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कोरबा

गोंडवाना जनजातियों के गौरवशाली इतिहास का जीता जागता सबूत बूढ़ातालाब

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विश्व आदिवासी दिवस (09 अगस्त) पर विशेष लेख

जनजातीय समाज के पुर्खालपेन बुढ़ालपेन बूढ़ादेव के नाम से रायपुर शहर के बीचों-बीच स्थित बूढ़ातालाब से कई यादें जुड़ी हुई हैं, जो अभी भी शोध का विषय है। यह तालाब 600 साल पुराना है। 13वीं-14वीं शताब्दी के बीच तिरूमाल राजा रायसिंह जगत ने इसे खुदवाया था। राजा रायसिंह अपनी सेना लेकर चॉदा और लॉजी राज्य होते हुए खारून नदी पहुंचे थे। उनके साथ चलने वाली 3000महिला और 4000पुरूषों ने मिलकर छ: महीने में 12 एकड़ जमीन को खोदकर बूढ़ातालाब का निर्माण कराया था। तालाब खुदाई के कार्य में हाथी, बैल आदि पशुओं का एवं कृषि औजारों का उपयोग किया गया था।


राजा ने इसी तालाब के किनारे रयपुर नामक नगर बसाया, जो अब रायपुर के नाम से जाना पहचाना जाता है। तालाब में 1402 शिलालेख मिले थे, जिसमें रायपुर और तालाब से जुड़ी जानकारी लिखी है। बूढ़ादेव तालाब के बीच में एक टापू है। इसी टापू पर बूढ़ादेव का प्रतीक स्थापित है। इस टापू तक जाने के लिए रोड बना हुआ है।


कंकालीन तालाब
बूढ़ातालाब के साथ एक और छोटा तालाब कंकालीन तालाब भी बनवाया गया था। बूढ़ातालाब और कंकालीन तालाब की दूरी लगभग 1 किमी है। कुंड नुमा कंकालीन तालाब अभी भी अस्तित्व में है। इसके बीचों-बीच एक छोटा सा कंकालीन दाई का पेन ठाना है, जिसमें पहले गोन्ड समाज का सेवईक हुआ करता था। कंकालीन तालाब के तल से बुढ़ा तालाब का जलस्तर कंकालीन तालाब के जलस्तर को प्रभावित करता था। इसे जोड़ने के लिए एक आंतरिक सुरंग है। सुरंग में बेशुमार संपत्ति रखे जाने की बात भी कही गई है। अंग्रेजी हुकूमत ने इस सुरंग को खोजने का बहुत प्रयास किया। सुरंग का कपाट कंकालीन तालाब में स्थित पेनठाना के तह में पाया गया, परंतु अंग्रेज उसे लाख कोशिशों के बावजूद खोलने में असफल रहे। समय के साथ ही इस सुरंग के मुख मलबे में दब गया। कंकालीन दाई का कपाट साल में एक बार उन्दोमान जोत जवारा पाबुन चैतरई में खुलता है।
बारह एकड़ में बूढ़ातालाब की खुदाई में लगे छ: माह
महाराजा रायसिह जगत सिक्स पेन , सारूगपेन छ: देवधारी थे। उन्हीं देवों को समर्पित करते हुए इसकी खुदाई छ: में माह करवाई।
इन देवों के गोण्डी में नाम इस प्रकार हैं-
1- अहे ओदालपेन
2-महे ओदालपेन
3-अमाई ओदालपेन
4-टिपाई ओदालपेन
5-धंदे कोसार ओदालपेन
6-कोईन्दो ओदालपेन
छग में इन्हें जाना जाता है-
1- जुगा भादरादेव
2- लाड़िका देव
3-उदयसिता देव
4- भादरालिंगा देव
5-सोमतुला देव
6-पिण्डी तुला देव
12 एकड़ जमीन में खुदवाया गया ये भी अपने आप में रहस्य है। गोण्डवाना जनजातीय दर्शन में देखें तो 12 ग्रहों की मान्यता है। 12 राशि भी होती है। प्रकृति के शुभांक 750 अंकों का योग 7+5+0=12 है। कोयापुनेमी व्यवस्था के जनक बाबा पहॉदीपारी कुपार लिगो ने कोया पुनेमी लोगों को 12 सगा घटकों में विभाजित किया था। इसी के आधार पर 12 महीनों की संकल्पना की थी, जो इस प्रकार है-
1-ऊदोमान
2-चिंदोमान
3-कादोमान
4-नालोमान
5-सयोमान
6-सारोमान
7-येरामान
8-अरोमान
9-नरोमान
10-पदोमान
11-पादूमान
12-पांडामान
6 माह और 12एकड़ में तालाब निर्माण गोण्डवाना के एक बहुत बड़े रहस्य दर्शन की ओर इशारा करता है, जो गहन अध्ययन का विषय है।
जहां-जहां गोन्ड राजाओं का राज्य था, ताल तलैया बहुतायत संख्या में देखने को मिलता है।
गोन्डवाना जनजातियों का गौरवशाली इतिहास रहा है, इसे सहेजने संवारने की जवाबदेही हमारी है।
आलेख…………
अध्येता दुष्यंत उइके
भूमका बड़ादेव शक्तिपीठ- पाली जिला कोरबा एवं भूमका सदस्य बूढा देव तालाब रायपुर छग
सुर्वेय सेवा 750

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कोरबा

कलश यात्रा के साथ श्रीमद् देवी भागवत कथा का शुभारंभ

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कोरबा। कोरबा के पंडित रविशंकर शुक्ल नगर में 22 अक्टूबर को सुबह भव्य कलश यात्रा निकाली गई और इसके साथ श्रीमद् देवी भागवत का शुभारंभ हो गया। पंवार परिवार द्वारा 22 से 30 अक्टूबर तक संगीतमय श्रीमद् देवी भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा का आयोजन भूपेंद्र सिंह पंवार और श्रीमती विंध्यवासिनी पंवार द्वारा किया जा रहा है और आचार्य पंडित जनार्दन प्रसाद दुबे बरपाली वाले के श्रीमुख से आज 22 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक कथा का वाचन किया जाएगा।


कथा का कार्यक्रम:

  • 22 अक्टूबर: कलश यात्रा और कथा का शुभारंभ
  • 23 अक्टूबर: हयग्रीव अवतार कथा और कौरव-पांडव उत्पत्ति कथा
  • 24 अक्टूबर: भुवनेश्वरी देवी कथा और देवी मंत्र महात्म्य कथा
  • 25 अक्टूबर: वृत्तासुर कथा और वृत्ततनिहन्ति देवी कथा
  • 26 अक्टूबर: सरस्वती पूजन और हैहयवंशी राजाओं की कथा
  • 27 अक्टूबर: भगवान श्री कृष्ण के चरित्र का वर्णन
  • 28 अक्टूबर: श्री दुर्गा देवी कथा और देवी के अन्य अवतारों की कथा
  • 29 अक्टूबर: सदाचार वर्णन और गायत्री मां की महिमा
  • 30 अक्टूबर: गीता पाठ, तुलसी वर्षा, कपिला तर्पण, सहस्त्रधारा, कुमारी भोजन, ब्राह्मण भोजन और विसर्जन
    आयोजक परिवार:
  • पंवार परिवार ने नगरवासियों से इस कथा में शामिल होने और पुण्य लाभ प्राप्त करने का आग्रह किया है।

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कोरबा

इलेक्ट्रिक ऑटो चालकों को पार्ट्स-सब्सिडी नहीं मिल रही:कोरबा में वाहन खड़े होने से आजीविका प्रभावित, कंपनी ने दिया समाधान का आश्वासन

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कोरबा। कोरबा जिले में इलेक्ट्रिक ऑटो चालकों को पार्ट्स की कमी और सब्सिडी मिलने में देरी के कारण बड़ी परेशानी हो रही है। इससे उनकी आजीविका प्रभावित हो रही है और कई ऑटो खड़े हो गए हैं। इन्हीं समस्याओं को लेकर टीपी नगर स्थित जिला ऑटो संघ कार्यालय में बुधवार को बैठक हुई।

परसाभाठा बालको क्षेत्र के इलेक्ट्रिक ऑटो चालक त्रिलोक साहू ने बताया कि उन्होंने महिंद्रा इलेक्ट्रिक ऑटो खरीदा था, लेकिन पिछले तीन सालों से उन्हें वाहन के पार्ट्स नहीं मिल पा रहे हैं। उनके अनुसार, 500 रुपए का अग्रिम भुगतान करने के बावजूद भी आवश्यक पुर्जे अब तक नहीं मिले हैं। जिससे उनका ऑटो खड़ा है।

सब्सिडी के लिए लगाने पड़ रहे चक्कर

एक अन्य ऑटो चालक अमित कुमार प्रजापति ने बताया कि उन्हें ऑटो लिए तीन साल हो चुके हैं। एजेंसी की ओर से सब्सिडी के रूप में 30,000 से 32,000 रुपए की छूट का आश्वासन दिया गया था, जो अब तक नहीं मिली है। सब्सिडी के लिए उन्हें लगातार चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

समस्याओं का निराकरण का आश्वासन

जिला ऑटो संघ के सदस्य श्याम दास गुरु ने बताया कि चालकों की समस्याओं को सुनने के बाद महिंद्रा कंपनी के संबंधित मैनेजर और अधिकारियों से बातचीत की गई है। कंपनी ने चालकों को समय पर पार्ट्स उपलब्ध कराने और सब्सिडी की सुविधा देने पर सहमति जताई है, और जल्द ही इन समस्याओं का निराकरण होने का आश्वासन दिया है।

इस मामले में महिंद्रा कंपनी के मैनेजर वीरेंद्र पाटिल ने कॉल पर बताया कि सभी आवश्यक प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई हैं और चालकों की समस्याओं का जल्द समाधान किया जाएगा। कोरबा जिले में इलेक्ट्रिक ऑटो की शुरुआत लगभग 2022 में हुई थी।

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कोरबा

एक महीने से लापता ग्रामीण का जंगल में कंकाल मिला:कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एडमिट बेटे को देखने आया था, फांसी लगाकर आत्महत्या की आशंका

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कोरबा। कोरबा के श्यांग थाना क्षेत्र के सोलवा गांव में एक महीने से लापता 38 वर्षीय सुखसागर का कंकाल जंगल में मिला है। सुखसागर 18 सितंबर से लापता था, जिसकी तलाश परिजन कर रहे थे। सूचना मिलने पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है।

मृतक के भाई लक्ष्मी नारायण चौहान ने बताया कि 15 सितंबर को सुखसागर के बेटे का बाइक एक्सीडेंट हुआ था, जिसमें उसके दोनों पैर फ्रैक्चर हो गए थे। उसे जिला मेडिकल कॉलेज अस्पताल लाया गया था। एक्सीडेंट की सूचना पर 18 सितंबर को सुखसागर भी अस्पताल पहुंचा था।

अस्पताल में बेटे को देखने के बाद सुखसागर ने घर लौटने की बात कही, लेकिन वह घर नहीं पहुंचा। परिजनों ने उसकी काफी खोजबीन की, लेकिन जब वह नहीं मिला तो इसकी सूचना श्यांग थाना पुलिस को दी गई।

लापता होने के बाद शुरू हुई तलाश

पुलिस के अनुसार, सूचना के बाद परिजन-रिश्तेदार और आसपास के लोग उसकी तलाश में जुटे हुए थे। एक महीने बाद गांव से लगे जंगल में एक पेड़ के नीचे नरकंकाल मिलने की सूचना मिली। मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच शुरू की।

फांसी लगाकर आत्महत्या की आशंका

घटनास्थल पर एक गमछा और कुछ कपड़े मिले, जो पेड़ पर बंधे हुए थे और नीचे कंकाल पड़ा था। परिजनों को मौके पर बुलाया गया, जिन्होंने कपड़ों के आधार पर नरकंकाल की पहचान सुखसागर के रूप में की।पुलिस को आशंका है कि सुखसागर ने पेड़ पर फांसी लगाकर आत्महत्या की होगी।

पारिवारिक तनाव से था परेशान

इसी आधार पर आगे की जांच की जा रही है। परिजनों ने बताया कि सुखसागर खेती-किसानी का काम करता था और उसके चार बच्चे हैं, जिनमें से बड़े बेटे का एक्सीडेंट हुआ था। वह पिछले कुछ दिनों से परेशान चल रहा था, लेकिन पूछने पर कभी कुछ नहीं बताता था।

फोरेंसिक टीम कर रही जांच

इस मामले में श्यांग थाना प्रभारी विनोद सिंह ने बताया कि फोरेंसिक टीम को भी मौके पर बुलाया गया है और मामले में आगे की जांच जारी है।

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