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छत्तीसगढ़

जांजगीर-चांपा में स्कूली वाहनों की जांच: 72 वाहनों में से 9 पर कार्रवाई, 5900 रुपए जुर्माना वसूला

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जांजगीर-चांपा,एजेंसी। जांजगीर चांपा जिले में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से पहले जिला परिवहन विभाग और यातायात पुलिस ने संयुक्त रूप से स्कूली वाहनों की जांच की। रक्षित केंद्र जांजगीर में आयोजित शिविर में कुल 72 स्कूली वाहनों की जांच की गई।

पुलिस अधीक्षक विजय कुमार पाण्डेय के निर्देशन में आयोजित इस शिविर में सबसे पहले वाहनों का रजिस्ट्रेशन किया गया। वाहनों की भौतिक जांच के साथ रजिस्ट्रेशन, परमिट, बीमा और चालक लाइसेंस की 12 बिंदुओं पर जांच की गई।

जांच के दौरान 9 स्कूल वाहनों में नियमों का उल्लंघन पाया गया। इन वाहनों पर मोटर वाहन अधिनियम के तहत कार्रवाई करते हुए 5900 रुपए का जुर्माना लगाया गया। चालकों के स्वास्थ्य परीक्षण में 4 चालकों में आंखों से संबंधित समस्याएं पाई गईं। इन्हें सिम्स अस्पताल बिलासपुर जाने की सलाह दी गई।

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक यातायात उदयन बेहार ने स्कूली वाहन चालकों को यातायात नियमों की जानकारी दी। उन्होंने तेज रफ्तार से बचने, सीट बेल्ट का उपयोग करने और शराब पीकर वाहन न चलाने की हिदायत दी।

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कोरबा

शोक समाचार : सेवानिवृत्त अधिकारी राजेंद्र सक्सेना को पितृशोक

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कोरबा/बिलासपुर। जल संसाधन कोरबा में सेवारत रहे इंजीनियर एवं कोटा से अनुविभागीय अधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त राजेंद्र कुमार सक्सेना के पिताश्री पी एन सक्सेना का 25 अगस्त 2025 को 12 बजे फरीदाबाद अस्पताल में निधन हो गया। आज उनका अंतिम संस्कार मूलनिवास स्थान झांसी में किया गया। उनकी अंतिम यात्रा में परिजन, स्वजन सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक शामिल हुए। स्वर्गीय श्री पी एन सक्सेना के अंतिम संस्कार के बाद मुक्तिधाम में उपस्थित लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर विनम्र श्रद्धांजलि दी। स्वर्गीयश्री पी एन सक्सेना अपने पीछे भरापूरा परिवार छोड़कर स्वर्ग सिधार गए।

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छत्तीसगढ़

गणेश उत्सव…पंडाल-आयोजनों के लिए गाइडलाइन जारी:बड़े पंडालों का बताना होगा ले आउट मैप, बिजली तारों के नीचे अनुमति नहीं, फायर एग्जिट जरूरी

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रायपुर,एजेंसी। छत्तीसगढ़ में गणेशोत्सव और सार्वजनिक आयोजनों को लेकर नगरीय प्रशासन विभाग ने गाइडलाइन जारी किया है। बिना अनुमति किसी भी सार्वजनिक स्थान पर पंडाल, धरना, जुलूस, सभा या रैली नहीं होगी। पंडाल और अन्य भवनों के बीच 15 फीट (45 मीटर) खुली जगह अनिवार्य है।

बिजली की तारों के नीचे पंडालों बनाने की अनुमति नहीं है। बड़े पंडाल का ले आउट मैप पहले ही देना होगा। वहीं, आयोजन स्थल पर फायर एग्जिट, अग्निशमन यंत्र फर्स्ट एड बॉक्स रखना जरुरी है। आयोजन के लिए आवेदन कम से कम 7 दिन पहले देना होगा।

गणेश उत्सव आयोजन के लिए आवेदन कम से कम 7 दिन पहले देना होगा।

गणेश उत्सव आयोजन के लिए आवेदन कम से कम 7 दिन पहले देना होगा।

500 लोगों और 5000 वर्गफीट तक के आयोजनों के लिए नियम

ऐसे आयोजन का आवेदन प्रारूप-A में देना होगा। जरूरत पड़ने पर सक्षम अधिकारी अन्य विभागों से एनओसी ले सकते हैं। मुख्य सड़क या चौराहे पर पंडाल की अनुमति नहीं मिलेगी। अगर अनुमति दी जाती है तो वैकल्पिक मार्ग अनिवार्य होंगे।

आयोजन समिति को आयोजन के तुरंत बाद स्थल की साफ-सफाई करनी होगी। अस्थायी शौचालय, पानी और कचरा प्रबंधन की जिम्मेदारी आयोजक की होगी। अनुमति मिलने के बाद भी आयुक्त/सीएमओ कभी भी अनुमति निरस्त कर सकते हैं।

बड़े आयोजनों के लिए नियम

इसके लिए आवेदन प्रारूप-C में जमा होगा। इसके साथ अनिवार्य रूप से अनुविभागीय दंडाधिकारी (राजस्व विभाग), थाना प्रभारी (पुलिस विभाग), जिला सेनानी होमगार्ड (अग्निशमन विभाग), कार्यपालन अभियंता/सहायक अभियंता (विद्युत विभाग) एनओसी लगाना होगा। वही अनुमति का निर्णय भी 3 दिनों में होगा।

अनुमति लेने की प्रक्रिया

  • आयोजन के लिए आवेदन कम से कम 7 दिन पहले निर्धारित प्रारूप में देना होगा।
  • आवेदन में तिथि, समय, स्थान, उद्देश्य, आयोजन का नक्शा, सुरक्षा योजना और स्वच्छता व्यवस्था का विवरण अनिवार्य है।
  • सक्षम प्राधिकारी (आयुक्त/मुख्य नगरपालिका अधिकारी) आवेदन का 3 कार्य दिवस में निराकरण करेंगे।
  • अनुमति पत्र तय प्रारूप में जारी होगा।
  • अनुमति शुल्क संबंधित नगरीय निकाय के नियमों के अनुसार जमा करना होगा।

आपातकालीन निर्देश

  • पंडालों में इमरजेंसी एग्जिट और प्राथमिक उपचार की व्यवस्था अनिवार्य होगी।
  • महामारी या स्वास्थ्य संबंधी दिशा-निर्देश लागू होने पर आयोजकों को पालन करना ही होगा।
  • सभी पंडालों में इमरजेंसी एग्जिट बोर्ड, पुलिस, अग्निशमन और चिकित्सा सहायता के नंबर स्थानीय भाषा में प्रदर्शित होंगे।
  • निकास द्वारों पर पर्याप्त रोशनी और बिजली की बैकअप व्यवस्था (जनरेटर/इन्वर्टर) होना जरूरी है।
  • आयोजन स्थल पर फायर एग्जिट,अग्निशमन यंत्र और चिकित्सा किट उपलब्ध कराना अनिवार्य।

अपशिष्ट और स्वच्छता प्रबंधन

  • आयोजक को विसर्जन के बाद बची सामग्री (फूल, कपड़े, माला आदि) का वैज्ञानिक तरीके से निपटान करना होगा।
  • अस्थायी शौचालय, पानी और कचरा प्रबंधन की व्यवस्था नगरीय निकाय के सहयोग से करनी होगी।

सुरक्षा और शांति व्यवस्था

  • पंडाल अग्निरोधी सामग्री से बने हों।
  • रैली, शोभायात्रा या जुलूस केवल निर्धारित समय सीमा के भीतर ही होंगे।
  • आयोजकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि यातायात प्रभावित न हो और सार्वजनिक शांति बनी रहे।
  • सुरक्षा, यातायात और भीड़ प्रबंधन की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन और आयोजक दोनों की होगी।
  • आयोजन के दौरान राष्ट्रविरोधी, साम्प्रदायिक तनाव फैलाने वाली कोई गतिविधि प्रतिबंधित होगी।

पंडाल निर्माण से जुड़े सामान्य नियम

  • पंडाल मजबूत, सुरक्षित और अग्निरोधक सामग्री से बने होंगे।
  • भीड़ वाले इलाकों में पंडाल केवल अग्निरोधक सामग्री से ही बनाए जाएंगे।
  • पंडाल और अन्य भवनों के बीच 15 फीट (45 मीटर) खुली जगह अनिवार्य होगी।
  • बड़े या जटिल ढांचे के लिए स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट लेना जरूरी होगा।
  • पंडालों में ज्वलनशील सामग्री का न्यूनतम प्रयोग किया जाएगा।
  • बिजली तारों के नीचे पंडाल बनाना पूरी तरह प्रतिबंधित है।

अन्य जरूरी नियम

सक्षम अधिकारी जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक की सहमति से अन्य शर्तें भी जोड़ सकते हैं।

आयोजकों को पंडाल स्थल पर सीसीटीवी कैमरे लगाने होंगे।

स्वयंसेवकों की पहचान-पत्र सहित पर्याप्त संख्या में तैनाती करनी होगी।

आयोजन समिति का नाम और सदस्यों की सूची स्थल पर प्रदर्शित करना अनिवार्य है।

पंडाल का लेआउट/मैप स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होना चाहिए।

पार्किंग के लिए अलग स्थान चिन्हित करना होगा।

सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान होने पर उसकी भरपाई आयोजकों से वसूली जाएगी।

अनुमति मिलने के बाद भी आयुक्त/सीएमओ किसी भी समय अनुमति रद्द कर सकते हैं।

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छत्तीसगढ़

अंबानी के वनतारा में छत्तीसगढ़ का सफेद भालू-हिरण:बदले में मिले जेब्रा को सांप ने डसा, माधुरी हथिनी विवाद के बीच वापस लेने की मांग

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रायपुर,एजेंसी। गुजरात के जामनगर में वनतारा वाइल्ड लाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर में माधुरी हथिनी विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने SIT का गठन किया है। SIT की टीम वनतारा में जानवरों की तस्करी, उनसे दुर्व्यवहार, वित्तीय अनियमितता और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच करेगी।

इन सभी के बीच छत्तीसगढ़ से भी अंबानी के वनतारा भेजे गए दुर्लभ सफेद भालू और हिरण को वापस लाने की मांग उठने लगी है। वन्य प्राणी प्रेमियों ने वन विभाग पर प्रोटोकॉल का पालन किए बिना जानवरों को भेजने का आरोप लगाया है।

वहीं वन्यजीव बोर्ड के पूर्व सदस्य प्राण चड्ढा ने भी अंबानी के वनतारा ​​​​​​प्रोजेक्ट पर सवाल उठाए हैं।

वनतारा में छत्तीसगढ़ से कौन सा वन्य प्राणी भेजा गया, कौन सा लाया गया, वन्य प्राणियों की स्थिति क्या है?

छत्तीसगढ़ से भी वनतारा भेजे गए दुर्लभ सफेद भालू और हिरण को वापस लाने की मांग उठने लगी है।

छत्तीसगढ़ से भी वनतारा भेजे गए दुर्लभ सफेद भालू और हिरण को वापस लाने की मांग उठने लगी है।

इस सफेद भालू को नवा रायपुर जंगल सफारी से वनतारा भेजा गया है।

इस सफेद भालू को नवा रायपुर जंगल सफारी से वनतारा भेजा गया है।

जंगल सफारी स्थित जू का मेन गेट। यहां पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।

जंगल सफारी स्थित जू का मेन गेट। यहां पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।

क्या है पूरा मामला ?

दरअसल, चिरमिरी से मिले सफेद भालू और हिरण को अप्रैल 2025 में वनतारा वाइल्ड लाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर भेजा गया था। भालू और हिरण देकर छत्तीसगढ़ वन विभाग के अफसर ज़ेब्रा जोड़ा, माउस डियर और मीर कैट लाए थे।

इन वन्य प्राणियों को क्वारेंटाइन किया गया था और आने वाले दिनों में पर्यटकों को दिखाना था। क्वारेंटाइन के बीच नर ज़ेब्रा को सांप ने काट लिया और उसकी मौत हो गई। मादा ज़ेब्रा, मीर कैट और माउस डियर अभी भी क्वारेंटाइन में हैं और पर्यटकों के सामने उन्हें अभी नहीं लाया गया है।

जेब्रा और जिराफ जैसे वन्य प्राणी आने की उम्मीद में जंगल सफारी में 12 करोड़ रुपए बाड़ा बनाने में खर्च कर दिए गए। जू में 32 बाड़े हैं। इनमें नए बने 8 खाली हैं। पिछली सरकार में इन्हें बनाने की मंजूरी दी।इनमें विदेशी वन्य प्राणियों को रखा जाएगा। इसलिए सेंट्रल जू अथॉरिटी को जेब्रा, जिराफ जैसे प्राणियों के हिसाब से बाड़े का डिजाइन भेजा गया।

वनतारा विवाद की पूरी कहानी ?

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात के जामनगर में वनतारा वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर की जांच के लिए 4 सदस्यीय स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित की। इस सेंटर को रिलायंस फाउंडेशन चलाता है।

अदालत ने कहा कि SIT 12 सितंबर तक रिपोर्ट देगी। इसके बाद 15 सितंबर को फिर सुनवाई होगी। इसके आधार पर आगे फैसला लिया जाएगा। जस्टिस पंकज मित्तल और पीबी वराले की बेंच ने मामले की सुनवाई की।

उन्होंने कहा कि SIT को 12 सितंबर 2025 तक रिपोर्ट सौंपनी होगी। SIT पशु कल्याण, आयात-निर्यात कानून, वाइल्डलाइफ तस्करी, पानी और कार्बन क्रेडिट के दुरुपयोग जैसे मुद्दों की भी जांच करेगी। SIT की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर करेंगे।

एसआईटी में ये सदस्य हैं मौजूद

  • उत्तराखंड और तेलंगाना हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस राघवेंद्र चौहान
  • मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर हेमंत नगराले
  • इंडियन रेवेन्यू सर्विस (आईआरएस) के अधिकारी अनीश गुप्ता

वनतारा ने कहा – SIT को पूरा सहयोग देंगे

वनतारा ने अपने बयान में कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं। वनतारा पारदर्शिता, संवेदनशीलता और कानून के पूर्ण अनुपालन के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मिशन पशुओं का बचाव, पुनर्वास और देखभाल ही है। हम SIT को पूरा सहयोग देंगे और सच्चाई के साथ काम जारी रखेंगे।”

हथिनी माधुरी की तस्वीर है, इसी की शिफ्टिंग समेत अन्य प्रणियों की तस्करी के आरोपों पर SIT गठित की गई है।

हथिनी माधुरी की तस्वीर है, इसी की शिफ्टिंग समेत अन्य प्रणियों की तस्करी के आरोपों पर SIT गठित की गई है।

हथिनी माधुरी को वनतारा में किया गया था शिफ्ट

16 जुलाई को बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि हथिनी माधुरी को वनतारा में शिफ्ट किया जाए। यह आदेश PETA इंडिया की ओर से हथिनी की सेहत, गठिया और मानसिक तनाव को लेकर जताई गई चिंताओं के बाद दिया गया था।

इससे पहले दिसंबर 2024 में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने हथिनी के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए उसे गुजरात के वनतारा पशु अभयारण्य में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। फिर 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने भी इस आदेश को बरकरार रखा था। यह मामला 2023 से चल रहा है।

माधुरी को वनतारा शिफ्ट किए जाने पर कोल्हापुर में जुलाई के आखिरी हफ्ते में विरोध प्रदर्शन हुए। लोगों ने उसको वापस लाने के लिए हस्ताक्षर किए। धार्मिक परंपराओं और भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया।

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