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छत्तीसगढ़

धनतेरस पर 60 हजार से ज्यादा चांदी की मछलियां बिकी:दुर्ग-भिलाई और रायपुर में प्रदीप मिश्रा के प्रवचन के बाद बढ़ी डिमांड, राजधानी में रिकॉर्ड बिक्री

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कोरबा में हुए थे 12 से 18 जुलाई 2025 तक पंडित प्रदीप मिश्रा की कथाएं

दुर्ग-भिलाई,एजेंसी। धनतेरस पर इस बार सराफा बाजारों में कुछ ऐसा ट्रेंड देखने को मिला, जिसने सभी को चौंका दिया। जहां हर साल लोग सोने-चांदी के सिक्के, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां या कछुए खरीदते हैं। वहीं इस बार सबसे ज्यादा डिमांड रही चांदी की मछलियों की।

वजह थी कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा का प्रवचन, जिसमें उन्होंने कहा था कि घर या दुकान के गल्ले में चांदी की मछली रखने से मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की कृपा बनी रहती है, जिससे घर में धन-संपत्ति और समृद्धि आती हैं।

दुर्ग-भिलाई में दुकानों से गायब हुई चांदी की मछलियां

दुर्ग सराफा व्यापारी संघ के अध्यक्ष प्रकाश सांखला ने बताया कि, दुर्ग-भिलाई के करीब 350 ज्वेलर्स की दुकानों में इस बार हर दुकान पर 50 से 100 चांदी की मछलियां बिकी हैं। पिछले साल भी कुछ मांग थी, लेकिन इस बार तो स्थिति यह रही कि बाजार में मछली खत्म हो गई। दुकानदारों ने पहले से ज्यादा स्टॉक मंगाया था फिर भी कम पड़ गया।

हर दुकान पर 50 से 100 चांदी की मछलियां बिकी हैं।

हर दुकान पर 50 से 100 चांदी की मछलियां बिकी हैं।

कथा के बाद लोगों ने बदला ट्रेंड

बताया जा रहा है कि पंडित प्रदीप मिश्रा के कथा के बाद चांदी के मछली की खरीदी करने लोगों की दिलचस्पी दिख रही है। प्रकाश सांखला के अनुसार, इस बार छोटे-छोटे चांदी के सामान और पूजा से जुड़ी वस्तुओं की डिमांड ज्यादा रही। चांदी की मछली और छोटे आइटम्स पर सबसे ज्यादा फोकस रहा। सोने में हल्की वजन की ज्वेलरी बिकी, लेकिन ओवरऑल सराफा बाजार इस बार बेहद अच्छा चला।

रायपुर में रिकॉर्ड बिक्री, हर दुकान से बिकीं सैकड़ों मछलियां

रायपुर सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश भंसाली ने बताया कि इस बार रायपुर में 30 हजार से ज्यादा चांदी की मछलियां बिकीं। शहर में 600 दुकानें हैं। अगर हर दुकान पर औसतन 50 मछलियां भी बिकीं, तो 30 हजार से ज्यादा मछलियां बिक चुकी हैं। कुछ दुकानों पर तो 200-300 मछलियां भी बिकी हैं।

भंसाली ने बताया कि प्रदीप मिश्रा के प्रवचन के बाद लोगों में इस मछली को लेकर आस्था बढ़ी है। उन्होंने अपने प्रवचन में कहा था कि मछली को धनतेरस पर खरीदकर पूजा स्थल या गल्ले पर रखने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। बस उसके बाद से भक्तों में मछली खरीदने की होड़ लग गई। हर कोई कह रहा था कि हमें वही मछली चाहिए जो पंडित जी ने बताई है।

रायपुर के कुछ दुकानों पर 200-300 मछलियां भी बिकी हैं।

रायपुर के कुछ दुकानों पर 200-300 मछलियां भी बिकी हैं।

दुकानों में शाम को ही खत्म हो गई थी मछली, खाली हाथ लौटे ग्राहक

सुरेश भंसाली ने बताया कि इस बार छोटी मछली की इतनी मांग रही कि दुकानदारों को ग्राहकों को लौटाना पड़ा। मैंने खुद धनतेरस की रात करीब 50 ग्राहकों को लौटाया, क्योंकि हमारे पास मछली का स्टॉक खत्म हो गया था। किसी के पास एक भी मछली नहीं बची थी। रायपुर-दुर्ग में इस बार चांदी के सिक्के की जगह पूरी तरह मछली ने ले ली है।

दो सालों से लगातार चांदी की मछली पर हो रहा प्रवचन

व्यापारियों के मुताबिक पंडित प्रदीप मिश्रा 2024 में भी छत्तीसगढ़ आए थे, उन्होंने धनतेरस पर चांदी की मछली खरीदने के लिए भक्तों से अपील की थी। इसके बाद पिछले साल की दिवाली में भी लोगों की भीड़ चांद की मछली खरीदने उमड़ पड़ी थी।

सराफा व्यापारियों को इसकी भनक तक नहीं थी कि अचानक से लोग चांद की मछली की डिमांड करेंगे। इस साल 2025 में भी पंडित प्रदीप मिश्रा ने धनतेरस पर चांदी की मछली के फायदे भक्तों को बताए थे। इसे देखते हुए व्यापारियों ने पहले से ही तैयारी कर ज्यादा स्टॉक मंगाया था। लेकिन यह स्टॉक भी शाम होते तक खत्म हो गया। ग्राहक खाली हाथ लौटते रहे।

कथावाचक मिश्रा ने कथाओं में बताया शुभ और लाभकारी

पंडित प्रदीप मिश्रा ने अपनी कथाओं में चांदी की मछली को काफी शुभ बताया था। कहा था चांदी की मछली घर में धन, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाती है। पूजा स्थल के अलावा अपने दुकान के गल्ले में रखने से लक्ष्मी और कुबेर की कृपा लाती है, जिससे घर में धन का आगमन होता है और व्यापार में उन्नति होती है।

धनतेरस पर सोना, चांदी, बर्तन और कपड़े आदि की खरीदारी करना शुभ होता है। धनतेरस पर सोने-चांदी से बनी मछली और हाथी खरीदने से भी मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की विशेष कृपा होती है। वहीं, सराफा व्यापारियों ने बताया कि धनतेरस पर लक्ष्मी, गणेश, कुबेर, कछुआ की अधिक मांग रहती है। लेकिन इस बार चांदी की मछली की मांग काफी अधिक है।

ये फायदे भी बताए थे

  • चांदी की मछली के सुबह सबसे पहले दर्शन किए जाए तो दिन शुभ,अनुकूल रहता है और प्रसन्नता से व्यतीत होता है।
  • व्यापार में मनचाही प्रगति के लिए भी दुकान खोलते ही इसके दर्शन शुभ माने गए हैं।
  • करियर में तरक्की के लिए भी चांदी की मछली सजा कर रखी जाती है।
  • कहीं कहीं शादी में कन्या और वर को कन्या के पिता चांदी की मछली भेंट में देते हैं ताकि उनके जीवन में मिठास बनी रहे।
  • मछली के बारे में कहा जाता है कि जिस घर में वह पाली जाती है उस घर की आपदा अपने ऊपर ले लेती है।
  • पर्स में छोटी सी चांदी की मछली रखने से भी धन की आवक बनी रहती है।

2025 में छत्तीसगढ़ में पंडित प्रदीप मिश्रा की कथाएं

  • राजनांदगांव: 4 जनवरी 2025 से।
  • कोरबा: 12 से 18 जुलाई 2025 तक।
  • भिलाई: 30 जुलाई से 5 अगस्त 2025 तक।

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छत्तीसगढ़

रायपुर : अनुसूचित जाति के मेधावी विद्यार्थियों के लिए ‘श्रेष्ठ योजना’ हेतु आवेदन की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर

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गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए देश के श्रेष्ठ निजी आवासीय विद्यालयों में मिलेगा प्रवेश अवसर

रायपुर। अनुसूचित जाति के मेधावी विद्यार्थियों को देश के सर्वश्रेष्ठ निजी आवासीय विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से भारत सरकार की “श्रेष्ठ योजना” (Scheme for Residential Education for Students in High Schools in Targeted Areas – SHRESHTA) के तहत आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर 2025, शाम 5 बजे निर्धारित की गई है। इस योजना के अंतर्गत प्रतिवर्ष राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा के माध्यम से कक्षा 9 और 11 में प्रवेश के लिए 3000 नए विद्यार्थियों का चयन किया जाता है, जो कक्षा 12वीं तक की शिक्षा पूरी करते हैं। स्कूलों का आबंटन योग्यता और विद्यार्थियों की प्राथमिकता के आधार पर आनलाइन काउंसिलिंग के माध्यम से किया जाता है।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा वर्ष 2022-23 से संचालित यह योजना राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित निजी आवासीय विद्यालयों के माध्यम से अनुसूचित जाति वर्ग के विद्यार्थियों को कक्षा 9वीं एवं 11वीं में प्रवेश का अवसर प्रदान करती है। इसके लिए राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा “राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा (श्रेष्ठ)” (NETS) का आयोजन किया जाता है। आगामी परीक्षा दिसंबर 2025 में संभावित है।

श्रेष्ठ योजना के अंतर्गत प्रत्येक वर्ष सर्वोत्तम निजी आवासीय विद्यालयों का चयन का मापदंड ऐसे विद्यालय हैं जो न्यूनतम पाँच वर्षों से सतत रूप से संचालित हों, पिछले तीन वर्षों में कक्षा 10वीं एवं 12वीं की परीक्षाओं में कम से कम 75 प्रतिशत या उससे अधिक उत्तीर्णता दर प्राप्त कर चुके हों, तथा जिनके पास कक्षा 9वीं और 11वीं में अतिरिक्त रूप से कम से कम 10 अनुसूचित जाति विद्यार्थियों को समायोजित करने हेतु आवश्यक एवं उपयुक्त बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध हों।

इस योजना के अंतर्गत चुने गए विद्यार्थियों को शिक्षण एवं छात्रावास शुल्क का पूरा व्यय भारत सरकार द्वारा वहन किया जाता है। विद्यार्थियों को किसी प्रकार का शुल्क या अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होता। साथ ही, शैक्षणिक समायोजन में सहायता हेतु ‘ब्रिज कोर्स’ के लिए वार्षिक शुल्क का 10% तक का प्रावधान है।

योजना अंतर्गत ऑनलाइन आवेदन NTA की वेबसाइट पर किया जा सकता है। आवेदन सुधार हेतु विंडो 1 से 2 नवंबर 2025 तक खुली रहेगी। विस्तृत दिशा-निर्देश एवं सार्वजनिक सूचनाhttps://cdnbbsr.s3waas.gov.inपर उपलब्ध हैं।

राज्य शासन ने सभी जिलों के कलेक्टरों को निर्देशित किया है कि वे अपने जिलों में स्कूलों, वेबसाइटों और सोशल मीडिया के माध्यम से इस योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करें, ताकि पात्र विद्यार्थी समय पर आवेदन कर सकें और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के इस अवसर का लाभ उठा सकें।

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कोरबा

कलश यात्रा के साथ श्रीमद् देवी भागवत कथा का शुभारंभ

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कोरबा। कोरबा के पंडित रविशंकर शुक्ल नगर में 22 अक्टूबर को सुबह भव्य कलश यात्रा निकाली गई और इसके साथ श्रीमद् देवी भागवत का शुभारंभ हो गया। पंवार परिवार द्वारा 22 से 30 अक्टूबर तक संगीतमय श्रीमद् देवी भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा का आयोजन भूपेंद्र सिंह पंवार और श्रीमती विंध्यवासिनी पंवार द्वारा किया जा रहा है और आचार्य पंडित जनार्दन प्रसाद दुबे बरपाली वाले के श्रीमुख से आज 22 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक कथा का वाचन किया जाएगा।


कथा का कार्यक्रम:

  • 22 अक्टूबर: कलश यात्रा और कथा का शुभारंभ
  • 23 अक्टूबर: हयग्रीव अवतार कथा और कौरव-पांडव उत्पत्ति कथा
  • 24 अक्टूबर: भुवनेश्वरी देवी कथा और देवी मंत्र महात्म्य कथा
  • 25 अक्टूबर: वृत्तासुर कथा और वृत्ततनिहन्ति देवी कथा
  • 26 अक्टूबर: सरस्वती पूजन और हैहयवंशी राजाओं की कथा
  • 27 अक्टूबर: भगवान श्री कृष्ण के चरित्र का वर्णन
  • 28 अक्टूबर: श्री दुर्गा देवी कथा और देवी के अन्य अवतारों की कथा
  • 29 अक्टूबर: सदाचार वर्णन और गायत्री मां की महिमा
  • 30 अक्टूबर: गीता पाठ, तुलसी वर्षा, कपिला तर्पण, सहस्त्रधारा, कुमारी भोजन, ब्राह्मण भोजन और विसर्जन
    आयोजक परिवार:
  • पंवार परिवार ने नगरवासियों से इस कथा में शामिल होने और पुण्य लाभ प्राप्त करने का आग्रह किया है।

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छत्तीसगढ़

रायपुर : गोवर्धन पूजा के अवसर पर मुख्यमंत्री ने किया गौपूजन, प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की

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गोवर्धन पूजा के अवसर पर मुख्यमंत्री ने किया गौपूजन, प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की
गोवर्धन पूजा के अवसर पर मुख्यमंत्री ने किया गौपूजन, प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज मुख्यमंत्री निवास रायपुर में स्थित गौशाला में गोवर्धन पूजा के अवसर पर गौमाता की पूजा-अर्चना की और गौ माता को खिचड़ी खिलाकर गोसेवा की परंपरा निभाई। उन्होंने इस अवसर पर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि, शांति और खुशहाली की मंगलकामना की।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि गोवर्धन पूजा प्रकृति, गौवंश और पर्यावरण के प्रति आभार व्यक्त करने का पावन पर्व है। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं दी।

पूजा-अर्चना के बाद प्रसाद वितरण के दौरान मुख्यमंत्री श्री साय ने गौशाला में सेवा कर रहे गौसेवकों को अपने हाथों से मिठाई खिलाकर सम्मानित किया। उन्होंने गौसेवा के लिए उनकी सराहना करते हुए सभी से गौवंश की रक्षा एवं संरक्षण के कार्यों में आगे आने का आग्रह किया। इस दौरान मुख्यमंत्री श्री साय ने  गौशाला की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। गौसेवकों ने मुख्यमंत्री को बताया कि गौशाला में गौवंश की देखरेख की सभी व्यवस्था मौजूद है। 

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि गोवर्धन पूजा हमारे जीवन में प्रकृति, अन्न और पशुधन के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। गाय भारतीय संस्कृति की आधारशिला है, जो न केवल हमारे ग्रामीण जीवन से जुड़ी है, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था और आस्था दोनों का केंद्र भी है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ की मिट्टी में गोसेवा और प्रकृति पूजन की भावना गहराई से रची-बसी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गाय, अन्न और धरती का सम्मान करना उस मातृशक्ति को प्रणाम करना है, जिससे हमारा जीवन जुड़ा है। जब हम इन्हें नमन करते हैं, तब हम अपनी संस्कृति की जड़ों, अपनी आत्मा की गहराइयों और समृद्धि के स्रोतों को स्पर्श करते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी संस्कृति में गाय गौमाता के रूप में पूजनीय है, और इसी भावना के साथ राज्य सरकार गोसेवा को ग्रामीण विकास की धुरी बनाने के लिए कार्य कर रही है।

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