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UP- बाराबंकी के अवसानेश्वर मंदिर में भगदड़, 2 की मौत
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5 months agoon
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Divya Akashजलाभिषेक के दौरान करंट फैलने से हादसा, 29 घायल
बाराबंकी,एजेंसी। यूपी में बाराबंकी के अवसानेश्वर महादेव मंदिर में सावन के तीसरे सोमवार को भगदड़ मच गई। हादसे में दो श्रद्धालुओं की मौके पर ही मौत हो गई, 29 लोग घायल हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
बताया जा रहा है कि रविवार रात 2.30 बजे जलाभिषेक के दौरान मंदिर परिसर में अचानक करंट फैलने से हादसा हुआ। भागने के दौरान लोग एक-दूसरे को कुचलते चले गए। डिप्टी CM ब्रजेश पाठक ने घटना को लेकर डीएम से 24 घंटे में रिपोर्ट मांगी है।
CMO अवधेश यादव ने बताया- हादसे के बाद पुलिसकर्मी एंबुलेंस से 29 लोगों को हैदरगढ़ सीएचसी लेकर आए। 9 को त्रिवेदीगंज और 6 को कोठी सीएचसी भेजा गया। 5 गंभीर घायलों का जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है। अब तक दो की मौत हुई है।
डीएम शशांक त्रिपाठी ने बताया- कुछ बंदर बिजली के तार पर कूद गए थे, जिससे तार टूटकर मंदिर परिसर के टीनशेड पर गिर गया। इसी कारण करंट फैल गया। करंट लगने से प्रशांत कुमार (16) और रमेश कुमार (35) की मौत हुई है।
योगी सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए देने का ऐलान किया है। अवसानेश्वर मंदिर जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हादसे के वक्त लाइन में करीब 3 हजार लोग दर्शन के लिए लगे हुए थे।
बता दें कि रविवार सुबह हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में भी भगदड़ मच गई थी। इसमें 8 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
भगदड़ के बाद की तस्वीरें…

मंदिर में करंट लगने के बाद दो लोग जमीन पर गिरकर अचेत हो गए। तस्वीर में गंभीर रूप से घायलों को CPR देकर लोगों ने बचाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

हादसे के बाद त्रिवेदीगंज सीएचसी में 9 घायलों को लाया गया। एक घायल युवक के पैर में मसाज करते परिजन।

हादसे से थोड़ी देर पहले की तस्वीर है। 3 हजार से ज्यादा लोग दर्शन के लिए लाइन में लगे हुए थे।

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मजबूत बुनियादी ढांचे, बड़े निवेश से 2026 में भारत के FDI को गति मिलने की उम्मीद
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54 seconds agoon
December 27, 2025By
Divya Akashनई दिल्ली,एजेंसी। मजबूत व्यापक आर्थिक बुनियादी ढांचे, बड़े निवेश प्रस्तावों, कारोबारी सुगमता में सुधार के लिए लगातार किए जा रहे प्रयासों और निवेश से जुड़े नए दौर के व्यापार समझौतों के कारण 2026 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में मजबूत वृद्धि दर्ज होने उम्मीद है। भारत को आकर्षक और निवेशकों के अनुकूल गंतव्य बनाए रखने के लिए सरकार एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) नीति की लगातार समीक्षा करती है और हितधारकों से व्यापक परामर्श के बाद समय-समय पर इसमें बदलाव करती रहती है। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने इस वर्ष एफडीआई को बढ़ावा देने के तरीकों पर हितधारकों के साथ कई बैठकें की हैं।
नवंबर में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी प्रक्रियाओं को तेज, सरल और अधिक प्रभावी बनाकर अधिक निवेश आकर्षित करने पर विचार-विमर्श किया। निवेशकों के अनुकूल नीतियां और नियामक प्रक्रियाएं, निवेश पर मजबूत प्रतिफल, कुशल कार्यबल, अनुपालन बोझ में कमी, उद्योग से जुड़े छोटे अपराधों का अपराधमुक्तिकरण और मंजूरी प्रक्रियाओं का सरलीकरण ऐसे प्रमुख उपाय हैं, जिनके कारण वैश्विक चुनौतियों के बावजूद विदेशी निवेशकों का ध्यान भारत पर बना हुआ है। वित्त वर्ष 2024-25 में वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 80.5 अरब डॉलर को पार कर गया है।
जनवरी-अक्टूबर 2025 के दौरान सकल विदेशी निवेश 60 अरब डॉलर से अधिक रहा। डीपीआईआईटी के सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने कहा कि सरकार द्वारा उठाए गए कई कदमों के कारण पिछले 11 वर्षों में भारत ने उल्लेखनीय निवेश आकर्षित किया है। उन्होंने कहा, “वित्त वर्ष 2024-25 में यह अब तक के उच्चतम स्तर 80.62 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। हमें उम्मीद है कि इस वर्ष (2026) एफडीआई पिछले वर्ष के 80.62 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है।”
भारत चार देशों के यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौते पर भी भरोसा कर रहा है, जिसके तहत इस समूह ने 15 वर्षों में भारत में 100 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। यह समझौता एक अक्टूबर 2025 से लागू हुआ और इसके लागू होने के दिन ही स्विट्जरलैंड की स्वास्थ्य सेवा कंपनी रोश फार्मा ने अगले पांच वर्षों में भारत में 1.5 अरब स्विस फ्रैंक (लगभग 17,000 करोड़ रुपए) निवेश करने की घोषणा की।
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सुधारों की नाव पर सवार भारतीय अर्थव्यवस्था, 2025 में दिखी बेजोड़ मजबूती
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13 minutes agoon
December 27, 2025By
Divya Akashनई दिल्ली,एजेंसी। वैश्विक दबाव और सैन्य तनाव के बीच भी भारत की मजबूत आर्थिक उड़ान वर्ष 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ऐतिहासिक साबित हुई है। वैश्विक चुनौतियों, पश्चिमी सीमा पर सैन्य तनाव और अमरीका द्वारा 50 प्रतिशत तक आयात शुल्क लगाए जाने के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था मजबूती से आगे बढ़ती नजर आ रही है। प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कर सुधारों, सरकार और रिजर्व बैंक के बीच बेहतर तालमेल तथा निरंतर नीतिगत फैसलों के चलते आज भारत के अधिकांश आर्थिक संकेतक सकारात्मक स्थिति में हैं।
8% विकास दर, महंगाई दशक के निचले स्तर पर
बीते दो तिमाहियों में देश की आर्थिक वृद्धि दर औसतन 8 प्रतिशत के आसपास बनी हुई है, जबकि खुदरा महंगाई दशक के निचले स्तर पर पहुंच चुकी है। रिजर्व बैंक ने भी इस वर्ष लगातार नीतिगत ब्याज दरों में कटौती कर विकास को गति दी है। डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट के बावजूद चालू खाते का घाटा सीमित है और देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 700 अरब डॉलर के आसपास मजबूत बना हुआ है।
वैश्विक एजैंसियों का भरोसा, भारत की साख में सुधार
वैश्विक रेटिंग एजैंसियों ने भारत की आर्थिक स्थिति को सुधारों की निरंतरता और राजकोषीय-मौद्रिक नीति के बेहतर समन्वय का परिणाम बताया है। इसी के चलते चालू वित्त वर्ष में भारत की विदेशी ऋण साख में सुधार किया गया है। भारत वर्तमान में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जल्द ही तीसरे स्थान पर पहुंचने की ओर अग्रसर है। विनिर्माण और सेवा क्षेत्र की मजबूती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दोनों क्षेत्रों के पी.एम.आई. सूचकांक 50 से ऊपर बने हुए हैं। नवंबर में विनिर्माण पी.एम.आई. 55.7 और सेवा पी.एम.आई. 59.1 दर्ज किया गया।
GST में ऐतिहासिक कटौती से घरेलू मांग को बढ़ावा
सरकार ने घरेलू मांग को बढ़ाने के लिए सितंबर में जी.एस.टी. दरों में ऐतिहासिक कटौती लागू की। जी.एस.टी. परिषद ने 4 स्लैब की जगह 2 स्लैब की व्यवस्था लागू कर 90 प्रतिशत से अधिक वस्तुओं को सस्ता किया। जी.एस.टी. सुधारों के बाद खुदरा महंगाई अक्तूबर में 0.25 प्रतिशत और नवंबर में 0.71 प्रतिशत रही, जिससे निवेश और उपभोग मांग को बल मिला। करों में कटौती के चलते सितंबर-अक्तूबर में रिकॉर्ड खरीदारी दर्ज की गई। इसके बावजूद नवंबर में जी.एस.टी. संग्रह बढ़कर 1.70 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया।
12 लाख तक की आय कर मुक्त, मध्यम वर्ग को बड़ी राहत
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी बजट में 12 लाख रुपए तक की वार्षिक आय को कर मुक्त कर मध्यम वर्ग को अब तक की सबसे बड़ी राहत दी। नया आयकर अधिनियम संसद से पारित हो चुका है, जो अप्रैल 2026 से लागू होगा। इसका उद्देश्य कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाना है।
निर्यात में मजबूती, सेवाएं बनीं विकास की रीढ़
अप्रैल-नवंबर 2025 के दौरान वस्तु एवं सेवाओं का निर्यात 562 अरब डॉलर तक पहुंच गया। सेवाओं का निर्यात सबसे तेजी से बढ़ा। अप्रैल-सितंबर में 50.36 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया, जो अब तक का सर्वाधिक अर्ध-वार्षिक आंकड़ा है। सरकार ने श्रम कानूनों, बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफ.डी.आई. और परमाणु ऊर्जा में निजी निवेश को अनुमति देकर बड़े संरचनात्मक सुधार किए हैं। वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि निरंतर सुधारों और मजबूत नीतियों के सहारे अर्थव्यवस्था विकास की राह पर मजबूती से आगे बढ़ रही है।
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तौबा ! चांदी की कीमतों ने रचा नया इतिहास! एक्सपर्ट का दावा- 2026 में …
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15 minutes agoon
December 27, 2025By
Divya Akashनई दिल्ली,एजेंसी। सोना-चांदी की कीमतों में लगातार तेजी जारी है। खासतौर पर चांदी के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। शुक्रवार को दिल्ली में चांदी की कीमत एक ही दिन में 9,350 रुपए प्रति किलो बढ़ गई और यह 2,36,350 रुपए प्रति किलो के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। पिछले एक हफ्ते में चांदी के दाम करीब 32 हजार रुपए बढ़ चुके हैं। 19 दिसंबर को चांदी लगभग 2,04,100 रुपए प्रति किलो थी, जो अब काफी ऊपर चली गई है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार से भी चांदी को मजबूत सहारा मिल रहा है। विदेशी बाजार में चांदी पहली बार 75 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंच गई और नया रिकॉर्ड बनाया। विशेषज्ञों के अनुसार, चांदी की कीमत बढ़ने की बड़ी वजह औद्योगिक मांग है। इलेक्ट्रिक वाहन, सोलर एनर्जी, बैटरी और नई तकनीकों में चांदी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है।
2026 में कहां तक पहुंच सकते हैं दाम
वहीं, चांदी का उत्पादन सीमित है जबकि मांग ज्यादा है। दुनिया में चांदी की मांग उत्पादन से कहीं अधिक हो चुकी है, जिससे कीमतें और बढ़ सकती हैं। बाजार जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में चांदी के दाम और ऊपर जा सकते हैं। कुछ एक्सपर्ट का अनुमान है कि 2026 तक चांदी 100 डॉलर या उससे भी ज्यादा के स्तर को छू सकती है।

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