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सऊदी अरब को परमाणु हथियार देगा पाकिस्तान:रक्षा मंत्री बोले- भारत से जंग हुई तो सऊदी साथ देगा, 2 दिन पहले हुई डिफेंस डील
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1 week agoon
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Divya Akash
इस्लामाबाद,एजेंसी। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान अपने न्यूक्लियर हथियार सऊदी अरब के साथ शेयर करेगा। दोनों देशों के बीच बुधवार को एक रक्षा समझौता हुआ था, जिसके तहत अगर किसी एक देश पर हमला होता है, तो इसे दोनों पर हमला माना जाएगा।
आसिफ ने पाकिस्तानी न्यूज जियो टीवी को दिए साक्षात्कार में कहा, “हमारी परमाणु क्षमता पहले से अच्छी है। यह समझौता दोनों देशों को एक-दूसरे की रक्षा करने का वादा करता है। हमारे पास युद्ध के लिए ट्रेंड सेनाएं हैं। हमारे पास जो क्षमताएं हैं, वे इस समझौते के तहत निश्चित रूप से उपलब्ध होंगी।”
जब आसिफ से पूछा गया कि अगर भारत और पाकिस्तान में जंग होती है तो क्या सऊदी अरब इसमें पाकिस्तान की तरफ से शामिल होगा? इस पर ख्वाजा आसिफ ने कहा, “बिल्कुल, इसमें कोई शक की बात नहीं है।” हालांकि, उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया।
आसिफ बोले- हमले के लिए नहीं, रक्षा के लिए इस्तेमाल होगा
आसिफ ने कहा कि इस समझौते का इस्तेमाल किसी हमले के लिए नहीं, बल्कि रक्षा के लिए किया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब ने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को आर्थिक मदद दी है। पाकिस्तान के पास करीब 170 परमाणु हथियार हैं, जो भारत के 172 हथियारों के लगभग बराबर हैं।
आसिफ ने आगे कहा कि न तो सऊदी अरब ने किसी खास देश का नाम लिया और न ही हमने किसी का नाम लिया। यह बस एक अम्ब्रेला है जो दोनों को मिला है, जिसमें नियम है कि किसी एक पर भी हमला होता है तो दोनों मिलकर उसका जवाब देंगे। आसिफ ने यह भी कहा कि यह कोई ‘आक्रामक समझौता नहीं’, बल्कि ‘रक्षा व्यवस्था’ है।
विदेश मंत्री बोले- PAK दूसरे देशों के साथ भी ऐसी डिफेंस डील करेगा
पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा कि सऊदी अरब के साथ हुए ऐतिहासिक रक्षा समझौते के बाद कई देशों ने पाकिस्तान के साथ ऐसे ही रणनीतिक रक्षा समझौते करने में रुचि दिखाई है।
लंदन में पत्रकारों से बात करते हुए डार ने कहा कि अभी जल्दी है कुछ कहना, लेकिन इस समझौते के बाद अन्य देशों ने भी इस तरह की व्यवस्था की इच्छा जताई है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे समझौते एक नियम के तहत ही तय होते हैं।
सऊदी अरब के साथ समझौते को अंतिम रूप देने में ही कई महीने लगे थे। डार ने समझौते को एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया और कहा कि पाकिस्तान और सऊदी अरब दोनों इससे संतुष्ट और खुश हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि सऊदी अरब ने हमेशा मुश्किल वक्त में पाकिस्तान का साथ दिया है, खासकर हालिया अंतर्राष्ट्रीय और आर्थिक संकट के दौरान।
सऊदी-पाक डिफेंस कॉर्पोरेशन डेवलप करेंगे
बुधवार को हुए समझौते पर दोनों देशों ने एक जॉइंट स्टेटमेंट में कहा कि यह समझौता दोनों देशों की सुरक्षा बढ़ाने और विश्व में शांति स्थापित करने की प्रतिबद्धता को दिखाता है।
इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच डिफेंस कॉर्पोरेशन भी डेवलप किया जाएगा। रॉयटर्स के मुताबिक इस समझौते के तहत मिलिट्री सहयोग किया जाएगा। इसमें जरूरत पड़ने पर पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का इस्तेमाल भी शामिल है।

17 सिंतबर को सऊदी अरब की राजधानी रियाद के यमामा पैलेस क्राउन प्रिंस और शहबाज शरीफ ने बैठक की थी।
समझौते के वक्त पाकिस्तानी सेना प्रमुख भी मौजूद थे
शहबाज शरीफ के साथ पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर, उप प्रधानमंत्री इशाक डार, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ, वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब और हाई लेवल डेलिगेशन सऊदी पहुंचा था।
जिस वक्त इस रक्षा समझौते पर साइन किए जा रहे थे, तब पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर भी वहां मौजूद थे।
एक अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि यह समझौता किसी खास देश या घटना के खिलाफ नहीं हुआ है, बल्कि दोनों देशों के बीच लंबे समय तक चलने वाले गहरे सहयोग का आधिकारिक रूप है।

सऊदी प्रिंस सलमान के साथ शहबाज शरीफ और पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बोले- भारत पर असर की जांच करेंगे
सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच रक्षा समझौते पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था
यह समझौता दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद संबंधों को औपचारिक रूप देता है। इससे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर क्या असर पड़ेगा, इसकी जांच की जाएगी। भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

पाकिस्तान ने नाटो जैसी फोर्स बनाने का सुझाव दिया था
इजराइल ने 9 सितंबर को कतर की राजधानी दोहा में हमास चीफ खलील अल-हय्या को निशाना बनाकर हमला किया था। इस हमले में अल-हय्या बच तो गया था, लेकिन 6 अन्य लोगों की मौत हो गई थी।
इसके बाद 14 सितंबर को दोहा में मुस्लिम देशों के कई नेता इजराइल के खिलाफ एक खास बैठक के लिए इकट्ठा हुए थे। यहां पाकिस्तान ने सभी इस्लामी देशों को NATO जैसी जॉइंट फोर्स बनाने का सुझाव दिया था।
पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री मोहम्मद इशाक डार ने एक जॉइंट डिफेंस फोर्स बनाने की संभावना का जिक्र करते हुए कहा था कि न्यूक्लियर पावर पाकिस्तान इस्लामिक समुदाय (उम्माह) के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाएगा।

रविवार को इस्लामी देशों के नेताओं ने इजराइल के खिलाफ बंद कमरे में मीटिंग की।
एक्सपर्ट बोले- यह समझौता औपचारिक ‘संधि’ नहीं है
अफगानिस्तान और इराक में अमेरिका के राजदूत रह चुके जलमय खलीलजाद ने भी इस समझौते पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यह समझौता हालांकि औपचारिक ‘संधि’ नहीं है, लेकिन इसकी गंभीरता को देखते हुए यह एक बड़ी रणनीतिक साझेदारी मानी जा रही है।
खलीलजाद ने आगे कहा कि क्या यह समझौता कतर में इजराइल हमले के जवाब में किया गया है? या ये लंबे समय से चली आ रही अफवाहों की पुष्टि करता है कि सऊदी अरब, पाकिस्तान के एटमी हथियार प्रोग्राम का अघोषित सहयोगी रहा है।
खलीलजाद ने पूछा कि क्या इस समझौते में सीक्रेट क्लॉज हैं, अगर हां, तो वे क्या हैं? क्या ये समझौता बताता है कि सऊदी अरब अब अमेरिका की सुरक्षा गारंटी पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहता है।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार और ऐसे मिसाइल सिस्टम हैं जो पूरे मिडिल ईस्ट और इजराइल तक मार कर सकते हैं। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि पाकिस्तान ऐसे हथियार भी डेवलप कर रहा है जो अमेरिका तक पहुंच सकते हैं।
अमेरिका के साथ भी पाकिस्तान ने सऊदी जैसा रक्षा समझौता किया था
पाकिस्तान ने सऊदी जैसा रक्षा समझौता अमेरिका के भी साथ किया था। 1979 में ये समझौता टूट गया था। उससे पहले भारत पाकिस्तान के बीच 2 जंग हुईं लेकिन एक में भी अमेरिका ने उसकी सीधे मदद नहीं की।
पाकिस्तान-अमेरिका का पुराना रक्षा समझौता: 1950 में कोल्ड वॉर के दौरान, अमेरिका ने सोवियत संघ के विस्तार को रोकने के लिए दक्षिण एशिया में सहयोगियों की तलाश की। इस समय पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ सैन्य गठबंधन को अपनाया।
- म्यूचुअल डिफेंस असिस्टेंस एग्रीमेंट (MDAA), 19 मई 1954: यह पाकिस्तान और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय समझौता था। इसमें म्यूचुअल डिफेंस के नियम थे, यानी दोनों देश एक-दूसरे को सैन्य सहायता (हथियार, प्रशिक्षण, उपकरण) देंगे। अमेरिका ने पाकिस्तान को सामूहिक सुरक्षा प्रयासों (जैसे सामान्य जंग में) में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसमें पाकिस्तान के रिसोर्स, सैनिक और रणनीतिक सुविधाएं शामिल थीं। यह समझौता अमेरिका के म्यूचुअल डिफेंस असिस्टेंस एक्ट (1949) पर बेस्ड था, जो यूरोप और एशिया में सहयोगियों को सैन्य सहायता देता था।
- SEATO (1954) और CENTO (1955): MDAA के बाद पाकिस्तान ने साउथ ईस्ट एशिया ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (SEATO) और बगदाद पैक्ट (बाद में CENTO) में शामिल होकर इसे मजबूत किया। इन संगठनों के अनुच्छेदों में किसी एक पर हमले में सामूहिक प्रतिक्रिया का प्रावधान था, यानी एक सदस्य पर आक्रमण को सभी पर आक्रमण माना जाएगा (नाटो जैसा)। अमेरिका ने इनके तहत पाकिस्तान को 7 हजार करोड़ से ज्यादा की सैन्य सहायता दी, जिसमें हथियार और प्रशिक्षण शामिल थे।

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भारत बोला- पाकिस्तानी पीएम ने UN में बेतुकी नौटंकी की:जले एयरबेस जीत हैं, तो जश्न मनाएं, शरीफ ने जंग जीतने का दावा किया था
Published
3 hours agoon
September 27, 2025By
Divya Akash
वॉशिंगटन डीसी,एजेंसी। भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने और झूठ बोलने का आरोप लगाया है। भारतीय राजनयिक पेटल गहलोत ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र (UN) में कहा, ‘पाकिस्तान के पीएम ने बेतुकी नौटंकी की। वे आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं, जो उनकी विदेश नीति का हिस्सा है। कोई भी ड्रामा या झूठ सच को नहीं छिपा सकता।’
भारत के स्थायी मिशन की प्रथम सचिव पेटल गहलोत ने ‘राइट टू रिप्लाई’ का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान के दावों को खारिज किया। उन्होंने कहा, ‘9 मई तक पाकिस्तान भारत पर हमले की धमकी दे रहा था। 10 मई को भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कई एयरबेस को नष्ट कर दिया। इसके बाद पाकिस्तान ने जंग रोकने की गुहार लगाई।
पाकिस्तानी PM जिस ‘जीत’ की बात कर रहे हैं, वह दरअसल भारतीय हमले में नष्ट हुए उनके एयरबेस, जले हुए हैंगर और टूटे हुए रनवे की तस्वीरें हैं, जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं। अगर पाकिस्तान इन्हें जीत मानता है, तो जश्न मनाए।’
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शुक्रवार को UN में भारत को दुश्मन बताया। साथ ही दावा किया कि भारत के साथ हुए संघर्ष में पाकिस्तान की जीत हुई थी और भारत के 7 विमान गिराए थे।
भारत-पाकिस्तान के बीच तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं
गहलोत ने कहा, ‘भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मुद्दे द्विपक्षीय बातचीत से हल होंगे। इसमें किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है।’
उन्होंने पाकिस्तान के शांति के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनका देश नफरत में डूबा है। भारत ने साफ किया कि वह आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएगा।
गहलोत बोलीं- पाकिस्तान आतंकवादियों को सम्मान देता है
गहलोत ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के बहावलपुर और मुरीदके में मारे गए आतंकियों का जिक्र किया और कुख्यात आतंकवादियों को श्रद्धांजलि और सम्मान देने का भी आरोप लगाया।
गहलोत ने आगे कहा, ‘एक तस्वीर हजार शब्द बयां करती है और हमने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बहावलपुर और मुरीदके के आतंकी परिसरों में मारे गए आतंकवादियों की कई तस्वीरें देखीं। जब पाकिस्तानी सैन्य और अधिकारी खुलकर आतंकवादियों को श्रद्धांजलि देते हैं, तो क्या इससे शासन पर संदेह नहीं होगा?’

लश्कर के आतंकी ठिकाने मुरीदके में पाकिस्तानी सैनिकों के लोग आतंकियों के नमाज-ए-जनाजा में शामिल हुए थे। तस्वीर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान की है।

कोर कमांडरों को जनाजे में शामिल होने और वर्दी में उसकी सुरक्षा करने के लिए कहा गया था।
आतंकवादी शिविरों को बंद करे पाकिस्तान
गहलोत ने जोर देकर कहा, ‘सच्चाई यह है कि पहले की ही तरह, पाकिस्तान भारत में बेगुनाहों पर आतंकवादी हमले के लिए जिम्मेदार है। हमने अपने लोगों की रक्षा करने और जवाब देने के अधिकार का प्रयोग किया है, साथ ही अपराधियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया है।’
उन्होंने पाकिस्तान से तुरंत सभी आतंकवादी शिविरों को बंद करने और सभी आतंकवादियों को सौंपने की मांग की। गहलोत ने चेतावनी दी कि भारत ‘परमाणु ब्लैकमेल’ के आगे झुके बिना आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों दोनों को जवाबदेह ठहराएगा।
पाकिस्तान ने ओसामा बिन लादेन को दस साल तक छिपाया
गहलोत ने बताया कि इस साल अप्रैल में पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक आतंकी संगठन को बचाया था। उन्होंने कहा, ‘यह वही पाकिस्तान है जिसने 25 अप्रैल, 2025 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रेजिस्टेंस फ्रंट को बचाया था। यह संगठन जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों की हत्या के लिए जिम्मेदार था।’
उन्होंने आगे कहा, ‘पाकिस्तान ने ओसामा बिन लादेन को दस साल तक छिपाया। उनके मंत्री अब स्वीकार कर रहे हैं कि वे दशकों से आतंकी शिविर चला रहे हैं।’
भारत ने PAK के एयरबेस तबाह किए थे
भारत-पाकिस्तान के बीच सबसे बड़ी लड़ाई 9 और 10 मई की रात को हुई, जो 10 मई की दोपहर तक चली। भारत ने इस दौरान पाकिस्तान के अलग-अलग इलाकों में बने एयरबेस को निशाना बनाया था।
भारतीय वायुसेना ने 9 मई को पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस, सरगोधा और मुरीद हवाई अड्डों पर हमला किया। इन ठिकानों पर मौजूद कमांड और कंट्रोल केंद्र (C2 सेंटर) नष्ट कर दिए गए थे।
10 मई की सुबह भारतीय वायुसेना ने फिर से हमला किया। उसने सरगोधा, रफीकी, रहीमयार खान, जैकोबाबाद, भोलारी और कराची के पास एयरपोर्ट को निशाना बनाया था।

भारतीय एयरस्ट्राइक में PAK एयरबेस पर हुए नुकसान की सैटेलाइट तस्वीरें। ये फोटो प्राइवेट कंपनी मक्सर (Maxar) ने जारी किए थे।
पाकिस्तानी पीएम ने कश्मीर मुद्दा फिर उठाया
पाकिस्तान के पीएम शरीफ ने हर साल की तरह कश्मीर का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, ‘मैं कश्मीरी लोगों के साथ हूं। पाकिस्तान उनके साथ है। भारत का कश्मीर में अत्याचार जल्द खत्म होगा।’
शरीफ ने कश्मीर के लिए संयुक्त राष्ट्र के तहत जनमत संग्रह की मांग की। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान आतंकवाद की निंदा करता है और तहरीक-ए-तालिबान और बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी जैसे समूहों को विदेशी समर्थन मिलता है। भारत ने इन टिप्पणियों को खारिज करते हुए कहा कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देता है।
UN में बोले- कट्टरपंथी हिंदुत्व दुनिया के लिए खतरा
शहबाज ने कहा कि उन्होंने पहलगाम हमले की निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय जांच की अपील की थी, लेकिन भारत ने उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और उस त्रासदी का राजनीतिक फायदा उठाया। भारत का कट्टरपंथी हिंदुत्व दुनिया के लिए एक गंभीर खतरा है।
शरीफ ने कहा कि वे पिछले साल ही UN के मंच से चेतावनी दे चुके थे कि पाकिस्तान किसी बाहरी हमले को सहने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि उनकी चेतावनी सच साबित हुई। इस साल मई में बिना उकसावे के पाकिस्तान पर हमला हुआ।
विदेश
खुलासाः ट्रंप की मोदी-पुतिन दोस्ती तुड़वाने की साजिश नाकाम, भारत पर 500% टैरिफ लगाने का प्लान फेल
Published
2 days agoon
September 25, 2025By
Divya Akash
वाशिंगठन, एजेंसी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी टीम पर अब यह आरोप लग रहा है कि उन्होंने भारत पर आर्थिक दबाव बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दोस्ती कमजोर करने की कोशिश की। इसी मकसद से अमेरिकी संसद में एक बिल पेश किया गया था, जिसमें रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर खास कर भारत पर 500% तक टैरिफ लगाने का प्रस्ताव था। हालांकि, यह योजना भारी आलोचना के बाद ध्वस्त हो गई।
ट्रंप का भारत विरोधी प्लान
ट्रंप प्रशासन ने यूक्रेन युद्ध का हवाला देकर कहा था कि रूस की तेल आय रोकनी होगी। लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक यह कदम दरअसल भारत को अलग-थलग करने की कोशिश थी। भारत, जो अमेरिका का सबसे भरोसेमंद रणनीतिक साझेदार है, उसके ऊपर अतिरिक्त आर्थिक दबाव डालना सही नहीं माना गया। वर्तमान में भारत पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है, जिससे अमेरिकी टैरिफ कुल मिलाकर 50% तक पहुंच गया है।
चाबहार बंदरगाह की छूट खत्म
अमेरिका ने ईरान से जुड़े चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट में भारत को दी गई विशेष छूट भी रद्द कर दी। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि इससे ईरान की आईआरजीसी (इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स) की आय पर रोक लगेगी। लेकिन आलोचकों का कहना है कि इस फैसले से भारत-अफगानिस्तान-ईरान सहयोग और क्षेत्रीय संतुलन पर गलत असर पड़ेगा।
H1B वीजा धारकों पर नया बोझ
ट्रंप प्रशासन ने भारतीय आईटी पेशेवरों को झटका देते हुए नए एच1बी आवेदकों पर **100,000 डॉलर का अतिरिक्त शुल्क** थोप दिया। इससे हजारों भारतीय छात्रों और पेशेवरों को अमेरिका जाने में मुश्किल बढ़ गई है। हालांकि, पुराने वीजा धारकों को इस शुल्क से छूट दी गई है। कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की इन नीतियों का सीधा मकसद भारत पर दबाव बनाना था, ताकि मोदी सरकार रूस से दूरी बनाए। लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि वह अपनी ऊर्जा और रणनीतिक साझेदारी के फैसले स्वतंत्र रूप से लेगा। इसी वजह से ट्रंप का “500% टैरिफ प्लान” धराशायी हो गया और उनकी साजिश नाकाम मानी जा रही है।
देश
हर महीने 5,500 नौकरियों पर संकट के बादल, भारत पर सबसे बड़ा असर
Published
3 days agoon
September 24, 2025By
Divya Akash
वाशिंगठन, एजेंसी। ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीज़ा के लिए आवेदन शुल्क $1,00,000 कर दिया है, जिससे हर महीने करीब 5,500 नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं। जेपी मॉर्गन के अर्थशास्त्री अबिएल राइनहार्ट और माइकल फेरोली के अनुसार यह टेक कंपनियों और भारतीय कर्मचारियों पर सबसे अधिक असर डालेगा।
FY24 में H-1B अप्रूवल्स में लगभग दो-तिहाई कंप्यूटर से जुड़े रोल और आधे पेशेवर, वैज्ञानिक और तकनीकी सेवाओं के लिए थीं। अप्रूव किए गए वीज़ा में 71% भारतीय नागरिक थे। पिछले साल 1,41,000 नए H-1B आवेदन स्वीकृत हुए, जिनमें से 65,000 का निपटारा विदेश से हुआ था।
रेवेलियो लैब्स की वरिष्ठ अर्थशास्त्री लोजजैना अब्देलवाहेद ने कहा कि इतनी भारी शुल्क वृद्धि H-1B सिस्टम को “व्यावहारिक रूप से खत्म” कर सकती है, जिससे सालाना लगभग 1,40,000 नौकरियां प्रभावित होंगी। अमेरिकी श्रम बाजार पहले ही धीमा है, औसतन पिछले तीन महीनों में 29,000 पेरोल्स प्रति माह जुड़ी हैं।
कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा ने इस नीति की आलोचना की, कहा कि यह टेक-ड्रिवेन अर्थव्यवस्था के लिए “अनिश्चितता और अप्रत्याशिता” बढ़ाता है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका कार्यालय देख रहा है कि क्या नया शुल्क प्रशासनिक प्रक्रिया अधिनियम का उल्लंघन करता है।
H-1B वीज़ा प्रोग्राम अमेरिकी टेक, फाइनेंस और कंसल्टिंग कंपनियों के लिए कुशल विदेशी कर्मचारियों को लाने का अहम जरिया है। इस नई फीस के बाद कंपनियों को तय करना होगा कि वे महंगी फीस चुकाकर विदेशी टैलेंट रखें या घरेलू हायरिंग बढ़ाएं।



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