बिलासपुर ,एजेंसी। बिलासपुर नगर निगम में स्मार्ट सिटी फंड की 77 लाख रुपए की एफडीआर में गड़बड़ी का मामला सामने आया है। भाजपा सरकार में कांग्रेस नेता और ठेकेदार ने निगम अफसर और कर्मचारियों से मिलीभगत कर बिना काम किए ही एफडीआर की राशि निकाल ली।
बावजूद इसके ठेकेदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की गई। वहीं, ठेकेदार पर 16 लाख रुपए की पेनल्टी लगाकर मामले को रफादफा कर दिया।
कमल ठाकुर ने कम रेट पर टेंडर जमा किया
दरअसल, नगर निगम में स्मार्ट सिटी मद से करोड़ों रुपए की लागत से नाली निर्माण का टेंडर जारी हुआ था। इस काम के लिए कांग्रेसी ठेकेदार कमल ठाकुर ने कम रेट पर टेंडर जमा किया। बताया जा रहा है कि ठेकेदार नाली निर्माण का काम पूरा नहीं किया।
इस दौरान नगर निगम के अफसरों से मिलकर मौखिक रूप से टेंडर वापस ले लिया और काम को छोड़ दिया। प्रावधान के अनुसार काम नहीं करने पर FDR की राशि का भुगतान नहीं किया जाता, लेकिन ठेकेदार कमल ठाकुर ने निगम स्टाफ से मिलकर ओरिजनल FDR हासिल कर फोटो कॉपी को जमा कर दिया।
ऐसे पकड़ी गई गड़बड़ी
बताया जा रहा है कि टेंडर में गड़बड़ी का यह मामला दस्तावेजी रिकार्ड में रफादफा नहीं हुआ था और टेंडर भी कैंसिल नहीं हुआ था। निगम आयुक्त अमित कुमार ने निगम के ठेकेदार कमल सिंह को किसी दूसरे काम की जिम्मेदारी दी, तब उसी पुरानी टेंडर को रिटेंडर करने की बात कही गई।
जब उसके दस्तावेजों की जांच की गई, तब पता चला कि ठेकेदार ने एफडीआर का ओरिजनल रिकार्ड निकालकर राशि बैंक से आहरण कर लिया है। गड़बड़ी सामने आने पर हड़कंप मच गया। निगम के अफसर मामले को रफादफा करने में जुट गए।
यही वजह है कि दोषी ठेकेदार पर 16 लाख रुपए पेनल्टी लगाकर मामले को रफादफा कर दिया गया। हालांकि, मामला सामने आने के बाद ठेकेदार से दोबारा एफडीआर भी जमा कराई गई है।
ठेकेदार ने निगम से की धोखाधड़ी, बैंक ने भी की गड़बड़ी
दरअसल, एफडीआर की राशि में हेराफेरी कर ठेकेदार ने नगर निगम के साथ धोखाधड़ी की है। नियम के अनुसार एफडीआर की राशि ठेकेदार बैंक से तभी निकाल सकता है, जब काम पूरा हो जाए और नगर निगम इसके लिए एफडीआर के साथ एनओसी जारी करे।
ठेकेदार ने बैंक अफसरों से मिलकर गड़बड़ी की और एफडीआर के 77 लाख रुपए निकाल लिए। इसमें बैंक अफसरों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
निगम आयुक्त बोले- ठेकेदार पर लगाया गया है जुर्माना नगर निगम आयुक्त अमित कुमार ने कहा कि एफडीआर भुगतान के गड़बड़ी के इस मामले में ठेकेदार पर 16 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। इसके साथ ही बैंक के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए आरबीआई को पत्र लिखा गया है।
इसलिए टेंडर जारी होने से पहले जमा कराया जाता है FDR
दरअसल, किसी भी काम के लिए टेंडर जारी करने से पहले फिक्स्ड डिपॉजिट खाते में निश्चित राशि जमा कराई जाती है, जो जारी टेंडर के एवज में एकमुश्त जमा किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि, टेंडर की शर्तों के अनुसार काम अधूरा छोड़ने या आधा काम करने पर एफडीआर की राशि राजसात की जा सके। इससे शासन को होने वाले नुकसान की भरपाई की जाती है।