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कोरबा

बालको के सुरक्षा संकल्प के 2 वर्ष पूरे, सुरक्षा संस्कृति को मिला बढ़ावा

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बालकोनगर। वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने अपने सुरक्षा कार्यक्रम ‘सुरक्षा संकल्प’ के दो साल पूरे होने का जश्न मनाया। बालको शॉप फ्लोर टीम और संगठन के विभिन्न विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों एवं व्यावसायिक साझेदारों ने जागरूकता कार्यक्रम में हिस्सा लिया। बीते दो सालों में सुरक्षा संकल्प पहल ने संयंत्र परिसर के भीतर कड़े सुरक्षा उपायों को प्रोत्साहित करने में शानदार सफलता हासिल की है। दिसंबर 2021 से आरंभ सुरक्षा संकल्प कार्यक्रम का उद्देश्य कोचिंग, कॉउंसिलिंग, मॉनिटिरिंग और त्वरित प्रतिक्रिया प्रदान करने में निहित सुरक्षा संस्कृति का पोषण करना है। हर महीने के पहले दिन आयोजित होने वाले व्यापक प्रशिक्षण सत्रों ने कर्मचारियों को कार्यस्थल पर रचनात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करते हुए सुरक्षा-प्रथम मानसिकता विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लगातार 25 वें प्रशिक्षण में 1500 से अधिक कर्मचारियों और व्यावसायिक साझेदारों ने हिस्सा लिया। सभी का उत्साह सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता के दो उल्लेखनीय वर्षों के सफल समापन का प्रतीक है। सुरक्षा संकल्प कार्यक्रम अपने संचालन के सभी क्षेत्रों में सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन की गई विविध प्रकार की थीम को शामिल करता है। कंपनी व्यक्तियों को सुरक्षा उपायों के बारे में शिक्षित करने सहित उनको प्रोत्साहित करती है। अपने संबंधित विभागों के भीतर सुरक्षा जागरूकता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता दिखाई है और दूसरों को कार्यस्थल में सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित किया है। बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक राजेश कुमार ने कहा कि बालको में कर्मचारियों की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता में से एक है जो हमारी कार्य संस्कृति का हिस्सा है। ‘सुरक्षा संकल्प’ एक मजबूत सुरक्षा संस्कृति को बढ़ावा देने में सहायक रहा है जो हमारे कर्मचारियों और व्यावसायिक साझेदारों की भलाई को प्राथमिकता देता है। यह मील का पत्थर एक सुरक्षित कार्य वातावरण बनाने के हमारे सामूहिक प्रयासों का प्रमाण है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे हम सुरक्षा के उच्चतम मानकों को कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बालको ने वार्षिक कोयला खादान सुरक्षा पखवाड़ा-2023 के अंतर्गत चोटिया कोयला खदान में सुरक्षा जागरूकता कार्यशाला का भी आयोजन किया। आयोजित कार्यशाला में खदान के भीतर महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रोटोकॉल एवं प्रथाओं पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित हुईं। कार्यक्रम में लगभग 200 से अधिक कर्मचारियों और व्यावसायिक भागीदारों ने भाग लिया जिन्होंने एक मजबूत सुरक्षा संस्कृति बनाने का संकल्प लिया। कंपनी अपने कर्मचारियों और समुदाय के सदस्यों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए सुरक्षा-केंद्रित कार्यक्रम आयोजित करके हर साल राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह का आयोजन करती है। बालको सुरक्षित ड्राइविंग पाठ्यक्रम, अग्नि सुरक्षा सत्र और सड़क सुरक्षा जागरूकता सहित रेट्रो-रिफ्लेक्टिव सुरक्षा साइनबोर्ड की स्थापना किया है। बालको के प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह का आयोजन और विभिन्न सुरक्षा प्रशिक्षण सत्रों से कर्मचारियों सहित स्थानीय समुदायों में सुरक्षा जागरूक को बढ़ावा मिला है। मजबूत सुरक्षा संस्कृति का निर्माण करने के लिए कंपनी कई अत्याधुनिक तकनीकों को शामिल किया है। जैसे- ऑगमेंटेड एंड वर्चुअल रिएलिटी आधारित प्रशिक्षण केंद्र, वीडियो एनालिटिक्स, सस्टेनेबेलिटी मोबाइल ऐप और ई-लर्निंग पाठ्यक्रम जैसे डिजिटलीकरण के माध्यम से कर्मचारियों को सुरक्षा संस्कृति से जोड़ा गया है। सुरक्षा क्षेत्र में बालको अत्याधुनिक सेंट्रलाइज्ड सिक्योरिटी ऑपरेशंस सेंटर की मदद से यातायात एवं सड़क सुरक्षा और आपूर्ति श्रृंखला सहित विभिन्न सुरक्षा कार्यों में बेहतर निर्णय लेने के लिए डिजिटल इंटेलिजेंस और डेटा अंतर्दृष्टि का लाभ उठा रहा है। रियल टाइम डेटा की निगरानी, कोयला यार्ड में हॉट स्पॉट डिटेक्शन सिस्टम जैसी परियोजनाओं सहित एंड-टू-एंड डिजिटल डैशबोर्ड की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए थर्मल निरीक्षण का उपयोग करना शामिल है। शॉप फ्लोर में भारी वाहनों के सुरक्षित आवागमन को सुनिश्चित करने के लिए एलईडी लोगो प्रोजेक्टर का प्रयोग हो रहा है। सड़क सुरक्षा को बढ़ाने के लिए आंतरिक वाहन संचालन में अत्याधुनिक एआई तकनीक एडवांस ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम (एडीएएस) और ड्राइवर मॉनिटरिंग सिस्टम (डीएमएस) को लागू किया गया है। कंपनी अपने प्रचालन क्षेत्रों में टेक्नोलॉजी फस्र्टदृष्टिकोण के अनुरूप विभिन्न नवाचारों को अपनाने और कर्मचारियों की सुरक्षा को सर्वोपरी रखने का कार्य किया है। द एनर्जी एंड एनवायरनमेंट फाउंडेशन की ओर से गोल्ड कैटेगरी में बालको को ग्लोबल रोड सेफ्टी अवार्ड 2023 पुरस्कार प्राप्त हुआ है। कंपनी ने सुरक्षा डिजिटलीकरण पर अपनी सुरक्षा संकल्प कुटुंब परियोजना के लिए 5वीं सीआईआई राष्ट्रीय सुरक्षा अभ्यास प्रतियोगिता में प्लैटिनम विजेता का दर्जा हासिल किया।

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कोरबा

कोरबा में पहली बार पेसमेकर ट्रांसप्लांट, एक ही दिन 4 एंजियोप्लास्टी भी

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एनकेएच का कैथलैब हृदयरोगियों के लिए अत्यंत लाभकारी साबित हो रहा

कोरबा। शहर के सुपर स्पेशिलिटी हास्पिटल एनकेएच में कैथलैब की सुविधा प्रारंभ होने से हृदय रोगियों को राहत मिलने के साथ जीवन की रक्षा हो रही है। एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी का समय पर लाभ संबंधितों को प्राप्त हो रहा है। इसी कड़ी में एक बड़ी उपलब्धि के साथ जिले का पहला सफल पेसमेकर ट्रांसप्लांट भी किया गया जिससे मरीज को नई जिंदगी मिली। एक ही दिन में 4 सफल एंजियोप्लास्टी भी की गई।
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सतीश सूर्यवंशी व टीम के द्वारा सर्जरी की गई तथा 20 से ज्यादा मरीजों को कॉर्डियक ओपीडी में देखा गया। प्रारंभ से लेकर अभी तक 100 से ज्यादा मरीज का एंजियोप्लास्टी कोरबा में हो चुका है व लगभग 1000 से ज्यादा मरीज हृदय रोग का इलाज भी करा चुके हैं। एनकेएच के डायरेक्टर डॉ. एस चंदानी ने कहा है कि यह सुविधा मिलने से कोरबा जिलावासियों को काफी राहत मिल रही है। अस्पताल में रायपुर के सुपर स्पेशलिस्ट व ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉ.सतीश सूर्यवंशी, डॉ.एस. एस. मोहंती, डॉ भरत अग्रवाल अपनी सेवाएं निरंतर दे रहे हैं। नियमित रूप से एंजियोप्लास्टी एवं एंजियोग्राफी की सुविधा एन के एच में दी जा रही है। जिससे लोग लाभान्वित हो रहे हैं।

क्या है पेसमेकर प्रत्यारोपण

स्थायी पेसमेकर प्रत्यारोपण (Permanent Pacemaker Implantation) एक चिकित्सा प्रक्रिया है जिसका उपयोग असामान्य हृदय गति (अरिदमिया) के इलाज के लिए किया जाता है, जैसे कि ब्रैडीकार्डिया (धीमी हृदय गति)। पेसमेकर एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसे छाती में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह हृदय की गति को नियमित करने के लिए विद्युत आवेग भेजता है।
0 कब आवश्यक होता है पेसमेकर?

  1. ब्रैडीकार्डिया: जब हृदय की गति सामान्य से धीमी हो।
  2. पूर्ण हृदय अवरोध: जब हृदय की विद्युत प्रणाली बाधित हो।
  3. हृदय विफलता : जब विद्युत गड़बड़ी के कारण हृदय सही तरीके से काम नहीं करता।
  4. सर्जरी के बाद अरिदमिया: हृदय सर्जरी के बाद अनियमित धड़कन।
  5. जन्मजात या अर्जित हृदय ब्लॉक: हृदय में विद्यमान रुकावट।
    0 पेसमेकर ट्रांसप्लांट के बाद सावधानियां और देखभाल
  6. नियमित जांच और पेसमेकर का फॉलो-अप।
  7. भारी उपकरणों या चुंबकीय क्षेत्र से बचाव।
  8. लक्षण जैसे चक्कर आना या बेहोशी महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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कोरबा

नगर निगम व पंचायत चुनाव में विधर्मियों को प्रत्याशी न बनाए जाने हेतु नवनियुक्त भाजपा अध्यक्ष मनोज शर्मा को ज्ञापन सौंपा

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कोरबा।विश्व हिंदू परिषद,धर्मसेना, हिन्दू जागरण मंच, धर्मजागरण, आदित्य वाहिनी के तत्वावधान में संयुक्त ज्ञापन म उल्लेख किया गया कि कोरबा जिला,जो अपनी सांस्कृतिक विरासत और शांति प्रिय परंपराओं के लिए जाना जाता है, आज कुछ विधर्मियों की गतिविधियों के कारण अशांति और असुरक्षा का अनुभव कर रहा है।
धर्मांतरण, गौ-तस्करी, लैंड जिहाद, और लव जिहाद जैसी गतिविधियों ने इस जिले के सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित किया है।
इतिहास साक्षी है कि जब भी कुछ धर्म विशेष ने बहुसंख्यक समाज को कुचलने के प्रयास किए हैं, तब समाज में असंतोष और विघटन बढ़ा है। पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि हिंदू समाज को कमजोर करने वाले कार्य लंबे समय तक किसी भी क्षेत्र के लिए हानिकारक होते हैं।ऐसी परिस्थिति में, हमारा आपसे आग्रह है कि आगामी नगर निगम और पंचायत चुनावों में किसी भी विधर्मी व्यक्ति को प्रत्याशी न बनाया जाए। यह निर्णय हिंदू समाज के विश्वास और सहयोग को बनाए रखने में सहायक होगा। यदि इस आग्रह की अनदेखी की जाती है, तो हिंदू संगठन और समाज इस निर्णय का सामूहिक विरोध करेंगे और ऐसे प्रत्याशी के विरुद्ध व्यापक आंदोलन करेंगे।
यह ज्ञापन किसी भी राजनीतिक प्रेरणा से नहीं, बल्कि हिंदू समाज और उसकी भलाई के हित में लिखा गया है। हम आपसे अपेक्षा करते हैं कि आप हमारे आग्रह को गंभीरता से लेंगे और ऐसा निर्णय करेंगे जो क्षेत्र की सामाजिक एकता और शांति को बनाए रखने में सहायक हो।

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कोरबा

भाजपा सरकार ने पूरे प्रदेश में षडयंत्र पूर्वक ओबीसी आरक्षण लगभग खत्म कर दिया – जिला कांग्रेस

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जिला कांग्रेस अध्यक्षद्वय सुरेन्द्र प्रताप जायसवाल एवं सपना चौहान ने लगाया आरोप

कोरबा। जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण अध्यक्ष सुरेन्द्र प्रताप जायसवाल एवं शहर अध्यक्ष श्रीमती सपना चौहान ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर कहा है कि भाजपा सरकार ने पूरे प्रदेश में षडयंत्र पूर्वक ओबीसी आरक्षण को लगभग खत्म कर दिया है, जिसके कारण ओबीसी वर्ग से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी अपने अधिकार का हनन समझ रहे है, जबकि प्रदेश में ओबीसी वर्ग की बहुतायत है।
जिला कांग्रेस ने कहा है कि भाजपा सरकार द्वारा स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण प्रावधानों में किये गये दुर्भावना पूर्वक संसोधन के चलते अधिकांश जिला एवं जनपद पंचायतों में आरक्षण खत्म हो गया है। प्रदेश के 16 जिला पंचायत और 85 जनपदों में जहां पहले 25 प्रतिशत सीटे अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीवारों के लिए आरक्षित थी, अब अनुसूचित क्षेत्रों में ओबीसी आरक्षण लगभग खत्म हो गया है, जिसके कारण ओबीसी वर्ग अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं और अपने अधिकारों का हनन समझ रहे हैं।
मैदानी क्षेत्रों में अनेक पंचायते ऐसी है, जहां पर 90 से 99 प्रतिशत आबादी ओबीसी की है लेकिन वहां पर भी ओबीसी के लिए सरपंच का पद आरक्षित नहीं है। पंचों का आरक्षण भी जनसंख्या के अनुपात में काफी कम है। पूर्व में ओबीसी के लिए आरक्षित ये सभी सीटें सामान्य घोषित हो चुकी है। साय सरकार द्वारा आरक्षण प्रक्रिया के नियमों में दुर्भावना पूर्वक संशोधन के बाद अनुसूचित जिलें और ब्लॉकों में जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य और पंचों का जो भी पद ओबीसी के लिए आरक्षित था, अब वे सामान्य सीटें घोषित हो चुकी हैं।
बस्तर और सरगुजा संभाग में आरक्षित वर्ग को बड़ा नुकसान हुआ है। सरगुजा संभाग के पांच जिलें अंबिकापुर, बलरामपुर, सुरजपुर, कोरिया-महेन्द्रगढ़-चिरमिरी, भरतपुर-सोनहत, बस्तर के 7 जिलें-बस्तर, कांकेर, कोंडागांव, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर सहित मानपुर-मोहला, जशपुर, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही और कोरबा जिलें में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कुछ बचा ही नहीं है।
सरकार द्वारा स्थानीय नगरीय निकाय एवं त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण के प्रावधानों में जो षडयंत्र पूर्वक ओबीसी विरोधी परिवर्तन किया है, उसका परिणाम सामने है। इस सरकार ने ओबीसी वर्ग के हक और अधिकारों में बड़ी डकैती की है। रायपुर जिला पंचायत में 16 में से केवल 4 सीट ही ओबीसी के लिए आरक्षित है, उसी तरह बिलासपुर जिलें में 17 में से केवल 1 क्षेत्र ओबीसी महिला के लिए आरक्षित है। ओबीसी पुरूष के लिए 17 में से 1 भी सीट आरक्षित नही है, उसी तरह 4 जनपद पंचायतों में जनपद पंचायत अध्यक्ष के पद अनुसूचित जाति महिला, 1 अनारक्षित महिला और 1 जनपद अध्यक्ष का पद अनारक्षित मुक्त रखा गया है। यहां एक भी पद ओबीसी के लिए आरक्षित नही है जिसके कारण प्रदेश के ओबीसी वर्ग चुनाव लड़ने से वंचित हो गया है और साय सरकार ने ओबीसी वर्ग हो चुनाव लड़ने से षडयंत्र पूर्वक रोक दिया है और यह सरकार ओबीसी विरोधी बन गयी हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि भाजपा सरकार आरक्षण विरोधी है।

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