बिलासपुर,एजेंसी। छत्तीसगढ़ में भांग की खेती को बढ़ावा देने की जनहित याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने इसे समाज के लिए खतरा बताया और कहा कि राज्य में नीति निर्धारण करना राज्य सरकार और कार्यपालिका का विशेषाधिकार है। यह कोर्ट का क्षेत्राधिकार नहीं है।
दरअसल, बिलासपुर के तिलक नगर निवासी डॉ. सचिन काले ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी। इसमें उन्होंने प्रदेश में उद्योग के तौर पर भांग की खेती को वैध घोषित करने की मांग की थी। अपनी याचिका में भांग को ‘गोल्डन प्लांट’ बताते हुए इसके औद्योगिक, औषधीय और आर्थिक उपयोग की वकालत की गई थी।
नियमों के मुताबिक भांग को औद्योगिक भांग के रूप में परिभाषित करने, राज्य स्तरीय बोर्ड बनाकर खेती की अनुमति देने की मांग की गई थी। साथ ही दावा किया गया कि इससे किसानों को लाभ मिलेगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
छत्तीसगढ़ में भांग की खेती को बढ़ावा देने की याचिका को HC ने खारिज किया।
राज्य शासन के पास है लाइसेंस देने का अधिकार
याचिका में प्राचीन ग्रंथों, ब्रिटिश कालीन आयोग की रिपोर्ट और भारत सरकार की कुछ नीतियों का उल्लेख करते हुए भांग को भारतीय संस्कृति और चिकित्सा में महत्वपूर्ण बताया। उनका कहना था कि टीएचसी यानी टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल की मात्रा 0.3% से कम होने पर यह पौधा नशे के लिए अनुपयुक्त होता है।
इस संबंध में याचिकाकर्ता ने फरवरी 2024 में सरकार और संबंधित अधिकारियों को इस विषय में पत्र दिया था। लेकिन, अब तक कोई जवाब नहीं मिला। जिसके कारण उन्होंने जनहित याचिका लगाई है।
इसमें एनडीपीएस एक्ट की धारा 10 और 14 का हवाला देते हुए तर्क दिया कि राज्य सरकार के पास इस खेती के लिए लाइसेंस देने का अधिकार है, जिसका अब तक उपयोग नहीं किया गया।
हाईकोर्ट ने कहा- मूल्यहीन और पूरी तरह अनुचित है याचिका
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु ने इस जनहित याचिका को पूरी तरह से मूल्यहीन और अनुचित मानते हुए कहा कि जनहित याचिकाएं तभी मंजूर की जाती है, जब उनका उद्देश्य वास्तविक सार्वजनिक हित में हो, न कि व्यक्तिगत उद्देश्य साधने के लिए।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि एनडीपीएस एक्ट के तहत भांग की खेती तभी संभव है जब वह चिकित्सा, वैज्ञानिक या बागवानी उद्देश्यों के लिए हो और उसके लिए कानूनी अनुमति प्राप्त की गई हो।
अनुमति देना समाज के लिए खतरा
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि राज्य में वैसे भी नशीले पदार्थों के उपयोग से समस्या बढ़ रही है। ऐसे में भांग की खेती की अनुमति देना समाज के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में नीति निर्धारण सरकार और कार्यपालिका का विशेषाधिकार होता है, और कोर्ट इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
कोरबा। पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने 25 दिसम्बर गुरूवार को क्रिसमस डे के मौके पर कोरबा सहित प्रदेशवासियों को प्रभु ईसा मसीह जयंती पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी है।
पूर्व मंत्री श्री अग्रवाल ने अपने शुभकामना संदेश में कहा है कि प्रभु यीशु मसीह ने समाज को प्रेम, करूणा, क्षमा एवं समानता का संदेश दिया है। उन्हो´ने गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करने एवं आपसी भाईचारा के साथ रहने की सीख दी है। प्रभु यीशु के संदेश हमेशा समाज के लिए प्रेरक एवं अनुकरणीय रहेंगे।
4.76 करोड़ की अनुमानित लागत से 116 मीटर लंबे और 7.8 मीटर चौड़े पुल की होगी संरचनात्मक मरम्मत
कोरबा। राष्ट्रीय राजमार्ग-130 के कटघोरा-शिवनगर खंड के अंतर्गत गुरसियाँ में स्थित तान नदी पुल के मरम्मत एवं रखरखाव के लिए निविदा प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। लगभग चार करोड़ 76 लाख रुपए की अनुमानित लागत से 116 मीटर लंबे और 7.8 मीटर चौड़े पुल की संरचनात्मक मरम्मत की जाएगी। पुल पर पूर्ण क्षमता के साथ शीघ्र यातायात सुचारु करने के लिए मरम्मत के कार्य को दो महीने में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा यात्रियों की सुरक्षा और सुगम आवागमन को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखते हुए तत्परता से सड़कों और पुलों की मरम्मत सुनिश्चित की जा रही है। तान नदी पुल की स्थिति और यातायात के दबाव को देखते हुए इसे आकस्मिक मरम्मत एवं रखरखाव (Emergent Work) की श्रेणी में रखा गया था। इसके लिए प्राप्त निविदाओं को आज खोल दिया गया है। तकनीकी और वित्तीय मूल्यांकन के बाद जल्दी ही चयनित एजेंसी को कार्यादेश जारी कर दिया जाएगा।
कोरबा। कोरबा में धर्मांतरण के विरोध में बुलाए गए बंद के आह्वान पर शहर के मुख्य चौक-चौराहों पर दुकानें बंद रहीं। निहारिका घंटाघर, सुभाष चौक, कोसाबाड़ी और टीपी नगर जैसे प्रमुख क्षेत्रों में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने दुकानें बंद कराईं। सुबह खुली कई दुकानों को निवेदन कर बंद कराया गया।
यह बंद कांकेर के आमाबेड़ा में धर्मांतरण के विरोध में हुई हिंसा के खिलाफ सर्व समाज के आह्वान पर बुलाया गया था। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए बंद के दौरान पुलिस और सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था।
सक्रिय दिखा हिंदू संगठन
कोरबा में हिंदू संगठन से जुड़े महिला और पुरुष कार्यकर्ता सक्रिय दिखे। सीतामढ़ी चौक से लेकर शहर के कई हिस्सों में खुली दुकानों को बंद करने का अनुरोध किया गया। लाउडस्पीकर के माध्यम से भी दुकानदारों से बंद का समर्थन करने की अपील की गई।
विभिन्न हिंदू संगठन अलग-अलग गुटों में काम कर रहे थे। एक गुट सीतामढ़ी से कोरबा शहर तक दुकानें बंद करा रहा था, जबकि दूसरा निहारिका घंटाघर से कोसाबाड़ी चौक तक सक्रिय था।
छत्तीसगढ़ बंद का कोरबा में भी समर्थन
हिंदू संगठन से जुड़े अजय विश्वकर्मा ने बताया कि बस्तर में ईसाई समुदाय और हिंदू आदिवासियों के बीच हुआ विवाद एक दुखद घटना है। उन्होंने आदिवासी भाइयों पर हुए हमले को गलत बताया। इसी के विरोध में पूरे छत्तीसगढ़ में बंद का आह्वान किया गया है, जिसका कोरबा में भी समर्थन किया जा रहा है।
विश्वकर्मा ने यह भी कहा कि कोरबा में भी धर्म परिवर्तन के मामले बढ़ रहे हैं। रूमगड़ा, कटघोरा, करतला क्षेत्रों के अलावा कोरबा शहर में भी ऐसे मामले सामने आए हैं, जिससे कई बार विवाद की स्थिति बनी है। पुलिस ने ऐसे मामलों में कई बार केस भी दर्ज किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रलोभन और झूठ बोलकर लोगों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है, जिससे कोरबा में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।
सर्व हिंदू समाज द्वारा चलाए जा रहे इस आंदोलन के तहत, खुले दुकानदारों से पूछा जा रहा था कि क्या वे धर्म परिवर्तन का समर्थन करते हैं। उनसे कहा गया कि यदि वे समर्थन नहीं करते, तो अपनी दुकानें बंद रखें।