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केन्या ने अडाणी के साथ बिजली-एयरपोर्ट डील रद्द की:अमेरिका में रिश्वत के आरोप के बाद फैसला लिया, ₹21,422 करोड़ की डील थी
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1 month agoon
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Divya Akashनैरोबी ,एजेंसी। केन्या सरकार ने गुरुवार को अडाणी ग्रुप के साथ किए सभी डील रद्द करने की घोषणा की है। इनमें बिजली ट्रांसमिशन और एयरपोर्ट विस्तार जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स शामिल थे। दोनों डील 21,422 करोड़ रुपए की थीं। अमेरिका में भारतीय उद्योगपति गौतम अडाणी समेत 8 लोगों पर अरबों रुपए की रिश्वत और धोखाधड़ी के आरोप लगने के बाद केन्या सरकार ने यह फैसला लिया है।
राष्ट्रपति विलियम रूटो ने कहा- ‘हमारी सरकार पारदर्शिता और ईमानदारी के सिद्धांतों पर काम करती है और ऐसे समझौतों को मंजूरी नहीं देगी, जो देश की छवि और हितों के खिलाफ हों। हम ऐसे किसी भी कॉन्ट्रेक्ट को स्वीकार नहीं करेंगे, जो हमारे देश की नीतियों और मूल्यों के खिलाफ हो।’
केन्या की संसद में संबोधित करते हुए राष्ट्रपति विलियम रूटो।
बिजली ट्रांसमिशन के लिए 6,217 करोड़ रुपए की डील थी न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, केन्या सरकार ने अडाणी ग्रुप के साथ 736 मिलियन डॉलर यानी 6,217 करोड़ रुपए की पावर ट्रांसमिशन डील की थी। इस डील के तहत केन्या में बिजली ट्रांसमिशन के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करना था। इसके अलावा, अडाणी ग्रुप ने 1.8 बिलियन डॉलर यानी 15,205 करोड़ रुपए की डील भी साइन की थी, जिसमें नैरोबी के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर एक रनवे बनाना था और एक टर्मिनल का निर्माण करना था। इसके बदले अडाणी ग्रुप को 30 साल तक एयरपोर्ट का ऑपरेशन का काम सौंपा जाना था। लेकिन, करीब 21,422 करोड़ रुपए की ये दोनों डील अब रद्द कर दी गई हैं।
एयरपोर्ट के कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी थी रूटो ने कहा कि, ‘मैंने परिवहन मंत्रालय और ऊर्जा मंत्रालय की एजेंसियों को तुरंत इन प्रोजेक्ट्स को बंद करने का निर्देश दिया है। यह फैसला नई जानकारी और जांच एजेंसियों की ओर से दिए गए इनपुट के आधार पर लिया गया है।’ उन्होंने बताया कि, केन्या में अडाणी ग्रुप के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए थे और एयरपोर्ट के कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी थी।
इसके अलावा, गुरुवार को ऊर्जा मंत्री ओपियो वांडेयी ने एक संसदीय समिति को बताया कि अडाणी ग्रुप के साथ डील साइन करने में केन्या की ओर से कोई रिश्वतखोरी या भ्रष्टाचार नहीं किया गया था।
₹2200 करोड़ की रिश्वत ऑफर करने का आरोप इससे पहले आज सुबह खबर आई थी कि अमेरिका में उद्योगपति गौतम अडाणी समेत 8 लोगों पर अरबों रुपए की धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं। यूनाइटेड स्टेट्स अटॉर्नी ऑफिस का कहना है कि अडाणी ने भारत में सोलर एनर्जी से जुड़ा कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर (करीब 2200 करोड़ रुपए) की रिश्वत दी या देने की योजना बना रहे थे।
यह पूरा मामला अडाणी ग्रुप की कंपनी अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य फर्म से जुड़ा हुआ है। 24 अक्टूबर 2024 को न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में यह केस दर्ज हुआ था। बुधवार को इसकी सुनवाई में गौतम अडाणी, उनके भतीजे सागर अडाणी, विनीत एस जैन, रंजीत गुप्ता, साइरिल कैबेनिस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा और रूपेश अग्रवाल को आरोपी बनाया गया है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, गौतम अडाणी और सागर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया गया है। सागर अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के अधिकारी हैं।
अमेरिकी निवेशकों का पैसा, इसलिए वहां केस अडाणी पर आरोप है कि रिश्वत के इन पैसों को जुटाने के लिए उन्होंने अमेरिकी निवेशकों और बैंकों से झूठ बोला। अमेरिका में मामला इसलिए दर्ज हुआ, क्योंकि प्रोजेक्ट में अमेरिका के इन्वेस्टर्स का पैसा लगा था और अमेरिकी कानून के तहत उस पैसे को रिश्वत के रूप में देना अपराध है।
अडाणी बोले- सभी आरोप आधारहीन, खंडन करते हैं अडाणी ग्रुप ने सभी आरोपों को आधारहीन बताया है। ग्रुप ने कहा – ‘अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के डायरेक्टर्स के खिलाफ यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस और यूनाइटेड स्टेट्स सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन की ओर से लगाए गए आरोप निराधार हैं। हम उनका खंडन करते हैं।
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विदेश
रूस ने कैंसर की वैक्सीन बनाई:पुतिन सरकार ने कहा- 2025 से नागरिकों को मुफ्त लगाएंगे; यह सदी की सबसे बड़ी खोज
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4 days agoon
December 18, 2024By
Divya Akashमॉस्को,एजेंसी। रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि हमने कैंसर की वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल कर ली है। इसकी जानकारी रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर आंद्रेई कप्रीन ने रेडियो पर दी। रूसी न्यूज एजेंसी TASS के मुताबिक, इस वैक्सीन को अगले साल से रूस के नागरिकों को फ्री में लगाया जाएगा।
डायरेक्टर आंद्रेई ने बताया कि रूस ने कैंसर के खिलाफ अपनी mRNA वैक्सीन विकसित कर ली है। रूस की इस खोज को सदी की सबसे बड़ी खोज माना जा रहा है। वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल से पता चला है कि इससे ट्यूमर के विकास को रोकने में मदद मिलती है।
इससे पहले इस साल की शुरुआत में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बताया था कि रूस कैंसर की वैक्सीन बनाने के बेहद करीब है।
क्या होती है mRNA वैक्सीन mRNA या मैसेंजर-RNA इंसानों के जेनेटिक कोड का एक छोटा सा हिस्सा है, जो हमारी सेल्स (कोशिकाओं) में प्रोटीन बनाती है। इसे आसान भाषा में ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब हमारे शरीर पर कोई वायरस या बैक्टीरिया हमला करता है तो mRNA टेक्नोलॉजी हमारी सेल्स को उस वायरस या बैक्टीरिया से लड़ने के लिए प्रोटीन बनाने का मैसेज भेजती है।
इससे हमारे इम्यून सिस्टम को जो जरूरी प्रोटीन चाहिए, वो मिल जाता है और हमारे शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है। इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे कन्वेंशनल वैक्सीन के मुकाबले ज्यादा जल्दी वैक्सीन बन सकती है। इसके साथ ही इससे शरीर की इम्यूनिटी भी मजबूत होती है। mRNA टेक्नोलॉजी पर आधारित यह कैंसर की पहली वैक्सीन है।
इससे पहले इस तकनीक के आधार पर कोविड-19 की वैक्सीन बनाई गई हैं।
कैंसर होने से पहले नहीं बल्कि बाद में दी जाती है वैक्सीन कैंसर स्पेशलिस्ट एमडी मौरी मार्कमैन का कहना है कि कैंसर की वैक्सीन बनाना बायोलॉजिकल तौर पर असंभव है। कैंसर के लिए कोई टीका नहीं हो सकता क्योंकि कैंसर कोई बीमारी नहीं है। यह शरीर में हजारों अलग-अलग स्थितियों का परिणाम है।
फिर भी वैक्सीन कुछ कैंसरों की रोकथाम में जरूरी रोल निभाती है। ये वैक्सीन कैंसर रोगियों को उपचार के दौरान सुरक्षा देने में जरूरी टूल हैं। क्योंकि कैंसर मरीज को इलाज के दौरान दूसरी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
कैंसर वैक्सीन की खास बात यह है कि यह कभी कैंसर होने से पहले नहीं दी जाती है, बल्कि यह उन लोगों को दी जाती है जिन्हें कैंसर ट्यूमर है। यह वैक्सीन हमारे इम्यून सिस्टम को यह पहचानने में मदद करती है कि कैंसर सेल्स कैसी दिखती है।
कैंसर वैक्सीन बनाना मुश्किल क्यों?
- कैंसर सेल्स ऐसे मॉलिक्यूल से बनते हैं जो इम्यून सेल्स को दबा देते हैं। अगर कोई वैक्सीन इम्यून सेल्स को एक्टिव कर भी दे तो हो सकता है वो इम्यून सेल्स ट्यूमर के अंदर प्रवेश न कर पाए।
- कैंसर सेल्स सामान्य सेल्स की तरह ही होती हैं और इस वजह से इम्यून सिस्टम को यह उतनी खतरनाक नहीं लगतीं। इससे इम्यून सिस्टम के लिए यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि किस पर हमला करना है।
- अगर कैंसर का एंटीजन सामान्य और असामान्य सेल्स दोनों पर मौजूद होता है तो वैक्सीन दोनों पर हमला करना शुरू कर देती है। इससे शरीर को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचता है।
- कई बार कैंसर ट्यूमर इतना ज्यादा बड़ा होता है कि इम्यून सिस्टम उससे लड़ नहीं पाता है। कुछ लोगों का इम्यून सिस्टम काफी कमजोर होता है, इस वजह से कई लोग वैक्सीन लगने के बाद भी रिकवर नहीं कर पाते हैं।
भारत में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को कैंसर भारत में 2022 में कैंसर के 14.13 लाख नए केस सामने आए थे। इनमें 7.22 लाख महिलाओं में, जबकि 6.91 लाख पुरुषों में कैंसर पाया गया। 2022 में 9.16 लाख मरीजों की कैंसर से मौत हुई।
5 साल में भारत में 12% की दर से कैंसर मरीज बढ़ेंगे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) का आकलन है कि 5 साल में देश में 12% की दर से कैंसर मरीज बढ़ेंगे, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती कम उम्र में कैंसर का शिकार होने की है। नेचर जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, कम उम्र में कैंसर की सबसे बड़ी वजहों में हमारी लाइफस्टाइल है।
ग्लोबल कैंसर ऑब्जरवेटरी के आंकड़ों के अनुसार, 50 साल की उम्र से पहले ब्रेस्ट, प्रोस्टेट और थायरॉइड कैंसर सबसे ज्यादा हो रहे हैं। भारत में ब्रेस्ट, मुंह, गर्भाशय और फेफड़ों के कैंसर के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं।
विदेश
रूस के न्यूक्लियर चीफ की ब्लास्ट में मौत:इलेक्ट्रिक स्कूटर में बम लगाकर उड़ाया; इसमें 300 ग्राम TNT था
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6 days agoon
December 17, 2024By
Divya Akashमॉस्को,एजेंसी। रूस के न्यूक्लियर चीफ इगोर किरिलोव की मंगलवार को मॉस्को में हुए एक ब्लास्ट में मौत हो गई है। बीबीसी के मुताबिक जनरल किरिलोव अपार्टमेंट से बाहर निकल रहे थे उसी वक्त नजदीक में ही पार्क स्कूटर में ब्लास्ट हो गया। इसमें किरिलोव के साथ-साथ उनका अस्टिटेंट भी मारा गया है।
धमाका मॉस्को के राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन से सिर्फ 7 किमी दूर हुआ है। रूस की जांच एजेंसी ने बताया कि धमाके के लिए 300 ग्राम TNT का इस्तेमाल किया गया था। एजेंसी ने आपराधिक हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
उन्हें अप्रैल 2017 में न्यूक्लियर फोर्सेस का चीफ बनाया गया था। वे रूस के रेडिएशन, केमिकल और जैविक हथियार जैसे विभागों के चीफ रह चुके थे।
धमाके से 4 मंजिल तक खिड़कियों के कांच टूटे
धमाका इतना तेज था कि इससे इमारत की 4 मंजिल ऊपर तक खिड़कियों के कांच टूट गए। यूएन टूल के मुताबिक 300 ग्राम टीएनटी विस्फोटक से करीब 17 मीटर (55 फीट) दूरी पर मौजूद कांच की खिड़की भी टूट सकती है। इसके अलावा यह विस्फोटक 1.3 मीटर दूर मकान को भी धमाके में नुकसान पहुंचा सकता है।
किरिलोव की मौत के बाद रूसी संसद के डिप्टी स्पीकर ने कहा है कि उनकी हत्या का बदला जरूर लिया जाएगा।
पिछले 4 महीनों में 3 बड़े अधिकारियों की मौत
किरिलोव पिछले 4 महीनों में दुश्मनों का शिकार होने वाले तीसरे बड़े रूसी अधिकारी हैं। उनसे पहले हुई रूसी अधिकारियों की हत्याएं…
12 दिसंबर, 2024, जगह- मॉस्को
रूस के मिसाइल एक्सपर्ट मिखाइल शेतस्की की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
शेतस्की रूसी मिसाइलों को मॉडर्नाइज करने में शामिल थे, जिन्हें यूक्रेन पर दागा जा रहा था।
28 सितंबर, 2024, जगह- मॉस्को का कोलोमा शहर
ड्रोन स्पेशलिस्ट कर्नल एलेक्सी कोलोमीतसेव मॉस्को में मृत पाए गए।
कोलोमीतसेव रूसी सेना में ड्रोन एक्सपर्ट्स बनने की ट्रेनिंग देने के लिए मशहूर थे।
यूक्रेन पर डर्टी बम बनाने का आरोप लगाया था
इगोर किरिलोव ने अक्टूबर 2024 में यूक्रेन पर अमेरिका की मदद से डर्टी बम बनाने का आरोप लगाया था। डर्टी बम को बनाने में रेडियोएक्टिव मटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें बनाने में खर्च भी कम होता है। इससे पहले वे 2018 में अमेरिका पर जॉर्जिया में रूस और चीन बॉर्डर के नजदीक एक गुप्त बायोलॉजिकल हथियार प्रयोगशाला चलाने का आरोप भी लगा चुके थे।
इसी साल अमेरिका ने रूस पर यूक्रेन में केमिकल हथियारों के इस्तेमाल का आरोप लगाया था। इसके जवाब में किरिलोव ने कहा था कि रूस ने तय समय से पहले सितंबर 2017 में ही अपने सारे केमिकल हथियार नष्ट कर दिए थे। जबकि अमेरिका ने यह काम 2023 में किया था।
दूसरी ओर यूक्रेन सिक्योरिटी सर्विसेज (SBU) ने दावा किया कि रूस ने लगभग 5,000 बार रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया है। इनमें 700 से ज्यादा बार इनका इस्तेमाल इस साल मई में ही हुआ था।
कीव इंडिपेंडेट की रिपोर्ट के मुताबिक किरिलोव पर कल यानी सोमवार को यूक्रेन की सिक्योरिटी सर्विस ने जंग में बैन केमिकल हथियार इस्तेमाल करने के आरोप में दोषी मानते हुए सजा सुनाई थी।
यूक्रेन जंग में भूमिका को लेकर अक्टूबर में ब्रिटेन और कनाडा ने उन पर पाबंदियां लगाई हुई थी।
देश
सीरियाई राष्ट्रपति देश छोड़कर भागे, सेना बोली- उनकी सत्ता खत्म:लोगों ने राष्ट्रपति भवन लूटा; टैंकों पर चढ़कर जश्न मना रहे विद्रोही
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2 weeks agoon
December 8, 2024By
Divya Akashदमिश्क ,एजेंसी। सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर भाग चुके हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक सेना ने असद के देश छोड़ने की पुष्टि करते हुए कहा कि राष्ट्रपति की सत्ता खत्म हो चुकी है। सीरिया में पिछले 11 दिनों से विद्रोही गुटों और सेना के बीच कब्जे के लिए लड़ाई चल रही थी।
विद्रोही लड़ाकों ने रविवार को राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है। असद के देश छोड़ने के बाद सीरियाई PM ने विद्रोहियों को सत्ता सौंपने का प्रस्ताव दिया है। PM मोहम्मद गाजी अल जलाली ने एक वीडियो में कहा है कि वो देश में ही रहेंगे और जिसे भी सीरिया के लोग चुनेंगे, उसके साथ मिलकर काम करेंगे।
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक हफ्ते में विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क के अलावा सीरिया के चार बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया है। इनमें अलेप्पो, हमा, होम्स और दारा शामिल हैं।
विद्रोही लड़ाके राजधानी दमिश्क में दारा शहर की तरफ से घुसे थे, जिस पर उन्होंने 6 दिसंबर को कब्जा किया था। दारा वही शहर है, जहां से 2011 में राष्ट्रपति बशर अल-असद के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत हुई थी और पूरे देश में जंग छिड़ गई थी। दारा से राजधानी दमिश्क की दूरी करीब 100 किमी है। यहां स्थानीय विद्रोहियों ने कब्जा किया है।
वहीं, अलेप्पो, हमा और होम्स इस्लामी चरमपंथी ग्रुप हयात तहरीर अल-शाम की गिरफ्त में है। संघर्ष की वजह से अब तक 3.70 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा है। हालांकि लोग असद सरकार के गिरने की खुशी मना रहे हैं। लोगों के सेना के टैंकों पर चढ़कर सेलिब्रेट करने के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
सीरिया में विद्रोहियों के कब्जे से जुड़ी तस्वीरें…
दमिश्क में विद्रोहियों के घुसने के बाद देश छोड़ने के लिए एयरपोर्ट पर भगदड़ मची।
दारा शहर पर कब्जे के बाद सीरिया का झंडा लहराते विद्रोही लड़ाके।
हमा शहर पर कब्जे के दौरान विद्रोहियों ने सीरिया सरकार के फाइटर जेट्स पर भी कब्जा कर लिया।
हमा पर कब्जे के बाद रॉकेट लॉन्चर के साथ विद्रोही लड़ाका। बैकग्राउंड में राष्ट्रपति असद का पोस्टर है जिसमें चेहरे पर गोलियों के निशान दिख रहे हैं।
हमा शहर पर कब्जे के बाद जीत का जश्न मनाते विद्रोही गुट के लड़ाके।
हमा शहर पर कब्जे के बाद दमिश्क शहर की तरफ रवाना होते HTS लड़ाके।
असद ने 11 दिन में सत्ता गंवाई
सीरिया में 27 नवंबर को सेना और सीरियाई विद्रोही गुट हयात तहरीर अल शाम (HTS) के बीच 2020 के सीजफायर के बाद फिर संघर्ष शुरू हुआ था। इसके बाद 1 दिसंबर को विद्रोहियों ने सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर कब्जा कर लिया। इसे राष्ट्रपति बशर अल असद ने सीरिया की जंग के दौरान 4 साल की लड़ाई के बाद जीता था।
अलेप्पो जीतने के 4 दिन बाद विद्रोही गुटों ने एक और बड़े शहर हमा और फिर दक्षिणी शहर दारा पर कब्जा कर लिया। इसके बाद राजधानी दमिश्क को दो दिशाओं से घेर लिया है। दारा और राजधानी दमिश्क के बीच सिर्फ 90 किमी की दूरी है।
इस तरह असद ने सिर्फ 11 दिन के भीतर अपनी सत्ता गंवा दी और सीरिया पर असद परिवार के 50 साल का शासन खत्म हुआ।
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