रायपुर,एजेंसी। छत्तीसगढ़ का बार नवापारा अभयारण्य गौर और तेंदुओं की बड़ी आबादी के लिए जाना जाता है, लेकिन अब यह काले हिरणों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थल बन गया है। इस अभयारण्य में काले हिरणों की आबादी 200 से अधिक हो गई है और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। दरअसल, 80 के दशक तक काले हिरण पूरे छत्तीसगढ़ से दिखना बंद हो गए थे और इन्हें केवल चिड़ियाघरों में ही देखा जा सकता था।
लेकिन अब ये जंगल में आजादी से घूमते देखे जा सकते हैं। बरसों की मेहनत के बाद अब इन्होंने यहां के जंगलों में रहना सीख लिया है। बार नवापारा अभयारण्य में काले हिरणों को बसाने का प्रयोग सफल रहा है, और अब इन्हें राज्य के दूसरे अभयारण्यों में भी बसाने की योजना है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह काम आसान नहीं था, क्योंकि पालतू जानवरों को जंगल में छोड़ना उनके लिए खतरनाक हो सकता है। बाड़े में उनकी भूख प्यास और सेहत का ध्यान रखा जाता है। जंगल में उन्हें यह खुद ही सीखना पड़ता है कि क्या चीज खानी है और तबीयत बिगड़ने पर क्या करना है। हिरण बहुत संवेदनशील होते हैं और पालतू होने के बाद जंगल के खतरों का सामना करने की उम्मीद उनसे नहीं की जा सकती।
पहली कोशिश में मिली थी असफलता
पहली कोशिश में दिल्ली के चिड़ियाघर से लाए गए काले हिरण एक-एक कर खत्म होते गए। लेकिन दूसरी कोशिश में बिलासपुर के कानन पेंडारी से लाए गए काले हिरणों को जंगल में छोड़ा गया और वे जंगल में जीना सीख गए। आज उनकी संख्या 200 से अधिक हो गई है।
प्राचीन भित्तिचित्रों में मौजूद हैं काले हिरण
छत्तीसगढ़ के बार नवापारा अभयारण्य में काले हिरणों को फिर से बसाने की कोशिश सफल रही है। अफसरों ने अपनी जिद और मेहनत से इन्हें जंगल में पुनर्स्थापित किया है। काले हिरण यहां के प्राचीन निवासी हैं और सरगुजा से लेकर बस्तर के भित्ति चित्रों में भी उनका चित्रण हुआ है।
बार नवापारा में काले हिरणों को बसाने का प्रयोग सफल रहा है। हम चाहते हैं कि राज्य के दूसरे अभयारण्यों में भी इन्हें बसाया जाए। जहां भी इनके अनुकूल वातावरण है, वहां इन्हें बसाया जाएगा।
-अरुण कुमार पांडे, पीसीसीएफ, वन्यप्राणी