इंतजाम करते हुए ही नहीं बल्कि अपने बुजुर्ग पिता को खेतों में पसीना बहाते हुए, बारिश की परवाह न करते हुए, भीगते हुए हल चलाते, बीज डालते, रोपा लगाते, निंदाई करते, खाद डालते, सुबह से उठकर खेत की रखवाली करते, फसल पकने के बाद उसे कटाई करते हुए, कटे हुए धान को गठरी बनाकर कांवर में घर लाते फिर मिंजाई कर धान को अलग कर बोरे में डालकर बहुत ही जद्दोजेहद के साथ कुछ रूपए जोड़ लेने की चाहत में धान को बेचने के लिए ले जाते और धान बेचकर भी पर्याप्त पैसे का इंतजाम नहीं हो पाने पर भी खामोशी से अपने दुख-दर्द को छिपाकर अपने आपको खुश होना दिखाते, भीतर ही भीतर अगली बार बेहतर फसल होने और इस मेहनत के फसल का अच्छा मूल्य मिलने की उम्मीद संजोते हुए ताकि घर-परिवार की जरूरतों को पूरा कर सकें… कुछ ऐसे ही जीते-जागते हुए अपने बुजुर्ग पिता को अक्सर देखते आ रहे युवा किसान राजेन्द्र का मन तो नहीं था कि वह भी खेती किसानी को अपनाएं क्योंकि उन्हें लगता था कि इतनी मेहनत के बाद भी मेहनत का सही मूल्य नहीं मिल पाता, लेकिन सरकार द्वारा किसानों के हित में किए जा रहे कार्य, धान की बढ़ाई गई कीमत, प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीदी जैसे फैसलों ने युवा किसान राजेन्द्र को भी खेती-किसानी से जोड़ दिया। इसी का परिणाम है कि इस बार उन्होंने भी अपनी पत्नी के नाम पर धान बेचने का पंजीयन कराया है।
यूं तो कोरबा विकासखंड के अंतर्गत लेमरू-देवपहरी क्षेत्र में धान का फसल लेना आसान काम नहीं है। सबकुछ आसमान की बारिश पर निर्भर है। इसके बावजूद किसान सब कुछ बारिश पर छोड़कर उम्मीद के साथ फसल लेते हैं। देवपहरी पंचायत के अंतर्गत ग्राम ढ़ीडासरई के किसान जग सिंह लगभग चार एकड़ में फसल लेते आ रहे हैं। इस बार भी फसल लेकर मिंजाई में जुटे किसान जग सिंह राठिया जल्दी ही नजदीक के धान उपार्जन केंद्र लेमरू में बेचेंगे। उनका कहना है कि फसल लेना आसान नहीं है। बहुत मुश्किल से  फसल उपजा लेने के बाद जब अच्छा दाम नहीं मिलता है तो बहुत दुख होता है। उन्होंने बताया कि पहले किसानों को बहुत दुख दर्द सहने पड़े। ऋण लेने से लेकर खाद बीज लेने में परेशानी तो आती ही थी, धान की कीमत भी कम थी। अभी तो 21 कि्ंवटल प्रति एकड़ हो गया है और 3100 रूपए क्विंटल में धान खरीदी की जा रही है। बुजुर्ग किसान जग सिंह के 27 वर्षीय युवा बेटे राजेन्द्र का कहना है कि मेहनत का सही मूल्य नहीं मिलता है तो किसी भी काम को करने की इच्छा नहीं होती। खासकर आजकल के युवा खेती किसानी से इसलिए भी दूर होते गए। उनका कहना है कि हर किसी को नौकरी मिलना आसान नहीं है, इसलिए कुछ न कुछ काम करना जरूरी है ताकि परिवार ठीक से चल सके। उनका कहना है कि खेती किसानी के काम में चुनौती है, जब लाभ अच्छा होगा तो निश्चित ही आज के युवा इस ओर जुडेंगे। राजेंद्र ने बताया कि वह भी अब पत्नी सहित खेती से जुड़ गया है। इस बार सहकारी समिति में पत्नी का पंजीयन कराया है ताकि धान बेचकर पैसे का इंतजाम कर सके। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने किसानों के हित में निर्णय लेते हुए 31 सौ रूपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने का जो निर्णय लिया है, उससे किसानों को बहुत राहत मिल रही है। प्रति एकड़ में 21 क्विंटल धान खरीदने और कीमतों में छूट के साथ कृषि उपकरण देने, खाद-बीज, ऋण में छूट देने से युवा खेती-किसानी से जुड़ते जायेंगे, जैसे कि मैं जुड गया हूं।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार द्वारा 3100 रूपए में 21 क्विंटल प्रति एकड़ की दर पर धान खरीदने से किसानों में उत्साह का माहौल है। किसान उमंग के साथ धान खरीदी केंद्र अपनी उपज के विक्रय के लिए पहुंच रहे हैं। इससे किसानों का मनोबल बढ़ा है एवं वे और अधिक उत्पादन के लिए प्रोत्साहित हुए हैं। जिले में खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में धान विक्रय के लिए 55 हजार से अधिक किसानों ने पंजीयन कराया है। इनमें 2,761 नए किसान शामिल हैं, जो कि पहली बार अपना धान विक्रय करेंगे।

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कोरबा

नितेश कुमार मेमोरियल लायंस पब्लिक स्कूल खरहरकुड़ा का स्थापना दिवस कल

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0 सम्मान समारोह का भी आयोजन

कोरबा/मड़वारानी। ग्राम खरहरकुड़ा मड़वारानी में सीबीएसई मान्यता प्राप्त विद्यालय नितेश कुमार मेमोरियल लायंस पब्लिक स्कूल का 9वां स्थापना दिवस समारोह का भव्य आयोजन कल 19 अप्रैल 2025 दिन शनिवार को फूलसिंह राठिया (विधायक-रामपुर विधानसभा), फिल्म जगत के सुप्रसिद्ध हास्य कलाकार श्री असरानी, रज्जाक अली (जिला पंचायत सदस्य, कोरबा), दीदी बी.के.रचना (राजयोग शिक्षिका, ब्रम्हकुमारी), पीएमजेएफ लायन विजय अग्रवाल (डिस्ट्रिक्ट गवर्नर निर्वाचित), एमजेएफ लायन रिपुदमन पुसरी (प्रथम वाईस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर (निर्वाचित) एवं लायन पवन मलिक (द्वितीय वाईस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर निर्वाचित) के आतिथ्य में किया जायेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय के चेयरमेन पीएमजेएफ लायन डॉ. राजकुमार अग्रवाल द्वारा किया जायेगा।
कार्यक्रम आयोजक पीएमजेएफ लायन डॉ.राजकुमार अग्रवाल ने कार्यक्रम के संबंध में जानकारी देते हुये कहा कि प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी विद्यालय का स्थापना दिवस समारोह 19 अप्रैल 2025 को भव्यता के साथ मनाया जायेगा। जिसमें रामपुर विधायक सहित अन्य लायन दिग्गजों के साथ साथ फिल्म जगत के जाने माने हास्य कलाकार श्री असरानी उपस्थित होंगे।

समारोह में लायंस डिस्ट्रिक्ट 3233 सी के आगामी सत्र के नेतृत्वकर्ताओं का सम्मान, गणमान्य नागरिकों, महिलाओं के साथ साथ विद्यालय के स्टॉफ का भी सम्मान किया जायेगा। साथ ही नव प्रवेशी विद्यार्थियों को नि:शुल्क पुस्तकें एवं यूनिफार्म वितरित किये जायेंगे। कार्यक्रम में विद्यालय के बच्चों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति भी दी जायेगी। विद्यालय के चेयरमेन पीएमजेएफ लायन डॉ. राजकुमार अग्रवाल ने समस्त पत्रकारों, गणमान्य नागरिकों, ग्रामवासियों एवं अभिभावकों को कार्यक्रम में सादर आमंत्रित किया है। असरानी को देखने के लिए लोग बेताब दिख रहे हैं।

हास्य कलाकार असरानी पहली बार आ रहे कोरबा


अपनी कला के माध्यम से करोड़ों लोगों को हंसाने वाले एवं निरश जीवन में खुशी घोलने वाले बॉलीवूड के मंझे हुए हास्य अभिनेता असरानी पहली बार 19 अप्रैल को कोरबा के मड़वारानी, खरहरकुड़ा में स्थित छत्तीसगढ़ के सर्वश्रेष्ठ सीबीएसई विद्यालय नितेश कुमार मेमोरियल लॉयन पब्लिक स्कूल के 9वें स्थापना दिवस समारोह के भव्य आयोजन का साक्षी बनने आ रहे हैं। कोरबा में उनके आगमन को लेकर लोगों में काफी उत्सुकता बनी हुई है और लोग उन्हें सुनने के लिए बेताब दिख रहे हैं।

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कोरबा

बालको ने ट्रांसजेंडर कर्मचारियों के लिए लागू की शिक्षा सहायता नीति

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बालकोनगर। वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने ट्रांसजेंडर कर्मचारियों के लिए एक प्रगतिशील शिक्षा सहायता नीति लागू की। समावेशी कार्यस्थल को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप कंपनी द्वारा उठाया गया यह कदम ट्रांसजेंडर कर्मचारियों को व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करने हेतु 1 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इसका उद्देश्य शैक्षिक अंतर को कम करना और विकास के लिए नए रास्ते खोलना है।

वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने ट्रांसजेंडर कर्मचारियों के लिए एक प्रगतिशील शिक्षा सहायता नीति लागू की है। समावेशी कार्यस्थल को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप कंपनी द्वारा उठाया गया यह कदम ट्रांसजेंडर कर्मचारियों को व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करने हेतु 1 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इसका उद्देश्य शैक्षिक अंतर को कम करना और विकास के लिए नए रास्ते खोलना है।

शिक्षा सहायता योजना उन सभी ट्रांसजेंडर कर्मचारियों पर लागू है, जिन्होंने कम से कम 18 महीने की सेवा पूरी कर ली है। इस पहल के माध्यम से बालको इस विश्वास को सुदृढ़ करता है कि वास्तविक समावेशी वातावरण तभी संभव है जब सभी को सीखने और कौशल अर्जित करने के समान अवसर प्रदान किए जाएँ, ताकि वे पेशेवर और व्यक्तिगत दोनों स्तरों पर आगे बढ़ सकें।

बालको ने अपने विविधता, समानता और समावेशी चार्टर के तहत कई पहल को संस्थागत रूप दिया है। इनमें लिंग पुनः निर्धारण नीति सर्जरी के लिए वित्तीय सहायता, विशेष अवकाश के साथ ट्रांसजेंडर कर्मचारियों के लिए आवास सहायता भी शामिल है। संगठन में स्वीकृति और जागरूकता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए संवेदीकरण सत्र और सामुदायिक सहभागिता के विभिन्न कार्यक्रम भी नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं।

बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक राजेश कुमार ने कहा कि बालको में हम मानते हैं कि समावेशी संस्कृति केवल एक नीति नहीं है बल्कि एक मूल्य है, जहाँ लिंग पहचान की परवाह किए बिना सभी को सीखने, बढ़ने और नेतृत्व करने के समान अवसर मिलते हैं। अपने ट्रांसजेंडर कर्मियों को उनकी पेशेवर आकांक्षाओं को साकार करने में सहयोग कर, समावेशी कार्यस्थल के निर्माण के लिए कटिबद्ध हैं।

बालको में सुरक्षाकर्मी के रूप में काम करने वाली व्यावसायिक भागीदार सुमन ने कहा कि मैं बालको में काम करके वास्तव में धन्य महसूस करती हूँ। यहीं पर मुझे लिंग पुनः निर्धारण नीति को चुनने का साहस और समर्थन मिला। कुछ ऐसा जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। बालको ने मुझे अपनी पहचान को सम्मान के साथ अपनाने और आत्म-सम्मान का जीवन जीने का मौका दिया। अब शिक्षा नीति के शुभारंभ के साथ, मैं और भी बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित हूँ। मैं न केवल अपने लिए, बल्कि मेरे जैसे अन्य लोगों के लिए भी एक बेहतर भविष्य बनाने के उद्देश्य से आगे की शिक्षा प्राप्त करने की योजना बना रही हूँ।

बालको अपनी विभिन्न पहल के माध्यम से ट्रांसजेंडर कर्मचारियों को प्रमुख कार्यों में एकीकृत करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। ट्रांसजेंडर कर्मचारियों को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने वाली यह नीति, कंपनी के लंबे समय से चले आ रहे एलजीबीटीक्यू प्लस समुदाय के सशक्तिकरण के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण योगदान है। कंपनी ने एक ऐसे भविष्य में अपना विश्वास प्रकट किया है जहाँ प्रत्येक कर्मचारी का सम्मान, सशक्तिकरण और समावेश सुनिश्चित किया जा सके।

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कोरबा

भू-विस्थापितों की हड़ताल:खदानों में कोयला उत्पादन-परिवहन पूरी तरह ठप; उचित मुआवजा, विस्थापितों के पुनर्वास और रोजगार की मांग

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कोरबा। कोरबा में SECL खदान में भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति ने हड़ताल किया। प्रदर्शनकारियों ने जमीन अधिग्रहण के लिए उचित मुआवजे, विस्थापितों के पुनर्वास और स्थानीय लोगों को रोजगार देने की मांग की है।

दक्षिण पूर्वी कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) की कोयला खदानों में हुए इस आंदोलन से कुसमुंडा, दीपका, गेवरा और कोरबा क्षेत्र की खदानों में कोयला उत्पादन, मिट्टी उत्खनन और परिवहन कार्य पूरी तरह रुक गया।

किसान कल्याण समिति के हड़ताल से SECL खदान में काम ठप रहा।

किसान कल्याण समिति के हड़ताल से SECL खदान में काम ठप रहा।

22 अप्रैल को उच्च स्तरीय बैठक

आंदोलन के दौरान SECL महाप्रबंधक का पुतला जलाया और एक विशाल रैली निकाली गई। आंदोलन की गंभीरता को देखते हुए SECL प्रबंधन ने 22 अप्रैल को उच्च स्तरीय बैठक बुलाने का आश्वासन दिया है।

इस बैठक में भू-विस्थापितों की समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। प्रबंधन के इस आश्वासन के बाद हड़ताल को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया है।

प्रदर्शनकारियों ने 25 लाख मुआवजा, पुनर्वास और रोजगार की मांग की है।

प्रदर्शनकारियों ने 25 लाख मुआवजा, पुनर्वास और रोजगार की मांग की है।

भू-विस्थापितों में प्रभावित महिलाएं भी हड़ताल में शामिल हुई

भू-विस्थापितों में प्रभावित महिलाएं भी हड़ताल में शामिल हुई

आपूर्ति और उत्पादन पर पड़ा असर

हड़ताल का प्रभाव SECL की कोयला आपूर्ति और उत्पादन पर स्पष्ट रूप से देखा गया। इससे क्षेत्रीय बिजली संयंत्रों और अन्य उद्योगों के प्रभावित होने की आशंका है।

यह आंदोलन कोयला उद्योग में भू-विस्थापितों की समस्याओं के समाधान की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है। SECL प्रबंधन और भू-विस्थापितों के बीच होने वाली वार्ता से इस समस्या का स्थायी समाधान निकलने की उम्मीद है।

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