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कोरबा

पाठशालाओं में जब बजेगी घण्टी, होगी स्कूलों में शिक्षकों की गारंटी

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युक्ति युक्तकरण से प्रदेश के शिक्षकविहीन शालाओ में हुई नियमित शिक्षको की नियुक्ति

शैक्षणिक माहौल बदलेगा,गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी

मोदी की गारण्टी को पूरा करने के साथ ही पाठशालाओं में शिक्षकों की व्यवस्था की दिशा में उठाया गया क्रांतिकारी कदम
(विशेष लेख-कमलज्योति)कोरबा

टन… टन.. टन… टन… घण्टी की यह आवाज अब फिर से स्कूलों में सुनाई देने ही वाली है। ग्रीष्म अवकाश के बाद लम्बे दिनों के अंतराल में क्लास रूम की चहल-पहल में क, ख, ग और ए,बी,सी,डी की शोर भी सुनाई देगी। बीते हर साल की तरह स्कूलों के पट खुलने के साथ पहली बार स्कूल आने वाले विद्यार्थियों के माथे पर तिलक लगाएं जाएंगे। मिठाइयां खिलाई जाएंगी और कलम,किताब, ड्रेस देकर उनका अभिनंदन भी किया जाएगा। इन सबके बीच इस साल कुछ नया भी होगा। पाठशालाओं के दहलीज पर कदम रखकर भविष्य बनाने आएँ दूरस्थ क्षेत्र के उन हजारों विद्यार्थियों को नियमित शिक्षक भी मिलेंगे, जहाँ कोई शिक्षक पदस्थ नहीं था। प्रदेश के लगभग 6 हजार एकल शिक्षकीय विद्यालय में अतिशेष शिक्षको का समायोजन किया गया है, जिससे 4 हजार 721 विद्यालय लाभान्वित हुए है। वही युक्ति युक्तकरण से पूर्व प्रदेश भर में 453 शिक्षकविहीन विद्यालय थे। इन विद्यालयों में से 446 विद्यालयों में अतिशेष शिक्षको की पदस्थापना कर राज्यशासन ने शिक्षक की कमी से वंचित विद्यार्थियों के भविष्य को गढ़ने के साथ ही पाठशालाओं की घण्टी बजने के साथ ही शिक्षको की गारंटी भी सुनिश्चित कर दी है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय सरकार ने प्रदेश की कमान सम्हालने के साथ ही अनेक साहसिक निर्णय लेकर मोदी की गारण्टी को पूरा करने के दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। शपथ लेने के पश्चात केबिनेट की पहली ही बैठक में 18 लाख पीएम आवास निर्माण के लिए निर्णय लेने के बाद, 31 सौ रुपए प्रति क्विंटल में धान खरीदी, 21 क्विंटल प्रति एकड़ के मान से धान खरीदी, तेन्दूपत्ता खरीदी में प्रति मानक बोरा की राशि को बढ़ाते हुए चार हजार से 5500 करने के साथ ही किसानों को दो साल के बकाया बोनस की राशि और मोदी की गारण्टी में शामिल योजनाओं को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाया।


यह भी सर्वविदित ही है कि प्रदेश के विद्यालयों में लंबे समय से शिक्षकों की कमी थी। खासकर प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में अनेक ऐसे विद्यालय थे जहाँ लम्बे समय से शिक्षक नहीं थे तो कुछ में एकमात्र शिक्षक ही पदस्थ थे। राज्य शासन ने स्कूल शिक्षा विभाग के माध्यम से प्रदेश भर में शिक्षको की स्थितियों को जब परीक्षण किया तो पाया कि छात्र संख्या के आधार पर एक शिक्षक के पीछे विद्यार्थियों की जितनी संख्या होनी चाहिए थीं,इसमे भी अनेक खामी थी। कहने का तात्पर्य यह है कि अनेक विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या कम थी,लेकिन शिक्षकों की संख्या अधिक, अनेक विद्यालयों में गणित,जीवविज्ञान, रसायन,भौतकी,अंग्रेजी सहित महत्वपूर्ण विषयों की शिक्षकों की कमी थी तो कई ऐसे भी विद्यालय थे जहाँ एक से अधिक विषयों के शिक्षक थे। इन्हीं असमानताओं की वजह से प्राथमिक शाला से लेकर हायर सेकण्डरी के हजारों विद्यार्थियों को जो शिक्षा मिलनी चाहिए थी वह मिल नहीं पा रही थी। विद्यार्थियों को स्कूल की दहलीज में पहली बार कदम रखने से लेकर कैरियर बनाने के महत्वपूर्ण पड़ाव में शिक्षको की कमी बाधा साबित हो रही थी। राज्य शासन ने जब अतिशेष शिक्षको की संख्या निकालकर युक्ति युक्तकरण की प्रक्रिया अपनाई तो निःसंदेह ऐसे विद्यालयों की तस्वीर ही बदल गई है। दूरस्थ क्षेत्र के विद्यार्थियों ही नहीं पालकों में भी खुशी की लहर है। अब उनके स्कूलों में भी शिक्षक की व्यवस्था होगी यह जानकर वे भी स्कूल आने के लिए रोमांचित है।


राज्य शासन द्वारा युक्ति युक्तकरण के लिए गए फैसले और अपनाई गई प्रक्रिया से शिक्षकविहीन 453 स्कूलों में से 446 अब शिक्षकविहीन नहीं रहेंगे। 5936 एकलशिक्षकीय विद्यालय में से 4721 में अब एकलशिक्षकीय नहीं होगी। यहाँ कम से कम दो या तीन शिक्षक अध्यापन कराएंगे। खासबात यह भी है कि सुदूरवर्ती इलाकों के विद्यालयों जहां गरीब और अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों की संख्या अधिक है वहाँ के सरकारी स्कूलों में भी अब पर्याप्त शिक्षक होंगे।


युक्ति युक्तकरण से बस्तर संभाग के अंतर्गत बस्तर में 25, बीजापुर के 76, नारायणपुर के 14, सुकमा के 29,कोंडागांव के 10 प्राथमिक शाला शिक्षकविहीन थे। अब सभी विद्यालय में शिक्षक पदस्थ कर दिए गए हैं। इसी तरह गरियाबंद के 17, महासमुंद के 14, कोरबा के 14, रायगढ़ के 21, सरगुजा के 14, बालोद के 16, मोहला मानपुर अम्बागढ़ चौकी के 13,बलरामपुर जिले के 14 प्राथमिक शाला शिक्षकविहीन थे। इन सभी विद्यालयों में अब अतिशेष शिक्षको के समायोजन के पश्चात वर्षों से रिक्त स्थानों में नियमित शिक्षको की उपलब्धता सुनिश्चित हो गई है। प्रदेश के मिडिल स्कूलो में भी एकलशिक्षकीय से द्वि शिक्षकीय और कई विद्यालयों में तीन शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित हो गई है। शासन के इस फैसले से पालकगण भी खुश है। कल तक शिक्षको की कमी से जूझते विद्यालय में अपने बच्चों को भेजने के साथ ही जो चिंतित थे अब उनके आँखों मे अपने बच्चों की बेहतर भविष्य का सपना सजने लगा है।

गणित,भौतकी, रसायन, जीवविज्ञान में नहीं होंगे कमजोर

प्राथमिक और माध्यमिक शाला के अतिशेष शिक्षकों को दूरस्थ क्षेत्रों के शिक्षकविहीन और एकलशिक्षकीय विद्यालयों में पदस्थ किए जाने से जहाँ दूरस्थ क्षेत्र के विद्यालयों में शिक्षा की नींव मजबूत होगी वहीं मिडिल और हाई स्कूलों से निकलने के बाद हायर सेकण्डरी में पहुँचने वाले विद्यार्थियों को भी अब गणित,भौतकी, रसायन, जीवविज्ञान,अंग्रेजी जैसे विषयों में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। विद्यालय में सम्बंधित विषय का पाठ्यक्रम संचालित होने के बाद भी विषय के व्याख्याता नहीं होने का खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ता था। अतिशेष व्याख्याताओं का पदस्थापना रिक्त विषय वाले विद्यालयों में हो जाने से उन्हें भी स्कूल में संबंधित विषयों को पढ़ने में आसानी होगी और वे अपने विषय शिक्षक से उचित मार्गदर्शन प्राप्त कर पाएंगे। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों में कला विषय चयन करने के अलावा गणित,विज्ञान विषय चयन करने में रुचि जागेगी।

पाठ्यक्रम समय पर होगा पूरा

अतिशेष शिक्षको के समायोजन से दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यालयों के विद्यार्थियों को भी लाभ मिलेगा। उनके विद्यालय में पर्याप्त शिक्षक पदस्थ होंगे और समय पर सभी विषयों के कालखण्ड भी होंगे। इस व्यवस्था से विद्यार्थियों का पाठ्यक्रम समय पर पूरा होगा। सभी प्राथमिक शालाओं में शिक्षक और मिडिल स्कूल में भी शिक्षक होंगे। प्राथमिक और माध्यमिक शाला के बच्चों को शिक्षक मिलने से उनके शिक्षा की नींव मजबूत होगी। इसके बाद हाई और हायर सेकण्डरी विद्यालयों में भी गणित, रसायन,भौतकी, जीवविज्ञान,अंग्रेजी आदि विषय के व्याख्याता पदस्थ हो जाने से उन्हें कठिन लगने वाले विषय को अध्ययन करने में आसानी होगी। वे भी दसवीं पास करने के बाद गणित,साइंस लेकर पढ़ाई करने और बेहतर भविष्य बनाने में रूचि लेंगे। विषय शिक्षको के माध्यम से वे कठिन लगने वाले विषयों पर हो रही दुविधाओं,समस्याओं का समाधान कर पाएंगे। विद्यालय में एक अलग शैक्षणिक वातावरण विकसित होगा।

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कलश यात्रा के साथ श्रीमद् देवी भागवत कथा का शुभारंभ

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कोरबा। कोरबा के पंडित रविशंकर शुक्ल नगर में 22 अक्टूबर को सुबह भव्य कलश यात्रा निकाली गई और इसके साथ श्रीमद् देवी भागवत का शुभारंभ हो गया। पंवार परिवार द्वारा 22 से 30 अक्टूबर तक संगीतमय श्रीमद् देवी भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा का आयोजन भूपेंद्र सिंह पंवार और श्रीमती विंध्यवासिनी पंवार द्वारा किया जा रहा है और आचार्य पंडित जनार्दन प्रसाद दुबे बरपाली वाले के श्रीमुख से आज 22 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक कथा का वाचन किया जाएगा।


कथा का कार्यक्रम:

  • 22 अक्टूबर: कलश यात्रा और कथा का शुभारंभ
  • 23 अक्टूबर: हयग्रीव अवतार कथा और कौरव-पांडव उत्पत्ति कथा
  • 24 अक्टूबर: भुवनेश्वरी देवी कथा और देवी मंत्र महात्म्य कथा
  • 25 अक्टूबर: वृत्तासुर कथा और वृत्ततनिहन्ति देवी कथा
  • 26 अक्टूबर: सरस्वती पूजन और हैहयवंशी राजाओं की कथा
  • 27 अक्टूबर: भगवान श्री कृष्ण के चरित्र का वर्णन
  • 28 अक्टूबर: श्री दुर्गा देवी कथा और देवी के अन्य अवतारों की कथा
  • 29 अक्टूबर: सदाचार वर्णन और गायत्री मां की महिमा
  • 30 अक्टूबर: गीता पाठ, तुलसी वर्षा, कपिला तर्पण, सहस्त्रधारा, कुमारी भोजन, ब्राह्मण भोजन और विसर्जन
    आयोजक परिवार:
  • पंवार परिवार ने नगरवासियों से इस कथा में शामिल होने और पुण्य लाभ प्राप्त करने का आग्रह किया है।

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इलेक्ट्रिक ऑटो चालकों को पार्ट्स-सब्सिडी नहीं मिल रही:कोरबा में वाहन खड़े होने से आजीविका प्रभावित, कंपनी ने दिया समाधान का आश्वासन

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कोरबा। कोरबा जिले में इलेक्ट्रिक ऑटो चालकों को पार्ट्स की कमी और सब्सिडी मिलने में देरी के कारण बड़ी परेशानी हो रही है। इससे उनकी आजीविका प्रभावित हो रही है और कई ऑटो खड़े हो गए हैं। इन्हीं समस्याओं को लेकर टीपी नगर स्थित जिला ऑटो संघ कार्यालय में बुधवार को बैठक हुई।

परसाभाठा बालको क्षेत्र के इलेक्ट्रिक ऑटो चालक त्रिलोक साहू ने बताया कि उन्होंने महिंद्रा इलेक्ट्रिक ऑटो खरीदा था, लेकिन पिछले तीन सालों से उन्हें वाहन के पार्ट्स नहीं मिल पा रहे हैं। उनके अनुसार, 500 रुपए का अग्रिम भुगतान करने के बावजूद भी आवश्यक पुर्जे अब तक नहीं मिले हैं। जिससे उनका ऑटो खड़ा है।

सब्सिडी के लिए लगाने पड़ रहे चक्कर

एक अन्य ऑटो चालक अमित कुमार प्रजापति ने बताया कि उन्हें ऑटो लिए तीन साल हो चुके हैं। एजेंसी की ओर से सब्सिडी के रूप में 30,000 से 32,000 रुपए की छूट का आश्वासन दिया गया था, जो अब तक नहीं मिली है। सब्सिडी के लिए उन्हें लगातार चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

समस्याओं का निराकरण का आश्वासन

जिला ऑटो संघ के सदस्य श्याम दास गुरु ने बताया कि चालकों की समस्याओं को सुनने के बाद महिंद्रा कंपनी के संबंधित मैनेजर और अधिकारियों से बातचीत की गई है। कंपनी ने चालकों को समय पर पार्ट्स उपलब्ध कराने और सब्सिडी की सुविधा देने पर सहमति जताई है, और जल्द ही इन समस्याओं का निराकरण होने का आश्वासन दिया है।

इस मामले में महिंद्रा कंपनी के मैनेजर वीरेंद्र पाटिल ने कॉल पर बताया कि सभी आवश्यक प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई हैं और चालकों की समस्याओं का जल्द समाधान किया जाएगा। कोरबा जिले में इलेक्ट्रिक ऑटो की शुरुआत लगभग 2022 में हुई थी।

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कोरबा

एक महीने से लापता ग्रामीण का जंगल में कंकाल मिला:कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एडमिट बेटे को देखने आया था, फांसी लगाकर आत्महत्या की आशंका

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कोरबा। कोरबा के श्यांग थाना क्षेत्र के सोलवा गांव में एक महीने से लापता 38 वर्षीय सुखसागर का कंकाल जंगल में मिला है। सुखसागर 18 सितंबर से लापता था, जिसकी तलाश परिजन कर रहे थे। सूचना मिलने पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है।

मृतक के भाई लक्ष्मी नारायण चौहान ने बताया कि 15 सितंबर को सुखसागर के बेटे का बाइक एक्सीडेंट हुआ था, जिसमें उसके दोनों पैर फ्रैक्चर हो गए थे। उसे जिला मेडिकल कॉलेज अस्पताल लाया गया था। एक्सीडेंट की सूचना पर 18 सितंबर को सुखसागर भी अस्पताल पहुंचा था।

अस्पताल में बेटे को देखने के बाद सुखसागर ने घर लौटने की बात कही, लेकिन वह घर नहीं पहुंचा। परिजनों ने उसकी काफी खोजबीन की, लेकिन जब वह नहीं मिला तो इसकी सूचना श्यांग थाना पुलिस को दी गई।

लापता होने के बाद शुरू हुई तलाश

पुलिस के अनुसार, सूचना के बाद परिजन-रिश्तेदार और आसपास के लोग उसकी तलाश में जुटे हुए थे। एक महीने बाद गांव से लगे जंगल में एक पेड़ के नीचे नरकंकाल मिलने की सूचना मिली। मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच शुरू की।

फांसी लगाकर आत्महत्या की आशंका

घटनास्थल पर एक गमछा और कुछ कपड़े मिले, जो पेड़ पर बंधे हुए थे और नीचे कंकाल पड़ा था। परिजनों को मौके पर बुलाया गया, जिन्होंने कपड़ों के आधार पर नरकंकाल की पहचान सुखसागर के रूप में की।पुलिस को आशंका है कि सुखसागर ने पेड़ पर फांसी लगाकर आत्महत्या की होगी।

पारिवारिक तनाव से था परेशान

इसी आधार पर आगे की जांच की जा रही है। परिजनों ने बताया कि सुखसागर खेती-किसानी का काम करता था और उसके चार बच्चे हैं, जिनमें से बड़े बेटे का एक्सीडेंट हुआ था। वह पिछले कुछ दिनों से परेशान चल रहा था, लेकिन पूछने पर कभी कुछ नहीं बताता था।

फोरेंसिक टीम कर रही जांच

इस मामले में श्यांग थाना प्रभारी विनोद सिंह ने बताया कि फोरेंसिक टीम को भी मौके पर बुलाया गया है और मामले में आगे की जांच जारी है।

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