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बिज़नस

विदेशी मुद्रा भंडार 5.17 अरब डॉलर बढ़कर 696.65 अरब डॉलर पर

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मुंबई। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार छह जून को समाप्त सप्ताह में 5.17 अरब डॉलर बढ़कर 696.65 अरब डॉलर हो गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। इससे पहले 30 मई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 1.24 अरब डॉलर घटकर 691.48 अरब डॉलर रहा था। विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर 2024 के अंत में 704.88 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। 

आंकड़ों के मुताबिक, छह जून को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुख हिस्सा विदेशी मुद्रा आस्तियां 3.47 अरब डॉलर बढ़कर 587.68 अरब डॉलर हो गईं। डॉलर के संदर्भ में उल्लेखित विदेशी मुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की घट-बढ़ का प्रभाव शामिल होता है। 

समीक्षाधीन सप्ताह में स्वर्ण भंडार का मूल्य 1.58 अरब डॉलर बढ़कर 85.88 अरब डॉलर हो गया। रिजर्व बैंक ने कहा कि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 10.2 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.67 अरब डॉलर हो गया। केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार, आलोच्य सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास भारत का आरक्षित भंडार भी 1.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.4 अरब डॉलर पहुंच गया।  

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देश

मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव से Adani Group की बड़ी डील्स खतरे में, अरबों डॉलर के निवेश पर संकट

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 गौतम अडानी की अगुवाई वाला अडानी ग्रुप इस समय एक बड़े भू-राजनीतिक तूफान की जद में है। इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते युद्ध जैसे हालात ने कंपनी के अरबों डॉलर के निवेश पर संकट खड़ा कर दिया है। अडानी ग्रुप की इजरायल में तीन प्रमुख हिस्सेदारियां – हाइफा पोर्ट, डिफेंस पार्टनरशिप और सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट – अब खतरे में नजर आ रही हैं।  

हाइफा पोर्ट: 10,000 करोड़ की डील पर छाया युद्ध का साया

मुंबई, एजेंसी।साल 2023 में अडानी ग्रुप ने इजरायल के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हाइफा पोर्ट में 70% हिस्सेदारी खरीदकर 1.2 बिलियन डॉलर (लगभग 10,000 करोड़ रुपए) का निवेश किया था। यह पोर्ट इजरायल के आयात-निर्यात का अहम केंद्र है लेकिन अब मिडिल ईस्ट में बिगड़ते हालात के कारण इस पर संकट मंडरा रहा है। भले ही लड़ाई दक्षिणी इजरायल में केंद्रित है, पर लंबे समय तक युद्ध चलने की सूरत में मेडिटेरेनियन सी रूट बाधित हो सकता है, जिससे शिपिंग में देरी और लॉजिस्टिक्स का संकट उत्पन्न हो सकता है।

इस डर का असर शेयर बाजार पर दिख चुका है— शुक्रवार को अडानी पोर्ट्स के शेयर 2.71% गिरकर 1405 रुपए और अडानी एंटरप्राइजेज 1.36% गिरकर 2506 रुपए पर बंद हुए।

डिफेंस सेक्टर में अडानी-एल्बिट जॉइंट वेंचर को मिलेगी बढ़त या संकट?

अडानी ग्रुप और इजरायल की प्रमुख रक्षा कंपनी Elbit Systems के बीच बना जॉइंट वेंचर Adani Elbit Advanced Systems India, भारत में Hermes 900 ड्रोन बना रहा है, जो इजरायली डिफेंस फोर्सेज द्वारा उपयोग किए जाते हैं। युद्ध के माहौल में ड्रोन्स की डिमांड बढ़ सकती है, जिससे इस जॉइंट वेंचर को व्यापारिक लाभ हो सकता है लेकिन दूसरी तरफ इस तरह की डिफेंस साझेदारी जियोपॉलिटिकल दबावों को भी बढ़ा सकती है। अगर ईरान या उसके सहयोगी देशों ने इस साझेदारी को निशाना बनाया, तो अडानी ग्रुप को रणनीतिक और कारोबारी झटके लग सकते हैं।

10 अरब डॉलर की सेमीकंडक्टर डील पर लगा ब्रेक

अडानी ग्रुप और इजरायली Tower Semiconductor के बीच भारत में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने की योजना थी, जिसकी अनुमानित लागत थी 10 बिलियन डॉलर (83,000 करोड़ रुपये)। लेकिन अप्रैल में आई रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रोजेक्ट को फिलहाल रोक दिया गया है। मुख्य कारण हैं–मिडिल ईस्ट में बढ़ता तनाव और ग्लोबल मार्केट की अनिश्चितता।

ग्लोबल बाजार में भी उथल-पुथल

इजरायल के हमले के बाद कच्चे तेल की कीमत 9% उछलकर 75.36 डॉलर/बैरेल हो गई और सोना 1.5% चढ़कर 3434 डॉलर/औंस तक पहुंच गया। एशियाई शेयर बाजारों में भी भारी गिरावट देखी गई। इजरायल ने इमरजेंसी की घोषणा की है और ईरानी जवाबी हमले की आशंका बनी हुई है।

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देश

दुर्लभ खनिज ऑक्साइड निर्यात पर पुनर्विचार, भारत-जापान समझौते की नई शर्तों पर मंथन

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मुंबई, एजेंसी। भारत सरकार जापान के साथ 2012 में हुए दुर्लभ खनिज ऑक्साइड निर्यात समझौते की शर्तों पर नए सिरे से विचार कर रही है। यह कदम ऐसे समय उठाया जा रहा है जब घरेलू उद्योगों को चीन से मैग्नेट की आपूर्ति में रुकावट के चलते कच्चे माल की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

समझौते के तहत, भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई IREL इंडिया लिमिटेड जापान की टोयोटा त्सुशो को दुर्लभ खनिज ऑक्साइड निर्यात करती है, जिसे बाद में परिष्कृत कर मैग्नेट के रूप में जापान को आपूर्ति किया जाता है। इन मैग्नेट का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन टर्बाइनों, एयरोस्पेस और रक्षा उपकरणों में होता है।

सूत्रों के मुताबिक, अब भारत इस समझौते को अधिक संतुलित और पारस्परिक लाभकारी बनाना चाहता है। सरकार से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, “हमने सालों से निर्यात किया है, लेकिन बदले में कुछ खास नहीं मिला। अब हमारी मांग है कि अगर जापान हमारे दुर्लभ खनिज ले रहा है, तो वह बदले में हमें मैग्नेट की आपूर्ति करे या तकनीक साझा करे।”

घरेलू उद्योगों की मांग और रणनीतिक दबाव

वाहन उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “भारत मैग्नेट उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं है और हमारी लगभग 30-40% जरूरतें आयात से पूरी होती हैं। जापान इस मामले में हम पर निर्भर है, इसलिए हमें एक ऐसी साझेदारी चाहिए जिसमें तकनीकी सहयोग और स्थानीय उत्पादन दोनों शामिल हों।

भारत सरकार की योजना है कि जापान के साथ मिलकर मैग्नेट निर्माण का संयुक्त ढांचा तैयार किया जाए। प्रस्ताव यह भी है कि जापान कुछ मैग्नेट खुद बनाए और शेष का उत्पादन भारत में किया जाए।

भविष्य की संभावनाएं और उत्पादन क्षमता

भारत में दुर्लभ खनिजों का मुख्य स्रोत मोनाजाइट रेत है, जो आंध्र प्रदेश, केरल, ओडिशा और तमिलनाडु में पाई जाती है। विशेष रूप से केरल की रेत अत्यधिक समृद्ध मानी जाती है। मोनाजाइट में नियोडिमियम और प्रेजोडिमियम जैसे खनिज मौजूद होते हैं, जो उच्च गुणवत्ता के मैग्नेट के लिए जरूरी हैं।

फिलहाल भारत का वार्षिक मोनाजाइट उत्पादन लगभग 5,000 टन है, जबकि IREL की परिष्कृत करने की क्षमता 10,000 टन तक है। सरकार ने 2032 तक इस क्षमता को 5 करोड़ टन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।

जापान की प्रतिक्रिया

जापानी दूतावास के एक अधिकारी ने इस विषय पर कहा, “हम भारत से कच्चा माल आयात कर उसे परिष्कृत करते हैं और मैग्नेट बनाते हैं। हम भारत को भी मैग्नेट निर्यात करते हैं, हालांकि मात्रा अभी सीमित है। यह विषय हमारी सरकार के साथ विचाराधीन है।”

संभावित समझौता: भारत के लिए रणनीतिक अवसर

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास अब रणनीतिक बढ़त है क्योंकि जापान के पास दुर्लभ खनिजों का अपना स्रोत नहीं है। अगर भारत समझदारी से बातचीत करता है, तो यह देश के लिए तकनीकी सहयोग, स्थानीय उत्पादन और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में प्रमुख स्थान पाने का अवसर हो सकता है।

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देश

इन खाताधारकों को Bank से आ सकते हैं Notice, जल्दी से पढ़ लें ये खबर

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पंजाब , एजेंसी। बैंक खाताधारकों के लिए बेहद ही खास खबर सामने आई है। अगर आपका भी बैंक में आकाउंट हैं तो जल्द ही आपको भी एक नोटिस मिल सकता है। दरअसल, RBI ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों को सख्त निर्देश दिए हैं, वह अपने ग्राहकों को समय-समय पर KYC अपडेट करने के लिए कहें।  KYC अपडेट करने के लिए बैंक अपने ग्राहकों को स्पष्ट और चरणबद्ध नोटिस भेजें। बताया जा रहा है कि, ग्राहकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने और KYC प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है।

ये है नया नियम 

  • बैंक और वित्तीय संस्थान अब KYC की नियत तिथि से पहले कम से कम 3 अग्रिम नोटिस भेजेंगे।
  • इनमें से एक नोटिस अनिवार्य रूप से पत्र के माध्यम से होगा।
  • अगर खाताधारक समय पर KYC अपडेट नहीं करता है, तो बैंक 3 रिमाइंडर नोटिस भी भेजेगा।  

बता दें इस नियम का सबसे अधिक प्रभाव उनक खाताधारकों पर पड़ेगा, जिनके जन धन योजना जैसे कार्यक्रमों के तहत खोले गए, डीबीटी/ईबीटी योजना और जिनकी KYC अपडेट लंबित है। इसके साथ ही सभी बैंक इन सभी नोटिसों को अपने पास रिकॉर्ड के तौर पर रखेंगे। अगर ग्राहकों की KYC जानकारी में कोई बदलाव नहीं हुआ या सिर्फ पता बदला है तो वह खुद बैंक बीसी की मदद से इसका घोषणा के जरिए अपडेट कर सकता है। इसके अलावा आपको ये भी बता दें कि, KYC की आखिरी तिथि 30 जून 2026 तक या अगले एक साल के अंदर की है। 

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