डिवीजन बेंच ने युवती को सखी सेंटर में रखने का दिया आदेश, परिजन बोले-झूठ बोलकर ले गया युवक
बिलासपुर,एजेंसी। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में लव जिहाद मामले में मुस्लिम युवक की तरफ से दायर हैबियस कॉर्पस पिटीशन हाईकोर्ट ने सुनवाई की। कोर्ट ने मध्यस्थता केंद्र की रिपोर्ट के आधार पर कहा कि यह शादी वैध नहीं है। याचिका को निराकृत कर युवती को सखी सेंटर में रखने के निर्देश दिए हैं।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की डिवीजन बेंच ने कहा कि युवक-युवती की शादी वैध नहीं है। हालांकि युवक-युवती दोनों बालिग हैं, इसलिए दोनों स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह करने के लिए स्वतंत्र हैं।
इसके पहले चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा था कि युवती युवक के साथ जाने की बात कह रही है, फिर भी उसके भविष्य और सुरक्षा को देखते हुए मामले में मध्यस्थता जरूरी है, ताकि परिजनों को भी संतुष्टि हो। वहीं परिजनों ने युवक पर युवती को झूठ बोलकर ले जाने का आरोप लगाया है।
मध्यस्थता केंद्र की रिपोर्ट के आधार पर बुधवार को फिर से केस की सुनवाई हुई। युवती अब सखी सेंटर में रहेगी।
अब जानिए मध्यस्थता केंद्र में क्या-क्या हुआ ?
हाईकोर्ट के आदेश पर मंगलवार को मध्यस्थता केंद्र में युवती और परिजनों के बीच चर्चा हुई। इस दौरान युवती अपने परिजनों के साथ जाने के लिए राजी नहीं हुई। इस पर समिति ने कहा कि कोलकाता में हुई उनकी शादी वैध नहीं है, क्योंकि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत उनकी शादी नहीं हुई है।
इसके बाद भी लड़की युवक के साथ रहने की जिद पर अड़ी रही। वहीं बुधवार को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने मध्यस्थता केंद्र रिपोर्ट के आधार पर माना कि युवक-युवती की शादी वैध नहीं है।
21 अप्रैल 2025 को लापता हुई थी छात्रा
दरअसल, कटघोरा निवासी कॉलेज की छात्रा 21 अप्रैल 2025 को घर से कॉलेज जाने के नाम पर निकली थी, जिसके बाद वो लापता हो गई। परिजनों ने उसकी तलाश की, लेकिन छात्रा नहीं मिली। इससे परेशान होकर उन्होंने थाने में गुमशुदगी की शिकायत की।
कोलकाता में युवक-युवती ने किया निकाह
जांच के दौरान पता चला कि युवती को तौशीफ मेनन के साथ कोलकाता में देखा गया है, जहां कथित रूप से मस्जिद में निकाह कराया गया है। पुलिस ने दोनों को कोरबा लाकर पूछताछ की, फिर युवती को तौशीफ के घर भेज दिया गया। हिंदू संगठनों के हस्तक्षेप पर कोरबा के सखी सेंटर में रखा गया।
इसके बाद तौशीफ ने खुद को युवती का पति बताते हुए हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने 15 मई को याचिकाकर्ता को एक लाख रुपए की राशि जमा करने के निर्देश दिए थे। रकम जमा होने के बाद सोमवार को केस की सुनवाई हुई। युवती और उसके माता-पिता भी हाईकोर्ट में उपस्थित हुए थे।
नाम और पहचान छिपाकर विवाह करने का आरोप
युवती के परिजन के वकील ने बताया कि युवक ने नाम छिपाकर शादी की है, जो अवैधानिक है। लड़की को बहला-फुसलाकर ले जाया गया है। साथ ही लव जिहाद का आरोप लगाया था। कोर्ट ने सुनवाई के बाद लड़की को सखी सेंटर में रखने का निर्देश दिए हैं।
अब जानिए कोर्ट ने युवक से 1 लाख रुपए क्यों जमा कराया ?
आम तौर पर हाईकोर्ट किसी केस की सुनवाई करने के लिए कोई शुल्क जमा नहीं कराता, लेकिन कुछ मामलों में कोर्ट को लगता है कि कोर्ट का समय खराब करने या कानून का दुरूपयोग करने या फिर केस के प्रतिवादी को परेशान करने के लिए याचिका लगाई गई है तो इस तरह से राशि जमा कराई जाती है।
इसके साथ ही कोर्ट को लगता है कि शासन की मशीनरी का मिस यूज किया जा रहा है, इसलिए भी कोर्ट ऐसा करती है। इस केस में युवती सखी सेंटर में है। ऐसी स्थिति में पुलिस और युवती को आने में दिक्कत होगी, इसलिए याचिकाकर्ता से एक लाख रुपए जमा कराया गया है।
कोरबा। पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने 25 दिसम्बर गुरूवार को क्रिसमस डे के मौके पर कोरबा सहित प्रदेशवासियों को प्रभु ईसा मसीह जयंती पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी है।
पूर्व मंत्री श्री अग्रवाल ने अपने शुभकामना संदेश में कहा है कि प्रभु यीशु मसीह ने समाज को प्रेम, करूणा, क्षमा एवं समानता का संदेश दिया है। उन्हो´ने गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करने एवं आपसी भाईचारा के साथ रहने की सीख दी है। प्रभु यीशु के संदेश हमेशा समाज के लिए प्रेरक एवं अनुकरणीय रहेंगे।
4.76 करोड़ की अनुमानित लागत से 116 मीटर लंबे और 7.8 मीटर चौड़े पुल की होगी संरचनात्मक मरम्मत
कोरबा। राष्ट्रीय राजमार्ग-130 के कटघोरा-शिवनगर खंड के अंतर्गत गुरसियाँ में स्थित तान नदी पुल के मरम्मत एवं रखरखाव के लिए निविदा प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। लगभग चार करोड़ 76 लाख रुपए की अनुमानित लागत से 116 मीटर लंबे और 7.8 मीटर चौड़े पुल की संरचनात्मक मरम्मत की जाएगी। पुल पर पूर्ण क्षमता के साथ शीघ्र यातायात सुचारु करने के लिए मरम्मत के कार्य को दो महीने में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा यात्रियों की सुरक्षा और सुगम आवागमन को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखते हुए तत्परता से सड़कों और पुलों की मरम्मत सुनिश्चित की जा रही है। तान नदी पुल की स्थिति और यातायात के दबाव को देखते हुए इसे आकस्मिक मरम्मत एवं रखरखाव (Emergent Work) की श्रेणी में रखा गया था। इसके लिए प्राप्त निविदाओं को आज खोल दिया गया है। तकनीकी और वित्तीय मूल्यांकन के बाद जल्दी ही चयनित एजेंसी को कार्यादेश जारी कर दिया जाएगा।
कोरबा। कोरबा में धर्मांतरण के विरोध में बुलाए गए बंद के आह्वान पर शहर के मुख्य चौक-चौराहों पर दुकानें बंद रहीं। निहारिका घंटाघर, सुभाष चौक, कोसाबाड़ी और टीपी नगर जैसे प्रमुख क्षेत्रों में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने दुकानें बंद कराईं। सुबह खुली कई दुकानों को निवेदन कर बंद कराया गया।
यह बंद कांकेर के आमाबेड़ा में धर्मांतरण के विरोध में हुई हिंसा के खिलाफ सर्व समाज के आह्वान पर बुलाया गया था। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए बंद के दौरान पुलिस और सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था।
सक्रिय दिखा हिंदू संगठन
कोरबा में हिंदू संगठन से जुड़े महिला और पुरुष कार्यकर्ता सक्रिय दिखे। सीतामढ़ी चौक से लेकर शहर के कई हिस्सों में खुली दुकानों को बंद करने का अनुरोध किया गया। लाउडस्पीकर के माध्यम से भी दुकानदारों से बंद का समर्थन करने की अपील की गई।
विभिन्न हिंदू संगठन अलग-अलग गुटों में काम कर रहे थे। एक गुट सीतामढ़ी से कोरबा शहर तक दुकानें बंद करा रहा था, जबकि दूसरा निहारिका घंटाघर से कोसाबाड़ी चौक तक सक्रिय था।
छत्तीसगढ़ बंद का कोरबा में भी समर्थन
हिंदू संगठन से जुड़े अजय विश्वकर्मा ने बताया कि बस्तर में ईसाई समुदाय और हिंदू आदिवासियों के बीच हुआ विवाद एक दुखद घटना है। उन्होंने आदिवासी भाइयों पर हुए हमले को गलत बताया। इसी के विरोध में पूरे छत्तीसगढ़ में बंद का आह्वान किया गया है, जिसका कोरबा में भी समर्थन किया जा रहा है।
विश्वकर्मा ने यह भी कहा कि कोरबा में भी धर्म परिवर्तन के मामले बढ़ रहे हैं। रूमगड़ा, कटघोरा, करतला क्षेत्रों के अलावा कोरबा शहर में भी ऐसे मामले सामने आए हैं, जिससे कई बार विवाद की स्थिति बनी है। पुलिस ने ऐसे मामलों में कई बार केस भी दर्ज किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रलोभन और झूठ बोलकर लोगों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है, जिससे कोरबा में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।
सर्व हिंदू समाज द्वारा चलाए जा रहे इस आंदोलन के तहत, खुले दुकानदारों से पूछा जा रहा था कि क्या वे धर्म परिवर्तन का समर्थन करते हैं। उनसे कहा गया कि यदि वे समर्थन नहीं करते, तो अपनी दुकानें बंद रखें।