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अमेरिका H-1B वीजा के लिए ₹88 लाख वसूलेगा:6 साल का खर्च 50 गुना बढ़ा, 3 लाख भारतीयों पर असर
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1 week agoon
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Divya Akash
वॉशिंगटन डीसी,एजेंसी।अमेरिका अब H-1B वीजा के लिए हर साल एक लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपए) एप्लिकेशन फीस वसूलेगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को व्हाइट हाउस में इस ऑर्डर पर साइन किए। नए चार्ज 21 सिंतबर से लागू होंगे।
H-1B वीजा के लिए पहले औसतन 5 लाख रुपए लगते थे। यह 3 साल के लिए मान्य होता था। इसे 3 साल के लिए रिन्यू किया जा सकता था। अब अमेरिका में H-1B वीजा के लिए 6 साल में 5.28 करोड़ लगेंगे, यानी खर्च करीब 50 गुना से ज्यादा बढ़ जाएगा।
अमेरिकी सरकार हर साल लॉटरी से 85,000 H-1B वीजा जारी करती है, जिनका इस्तेमाल ज्यादातर तकनीकी नौकरियों में होता है। सबसे ज्यादा भारतीय (72%) इसका इस्तेमाल करते हैं। अब वीजा फीस बढ़ने से 3 लाख से ज्यादा भारतीयों पर इसका सीधा असर पड़ेगा।

ट्रम्प ने 19 सितंबर को H-1B वीजा को लेकर नियमों में बदलाव से जुड़े ऑर्डर पर साइन किए।
ट्रम्प ने 3 नए वीजा कार्ड लॉन्च किए
ट्रम्प ने H-1B में बदलाव के अलावा 3 नए तरह के वीजा कार्ड भी लॉन्च किए हैं। ‘ट्रम्प गोल्ड कार्ड’, ‘ट्रम्प प्लेटिनम कार्ड’ और ‘कॉर्पोरेट गोल्ड कार्ड’ जैसी सुविधाएं भी शुरू की गई हैं। ट्रम्प गोल्ड कार्ड (8.8 करोड़ कीमत) व्यक्ति को अमेरिका में अनलिमिटेड रेसीडेंसी (हमेशा रहने) का अधिकार देगा।
H-1B वीजा क्या है?
H-1B वीजा एक एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है। यह वीजा लॉटरी के जरिए दिए जाते रहे हैं क्योंकि हर साल कई सारे लोग इसके लिए आवेदन करते हैं।
यह वीजा स्पेशल टेक्निकल स्किल जैसे IT, आर्किटेक्चर और हेल्थ जैसे प्रोफेशन वाले लोगों के लिए जारी होता है।
हर साल कितने H-1B वीजा जारी होते हैं?
अमेरिकी सरकार हर साल 85,000 एच-1बी वीजा जारी करती है, जिनका इस्तेमाल ज्यादातर तकनीकी नौकरियों में होता है। इस साल के लिए आवेदन पहले ही पूरे हो चुके हैं।
आंकड़ों के अनुसार, केवल अमेजन को ही इस साल 10,000 से ज्यादा वीजा मिले हैं, जबकि माइक्रोसॉफ्ट और मेटा जैसी कंपनियों को 5,000 से अधिक वीजा स्वीकृत हुए हैं।
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल H-1B वीजा का सबसे ज्यादा फायदा भारत को मिला। हालांकि इस वीजा कार्यक्रम की आलोचना भी होती है।
कई अमेरिकी तकनीकी कर्मचारियों का कहना है कि कंपनियां H-1B वीजा का इस्तेमाल वेतन घटाने और अमेरिकी कर्मचारियों की नौकरियां छीनने के लिए करती हैं।
H-1B वीजा में बदलाव से भारतीयों पर क्या असर होगा?
H-1B वीजा के नियमों में बदलाव से 2,00,000 से ज्यादा भारतीय प्रभावित होंगे। साल 2023 में H-1B वीजा लेने वालों में 1,91,000 लोग भारतीय थे। ये आंकड़ा 2024 में बढ़कर 2,07,000 हो गई।
भारत की आईटी/टेक कंपनियां हर साल हजारों कर्मचारियों को H-1B पर अमेरिका भेजती हैं। हालांकि, अब इतनी ऊंची फीस पर लोगों को अमेरिका भेजना कंपनियों के लिए कम फायदेमंद होगा।
71% भारतीय H-1B वीजा धारक हैं और यह नई फीस उनके लिए बड़ा आर्थिक बोझ बन सकती है। खासकर मिड-लेवल और एंट्री-लेवल कर्मचारियों को वीजा मिलना मुश्किल होगा। कंपनियां नौकरियां आउटसोर्स कर सकती हैं, जिससे अमेरिका में भारतीय पेशेवरों के अवसर कम होंगे।
88 लाख रुपए क्या हर साल लगेंगे?
नए नियम के अनुसार, H-1B वीजा के लिए $100,000 (लगभग ₹88 लाख रुपए) की फीस हर साल देनी होगी। यह फीस नए आवेदनों और मौजूदा वीजा धारकों के नवीनीकरण (renewals) दोनों पर लागू होगी।
यह फीस 21 सितंबर 2025 से लागू होगी और 12 महीनों के लिए प्रभावी रहेगी, जब तक कि इसे बढ़ाया न जाए। कंपनियों को इस भुगतान का प्रमाण रखना होगा। यदि भुगतान नहीं किया गया, तो याचिका को अमेरिकी राज्य विभाग या होमलैंड सुरक्षा विभाग (DHS) रद्द कर देगा।
अमेरिका से बाहर जाने पर क्या होगा?
अगर कोई H-1B कर्मचारी 21 सितंबर के बाद देश छोड़ता है, तो वापस अमेरिका आने के लिए उसकी कंपनी को 88 लाख का भुगतान करना होगा।
यही कारण है कि इस फैसले के बाद माइक्रोसॉफ्ट, जेपी मॉर्गन और अमेजन जैसी कंपनियों ने H-1B वीजा होल्डर कर्मचारियों को अमेरिका में ही रहने की सलाह दी है। रॉयटर्स के मुताबिक बाहर रहने वाले कर्मचारियों को सलाह दी कि वे शनिवार रात से पहले वापस आ जाएं।
कौन सी कंपनियां सबसे ज्यादा H-1B स्पॉन्सर करती हैं?
भारत हर साल लाखों इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस के ग्रेजुएट तैयार करता है, जो अमेरिका की टेक इंडस्ट्री में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इंफोसिस, TCS, विप्रो, कॉग्निजेंट और HCL जैसी कंपनियां सबसे ज्यादा अपने कर्मचारियों को H-1B वीजा स्पॉन्सर करती हैं।
कहा जाता है कि भारत अमेरिका को सामान से ज्यादा लोग यानी इंजीनियर, कोडर और छात्र एक्सपोर्ट करता है। अब फीस महंगी होने से भारतीय टैलेंट यूरोप, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, मिडिल ईस्ट के देशों की ओर रुख करेगा।
ट्रम्प प्रशासन बोला- H-1B का सबसे ज्यादा गलत इस्तेमाल हुआ
व्हाइट हाउस के स्टाफ सेक्रटरी विल शार्फ ने कहा कि H-1B वीजा प्रोग्राम उन वीजा सिस्टम में से एक है जिसका सबसे ज्यादा गलत इस्तेमाल हुआ। इसका मकसद उन सेक्टरों में काम करने वाले हाई स्किल्ड लेबरर्स को अमेरिका में आने की इजाजत देना है, जहां अमेरिकी काम नहीं करते।
विल शार्फ ने कहा- नए नियम के तहत, कंपनियां अपने लोगों को H-1B वीजा स्पॉन्सर करने के लिए एक लाख डॉलर फीस चुकाएंगी। इससे यह यह तय होगा कि विदेशों से जो लोग अमेरिका आ रहे हैं, वे सच में बहुत ज्यादा स्किल्ड हैं और उन्हें अमेरिकी कर्मचारी से रिप्लेस नहीं किया जा सकता।
सरकार 80 हजार गोल्ड कार्ड जारी करेगी
अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि अभी हर साल लगभग 2,81,000 लोगों को ग्रीन कार्ड दिया जाता है, लेकिन इनमें से ज्यादातर की औसत कमाई सिर्फ 66,000 डॉलर (करीब 58 लाख रुपए) होती है और कई बार वे सरकार की मदद पर भी निर्भर रहते हैं।
लुटनिक ने कहा,
सभी कंपनियां H-1B वीजा के लिए सालाना एक लाख डॉलर देने के लिए तैयार हैं। हमने उनसे बात की है। अगर आप किसी को ट्रेनिंग देने जा रहे हैं, तो किसी अमेरिकी यूनिवर्सिटी से निकले ग्रेजुएट को ट्रेनिंग दीजिए। अमेरिकियों को ट्रेनिंग दीजिए। हमारी नौकरियां छीनने के लिए लोगों को बाहर से लाना बंद करिए।
लुटनिक के मुताबिक गोल्ड कार्ड की भारी फीस यह तय करेगी कि अमेरिका में सिर्फ सबसे योग्य और टॉप क्लास कर्मचारी ही लंबे समय तक टिक सकें। उन्होंने कहा कि ‘यह व्यवस्था पहले अनुचित थी, लेकिन अब हम सिर्फ उन्हीं को लेंगे जो वाकई बहुत काबिल हैं।’
लुटनिक ने कहा कि यह गोल्ड कार्ड अब तक चल रहे EB-1 और EB-2 वीजा की जगह लेगा। ये कार्ड केवल उन्हीं लोगों को मिलेगा, जो अमेरिका के लिए ‘फायदेमंद’ माने जाएंगे। शुरुआत में सरकार लगभग 80,000 गोल्ड कार्ड जारी करने की योजना बना रही है। लुटनिक ने कहा कि इस प्रोग्राम से अमेरिका को 100 अरब डॉलर की कमाई होगी।
ट्रम्प बोले- सिर्फ टैलेंटेड लोगों को वीजा देंगे
गोल्ड कार्ड की अनलिमिटेड रेसीडेंसी में नागरिकों को सिर्फ पासपोर्ट और वोट देने का अधिकार नहीं मिलता, बाकी सारी सुविधाएं एक अमेरिकी नागरिक के जैसी मिलती हैं। यह प्रक्रिया उसी तरह होगी, जैसे ग्रीन कार्ड के जरिए स्थायी निवास मिलता है।
राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि यह वीजा प्रोग्राम खास तौर पर धनी विदेशियों के लिए है, ताकि वे 10 लाख डॉलर देकर अमेरिका में रहते हुए काम कर सकें। उन्होंने कहा कि अब अमेरिका सिर्फ टैलेंटेड लोगों को ही वीजा देगा, न कि ऐसे लोगों को जो अमेरिकियों की नौकरियां छीन सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस रकम का इस्तेमाल टैक्स को घटाने और सरकारी कर्ज चुकाने में किया जाएगा।

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देश
भारत बोला- पाकिस्तानी पीएम ने UN में बेतुकी नौटंकी की:जले एयरबेस जीत हैं, तो जश्न मनाएं, शरीफ ने जंग जीतने का दावा किया था
Published
8 hours agoon
September 27, 2025By
Divya Akash
वॉशिंगटन डीसी,एजेंसी। भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने और झूठ बोलने का आरोप लगाया है। भारतीय राजनयिक पेटल गहलोत ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र (UN) में कहा, ‘पाकिस्तान के पीएम ने बेतुकी नौटंकी की। वे आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं, जो उनकी विदेश नीति का हिस्सा है। कोई भी ड्रामा या झूठ सच को नहीं छिपा सकता।’
भारत के स्थायी मिशन की प्रथम सचिव पेटल गहलोत ने ‘राइट टू रिप्लाई’ का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान के दावों को खारिज किया। उन्होंने कहा, ‘9 मई तक पाकिस्तान भारत पर हमले की धमकी दे रहा था। 10 मई को भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कई एयरबेस को नष्ट कर दिया। इसके बाद पाकिस्तान ने जंग रोकने की गुहार लगाई।
पाकिस्तानी PM जिस ‘जीत’ की बात कर रहे हैं, वह दरअसल भारतीय हमले में नष्ट हुए उनके एयरबेस, जले हुए हैंगर और टूटे हुए रनवे की तस्वीरें हैं, जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं। अगर पाकिस्तान इन्हें जीत मानता है, तो जश्न मनाए।’
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शुक्रवार को UN में भारत को दुश्मन बताया। साथ ही दावा किया कि भारत के साथ हुए संघर्ष में पाकिस्तान की जीत हुई थी और भारत के 7 विमान गिराए थे।
भारत-पाकिस्तान के बीच तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं
गहलोत ने कहा, ‘भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मुद्दे द्विपक्षीय बातचीत से हल होंगे। इसमें किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है।’
उन्होंने पाकिस्तान के शांति के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनका देश नफरत में डूबा है। भारत ने साफ किया कि वह आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएगा।
गहलोत बोलीं- पाकिस्तान आतंकवादियों को सम्मान देता है
गहलोत ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के बहावलपुर और मुरीदके में मारे गए आतंकियों का जिक्र किया और कुख्यात आतंकवादियों को श्रद्धांजलि और सम्मान देने का भी आरोप लगाया।
गहलोत ने आगे कहा, ‘एक तस्वीर हजार शब्द बयां करती है और हमने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बहावलपुर और मुरीदके के आतंकी परिसरों में मारे गए आतंकवादियों की कई तस्वीरें देखीं। जब पाकिस्तानी सैन्य और अधिकारी खुलकर आतंकवादियों को श्रद्धांजलि देते हैं, तो क्या इससे शासन पर संदेह नहीं होगा?’

लश्कर के आतंकी ठिकाने मुरीदके में पाकिस्तानी सैनिकों के लोग आतंकियों के नमाज-ए-जनाजा में शामिल हुए थे। तस्वीर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान की है।

कोर कमांडरों को जनाजे में शामिल होने और वर्दी में उसकी सुरक्षा करने के लिए कहा गया था।
आतंकवादी शिविरों को बंद करे पाकिस्तान
गहलोत ने जोर देकर कहा, ‘सच्चाई यह है कि पहले की ही तरह, पाकिस्तान भारत में बेगुनाहों पर आतंकवादी हमले के लिए जिम्मेदार है। हमने अपने लोगों की रक्षा करने और जवाब देने के अधिकार का प्रयोग किया है, साथ ही अपराधियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया है।’
उन्होंने पाकिस्तान से तुरंत सभी आतंकवादी शिविरों को बंद करने और सभी आतंकवादियों को सौंपने की मांग की। गहलोत ने चेतावनी दी कि भारत ‘परमाणु ब्लैकमेल’ के आगे झुके बिना आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों दोनों को जवाबदेह ठहराएगा।
पाकिस्तान ने ओसामा बिन लादेन को दस साल तक छिपाया
गहलोत ने बताया कि इस साल अप्रैल में पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक आतंकी संगठन को बचाया था। उन्होंने कहा, ‘यह वही पाकिस्तान है जिसने 25 अप्रैल, 2025 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रेजिस्टेंस फ्रंट को बचाया था। यह संगठन जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों की हत्या के लिए जिम्मेदार था।’
उन्होंने आगे कहा, ‘पाकिस्तान ने ओसामा बिन लादेन को दस साल तक छिपाया। उनके मंत्री अब स्वीकार कर रहे हैं कि वे दशकों से आतंकी शिविर चला रहे हैं।’
भारत ने PAK के एयरबेस तबाह किए थे
भारत-पाकिस्तान के बीच सबसे बड़ी लड़ाई 9 और 10 मई की रात को हुई, जो 10 मई की दोपहर तक चली। भारत ने इस दौरान पाकिस्तान के अलग-अलग इलाकों में बने एयरबेस को निशाना बनाया था।
भारतीय वायुसेना ने 9 मई को पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस, सरगोधा और मुरीद हवाई अड्डों पर हमला किया। इन ठिकानों पर मौजूद कमांड और कंट्रोल केंद्र (C2 सेंटर) नष्ट कर दिए गए थे।
10 मई की सुबह भारतीय वायुसेना ने फिर से हमला किया। उसने सरगोधा, रफीकी, रहीमयार खान, जैकोबाबाद, भोलारी और कराची के पास एयरपोर्ट को निशाना बनाया था।

भारतीय एयरस्ट्राइक में PAK एयरबेस पर हुए नुकसान की सैटेलाइट तस्वीरें। ये फोटो प्राइवेट कंपनी मक्सर (Maxar) ने जारी किए थे।
पाकिस्तानी पीएम ने कश्मीर मुद्दा फिर उठाया
पाकिस्तान के पीएम शरीफ ने हर साल की तरह कश्मीर का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, ‘मैं कश्मीरी लोगों के साथ हूं। पाकिस्तान उनके साथ है। भारत का कश्मीर में अत्याचार जल्द खत्म होगा।’
शरीफ ने कश्मीर के लिए संयुक्त राष्ट्र के तहत जनमत संग्रह की मांग की। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान आतंकवाद की निंदा करता है और तहरीक-ए-तालिबान और बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी जैसे समूहों को विदेशी समर्थन मिलता है। भारत ने इन टिप्पणियों को खारिज करते हुए कहा कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देता है।
UN में बोले- कट्टरपंथी हिंदुत्व दुनिया के लिए खतरा
शहबाज ने कहा कि उन्होंने पहलगाम हमले की निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय जांच की अपील की थी, लेकिन भारत ने उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और उस त्रासदी का राजनीतिक फायदा उठाया। भारत का कट्टरपंथी हिंदुत्व दुनिया के लिए एक गंभीर खतरा है।
शरीफ ने कहा कि वे पिछले साल ही UN के मंच से चेतावनी दे चुके थे कि पाकिस्तान किसी बाहरी हमले को सहने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि उनकी चेतावनी सच साबित हुई। इस साल मई में बिना उकसावे के पाकिस्तान पर हमला हुआ।
विदेश
खुलासाः ट्रंप की मोदी-पुतिन दोस्ती तुड़वाने की साजिश नाकाम, भारत पर 500% टैरिफ लगाने का प्लान फेल
Published
2 days agoon
September 25, 2025By
Divya Akash
वाशिंगठन, एजेंसी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी टीम पर अब यह आरोप लग रहा है कि उन्होंने भारत पर आर्थिक दबाव बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दोस्ती कमजोर करने की कोशिश की। इसी मकसद से अमेरिकी संसद में एक बिल पेश किया गया था, जिसमें रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर खास कर भारत पर 500% तक टैरिफ लगाने का प्रस्ताव था। हालांकि, यह योजना भारी आलोचना के बाद ध्वस्त हो गई।
ट्रंप का भारत विरोधी प्लान
ट्रंप प्रशासन ने यूक्रेन युद्ध का हवाला देकर कहा था कि रूस की तेल आय रोकनी होगी। लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक यह कदम दरअसल भारत को अलग-थलग करने की कोशिश थी। भारत, जो अमेरिका का सबसे भरोसेमंद रणनीतिक साझेदार है, उसके ऊपर अतिरिक्त आर्थिक दबाव डालना सही नहीं माना गया। वर्तमान में भारत पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है, जिससे अमेरिकी टैरिफ कुल मिलाकर 50% तक पहुंच गया है।
चाबहार बंदरगाह की छूट खत्म
अमेरिका ने ईरान से जुड़े चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट में भारत को दी गई विशेष छूट भी रद्द कर दी। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि इससे ईरान की आईआरजीसी (इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स) की आय पर रोक लगेगी। लेकिन आलोचकों का कहना है कि इस फैसले से भारत-अफगानिस्तान-ईरान सहयोग और क्षेत्रीय संतुलन पर गलत असर पड़ेगा।
H1B वीजा धारकों पर नया बोझ
ट्रंप प्रशासन ने भारतीय आईटी पेशेवरों को झटका देते हुए नए एच1बी आवेदकों पर **100,000 डॉलर का अतिरिक्त शुल्क** थोप दिया। इससे हजारों भारतीय छात्रों और पेशेवरों को अमेरिका जाने में मुश्किल बढ़ गई है। हालांकि, पुराने वीजा धारकों को इस शुल्क से छूट दी गई है। कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की इन नीतियों का सीधा मकसद भारत पर दबाव बनाना था, ताकि मोदी सरकार रूस से दूरी बनाए। लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि वह अपनी ऊर्जा और रणनीतिक साझेदारी के फैसले स्वतंत्र रूप से लेगा। इसी वजह से ट्रंप का “500% टैरिफ प्लान” धराशायी हो गया और उनकी साजिश नाकाम मानी जा रही है।
देश
हर महीने 5,500 नौकरियों पर संकट के बादल, भारत पर सबसे बड़ा असर
Published
3 days agoon
September 24, 2025By
Divya Akash
वाशिंगठन, एजेंसी। ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीज़ा के लिए आवेदन शुल्क $1,00,000 कर दिया है, जिससे हर महीने करीब 5,500 नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं। जेपी मॉर्गन के अर्थशास्त्री अबिएल राइनहार्ट और माइकल फेरोली के अनुसार यह टेक कंपनियों और भारतीय कर्मचारियों पर सबसे अधिक असर डालेगा।
FY24 में H-1B अप्रूवल्स में लगभग दो-तिहाई कंप्यूटर से जुड़े रोल और आधे पेशेवर, वैज्ञानिक और तकनीकी सेवाओं के लिए थीं। अप्रूव किए गए वीज़ा में 71% भारतीय नागरिक थे। पिछले साल 1,41,000 नए H-1B आवेदन स्वीकृत हुए, जिनमें से 65,000 का निपटारा विदेश से हुआ था।
रेवेलियो लैब्स की वरिष्ठ अर्थशास्त्री लोजजैना अब्देलवाहेद ने कहा कि इतनी भारी शुल्क वृद्धि H-1B सिस्टम को “व्यावहारिक रूप से खत्म” कर सकती है, जिससे सालाना लगभग 1,40,000 नौकरियां प्रभावित होंगी। अमेरिकी श्रम बाजार पहले ही धीमा है, औसतन पिछले तीन महीनों में 29,000 पेरोल्स प्रति माह जुड़ी हैं।
कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा ने इस नीति की आलोचना की, कहा कि यह टेक-ड्रिवेन अर्थव्यवस्था के लिए “अनिश्चितता और अप्रत्याशिता” बढ़ाता है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका कार्यालय देख रहा है कि क्या नया शुल्क प्रशासनिक प्रक्रिया अधिनियम का उल्लंघन करता है।
H-1B वीज़ा प्रोग्राम अमेरिकी टेक, फाइनेंस और कंसल्टिंग कंपनियों के लिए कुशल विदेशी कर्मचारियों को लाने का अहम जरिया है। इस नई फीस के बाद कंपनियों को तय करना होगा कि वे महंगी फीस चुकाकर विदेशी टैलेंट रखें या घरेलू हायरिंग बढ़ाएं।



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