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सेंसेक्स 800 अंक गिरकर 75,500 के स्तर पर आया:निफ्टी में 300 अंक की गिरावट; ट्रम्प के बयान से फार्मा शेयर टूटे

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मुंबई ,एजेंसी।

शेयर बाजार में आज यानी 4 अप्रैल को गिरावट है। सेंसेक्स 800 अंक की गिरावट के साथ 75,500 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। वहीं निफ्टी में भी 300 अंक की गिरावट है, ये 23,000 से नीचे आ गया है।

NSE सेक्टोरल इंडाइसेज में निफ्टी फार्मा, हेल्थकेयर और मेटल इंडेक्स करीब 6% गिरे हैं। ऑटो, IT और रियल्टी इंडेक्स में 3% से ज्यादा की गिरावट है।

फार्मा पर अलग कैटेगरी के तहत टैरिफ लगाएंगे ट्रम्प

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फार्मा सेक्टर पर अलग कैटेगरी के तहत टैरिफ लगाने के बयान के बाद इस सेक्टर के शेयरों में बिकवाली है। ट्रम्प ने कहा, “मुझे लगता है कि फार्मा में टैरिफ उस स्तर पर आने वाला है, जो आपने पहले कभी नहीं देखा होगा। हम अभी फार्मा पर विचार कर रहे हैं… यह एक अलग कैटेगरी है, और हम जल्द ही इसकी घोषणा करेंगे।”

बाजार में गिरावट के तीन कारण

  • ट्रम्प का रेसिप्रोकल टैरिफ: अमेरिका ने भारत पर 26% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। भारत के अलावा चीन पर 34%, यूरोपीय यूनियन पर 20%, साउथ कोरिया पर 25%, जापान पर 24%, वियतनाम पर 46% और ताइवान पर 32% टैरिफ लगेगा।
  • विदेशी निवेशकों की बिकवाली: फॉरेन इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FII) लगातार भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकाल रहे हैं। यह बिकवाली बाजार में दबाव बढ़ाने का एक प्रमुख कारण हो सकती है, खासकर अगर निवेशक अन्य बाजारों की ओर रुख कर रहे हों।
  • आर्थिक अनिश्चितता: वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका और अमेरिकी GDP के 2025 की पहली तिमाही में 2.8% तक गिरने के अनुमान से निवेशकों का भरोसा कम हुआ है। इससे स्टॉक मार्केट में अस्थिरता बढ़ रही है।

अमेरिकी बाजार 6% तक गिरा

  • एशियाई बाजारों में जापान के निक्केई में 2.64%, कोरिया के कोस्पी इंडेक्स में 1.57% की गिरावट है। चीन का बाजार किंगमिंग फेस्टिवल के कारण बंद है।
  • 3 अप्रैल को अमेरिका का डाउ जोन्स 3.98%) गिरकर 40,545 पर बंद हुआ। S&P 500 इंडेक्स में 4.84% की गिरावट रही। नैस्डेक कंपोजिट 5.97% गिरा।
  • 3 अप्रैल को विदेशी निवेशकों (FIIs) ने 2,806 करोड़ रुपए के शेयर बेचे। वहीं, घरेलू निवेशकों (DIIs) ने 221.47 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे।

कल सेंसेक्स 322 अंक गिरकर 76,295 पर बंद हुआ था

कल यानी 3 अप्रैल को सेंसेक्स 322 अंक की गिरावट के साथ 76,295 के स्तर पर बंद हुआ था। वहीं, निफ्टी में भी 82 अंक की गिरावट रही, ये 23,250 के स्तर पर बंद हुआ।

आज IT, ऑटो और बैंकिंग शेयर्स में ज्यादा गिरावट रही। TCS, HCL टेक और टेक महिंद्रा के शेयर करीब 4% टूटे। वहीं पावर और फार्मा के शेयर में बढ़त रही।

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डोनाल्ड ट्रम्प ने दवाओं पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया:कहा- इससे फार्मा कंपनियां वापस अमेरिका आएंगी, भारतीय कंपनियों को हो सकता है नुकसान

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वॉशिंगटन डीसी,एजेंसी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ऐलान किया है कि हम जल्द ही दवाइयों पर भारी टैरिफ लगाने जा रहे हैं। ट्रम्प ने कहा कि उनका मकसद विदेश में दवा बना रही कंपनियों को अमेरिका में वापस लाना और घरेलू दवा इंडस्ट्री को बढ़ावा देना है।

ट्रम्प ने कहा कि दूसरे देश दवाओं की कीमतों को कम रखने के लिए बहुत ज्यादा दबाव बनाते हैं। वहां ये कंपनियां सस्ती दवा बेचती हैं, लेकिन अमेरिका में ऐसा नहीं होता है। एक बार जब इन दवा कंपनियों पर टैरिफ लग जाएगा तो ये सारी कंपनियां अमेरिका वापस आ जाएंगी।

अगर अमेरिका दवाओं पर भी टैरिफ लगाने का फैसला लेता है तो इसका भारत पर भी असर पड़ेगा। भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनियां हर साल अमेरिका को 40% जेरेनिक दवाएं भेजती हैं।

ट्रम्प बोले- लंदन में दवा 88 डॉलर में, अमेरिका में कीमत 1300 डॉलर

ट्रम्प ने कहा कि दवाएं दूसरे देशों में बनती हैं और इसके लिए आपको ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। लंदन में जो दवा 88 डॉलर में बिकती है, वही दवा अमेरिका में 1300 डॉलर में बिक रही है। अब यह सब खत्म हो जाएगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति बोले कि टैरिफ लगाने से फार्मा कंपनियां वापस आएंगी, क्योंकि अमेरिका बहुत बड़ा बाजार है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो विदेशी दवा कंपनियों को भारी टैक्स चुकाना पड़ेगा। ट्रम्प दवाओं पर कब से और कितना टैरिफ लगाएंगे, इसकी तारीख उन्होंने नहीं बताई है।

अमेरिका दुनिया में सबसे ज्यादा दवाएं खरीदने वाला देश है। यूएस ट्रेड डेटा के मुताबिक भारत, अमेरिका को सबसे ज्यादा दवा बेचने वाले टॉप-5 देशों में शामिल है। Citi का अनुमान है कि अगर टैरिफ का 50% बोझ मरीजों तक पहुंचाया गया, तो फार्मा कंपनियों की कमाई (EBITDA) पर 1% से 7% तक का असर हो सकता है।

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बैंकों से मिलने वाला कर्ज हो सकता है सस्ता:RBI ने दूसरी बार रेपो रेट घटाकर 6% किया, लोन सस्ते होने से EMI कम होगी

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मुंबई,एजेंसी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी, RBI ने रेपो रेट को 0.25% घटाकर 6% कर दिया है। पहले ये 6.25% थी। यानी, आने वाले दिनों में लोन सस्ते हो सकते हैं। वहीं आपकी ईएमआई भी घटेगी।

नए वित्त वर्ष में RBI की पहली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी मीटिंग के फैसलों की जानकारी RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा आज 9 अप्रैल को सुबह 10 बजे दी। ये मीटिंग 7 अप्रैल को शुरू हुई थी।

इस साल फरवरी में RBI ने रेपो रेट में 0.25% कटौती की थी

इससे पहले वित्त वर्ष 2024-25 की आखिरी मीटिंग में RBI ने ब्याज दरों में 0.25% की कटौती की थी। फरवरी में हुई मीटिंग में ब्याज दरों को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया था। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की ओर से ये कटौती करीब 5 साल बाद की गई थी।

रेपो रेट के घटने से क्या बदलाव आएगा?

रेपो रेट घटने के बाद बैंक भी हाउसिंग और ऑटो जैसे लोन्स पर अपनी ब्याज दरें कम कर सकते हैं। वहीं ब्याज दरें कम होंगी तो हाउसिंग डिमांड बढ़ेगी। ज्यादा लोग रियल एस्टेट में निवेश कर सकेंगे। इससे रियल एस्टेट सेक्टर को बूस्ट मिलेगा।

रेपो रेट क्या है, इससे लोन कैसे सस्ता होता है?

RBI जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने से बैंक को कम ब्याज पर लोन मिलेगा। बैंकों को लोन सस्ता मिलता है, तो वो अकसर इसका फायदा ग्राहकों को पास कर देते हैं। यानी, बैंक भी अपनी ब्याज दरें घटा देते हैं।

रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाता और घटाता क्यों है?

किसी भी सेंट्रल बैंक के पास पॉलिसी रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है, तो सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है।

पॉलिसी रेट ज्यादा होगी तो बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है।

इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है।

RBI गवर्नर ने 8 बड़ी बातें कही…

  1. कमेटी ने सर्वसम्मति से रेपो रेट 0.25% घटाकर 6% करने के पक्ष में वोट किया।
  2. कमेटी ने अपना रुख न्यूट्रल से बदलकर अकोमोडेटिव करने का फैसला किया।
  3. ट्रेड फ्रिक्शन के कारण ग्लोबल ग्रोथ पर असर पड़ने से डोमेस्टिक ग्रोथ भी बाधित होगी।
  4. हायर टैरिफ का एक्सपोर्ट पर प्रभाव पड़ेगा। मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी में सुधार के संकेत हैं।
  5. क्रूड की कीमतों में गिरावट से महंगाई को कंट्रोल में रखने में मदद मिलेगी।
  6. कंज्यूमर से मर्चेंट UPI ट्रांजैक्शन की लिमिट पर फैसला करने का अधिकार NPCI को देंगे।
  7. मौजूदा समय में पर्सन-टु-मर्चेंट पेमेंट की लिमिट 2 लाख रुपए है।
  8. गोल्ड लोन को लेकर नए गाइडलाइंस जारी की जाएंगी।

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2020 में फिल्म सिटी का ऐलान, अभी सिर्फ बोर्ड लगा:किस हाल में है CM योगी का ड्रीम प्रोजेक्ट; CEO बोले- 8 साल लगेंगे

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ग्रेटर नोएडा,एजेंसी। दिल्ली से करीब 55 किमी और जेवर में बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से महज 15 मिनट की दूरी पर यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे खाली जमीन पड़ी है। यहां बोर्ड लगा है, जिस पर लिखा है प्रस्तावित स्थल-फिल्म सिटी।

इस बोर्ड से पता चलता है कि यूपी के CM योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट यहीं बनना है। 1510 करोड़ में बनने वाली 1000 हजार एकड़ की इंटरनेशनल फिल्मसिटी, जिसमें शूटिंग के लिए ताजमहल, वाराणसी के घाट के साथ देश के ऐतिहासिक किले और महल भी होंगे।

CM योगी आदित्यनाथ ने 18 सितंबर, 2020 को फिल्मसिटी बनाने का ऐलान किया था। हालांकि, अब तक यहां सिर्फ बोर्ड ही लगा है। इसी महीने काम शुरू होने की उम्मीद है। हैदराबाद के रामोजी फिल्मसिटी के बाद ये देश का दूसरा सबसे बड़ा फिल्मसिटी प्रोजेक्ट होगा। यहां हॉलीवुड और बॉलीवुड फिल्मों के लिए हाई क्वॉलिटी के शूटिंग सेट बनाए जाएंगे।

ये फिल्मसिटी कैसी होगी, यहां क्या-क्या होगा, कौन इसे बनाएगा और आसपास के शहरों को इससे क्या फायदा होगा, इस पर दैनिक भास्कर ने प्रोजेक्ट प्लान करने वाले यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी यीडा के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह से बात की। उन्होंने बताया कि अभी पहले फेज का काम शुरू होने वाला है। पूरा प्रोजेक्ट तैयार होने में कम से कम 8 साल लगेंगे।

ग्रेटर नोएडा के सेक्टर 21 में लगा फिल्म सिटी का बोर्ड। इसी जगह 1000 एकड़ में ये प्रोजेक्ट बनना शुरू होगा।

ग्रेटर नोएडा के सेक्टर 21 में लगा फिल्म सिटी का बोर्ड। इसी जगह 1000 एकड़ में ये प्रोजेक्ट बनना शुरू होगा।

दिल्ली एयरपोर्ट से डेढ़ घंटे, नोएडा एयरपोर्ट से सिर्फ 15 मिनट दूर

फिल्मसिटी प्रोजेक्ट दिल्ली-नोएडा बॉर्डर से करीब 55 किमी दूर बन रहा है। ग्रेटर नोएडा से आगरा जाने वाले यमुना एक्सप्रेसवे के सर्विस रोड पर गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी और गलगोटिया यूनिवर्सिटी से आगे सेक्टर-21 है।

प्रोजेक्ट की साइट और आसपास का पूरा एरिया खाली है। कहीं-कहीं खेती हो रही है। एंट्री पॉइंट के पास कंटीले तारों से फेंसिंग की गई है। गूगल मैप से पता चला कि नोएडा एयरपोर्ट यहां से सिर्फ 15 मिनट की दूरी पर है। दिल्ली एयरपोर्ट जाने में डेढ़ घंटे से 2 घंटे लगेंगे। आगरा करीब ढाई घंटे और मथुरा करीब 2 घंटे की दूरी पर है।

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