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पटना में रनवे टच करके दोबारा उड़ा विमान:4 चक्कर लगाने के बाद दोबारा लैंडिंग हो पाई, 173 यात्रियों की सांसें अटकी रहीं
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5 months agoon
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Divya Akashपटना,एजेंसी। दिल्ली से आने वाली इंडिगो की फ्लाइट 6E2482 मंगलवार को पटना एयरपोर्ट पर लैंड करने के बाद दाेबारा उड़ गई। फिर, तीन-चार चक्कर लगाने के बाद फ्लाइट ने दाेबारा लैंड किया। इस दाैरान दिल्ली से पटना आ रहे 173 यात्रियों की सांसें 5 मिनट तक अटकी रहीं। दाेबारा लैंडिंग के बाद यात्रियों ने राहत महसूस की।
दाेबारा विमान काे ऊपर उठा लिया
सूत्रों के अनुसार मंगलवार की रात करीब 9 बजे दिल्ली से पटना आने के बाद पायलट ने विमान की लैंडिंग कराई। हालांकि विमान टचिंग पॉइंट को थोड़ा ओवरशूट कर गया था।
पटना एयरपोर्ट का रनवे छोटा है। पायलट काे लगा कि रनवे पर विमान काे नहीं रोक पाएंगे ताे उसने दाेबारा विमान काे ऊपर उठा लिया। ऐसा हाेता देख यात्री परेशान हाे गए।
AI की तस्वीरों से समझिए, रनवे पर क्या हुआ…

इंडिगो की फ्लाइट के पहिए रनवे को छू चुके थे। पायलट को फिर से उड़ान भरनी पड़ी।

पायलट ने पटना के आसमान में 4 चक्कर लगाए, इसके बाद फ्लाइट की लैंडिंग हुई।
क्रू मेंबर ने यात्रियों से धैर्य रखने को कहा
यात्रियों को लगा कि काेई विमान रनवे पर हाेगा या फिर काेई इमरजेंसी हाे गई। क्रू मेंबर ने यात्रियों से कहा कि काेई इमरजेंसी नहीं हुई है। तकनीकी कारणों की वजह से विमान काे फिर से टेकऑफ किया गया है। चार-पांच मिनट में लैंडिंग हाे जाएगी। यात्री धैर्य रखें।
2 हजार मीटर है पटना एयरपोर्ट के रनवे की लंबाई
फिलहाल पटना एयरपोर्ट के रनवे की लंबाई 2,072.64 मीटर है। इसे 584.96 मीटर और बढ़ाकर 2657.6 मीटर करने की तैयारी चल रही है। यह कवायद केंद्र सरकार के सर्कुलर के बाद तेज हुई है। दरअसल, केंद्र सरकार ने अहमदाबाद हादसे के बाद देशभर के सभी एयरपोर्ट की सुरक्षा को लेकर एडवाइजरी जारी की है। उसमें रनवे की लंबाई और सुरक्षा को लेकर खास निर्देश दिया गया है।
रनवे बढ़ाने का प्लान क्या है?, कितनी और जमीन की जरूरत होगी?, कहां से जमीन ली जाएगी? रनवे क्यों बढ़ाया जाएगा? सारे सवालों का जवाब स्पेशल रिपोर्ट में पढ़िए…।
रनवे बढ़ाने की जरूरत क्यों है?
पटना एयरपोर्ट के डायरेक्टर रह चुके एक अधिकारी ने बताया, ‘फिलहाल पटना एयरपोर्ट के रनवे की लंबाई अभी 2072 मीटर है। जबकि, कम से कम 2438 मीटर होनी चाहिए। अभी लंबाई कम होने से विमान 3 डिग्री के क्षितिज पर उतरते हैं, जबकि यह 2.5 डिग्री के क्षितिज पर उतरना चाहिए।’
एयरक्राफ्ट के एक इंजीनियर बताते हैं, ‘बड़े विमानों की लैंडिंग के लिए कम से कम 3-5 किलोमीटर का रनवे होना जरूरी है। जबकि, पटना का रनवे दो किलोमीटर से थोड़ा ही अधिक है।’
दो तरह के विमान होते हैं..
पहला- नैरो बॉडी एयरक्राफ्ट। इसमें 250 या 250 से कम सवारी की क्षमता होती है। पटना या अन्य छोटे एयरपोर्ट पर ऐसे ही प्लेन का संचालन किया जाता है।
दूसरा- वाइड बॉडी एयरक्राफ्ट। इसमें 300 से ज्यादा यात्री की क्षमता होती है। इसका इस्तेमाल इंटरनेशनल फ्लाइट में किया जाता है। इस विमान का संचालन पटना एयरपोर्ट से नहीं होता है।
दरअसल, पटना एयरपोर्ट पर लार्जर बॉडी प्लेन को लैंड कराने में दिक्कत आती है। इसलिए यहां छोटे विमान ही आते-जाते हैं।
केंद्र के आदेश के बाद क्या हुआः केंद्र के सर्कुलर के बाद पटना कमिश्नर चंद्रशेखर सिंह ने पटना DM की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई। कमेटी में एयरपोर्ट से जुडे़ अधिकारी भी शामिल थे। कमेटी ने रनवे की लंबाई को बढ़ाने की सिफारिश की है।
कमेटी ने जमीन की मापी, स्थल निरीक्षण और जगह चिह्नित करने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। इसकी रिपोर्ट भी सौंप दी गई है। अब समीक्षा के बाद रिपोर्ट सरकार को भेजी जाएगी। फिर सरकार के मुहर लगते ही काम शुरू हो जाएगा।
कहां से जमीन लाएगी सरकारः पटना एयरपोर्ट घनी आबादी के बीच है। ऐसे में रनवे को बढ़ाने के लिए सरकार को जमीन चाहिए।
जमीन मापी के बाद तय हुआ कि एयरपोर्ट के पूर्वी हिस्से में पटना जू की 15 एकड़ जमीन ली जाएगी। वहीं, पश्चिमी हिस्से में फुलवारी शरीफ गुमटी के पास भी 14 एकड़ जमीन अधिग्रहीत की जाएगी।
रनवे विस्तार के 2 संभावित प्लान
- पटना एयरपोर्ट के पूरब तरफ लंबाई बढ़ाने के लिए पटेल गोलंबर वाली सड़क को अंडर ग्राउंड किया जाएगा। वहीं, पश्चिम की तरफ लंबाई बढ़ाने के लिए फुलवारी शरीफ गुमटी से जगदेव पथ वाली सड़क अंडर ग्राउंड होगी। इन अंडर ग्राउंड सड़कों के ऊपर रनवे बनेगा। जिला प्रशासन की तरफ से रनवे के पूर्वी हिस्से में टेलर रोड और सर्कुलर रोड को जोड़ने वाली जगह तक जमीन की मापी की गई है।
- पश्चिमी हिस्से में कब्रिस्तान की 15 डिसमिल जमीन ली जाएगी। यह जमीन एयरपोर्ट की बाउंड्री से सटी है। पूरब की ओर है। कब्रिस्तान के उत्तर-पश्चिम भाग का अधिग्रहण होगा। यहां से सड़क और पटना जू की जमीन को मिलाकर रनवे का हिस्सा बनाया जाएगा।
- बड़ा रनवे से खराब मौसम में भी लैंड हो सकेगा विमान
- एविएशन एक्सपर्ट की मानें तो छोटा रनवे होने के कारण बारिश और ठंड के सीजन में पटना एयरपोर्ट से पायलट को प्लेन उड़ाने में काफी दिक्कत होती है। दो तरह की खास परेशानी आती है…
- पहला- जब विजिबिलिटी कम होती है तो टेक ऑफ और लैंडिंग में दिक्कत होती है। ऐसे में बड़ा रनवे होने पर फायदा मिलता है।
- दूसरा- जब तेज हवाएं चलती है तो लैंडिंग में दिक्कत होती है। ऐसे में हवा का दबाव कम करने के लिए विमान को ज्यादा रोल करने की जरूरत होती है। इस स्थिति में बड़ा रनवे होना ज्यादा जरूरी होता है।
- सचिवालय का घंटाघर 51 फीट छोटा होगा
- कमेटी ने सचिवालय के क्लॉक टावर की ऊंचाई को भी कम करने की सिफारिश की है। एयरपोर्ट से क्लॉक टावर की दूरी करीब एक किलोमीटर है। अभी क्लॉक टावर की ऊंचाई 49.5 मीटर है।
- एक्सपर्ट के मुताबिक, विमान को 2.5 डिग्री के क्षितिज पर लैंड करना चाहिए, लेकिन क्लॉक टावर की अधिक ऊंचाई रहने के कारण 3 डिग्री पर लैंड करना पड़ता है। यह बहुत सेफ सिचुएशन नहीं है। विमानों की सुरक्षित लैंडिंग के लिए क्लॉक टावर की ऊंचाई को 17.5 मीटर यानी 51 फीट घटाने की जरूरत है।
- 51 फीट घटाने पर फ्लाइट की लैंडिंग सुरक्षित होगी। इसको लेकर एयरपोर्ट प्रशासन ने जिला प्रशासन को पत्र भी भेजा है।
- पटना एयरपोर्ट का हाल में बना है नया टर्मिनल
- 29 मई को PM नरेंद्र मोदी ने पटना एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का इनॉगरेशन किया। 3 जून से इसे आम यात्रियों के लिए खोल दिया गया। नया टर्मिनल भवन 10 साल में 1200 करोड़ रुपए की लागत से बनकर तैयार हुआ है।
- वर्ल्ड क्लास टर्मिनल बनाने के लिए सिंगापुर की मेनहार्ट कंपनी ने आर्किटेक्चर तैयार किया। यहां मल्टी लेवल कार पार्किंग, एयर ट्रैफिक कंट्रोल कम टेक्निकल बिल्डिंग, फायर स्टेशन, कार्गो कॉम्पलेक्स, फ्लाइंग क्लब भी बनाए गए हैं।
- अराइवल और डिपार्चर के न केवल रास्ते अलग किए गए हैं, बल्कि फ्लोर ही सेपरेट कर दिए गए हैं।
- चेक इन काउंटर्स की संख्या बढ़ाकर 64 कर दी गई है। सिक्योरिटी चेकिंग पॉइंट्स तीन गुना बढ़ा दिए गए हैं। एयरो ब्रिज की संख्या बढ़ाकर 5 कर दी गई है।
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सोने-चांदी के दाम लगातार तीसरे दिन ऑल टाइम हाई पर:सोना ₹344 बढ़कर ₹1.37 लाख पर पहुंचा, चांदी इस साल ₹1.33 लाख महंगी हुई
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12 hours agoon
December 24, 2025By
Divya Akashनई दिल्ली,एजेंसी। सोने-चांदी के दाम आज, 24 दिसंबर को लगातार तीसरे दिन ऑलटाइम हाई पर हैं। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार सोना 344 रुपए बढ़कर 1,36,627 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गया है। इससे पहले मंगलवार को ये 1,36,283 रुपए पर था।
वहीं, 1 किलो चांदी की कीमत 7,983 रुपए बढ़कर 2,18,983 रुपए प्रति किलो के ऑलटाइम हाई पर पहुंच गई है। कल इसकी कीमत रू.2,11,020/किलो थी। दस दिन में चांदी 30,703 रुपए महंगी हुई है। 11 दिसंबर को इसकी कीमत 1,88,281 रुपए प्रति किलो थी।
अलग-अलग शहरों में रेट्स अलग क्यों होते हैं?
IBJA की सोने की कीमतों में 3% GST, मेकिंग चार्ज, ज्वेलर्स मार्जिन शामिल नहीं होता। इसलिए शहरों के रेट्स इससे अलग होते हैं। इन रेट्स का इस्तेमाल RBI सोवरेन गोल्ड बॉन्ड के रेट तय करने के लिए करता है। कई बैंक गोल्ड लोन के रेट तय करने के लिए इसे इस्तेमाल करते हैं।
इस साल सोना रू.60,465 और चांदी रू.1.33 लाख महंगी हुई
- इस साल अब तक सोने की कीमत 60,473 रुपए बढ़ी है। 31 दिसंबर 2024 को 10 ग्राम 24 कैरेट सोना 76,162 रुपए का था, जो अब 1,36,627 रुपए हो गया है।
- चांदी का भाव भी इस दौरान 1,32 ,966 रुपए बढ़ गया है। 31 दिसंबर 2024 को एक किलो चांदी की कीमत 86,017 रुपए थी, जो अब 2,18,983 रुपए प्रति किलो हो गई है।
गोल्ड में तेजी के 3 प्रमुख कारण
- डॉलर कमजोर- अमेरिका के ब्याज दर घटाने से डॉलर कमजोर हुआ और सोने की होल्डिंग कॉस्ट कम हुई, इससे लोग खरीदने लगे।
- जियोपॉलिटिकल- रूस-यूक्रेन जंग और दुनिया में तनाव बढ़ने से निवेशक सोने को सबसे सुरक्षित निवेश मानकर खरीद रहे हैं।
- रिजर्व बैंक- चीन जैसे देश अपने रिजर्व बैंक में सोना भर रहे हैं, ये सालभर में 900 टन से ज्यादा खरीदारी कर रहे हैं, इसलिए दाम ऊपर जा रहे हैं।
चांदी में तेजी के 3 प्रमुख कारण
- इंडस्ट्रियल डिमांड- सोलर, इलेक्ट्रॉनिक्स और EV में भारी इस्तेमाल, चांदी अब सिर्फ ज्वेलरी नहीं, जरूरी कच्चा माल बन गई है।
- ट्रंप का टैरिफ डर- अमेरिकी कंपनियां चांदी का भारी स्टॉक जमा कर रही हैं, ग्लोबल सप्लाई में कमी से कीमतें ऊपर चढ़ीं।
- मैन्युफैक्चरर होड़ में- प्रोडक्शन रुकने के डर से सभी पहले से खरीद रहे हैं, इसी वजह से आने वाले महीनों में भी तेजी बनी रहेगी।
आने वाले दिनों में और बढ़ सकते हैं दाम
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया कहते हैं कि चांदी की डिमांड में अभी तेजी है जिसके आगे भी बने रहने का अनुमान है। ऐसे में चांदी अगले 1 साल में 2.50 लाख तक जा सकती है। वहीं इस साल के आखिर तक चांदी की कीमत 2.10 लाख रुपए किलो पहुंच सकती है।
वहीं अगर सोने के बात करें इसकी डिमांड में भी तेजी बनी हुई। ऐसे में अगले साल तक ये 1.50 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम के पार जा सकता है। वहीं इस साल के आखिर तक इसकी कीमत 1.35 लाख रुपए किलो पहुंच सकती है।
सोना खरीदते समय इन 2 बातों का रखें ध्यान
1. सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें: हमेशा ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) का हॉलमार्क लगा हुआ सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें। ये नंबर अल्फान्यूमेरिक यानी कुछ इस तरह से हो सकता है- AZ4524। हॉलमार्किंग से पता चलता है कि सोना कितने कैरेट का है।
2. कीमत क्रॉस चेक करें: सोने का सही वजन और खरीदने के दिन उसकी कीमत कई सोर्सेज (जैसे इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन की वेबसाइट) से क्रॉस चेक करें। सोने का भाव 24 कैरेट, 22 कैरेट और 18 कैरेट के हिसाब से अलग-अलग होता है।
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इसरो ने 6100kg का अमेरिकी सैटेलाइट लॉन्च किया:भारत से भेजा गया यह सबसे भारी उपग्रह, धरती पर कहीं से भी वीडियो कॉल कर सकेंगे
Published
12 hours agoon
December 24, 2025By
Divya Akashश्रीहरिकोटा,एजेंसी। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने बुधवार सुबह LVM3-M6 रॉकेट से अमेरिकी सैटेलाइट ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 लॉन्च किया। 6,100 किलोग्राम वजनी ब्लूबर्ड, भारत से लॉन्च किया गया अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट है।
इसरो चेयरमैन वी. नारायणन ने इसे देश के लिए बड़ी उपलब्धि बताया। इससे पहले, नवंबर में लॉन्च किया गया LVM3-M5 कम्युनिकेशन सैटेलाइट-03 करीब 4,400 किलोग्राम का था। इसे जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित किया गया था।
ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 को जिस LVM3-M6 रॉकेट से लॉन्च किया गया, उसका वजन 640 टन है। यह भारत का सबसे भारी लॉन्च व्हीकल है। ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 नेक्स्ट-जेन कम्युनिकेशन सैटेलाइट है, जिसका मकसद सामान्य स्मार्टफोन तक सीधे हाई-स्पीड सेल्युलर ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंचाना है।
इसके जरिए धरती पर कहीं से भी बिना टावर 4G और 5G वॉयस कॉल, वीडियो कॉल, मैसेजिंग, स्ट्रीमिंग और डेटा सेवाएं उपलब्ध होंगी। यह मिशन न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) और अमेरिका स्थित AST स्पेसमोबाइल (AST एंड साइंस, LLC) के बीच हुए एक कॉमर्शियल समझौते का हिस्सा है। न्यूस्पेस इंडिया, ISRO का कॉमर्शियल ब्रांच है।
लॉन्चिंग के 15 मिनट के बाद रॉकेट से अलग हुआ सैटेलाइट
इसरो के मुताबिक, करीब 43.5 मीटर ऊंचा LVM3-M6 रॉकेट बुधवार सुबह 8:54 बजे श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से रवाना हुआ। लगभग 15 मिनट की उड़ान के बाद ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट रॉकेट से अलग हुआ और करीब 520km ऊपर अंतरिक्ष के लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में उसे सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।
रॉकेट को 90 सेकेंड देरी से, सुबह 8:55:30 लॉन्च किया गया था। इसे पहले सुबह 8:54 बजे लॉन्च किया जाना था। इसरो के अनुसार, श्रीहरिकोटा के स्पेस एरिया के ऊपर हजारों एक्टिव सैटेलाइट लगातार गुजर रहे थे। अन्य सैटेलाइट के साथ टकराव की आशंका को देखते हुए मिशन का लॉन्च समय 90 सेकेंड बढ़ाया गया।

यह तस्वीर LVM3-M6 रॉकेट के लॉन्चिंग की है, जिस पर ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट भेजा गया।
LVM3 से चंद्रयान-3 लॉन्च हुआ था, यह तीसरा कॉमर्शियल मिशन
LVM3-M6, जिसे GSLV Mk-III भी कहा जाता है, ISRO का तीन-चरणीय रॉकेट है। इसमें क्रायोजेनिक इंजन लगा है, जिसे इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर ने विकसित किया है। रॉकेट में लिफ्ट-ऑफ के लिए दो S200 सॉलिड रॉकेट बूस्टर लगाए गए हैं, जिन्हें तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर ने तैयार किया है।
यह LVM3 की 9वीं उड़ान और ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट के लिए तीसरा कॉमर्शियल मिशन है। ISRO के मुताबिक, LVM3 अब तक आठ लगातार सफल लॉन्च पूरे कर चुका है, जिनमें चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 जैसे प्रमुख मिशन भी शामिल हैं।
इसी रॉकेट ने 2023 में चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचाकर इतिहास रचा था। LVM3 को उसके भारी भरकम वजन के चलते, पब्लिक और मीडिया ने लोकप्रिय फिल्म बाहुबली से प्रेरित होकर ‘बाहुबली रॉकेट’ नाम दिया है।
इसरो चेयरमैन बोले- LVM-3 का 9वां उड़ान मिशन सफल रहा
इसरो चेयरमैन वी. नारायणन ने लॉन्चिंग के बाद अपने संबोधन में ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 कम्युनिकेशन सैटेलाइट के सफल लॉन्च को बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा- लॉन्च व्हीकल ने ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 कम्युनिकेशन सैटेलाइट को सफलतापूर्वक और सटीक रूप से तय ऑर्बिट में स्थापित किया है।
वी. नारायणन ने कहा- यह अमेरिका की कंपनी AST स्पेसमोबाइल के लिए पहला डेडिकेटेड कॉमर्शियल लॉन्च है। यह श्रीहरिकोटा से 104वां लॉन्च और LVM-3 लॉन्च व्हीकल का 9वां सफल मिशन है, जिससे इसकी 100% विश्वसनीयता साबित होती है। नारायणन ने कहा- यह LVM-3 का 52 दिनों के भीतर दूसरा लगातार मिशन है।

इसरो चेयरमैन वी. नारायणन और वैज्ञानिकों ने बाद ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 के सफल लॉन्च के बाद, उसे ले जाने वाले LVM3-M6 रॉकेट का एक मॉडल प्रदर्शित किया।
PM मोदी बोले- भारत की अंतरिक्ष यात्रा में मील का पत्थर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसरो को बधाई दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट में लिखा- यह भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है। भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक गौरवपूर्ण मील का पत्थर है। यह भारत की भारी-भरकम लॉन्च क्षमता को मजबूत करता है और ग्लोबल कॉमर्शियल लॉन्च मार्केट में हमारी बढ़ती भूमिका को मजबूत करता है।
अमेरिकी कंपनी बोली- सेलुलर ब्रॉडबैंड को पूरी दुनिया में पहुंचाना टारगेट
अमेरिकी कंपनी AST स्पेसमोबाइल स्पेस-आधारित सेलुलर ब्रॉडबैंड नेटवर्क तैयार कर रही है, जो सीधे स्मार्टफोन से जुड़ सकता है। इसे कॉमर्शियल और सरकारी दोनों तरह के इस्तेमाल के लिए तैयार किया गया है।
कंपनी के अनुसार, सितंबर 2024 में उसने ब्लूबर्ड 1 से 5 तक कुल पांच सैटेलाइट लॉन्च किए थे, जो अमेरिका और कुछ अन्य देशों में लगातार कवरेज देते हैं। नेटवर्क के विस्तार के लिए आगे भी ऐसे सैटेलाइट लॉन्च किए जाने की योजना है।
कंपनी दुनिया भर के 50 से अधिक मोबाइल ऑपरेटर्स के साथ साझेदारी कर चुकी है। कंपनी के मुताबिक, उनका टारगेट सेलुलर ब्रॉडबैंड को पूरी दुनिया में पहुंचाने का है। कंपनी हर उस जगह पर कनेक्टिविटी देना चाहती हैं, जहां ट्रेडिशनल नेटवर्क नहीं पहुंच पाता।
इससे शिक्षा, सोशल नेटवर्किंग, स्वास्थ्य सेवा समेत कई क्षेत्रों में बहुत से अवसर खुलेंगे। कंपनी के मुताबिक, उनकी सर्विस का इस्तेमाल करने के लिए किसी को सर्विस प्रोवाइडर्स (मोबाइल नेटवर्क देने वाली कंपनियां जैसे- एयरटेल, वोडाफोन) बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

AST स्पेसमोबाइल के CEO एबेल एवेलन ने 2024 में ब्लूबर्ड के ब्लॉक 2 सैटेलाइट लॉन्च करने की घोषणा की थी।
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गडकरी बोले- देश में हिंदू-मुस्लिम समस्या के लिए कांग्रेस जिम्मेदार:सेक्युलरिज्म की गलत व्याख्या की, इसका अर्थ धर्मनिरपेक्षता नहीं, सर्व धर्म समभाव है
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12 hours agoon
December 24, 2025By
Divya Akashनई दिल्ली,एजेंसी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा, ‘देश में आज भी जो हिंदू-मुस्लिम से जुड़ी समस्याएं दिखती हैं, उनकी वजह कांग्रेस की सेक्युलरिज्म की सोच और वोट बैंक की राजनीति है। कांग्रेस ने सेक्युलरिज्म की गलत व्याख्या की।’
गडकरी के मुताबिक, ‘सेक्युलर का अर्थ धर्मनिरपेक्षता या किसी एक वर्ग का तुष्टिकरण करना नहीं है। इसका सही मतलब ‘सर्व धर्म समभाव’ होता है, यानी सभी धर्मों को समान सम्मान और सबको न्याय और सभी के साथ बराबरी का व्यवहार करना है।’
गडकरी दिल्ली में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष प्रो. वासुदेव देवनानी की किताब ‘सनातन संस्कृति की अटल दृष्टि’ के लोकार्पण समारोह में बोल रहे थे। इस दौरान उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन भी मौजूद थे।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बयान को दोहराते हुए कहा कि भारत पहले भी सेक्युलर था, आज भी है और हमेशा रहेगा। यह बीजेपी-RSS की वजह से नहीं, बल्कि भारतीय, हिंदू और सनातन संस्कृति की वजह से है, जो विश्व का कल्याण सिखाती है।
- भारतीय संस्कृति सहिष्णु, करुणामय और सभी को साथ लेकर चलने वाली है और इतिहास में किसी हिंदू राजा द्वारा धार्मिक स्थलों को नष्ट करने का उदाहरण नहीं मिलता।
गडकरी बोले- ‘नेशन फर्स्ट’ की सोच केवल नारों तक सीमित नहीं हो

गडकरी उदय माहुरकर की किताब ‘माय आइडिया ऑफ नेशन फर्स्ट: रिडिफाइनिंग अनएलॉयड नेशनलिज्म’ लोकार्पण समारोह में पहुंचे थे।
नितिन गडकरी मंगलवार को ही एक अन्य कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा-
‘नेशन फर्स्ट’ की सोच केवल नारों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसके लिए देश के इतिहास को ईमानदारी से समझना, व्यवस्था की कमियों को पहचानना और भविष्य की क्षमताएं विकसित करना जरूरी है।
गडकरी ने कहा कि आधुनिकीकरण अंधी नकल पर नहीं, बल्कि सभ्यतागत आत्मविश्वास पर आधारित होना चाहिए। इस मौके पर भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी और सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल वीजी खंडारे भी मौजूद थे।
गडकरी की बड़ी बातें…
- सबसे पहली समस्या है, जो 1947 के बाद कांग्रेस लगातार हती आई है वह है सेक्युलरवाद। सबसे पहले आप घर जाकर डिक्शनरी में सेक्युलर शब्द का अर्थ क्या है, वह निकालिए। सेक्युलर का अर्थ धर्म-निरपेक्षता नहीं है। सेक्युलर का अर्थ है सर्वधर्म समभाव। लेकिन वोट बैंक पॉलिटिक्स के लिए समस्या सुलझाने के बजाए उसका निर्माण किया।
- जावेद अख्तर ने एक बार अटल बिहारी वाजपेयी से मुलाकात की थी। जावेद अख्तर ने वाजपेयी से पूछा- कि अगर आपका शासन आएगा तो सेक्युलरवाद खत्म हो जाएगा। तो अटलजी ने कहा- यह देश सेक्युलर है, सेक्युलर था और सेक्युलर ही रहेगा। हम कहते हैं कि विश्व का कल्याण हो। हम कभी ये नहीं कहते कि मेरा कल्याण हो, मेरे परिवार का कल्याण हो।
- स्वामी विवेकानंद ने भी शिकागो में जो भाषण दिया था। उसमें उन्होंने कहा था कि मैं यहां यह कहने नहीं आया हूं कि मेरा धर्म श्रेष्ठ है और मेरा भगवान श्रेष्ठ है। मैं यह कहने के लिए आया हूं कि आप जिस भगवान पर विश्वास करते हो, जिस धर्म पर विश्वास रखते हो, वह श्रेष्ठ है। अंत में हम एक ही जगह पहुंचने वाले हैं।
- किसी हिंदू राजा ने किसी दूसरे धर्मस्थल ध्वस्त किए हों, यह पूरे इतिहास में कहीं नहीं मिलता है। इसका कारण है कि हमारा वो कल्चर नहीं है। हम सर्वधर्म समभाव का अनुकरण करते हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश 47 के बाद राजनीति में जो धर्म निरपेक्षता की व्याख्या बनकर जो समस्या खड़ी हुई। वह आज भी हमारे सामने खड़ी हुई है।
- हम अधिकारवादी नहीं हैं, विस्तारवादी नहीं हैं। हमारे अगल-बगल में छोटे-मोटे देश हैं, लेकिन उनके मन में ये डर नहीं है कि हिंदुस्तान हमारी भूमि ले लेगा। जबकि, दुनिया के अन्य छोटे-मोटे देशों के यह डर है। क्यों? क्योंकि, हमारा कल्चर, हमारी संस्कृति ही यही है।

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