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बिज़नस

‘अभी खरीदो और भूल जाओ’, 30 साल पुराने शेयर ने बदल दी किस्मत, 1 लाख बना 80 करोड़!

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नई दिल्ली,एजेंसी। कभी-कभी एक पुराना निवेश वक्त के साथ ऐसा खजाना बन जाता है, जिसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता। ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जब एक व्यक्ति को अपने पिता के 1990 के दशक में खरीदे गए JSW Steel के शेयर मिले, उस समय किए गए 1 लाख रुपए के निवेश की आज की कीमत करीब 80 करोड़ रुपए आंकी जा रही है। सोशल मीडिया पर यह कहानी वायरल हो रही है और ‘खरीदो और भूल जाओ’ निवेश रणनीति की ताकत को एक बार फिर साबित कर रही है।” सोशल मीडिया पर इन शेयरों के मिलने को लेकर जमकर पोस्ट की जा रही है।

X (पूर्व में ट्विटर) पर सौरव दत्ता नामक यूजर ने यह किस्सा साझा किया, जिसमें उन्होंने Reddit पर मिले एक पोस्ट का हवाला दिया। पोस्ट के अनुसार, शेयरों के मूल प्रमाणपत्र अभी भी सुरक्षित रखे गए थे और जैसे ही उनकी वर्तमान वैल्यू का आकलन किया गया, यह राशि करोड़ों में निकली। JSW Steel का वर्तमान शेयर मूल्य (9 जून 2025) ₹1011.20 है।

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“अभी खरीदो, 30 साल बाद बेचो”

दत्ता ने पोस्ट में कहा, “अगर आपने सही स्टॉक चुना है तो समय आपके लिए सबसे बड़ा निवेशक है। बस उसे होल्ड करने की हिम्मत होनी चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि भले ही उस समय 1 लाख का निवेश काफी बड़ी रकम थी लेकिन यदि कोई सिर्फ 10 हजार रुपए भी निवेश करता तो उसकी आज की वैल्यू 8 करोड़ रुपए होती। उन्होंने अपनी पोस्ट में एक बेहद रोचक और सोचने लायक बात लिखी, ‘अभी खरीदो, 30 साल बाद बेचने की ताकत।’

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं:

  • कई यूजर्स ने इसे “असली जेनरेशनल वेल्थ” बताया।
  • कुछ यूजर्स ने यह भी पूछा कि 80 करोड़ रुपए के रिडीम पर कितना टैक्स देना होगा।
  • एक यूजर ने पुरानी यादें ताज़ा करते हुए लिखा, “मुझे जिंदल विजयनगर स्टील का IPO याद है, 90 के दशक के आखिर में आया था।”

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देश

फरवरी से बदल जाएगा महंगाई-GDP मापने का तरीका:सरकार नई सीरीज जारी करेगी, अभी 14 साल पुराने आंकड़ों के आधार पर कैलकुलेट होती है

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नई दिल्ली,एजेंसी। केंद्र सरकार देश की इकोनॉमी को मापने के पैमानों में बड़ा बदलाव करने जा रही है। फरवरी 2026 से रिटेल महंगाई (CPI) और देश की विकास दर यानी GDP के आंकड़े नई सीरीज (नए बेस ईयर) के साथ जारी किए जाएंगे। वहीं मई 2026 से इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन यानी IIP के आंकड़े भी नई सीरीज में जारी होंगे।

GDP और IIP के लिए नया आधार वर्ष 2022-23 होगा। वहीं रिटेल महंगाई के लिए बेस ईयर 2024 होगा। मिनिस्ट्री ऑफ स्टेटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लिमेंटेशन (MoSPI) ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है।

अभी GDP और रिटेल महंगाई के आंकड़े पुराने आधार वर्ष 2011-12 के हिसाब से कैलकुलेट किए जाते हैं। जबकि दुनिया के कई देशों में ये हर 5 साल में अपडेट होता है। बेस ईयर में इस बदलाव का मुख्य मकसद डेटा को मौजूदा दौर की जरूरतों और खपत के हिसाब से ज्यादा सटीक बनाना है।

नए बेस ईयर से क्या बदलेगा?

फिलहाल देश में महंगाई और GDP के कैलकुलेशन के लिए पुराना बेस ईयर (आधार वर्ष) इस्तेमाल किया जा रहा है। लंबे समय से एक्सपर्ट्स यह मांग कर रहे थे कि आधार वर्ष को अपडेट किया जाए।

क्योंकि पिछले एक दशक में लोगों के खर्च करने के तरीके और सामानों की प्राथमिकता बदल गई है। नई सीरीज आने से सरकारी डेटा देश की आर्थिक स्थिति की ज्यादा वास्तविक तस्वीर पेश कर पाएगा।

खाने-पीने की चीजों का वेटेज कम होगा

अभी रिटेल महंगाई के कैलकुलेशन में फूड आइटम्स यानी खाद्य पदार्थों का हिस्सा काफी ज्यादा है। मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, नई सीरीज में खाने-पीने की चीजों के ‘वेटेज’ को कम किया जा सकता है।

ऐसा इसलिए क्योंकि जैसे-जैसे लोगों की कमाई बढ़ती है, वे खाने के बजाय दूसरी सुविधाओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और मनोरंजन पर ज्यादा खर्च करने लगते हैं। नई सीरीज में इन आधुनिक जरूरतों को ज्यादा महत्व दिया जाएगा।

IIP डेटा मई से नई सीरीज में आएगा

इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (IIP), जो देश के मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर की रफ्तार बताता है। उसे मई 2026 से नई सीरीज में शिफ्ट किया जाएगा। इसमें उन नए प्रोडक्ट्स को शामिल किया जाएगा, जिनका उत्पादन हाल के वर्षों में शुरू हुआ है। जबकि उन पुराने सामानों को लिस्ट से हटाया जा सकता है, जिनकी अब बाजार में मांग नहीं रही।

क्यों जरूरी था यह बदलाव?

सांख्यिकी मंत्रालय के सचिव सौरभ गर्ग ने पहले भी संकेत दिए थे कि डेटा में सुधार की प्रोसेस चल रही है। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।

ऐसे में पुराने मानकों पर डेटा जारी करने से कई बार पॉलिसी बनाने में दिक्कत आती है। नया बेस ईयर आने से रिजर्व बैंक (RBI) को भी ब्याज दरों पर फैसला लेने में आसानी होगी। क्योंकि उनके पास महंगाई का ज्यादा सटीक डेटा होगा।

आम जनता पर क्या असर होगा?

सीधे तौर पर इसका आम आदमी की जेब पर असर नहीं पड़ता, लेकिन सरकार की योजनाएं इसी डेटा पर आधारित होती हैं। अगर महंगाई का डेटा सही होगा, तो सरकार कीमतों को कंट्रोल करने के लिए बेहतर कदम उठा पाएगी। साथ ही GDP के सटीक आंकड़ों से विदेशी निवेशकों का भरोसा भी भारत की अर्थव्यवस्था पर बढ़ता है।

बेस ईयर क्या होता है?

बेस ईयर वो साल होता है जिसकी कीमतों को आधार (बेस) माना जाता है। यानी, उसी साल की चीजों की औसत कीमत को 100 का मान देते हैं। फिर, दूसरे सालों की कीमतों की तुलना इसी बेस ईयर से की जाती है। इससे पता चलता है कि महंगाई कितनी बढ़ी या घटी है।

उदाहरण: मान लीजिए 2020 बेस ईयर है। उस साल एक किलो टमाटर ₹50 का था। अब 2025 में वो ₹80 का हो गया। तो महंगाई = (80 – 50) / 50 × 100 = 60% बढ़ी। यही फॉर्मूला CPI में यूज होता है, लेकिन ये पूरे बाजार की चीजों पर लागू होता है।

बेस ईयर कैसे चुना जाता है और कैसे काम करता है?

  • सरकार आमतौर पर हर 5-10 साल में नया बेस ईयर चुनती है।
  • ये ऐसा साल होता है जो सामान्य हो, न ज्यादा सूखा हो, न महामारी, न ज्यादा महंगाई।

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देश

चांदी ₹1,609 बढ़कर ₹2.01 लाख किलो के ऑलटाइम हाई पर:इस साल कीमत ₹1.15 लाख बढ़ चुकी, इस महीने ₹2.10 लाख तक जा सकती है

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नई दिल्ली,एजेंसी। चांदी आज यानी 18 दिसंबर को लगातार दूसरे दिन ऑल टाइम हाई पर पहुंच गई है। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार 1 किलो चांदी 1,609 रुपए बढ़कर 2,01,250 रुपए किलो पर पहुंच गई है। इससे पहले 17 दिसंबर को ये 1,99,641 रुपए पर बंद हुई थी।

वहीं कल चांदी पहली बार 2 लाख रुपए किलो के ऊपर निकली थी। कल ये सुबह 2,00,750 रुपए पर ओपन हुई थी। इस साल अब तक चांदी की कीमत 1,15,233 रुपए बढ़ चुकी है।

चांदी में तेजी के 4 बड़े कारण

1. इंडस्ट्रियल डिमांड सोलर, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सेक्टर में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के चलते चांदी अब सिर्फ ज्वेलरी तक सीमित नहीं रही।

2. ट्रंप के टैरिफ को लेकर आशंका अमेरिकी कंपनियां संभावित टैरिफ पॉलिसी के डर से चांदी का भारी स्टॉक जमा कर रही हैं। इससे ग्लोबल सप्लाई पर दबाव बना है।

3. मैन्युफैक्चरर्स की अग्रिम खरीद प्रोडक्शन रुकने की आशंका के चलते मैन्युफैक्चरर्स पहले से खरीदारी कर रहे हैं, जिससे आने वाले महीनों में भी तेजी बनी रह सकती है।

4. निवेश में बढ़ोतरी निवेशक सिल्वर ETF के जरिए चांदी में निवेश बढ़ा रहे हैं, जिससे डिमांड और मजबूत हुई है।

सोना 137 रुपए बढ़कर 1.32 लाख रुपए पर पहुंचा आज 24 कैरेट शुद्धता वाला सोना भी 137 रुपए बढ़कर 1,32,454 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है। इससे पहले ये कल यानी, 17 दिसंबर को 1,32,317 रुपए पर था। वहीं सोने ने 15 दिसंबर को 1,33,442 रुपए प्रति 10 ग्राम का ऑल टाइम हाई बनाया था।

इस साल सोना रू.56,292 और चांदी रू.1,15,233 महंगी हुई

  • इस साल अब तक सोने की कीमत 56,292 रुपए बढ़ी है। 31 दिसंबर 2024 को 10 ग्राम 24 कैरेट सोना 76,162 रुपए का था, जो अब 1,32,454 रुपए हो गया है।
  • चांदी का भाव भी इस दौरान 1,15,233 रुपए बढ़ गया है। 31 दिसंबर 2024 को एक किलो चांदी की कीमत 86,017 रुपए थी, जो अब 2,01,250 रुपए प्रति किलो हो गई है।

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देश

चांदी पहली बार ₹2 लाख प्रति किलो के पार:1 से 2 लाख होने में 9 महीने लगे, ₹50 हजार से ₹1 लाख 14 साल में पहुंची थी

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मुंबई, एजेंसी। चांदी आज यानी 17 दिसंबर को पहली बार 2 लाख रुपए प्रति किलो के पार निकली। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार सुबह एक किलो चांदी 2,00,750 रुपए पर ओपन। हालांकि इसके बाद इसकी कीमत में थोड़ी गिरावट आई और ये 7,664 रुपए बढ़कर 1,99,641 रुपए किलो पर बंद हुई। इससे पहले ये 1,91,977 रुपए पर थी।

18 मार्च को चांदी पहली बार 1 लाख रुपए पर पहुंची थी। यानी चांदी को 1 लाख से 2 लाख रुपए प्रति किलो तक पहुंचने में सिर्फ 9 महीने का समय लगा। जबकि इसे 50 हजार से 1 लाख रुपए तक पहुंचने में 14 साल लगे थे। मौजूदा कीमत के साथ चांदी अब ऑल-टाइम हाई पर है।

चांदी में तेजी के 4 बड़े कारण

  1. इंडस्ट्रियल डिमांड – सोलर, इलेक्ट्रॉनिक्स और EV में भारी इस्तेमाल, चांदी अब सिर्फ ज्वेलरी नहीं, जरूरी कच्चा माल बन गई है।
  2. ट्रंप का टैरिफ डर – अमेरिकी कंपनियां चांदी का भारी स्टॉक जमा कर रही हैं, ग्लोबल सप्लाई में कमी से कीमतें ऊपर चढ़ीं।
  3. मैन्युफैक्चरर होड़ में – प्रोडक्शन रुकने के डर से सभी पहले से खरीद रहे हैं, इसी वजह से आने वाले महीनों में भी तेजी बनी रहेगी।
  4. चांदी में निवेश बढ़ रहा: निवेशक सिल्वर ETF के जरिए चांदी में निवेश कर रहे हैं। इससे चांदी की डिमांड बढ़ रही है।

सोना 540 रुपए बढ़कर 1.32 लाख रुपए पर पहुंचा आज 24 कैरेट शुद्धता वाला सोना भी 540 रुपए बढ़कर 1,32,317 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है। इससे पहले ये कल यानी, 16 दिसंबर को 1,31,777 रुपए पर था। वहीं सोने ने 15 दिसंबर को 1,33,442 रुपए प्रति 10 ग्राम का ऑल टाइम हाई बनाया था।

इस साल सोना रू.56,155 और चांदी रू.1,13,624 महंगी हुई

  • इस साल अब तक सोने की कीमत 56,155 रुपए बढ़ी है। 31 दिसंबर 2024 को 10 ग्राम 24 कैरेट सोना 76,162 रुपए का था, जो अब 1,32,317 रुपए हो गया है।
  • चांदी का भाव भी इस दौरान 1,13,624 रुपए बढ़ गया है। 31 दिसंबर 2024 को एक किलो चांदी की कीमत 86,017 रुपए थी, जो अब 2,00,750 रुपए प्रति किलो हो गई है।

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