Connect with us

देश

क्या दिल्ली-हरियाणा मॉडल से बिहार में BJP को जिताएगा RSS:हर गांव में 10 लोगों की टीम एक्टिव, रूठे वोटर्स को मनाएंगे

Published

on

दिल्ली/पटना,एजेंसी। सीवान जिले के कोड़ारी गांव के रहने वाले नितेश कुमार पेशे से किसान हैं। दूध का भी कारोबार है। उनके एक जानने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक यानी RSS से जुड़े हैं। एक दिन उन्होंने नितेश को घर बुलाया। वहां पहले से कुछ लोग मौजूद थे। नितेश उन्हें नहीं जानते थे। वे उनके बीच बैठे, तो बातचीत शुरू हुई। हालचाल के बाद पॉलिटिक्स, राष्ट्रवाद और सरकार की योजनाओं पर बातें होने लगीं।

नितेश कहते हैं, ‘उनकी बातों का मुझ पर बहुत असर हुआ। मैं बाद में भी उन लोगों से मिलता रहा। एक दिन वे लोग मेरे घर आए। मैंने अपने गांव के कुछ लोगों से उन्हें मिलवाया। फिर वे बार-बार मेरे गांव आने लगे। हम चाय पर बैठते थे। वे कहते थे कि ऐसी पार्टी को वोट दो, जिसके हाथ में हमारा राज्य और देश सुरक्षित रहे।’

नितेश तक पहुंचे लोग, दरअसल बिहार में RSS की स्ट्रैटजी का हिस्सा हैं। RSS से जुड़े सोर्स बताते हैं कि संगठन के स्वयंसेवक पटना, मुजफ्फरपुर, सीवान, भागलपुर सहित सीमांचल और मगध के गांव-शहरों में एक्टिव हो गए हैं। चाय की दुकानों, मंदिरों और घरों में जाते हैं और लोगों से मिलते हैं। हर गांव में 10 से 15 स्वयंसेवक काम कर रहे हैं, ये अलग-अलग गांवों में जा रहे हैं।

RSS की इसी स्ट्रैटजी से BJP ने पहले हरियाणा और फिर दिल्ली में सरकार बनाई थी। RSS ने बिहार को दो प्रांत उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार में बांटा है। उत्तर बिहार का काम मुजफ्फरपुर और दक्षिण बिहार का पटना से होता है।

बिहार में कुल 16 हजार स्वयंसेवक, 2 महीने से एक्टिव

बिहार में काम कर रहे प्रांत प्रचारक स्तर के पदाधिकारी से हमने RSS की स्ट्रैटजी पर बात की। वे कहते हैं, ‘बिहार में अभी 16 हजार स्वयंसेवक इस वक्त एक्टिव हैं। RSS का काम दिखता है, उसके कार्यकर्ता नहीं। नतीजा दिखता है, तैयारी नहीं।’

हमने पूछा कि क्या बिहार में भी महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली जिताने वाले मॉडल पर काम हो रहा है। वे जवाब देते हैं, ‘हर राज्य की जनता अलग है, मुद्दे अलग हैं। कॉमन सिर्फ इतना है कि RSS सोशल मीडिया पर नहीं, जमीन पर उतरता है। हमारे स्वयंसेवक घर-घर पहुंचते हैं। लोगों का मन टटोलते हैं, उनसे जुड़ते हैं। हर राज्य के वोटर अलग हैं, तो रणनीति में कुछ फर्क तो होता ही है।’

रूठे वोटर को मना रहे, कन्फ्यूज वोटर्स को बता रहे अच्छी पार्टी कौन

प्रांत प्रचारक आगे कहते हैं, ‘RSS के स्वयंसेवक की एक टीम घर-घर जाकर वोटर्स की लिस्ट तैयार कर चुकी हैं। अब दूसरी टीम ने अपना काम शुरू किया है। ये टीमें उन वोटर्स को मना रही हैं, जिसके मन में BJP या NDA के लिए थोड़ी भी दुविधा है। मतलब, हम कन्फ्यूज वोटर को बिहार के लिए सही पार्टी चुनने में मदद कर रहे हैं।’

सही पार्टी मतलब? प्रांत प्रचारक कहते हैं, ‘ऐसी पार्टी, जो राज्य और लोगों का विकास कर सके। पार्टी का नाम हम कभी नहीं लेते।’

इसी बात को प्रांत स्तर के एक और प्रचारक आगे बढ़ाते हैं। वे कहते हैं, ‘घर-घर जाकर लोगों की कैटेगरी के हिसाब से लिस्ट बनाने का काम लगभग पूरा हो चुका है। ये लिस्ट तीन हिस्सों में है। 1. BJP के पक्के वोटर 2. कन्फ्यूज वोटर 3. रूठे वोटर

यानी आपका काम खत्म हुआ? प्रचारक जवाब देते हैं, ‘नहीं, काम तो अब शुरू हुआ है। RSS की दूसरी टीमों ने लिस्ट के मुताबिक लोगों से फिर संपर्क करना शुरू किया है। ये टीमें वोटर्स को मुद्दे, उनके फायदे-नुकसान के बारे में बताएंगी।’

‘किस पार्टी ने क्या वादा किया था, कितना पूरा किया, किस पार्टी ने बिहार को जंगलराज बनाया और किसने अच्छा काम किया। इन टीमों का काम कन्फ्यूज वोटर्स के दिमाग में क्लेरिटी लाना है। एक-सवा महीने बाद फिर लिस्ट को रिव्यू किया जाएगा।’

‘रूठे वोटर्स को गुस्सा निकालने का मौका दे रहे’

हम जमीन पर काम कर रहे स्वयंसेवकों से भी मिले। इनमें से एक कहते हैं, ‘RSS ने एक प्रयोग हरियाणा में किया था। NDA या BJP के नाराज वोटर्स को मनाने के लिए कुछ वरिष्ठ स्वयंसेवकों की टीमें बनाई थीं। इनका काम लोगों की शिकायतें सुनना था। वे उनसे मिलते, उनकी बातें सुनते थे। उन्हें गुस्सा उतारने देते थे। यही काम बिहार में भी कर रहे हैं।’

इस टीम का काम ही वोटर्स का गुस्सा झेलना है, जैसे परिवार के नाराज सदस्य की शिकायत सुनी जाती है। शिकायतों की लिस्ट भी तैयार की जा रही है। ये लिस्ट टीम अपनी लीडरशिप को दे रही हैं।

‘इस लिस्ट पर गंभीरता से विचार हो रहा है। इसे दो हिस्से में बांटा है। जो काम दो महीनों के अंदर हो सकते हैं, उन्हें करवाने की कोशिश हो रही है। जिन शिकायतों को दूर करने में ज्यादा वक्त लगना है, उसके लिए भरोसा दे रहे हैं, उनकी शिकायत चुनाव के फौरन बाद दूर की जाएगी।’

किस तरह की शिकायतें हैं, जिन पर तुरंत काम करवा रहे हैं? जवाब मिला, ‘जैसे किसी गांव में सड़क खराब है, उसे ठीक करवा देना या फिर पक्की सड़क बनवा देना। किसी को PM आवास योजना के तहत घर नहीं मिला, तो उसकी प्रोसेस शुरू करवा देना, राशन कार्ड बनवा देना। ये सारे काम लिस्ट में हैं। कोशिश होगी ये सभी चुनाव से पहले करवा दें।’

महिला वोटर्स पर फोकस, उनके लिए अलग से स्ट्रैटजी बनी

RSS के एक सोर्स बताते हैं, ‘बिहार में महिला वोटर निर्णायक हैं। उनके लिए अलग से रणनीति बनी है। RSS से जुड़े महिला संगठन ये काम कर रहे हैं। उनकी टीमें अलग-अलग उम्र की महिलाओं से मिल रही हैं। घरेलू और पेशेवर महिलाओं के लिए अलग टीमें हैं।’

वे आगे कहते हैं, ‘RSS एक सर्वे भी कर चुका है। कैटेगरी के साथ महिलाओं की लिस्ट तैयार है। अब उनके साथ टीमें बैठक कर रही हैं। महिलाओं से पूछा जा रहा है कि उनकी सीट पर कौन सा नेता बेहतर है। उन्हें कैसे नेता और सरकार चाहिए।’

‘महिलाएं घर से लेकर बाहर तक हर चीज से प्रभावित होती हैं। घर का राशन, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, सड़कों का माहौल, इनसे जुड़े ऐसे कुछ सवाल महिलाओं से पूछे जा रहे हैं। फिर उनके जवाब पर डिस्कशन किया जा रहा है। इससे कोई एक चेहरा या फिर उनकी पसंद की सरकार की इमेज निकल कर सामने आए। ये एक्सरसाइज टिकट के लिए कैंडिडेट चुनने में काम आएगी।’

RSS 100 सीटों पर कैंडिडेट की लिस्ट देगा

सोर्स बताते हैं, ‘बिहार में NDA में किसे कितनी सीटें मिलेंगी, ये तय होना है। 100 सीटों पर कैंडिडेट की लिस्ट हमें तैयार करनी है। इस पर पार्टी और RSS मंथन करने के बाद फैसला लेगा।’

क्या लिस्ट में हर सीट से एक कैंडिडेट होगा? जवाब मिला, ‘नहीं, हर सीट पर तीन कैंडिडेट के नाम देंगे। हर कैंडिडेट की छवि, मजबूत और कमजोर पक्ष डिटेल में देंगे। जिस सीट पर मौजूदा विधायक कमजोर हैं, वहां नए चेहरे की तलाश करेंगे। विधायक का रिपोर्ट कार्ड भी देंगे।’

सोर्स बताते हैं,

प्रधानमंत्री की रैली से लेकर स्टार प्रचारकों की रैलियों में RSS की भूमिका होगी। कौन सा प्रचारक कहां वोटर्स को अपील करेगा, इसे ध्यान में रखते हुए RSS रैलियों और बैठकों का प्लान बना रहा है।

RSS के एक प्रांत प्रचारक बताते हैं, ‘बिहार में RSS की जड़ें बहुत गहरी हैं। यहां RSS की शुरुआत यानी 1925 से ही शाखाएं चल रही हैं। मार्च 2025 में RSS के सरसंघचालक मोहन भागवत बिहार आए थे। यहां उन्होंने स्वयंसेवकों से बात की। इसके बाद बिहार के लिए रणनीति तैयार की गई। यह रणनीति तीन पॉइंट पर आधारित है- राष्ट्रवाद, हिंदुत्व और विकास।’

स्थापना के 100 साल पूरे होने पर RSS 2025 को शताब्दी वर्ष की तरह मना रहा है। फोटो दिल्ली में हुई बैठक की है। ये बैठक 26 से 28 अगस्त को दिल्ली में हुई थी।

स्थापना के 100 साल पूरे होने पर RSS 2025 को शताब्दी वर्ष की तरह मना रहा है। फोटो दिल्ली में हुई बैठक की है। ये बैठक 26 से 28 अगस्त को दिल्ली में हुई थी।

दिल्ली के विधानसभा चुनाव में RSS ने अलग-अलग सीटों पर 50 हजार से ज्यादा बैठकें की थीं। इनके जरिए वोटर्स को BJP के पक्ष में एकजुट किया गया। बिहार में भी इसी तरह काम हो रहा है। मुजफ्फरपुर के RSS के शाखा प्रमुख बताते हैं, हमारे 5 हजार स्थानीय स्वयंसेवक हैं। बाहर से करीब 500 स्वयंसेवक सिर्फ मुजफ्फरपुर आए हैं। वे गांव-गांव घूम रहे हैं।’

गांवों में 10 से 15 लोगों की टीम, ब्लॉक में हर हफ्ते 100 मीटिंग

ग्राउंड पर काम के तरीके पर एक स्वयंसेवक बताते हैं, ‘हम रोज 5-10 घरों में जाते हैं। लोगों से राम मंदिर, विकास की योजनाएं, जातिवाद के खिलाफ और RSS की रणनीति पर बात करते हैं। हर गांव में 10 से 15 स्वयंसेवकों की टीम डोर-टु-डोर कैंपेन करती है।’

‘हम राष्ट्रवाद, सीमा सुरक्षा, पाकिस्तान, हिंदुत्व, राम मंदिर, गौ-रक्षा और विकास के साथ-साथ PM किसान सम्मान निधि योजना, आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं के फायदे बताते हैं। हम ऐसे परिवार चुनते है जो हिंदू हैं, लेकिन BJP के वोटर नहीं हैं। या BJP के वोटर रहे हैं, लेकिन किसी वजह से नाराज हैं। अभी एक ब्लॉक में हर हफ्ते 100 बैठकें कर रहे हैं।’

मुस्लिम आबादी वाले एरिया में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद पर फोकस

RSS की टीमें मुद्दों के आधार पर इलाके चुन रही है। पूर्वी बिहार और सीमांचल के कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद पर फोकस है। इन जिलों में मुस्लिम आबादी ज्यादा है।

यहां स्वयंसेवक राम मंदिर का जिक्र करते हैं और कहते हैं, मोदी जी ने 500 साल का सपना पूरा किया है। पश्चिमी बिहार और मगध में किसानों के मुद्दे और उनसे जुड़ी योजनाओं पर बात होती है। ग्रामीण इलाकों में जातिवाद के खिलाफ अपील की जाती है।

एक स्वयंसेवक बताते हैं, ‘हम चाय की दुकानों, मंदिरों और घरों में जाते हैं। लोगों से बहस नहीं करते, बल्कि उन्हें समझाते हैं। बुजुर्गों से मिलते है। पहले रामायण, फिर विकास की बात करते हैं। हर जिले में प्रभारी हैं, जो इसकी रिपोर्ट नागपुर भेजते हैं।’

RSS के विचारक दिलीप देवधर बताते हैं, ‘संघ परिवार और BJP मिलकर काम कर रहे हैं। BJP जो काम अकेले कर सकती है, उसे वह करती है, बाकी मोर्चों पर संघ परिवार एक्टिव रहता है। संघ परिवार का काम इवेंट के हिसाब से नहीं होता।’

जाति जनगणना के ऐलान में भी RSS का इनपुट

केंद्र सरकार ने 30 अप्रैल, 2025 को जातीय जनगणना कराने का ऐलान किया था। देश में आजादी के बाद यह पहली जातीय जनगणना होगी। इस ऐलान से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और RSS चीफ मोहन भागवत के बीच मुलाकात हुई थी।

RSS के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता कहते हैं, ‘BJP, RSS से जातिगत जनगणना के लिए सहमति चाहती थी। RSS इस पर दुविधा में था। बिहार से संगठन के कार्यकर्ताओं से उसी वक्त इनपुट मिला कि BJP की OBC और आरक्षण विरोधी छवि को चुनाव से पहले तोड़ना होगा, नहीं तो इसका असर नतीजों पर दिखेगा।’

‘वक्त कम था, इसलिए उसी वक्त जाति जनगणना की घोषणा कर इस छवि को तोड़ने की कोशिश की गई। RSS से इस मुद्दे पर पहले से बात हो रही थी। इनपुट के बाद RSS ने सहमति दे दी क्योंकि 2015 में आरक्षण पर दिए मोहन भागवत के बयान का असर 2020 तक चुनाव में साफ दिखा था।’

गृह मंत्रालय ने 16 जून को जनगणना के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। केंद्र सरकार दो फेज में जनगणना कराएगी। नोटिफिकेशन के मुताबिक, पहले फेज की शुरुआत 1 अक्टूबर 2026 से होगी। इसमें 4 पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख शामिल हैं। 1 मार्च 2027 से दूसरा फेज शुरू होगा। इसमें देश के बाकी राज्यों में जनगणना शुरू होगी।

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

देश

हिंडनबर्ग केस- अडाणी को SEBI की क्लीन चिट:अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप थे, मार्केट वैल्यू ₹1 लाख करोड़ कम हो गई थी

Published

on

मुंबई,एजेंसी। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने गुरुवार,18 सितंबर को हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को खारिज करते हुए अडाणी ग्रुप को क्लीनचिट दे दी है। अमेरिकी शॉर्ट-सेलर कंपनी ने गौतम अडाणी और उनकी कंपनियों (जैसे- अडाणी पोर्ट्स और अडाणी पावर) पर शेयर बाजार में हेरफेर के आरोप लगाए थे।

24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे कई आरोप लगाए गए थे। इससे 25 जनवरी तक ग्रुप के शेयरों की मार्केट वैल्यू करीब 12 बिलियन डॉलर (1 लाख करोड़ रुपए) कम हो गई थी।

अडाणी को क्लीनचिट देते हुए SEBI की 6 बातें…

पारदर्शी जांच: SEBI ने पूरी जांच, सुनवाई और सबूतों के आधार पर पाया कि कोई धोखाधड़ी, शेयरों में हेरफेर या इनसाइडर ट्रेडिंग नहीं हुई। सभी लेन-देन वैध और पारदर्शी थे।

आरोप गलत साबित हुए: हिंडनबर्ग ने अडाणी पर शेयरों में हेरफेर, फंड का गलत इस्तेमाल, रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन छिपाने और गलत ट्रेडिंग के आरोप लगाए थे। जांच में ये आरोप सही नहीं पाए गए।

कोई नियम नहीं तोड़ा: अडाणी की कंपनियों (जैसे अडाणी पोर्ट्स, अडाणी पावर) के लेन-देन में SEBI के नियमों, लिस्टिंग नियमों या LODR नियमों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ।

रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन नहीं: माइलस्टोन ट्रेडलिंक्स, रेहवार इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी कंपनियों के जरिए हुए फंड ट्रांसफर को रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन नहीं माना गया, क्योंकि ये उस समय के नियमों में शामिल नहीं थे।

लोन चुकाया, कोई धोखा नहीं: अडाणी पोर्ट्स से अडाणी कॉर्प को दिए गए फंड्स को अडाणी पावर को लोन दिया गया था, जो ब्याज सहित पूरा चुका दिया गया। कोई फंड गलत इस्तेमाल, धोखाधड़ी या गलत फायदा नहीं पाया गया।

कोई सजा या जुर्माना नहीं: चूंकि कोई गलती साबित नहीं हुई, इसलिए अडाणी ग्रुप, गौतम अडाणी, राजेश अडाणी या उनकी कंपनियों पर कोई जुर्माना या सजा नहीं लगी।

जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यीय कमेटी बनाई थी

अडाणी ने किसी भी गलत काम के आरोपों से इनकार किया था। हालांकि इस केस की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यीय कमेटी बनाई और सेबी ने भी मामले की जांच की।

इस मामले में अडाणी को पहले ही कोर्ट ने बरी कर दिया है। फैसले के बाद गौतम अडाणी ने कहा था, ‘कोर्ट के फैसले से पता चलता है कि सत्य की जीत हुई है। सत्यमेव जयते। मैं उन लोगों का आभारी हूं जो हमारे साथ खड़े रहे। भारत की ग्रोथ स्टोरी में हमारा योगदान जारी रहेगा। जय हिन्द।

रिपोर्ट के बाद शेयर अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 59% गिरा था

24 जनवरी 2023 (भारतीय समय के अनुसार 25 जनवरी) को अडाणी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर का प्राइस 3442 रुपए था। 25 जनवरी को ये 1.54% गिरकर 3388 रुपए पर बंद हुआ था। 27 जनवरी को शेयर के भाव 18% गिरकर 2761 रुपए पर आ गए थे। 22 फरवरी तक ये 59% गिरकर 1404 रुपए तक पहुंच गए थे।

Continue Reading

देश

CJI की सफाई- सभी धर्मों का सम्मान करता हूं:खजुराहो की खंडित मूर्ति बदलने की याचिका पर कहा था- भगवान से खुद करने को कहो

Published

on

नई दिल्ली,एजेंसी। खजुराहो के वामन (जावरी) मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति बदलने को लेकर दी टिप्पणी पर चीफ जस्टिस बीआर गवई ने सफाई दी है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि मेरी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से दिखाया गया। मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 16 सितंबर को राकेश दलाल की याचिका खारिज कर दी थी। सुनवाई के दौरान CJI ने याचिकाकर्ता से कहा था-

जाओ और भगवान से खुद करने को कहो। तुम कहते हो भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो, जाओ उनसे प्रार्थना करो।

बेंच में शामिल जस्टिस के विनोद चंद्रन ने सोशल मीडिया को एंटी-सोशल मीडिया कहा और बताया कि उन्हें भी ऑनलाइन गलत तरह से दिखाया गया है। वहीं, याचिकाकर्ता के वकील संजय नूली ने कहा कि CJI के बारे में सोशल मीडिया पर फैलाए गए बयान झूठे हैं।

सॉलिसिटर जनरल बोले- सोशल मीडिया पर बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है

गुरुवार को अदालत में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, मैं CJI को 10 साल से जानता हूं। वे सभी धर्मस्थलों पर जाते हैं। आजकल सोशल मीडिया पर बातें बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई जाती हैं। मेहता ने कहा,

न्यूटन का नियम है कि हर क्रिया की समान प्रतिक्रिया होती है, लेकिन अब सोशल मीडिया पर हर क्रिया की जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया हो जाती है।

वहीं, सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने भी सहमति जताई और कहा कि सोशल मीडिया की वजह से वकीलों को रोज दिक्कत उठानी पड़ती है।

VHP नेता बोले- सबका कर्तव्य है वाणी पर संयम रखना

VHP के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने X पर लिखा- न्यायालय न्याय का मंदिर है। भारतीय समाज की न्यायालयों पर श्रद्धा और विश्वास है। हम सबका कर्तव्य है कि यह विश्वास न सिर्फ बना रहे वरन और मजबूत हो।

हम सब का यह भी कर्तव्य है कि अपनी वाणी में संयम रखें। विशेष तौर पर न्यायालय के अंदर। यह जिम्मेदारी मुकदमा लड़ने वालों की है, वकीलों की है और उतनी ही न्यायाधीशों की भी है।

जावरी मंदिर खजुराहो का पहला मंदिर है, जिसे साइड व्यू से पूरा देखा जा सकता है।

जावरी मंदिर खजुराहो का पहला मंदिर है, जिसे साइड व्यू से पूरा देखा जा सकता है।

अपनी वास्तुकला के कारण खजुराहो के मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में सूचीबद्ध है।

अपनी वास्तुकला के कारण खजुराहो के मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में सूचीबद्ध है।

जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति खंडित होने की वजह से पूजा नहीं की जाती।

जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति खंडित होने की वजह से पूजा नहीं की जाती।

जावरी मंदिर में भगवान विष्णु के सभी अवतारों को दिखाया गया है।

जावरी मंदिर में भगवान विष्णु के सभी अवतारों को दिखाया गया है।

बीजेपी सरकार होने के बावजूद यह स्थिति दुखद

याचिकाकर्ता राकेश दलाल ने बताया कि उन्होंने 13 जून को यह जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें मुगलों के आक्रमण के दौरान खंडित हुई इस मूर्ति को बदलकर नई मूर्ति स्थापित करने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उन्होंने निराशा जताई।

याचिकाकर्ता राकेश दलाल हरियाणा के रहने वाले हैं

राष्ट्रीय वीर किसान मजदूर संघ दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश दलाल मूलतः हरियाणा के रहने वाले हैं और देश में किसान और धार्मिक स्थलों के मुद्दों पर लगातार आवाज बुलंद करते हैं।

खजुराहो के अलावा देश में जो अन्य ऐतिहासिक धार्मिक स्थल हैं, वहां मौजूद खंडित देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को ठीक कराने और मंदिरों में पूजा-पाठ शुरू हो, इसके लिए प्रयास करते हैं।

वह 5 साल पहले यह खजुराहो आए थे। यहां भगवान विष्णु की खंडित प्रतिमा देखकर उसके सुधार में जुट गए। इसके लिए इन्होंने खजुराहो के वामन जवारी मंदिर के बाहर कई बार अनशन भी किया और धार्मिक अनुष्ठान भी किए, जिससे स्थानीय लोग जागरूक हों।

जीर्णोद्धार की मांग, जंतर-मंतर पर प्रदर्शन भी किया था

जवारी मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भगवान विष्णु की 7 फीट ऊंची मूर्ति का सिर नहीं है। कई सामाजिक संगठनों और स्थानीय नागरिकों ने इसके जीर्णोद्धार की मांग उठाई है। राकेश दलाल ने इस मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन भी किया था और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को ज्ञापन सौंपा था।

Continue Reading

देश

उत्तराखंड के चमोली में बादल फटा, 14 लोग लापता:मसूरी में 2500 टूरिस्ट्स फंसे, हिमाचल में 419 मौतें, देश में अबतक 8% ज्यादा बारिश

Published

on

नई दिल्ली/भोपाल/देहरादून,एजेंसी। उत्तराखंड में दो दिन में दूसरी बार बादल फटा है। 17 सितंबर की रात चमोली जिले के नंदानगर घाट में बादल फटा। यहां कुंटरी लंगाफली वार्ड में छह घर मलबे में दब गए। 14 लोग लापता हैं और 20 लोग घायल हैं। अब तक 2 लोग रेस्क्यू किए गए।

इससे पहले 16 सितंबर को देहरादून में बादल फटा था। देहरादून से मसूरी का 35 किलोमीटर का रास्ता कई जगह क्षतिग्रस्त है। इसके कारण मसूरी में 2500 टूरिस्ट्स लगातार तीसरे दिन फंसे हुए हैं।

हिमाचल में इस सीजन बारिश, बाढ़, लैंडस्लाइड और अचानक आई बाढ़ से अब तक 419 लोगों की मौत हो चुकी है। मौसम विभाग ने दोनों ही राज्यों उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को अगले 48 घंटे हाई अलर्ट पर रखा है।

देश में इस साल 24 मई को दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल पहुंचा था। देश में अब तक (17 सितंबर) सामान्य से 8% ज्यादा बारिश हो चुकी है। 3 राज्यों राजस्थान (पश्चिम), पंजाब और हरियाणा से मानसून की विदाई शुरू भी हो चुकी है, लेकिन इसके जाते-जाते भी देश के 7 राज्यों में तेज बारिश की संभवना है।

मौसम विभाग और ग्लोबल फोरकास्ट सिस्टम (GFS) के मुताबिक, सितंबर के आखिरी कुछ दिन और अक्टूबर की शुरुआत तक एक बड़े कम दबाव के क्षेत्र के साथ जबरदस्त बारिश के आसार हैं।

25-26 सितंबर को बंगाल की खाड़ी में बड़ा मानसूनी सिस्टम लो प्रेशर एरिया बन रहा है। इससे पूर्वी-पश्चिमी मध्य प्रदेश के अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, छग, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में 2-3 दिन तेज बारिश हो सकती है। कुछ इलाकों में 3 इंच तक पानी गिर सकता है।

चमोली के नंदानगर की तस्वीरें…

बादल फटने के कारण नंदानगर घाट इलाके के 6 मकानों में मलबा और पानी भर गया।

बादल फटने के कारण नंदानगर घाट इलाके के 6 मकानों में मलबा और पानी भर गया।

नंदानगर घाट में बादल फटने के बाद रास्ता कट गया।

नंदानगर घाट में बादल फटने के बाद रास्ता कट गया।

घरों में कई फीट तक मलबा भरा है, यहां पर 7 लोग लापता हैं।

घरों में कई फीट तक मलबा भरा है, यहां पर 7 लोग लापता हैं।

नंदानगर में बादल फटने के बाद पूरे इलाके में मलबा जमा हो गया। घरों में भी मलबा भर गया।

नंदानगर में बादल फटने के बाद पूरे इलाके में मलबा जमा हो गया। घरों में भी मलबा भर गया।

नंदानगर में घरों के नीचे से बहता पानी, कई घरों को नुकसान भी हुआ है।

नंदानगर में घरों के नीचे से बहता पानी, कई घरों को नुकसान भी हुआ है।

Continue Reading
Advertisement

Trending