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इसरो-नासा का सबसे महंगा और ताकतवर सैटेलाइट ‘निसार’ लॉन्च

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घने जंगल और अंधेरे में देखने की क्षमता, 97 मिनट में धरती का चक्कर पूरा करेगा

श्रीहरिकोटा,एजेंसी। अब तक के सबसे महंगे और सबसे पावरफुल अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट निसार को आज यानी, बुधवार 30 जुलाई को लॉन्च किया गया। इस मिशन पर 1.5 बिलियन डॉलर यानी करीब 12,500 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इसे NASA और ISRO ने मिलकर बनाया है।

इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम 5:40 बजे GSLV-F16 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया। रॉकेट ने निसार को 747 किलोमीटर की ऊंचाई पर सूरज के साथ तालमेल वाली सन-सिंक्रोनस कक्षा में स्थापित किया। इसमें करीब 18 मिनट लगे।

निसार 747 Km की ऊंचाई पर पोलर ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा। पोलर ऑर्बिट एक ऐसी कक्षा है जिसमें सैटेलाइट धरती के ध्रुवों के ऊपर से गुजरता है।

सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट पोलर ऑर्बिट का ही एक खास रूप है। यह पहली बार है जब जीएसएलवी रॉकेट से उपग्रह को इस ऑर्बिट में स्थापित किया गया। इस मिशन की अवधि 5 साल है।

लॉन्च के करीब 18 मिनट बाद निसार सैटेलाइट रॉकेट से अलग हुआ।

लॉन्च के करीब 18 मिनट बाद निसार सैटेलाइट रॉकेट से अलग हुआ।

इसरो चेयरमैन वी नारायणन अन्य वैज्ञानिकों के साथ कंट्रोल रूम में बैठकर लॉन्च पर नजर रखते हुए।

इसरो चेयरमैन वी नारायणन अन्य वैज्ञानिकों के साथ कंट्रोल रूम में बैठकर लॉन्च पर नजर रखते हुए।

सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र की लॉन्च व्यू गैलरी में निसार के लॉन्च को देखने के लिए आए लोगों की तस्वीर।

सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र की लॉन्च व्यू गैलरी में निसार के लॉन्च को देखने के लिए आए लोगों की तस्वीर।

निसार सैटेलाइट को लॉन्च करने के लिए तैयार GSLV-F16 रॉकेट।

निसार सैटेलाइट को लॉन्च करने के लिए तैयार GSLV-F16 रॉकेट।

सवाल-जवाब में मिशन की पूरी डिटेल्स…

सवाल 1: निसार सैटेलाइट क्या है?

जवाब: निसार एक हाई-टेक सैटेलाइट है। इसका पूरा नाम NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार है। इसे अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA और भारतीय एजेंसी ISRO ने मिलकर बनाया है। इस मिशन पर 1.5 बिलियन डॉलर यानी करीब 12,500 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।

  • ये सैटेलाइट 97 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर लगा लेगा। 12 दिनों में 1,173 चक्कर लगाकर यह पृथ्वी की लगभग हर इंच जमीन को मैप कर लेगा।
  • इसके पास बादलों, घने जंगल, धुएं और यहां तक कि अंधेरे में भी देखने की क्षमता है। यह धरती की सतह पर बहुत छोटे बदलावों को भी देख सकता है।

सवाल 2: निसार मिशन के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?

जवाब: निसार मिशन का मुख्य मकसद है धरती और उसके पर्यावरण को करीब से समझना। ये सैटेलाइट खास तौर पर तीन चीजों पर नजर रखेगा:

  1. जमीन और बर्फ के बदलाव: ये देखेगा कि धरती की सतह या ग्लेशियर्स में कितना बदलाव हो रहा है। जैसे जमीन का धंसना या बर्फ का पिघलना।
  2. जमीन के पारिस्थितिक तंत्र: जंगलों, खेतों और दूसरी प्राकृतिक जगहों की स्थिति को मॉनिटर करेगा, ताकि ये समझा जा सके कि पर्यावरण कैसा है।
  3. समुद्री क्षेत्र: समुद्र की लहरों, उनके बदलावों और समुद्री पर्यावरण को ट्रैक करेगा।

इन जानकारियों से वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरण को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे। मिशन का ओपन-सोर्स डेटा सभी के लिए मुफ्त में उपलब्ध होगा।

निसार धरती और उसके पर्यावरण को करीब से समझेगा। जैसे ग्लेशियर्स में क्या बदलाव हो रहा है।

निसार धरती और उसके पर्यावरण को करीब से समझेगा। जैसे ग्लेशियर्स में क्या बदलाव हो रहा है।

सवाल 3: ये पारंपरिक सैटेलाइट्स से कैसे अलग है?

जवाब: पृथ्वी के तेजी से हो रहे बदलाव को पारंपरिक सैटेलाइट्स से बिल्कुल सटीक तरीके से ट्रैक नहीं किया जा सकता। निसार इस कमी को पूरा करता है। ये हर मौसम में हाई-क्वालिटी तस्वीरें लेता है। ये धरती की हर छोटी-बड़ी हरकत को लगभग रियल-टाइम में दिखाएगा।

सवाल 4: निसार सैटेलाइट कैसे काम करता है?

जवाब: निसार में एक 12 मीटर डायमीटर का गोल्ड प्लेटेड रडार एंटीना है, जो 9 मीटर लंबी बूम से जुड़ा है। ये एंटीना माइक्रोवेव सिग्नल्स को धरती पर भेजता है, जो वापस लौटकर जानकारी देती है। खास बात ये है कि इसे सूरज की रोशनी की जरूरत नहीं है।

ये पहला सैटेलाइट है जो दो तरह के रडार-NASA के L-बैंड और ISRO के S-बैंड का इस्तेमाल करेगा:

  • एल-बैंड: 24 सेंटीमीटर की वेवलेंथ। ये जंगलों या मोटी सतहों के अंदर देखने में बेहतर है।
  • एस-बैंड: 9 सेंटीमीटर की वेवलेंथ। ये तरंगें ज्यादा बारीक चीजों को पकड़ने में मदद करती हैं।

ये धरती के सेंटीमीटर स्तर के बदलाव को भी पकड़ सकता है। उदाहरण के लिए अगर धरती कहीं 10 cm नीचे दब रही है या 15 cm ऊपर उठ रही है, तो निसार इसे रंगों के जरिए दिखाएगा। जैसे:

  • हरा: धरती कुछ सेंटीमीटर ऊपर उठी
  • लाल: धरती 15 सेंटीमीटर ऊपर उठी
  • नीला: धरती कुछ सेंटीमीटर नीचे दबी
  • पर्पल: धरती 10 सेंटीमीटर नीचे दबी
सैटेलाइट का एंटीना माइक्रोवेव सिग्नल्स को धरती पर भेजता है, जो वापस लौटकर जानकारी देती है।

सैटेलाइट का एंटीना माइक्रोवेव सिग्नल्स को धरती पर भेजता है, जो वापस लौटकर जानकारी देती है।

सवाल 5: इस मिशन को कितने चरणों में बांटा गया है?

जवाब: इस मिशन को चार मुख्य चरणों में बांटा गया है:

1. लॉन्च चरण: सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजना

निसार को 30 जुलाई 2025 को आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। इसके लिए ISRO का GSLV-F16 रॉकेट का इस्तेमाल हुआ।

2. डिप्लॉयमेंट चरण: सैटेलाइट को तैयार करना

निसार में एक 12 मीटर चौड़ा रडार एंटीना है, जो सैटेलाइट से 9 मीटर दूर एक खास बूम पर लगाया गया है। ये बूम NASA के जेट प्रोपल्शन लैब (JPL) ने डिजाइन किया है और ये कई स्टेप्स में अंतरिक्ष में खुलता है। सोचिए, जैसे कोई बड़ा छाता अंतरिक्ष में धीरे-धीरे खुलता है। इस चरण में सैटेलाइट का ये एंटीना पूरी तरह सेट हो जाएगा, ताकि वो काम शुरू कर सके।

3. कमीशनिंग चरण: सिस्टम की जांच

लॉन्च के बाद पहले 90 दिन कमीशनिंग या इन-ऑर्बिट चेकआउट (IOC) के लिए होंगे। इस दौरान सैटेलाइट के सारे सिस्टम्स को चेक किया जाएगा, ताकि ये सुनिश्चित हो कि सब कुछ ठीक काम कर रहा है। पहले सैटेलाइट के मुख्य हिस्सों की जांच होगी, फिर JPL के इंजीनियरिंग पेलोड और इंस्ट्रूमेंट्स टेस्ट होंगे।

4. साइंस ऑपरेशन चरण: असली काम की शुरुआत

कमीशनिंग के बाद साइंस ऑपरेशन चरण शुरू होगा, जो मिशन के अंत तक चलेगा। इस दौरान निसार धरती की निगरानी शुरू करेगा। सैटेलाइट को सही ऑर्बिट में रखने के लिए समय-समय पर छोटे-छोटे मैन्यूवर्स किए जाएंगे, ताकि वो डेटा इकट्ठा करने में कोई रुकावट न आए।

आसान शब्दों में, ये वो स्टेज है जब निसार असली काम शुरू करेगा। यानी धरती की तस्वीरें खींचना, बर्फ, जंगल, समुद्र, और जमीन के बदलावों को ट्रैक करना।

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हिंडनबर्ग केस- अडाणी को SEBI की क्लीन चिट:अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप थे, मार्केट वैल्यू ₹1 लाख करोड़ कम हो गई थी

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मुंबई,एजेंसी। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने गुरुवार,18 सितंबर को हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को खारिज करते हुए अडाणी ग्रुप को क्लीनचिट दे दी है। अमेरिकी शॉर्ट-सेलर कंपनी ने गौतम अडाणी और उनकी कंपनियों (जैसे- अडाणी पोर्ट्स और अडाणी पावर) पर शेयर बाजार में हेरफेर के आरोप लगाए थे।

24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे कई आरोप लगाए गए थे। इससे 25 जनवरी तक ग्रुप के शेयरों की मार्केट वैल्यू करीब 12 बिलियन डॉलर (1 लाख करोड़ रुपए) कम हो गई थी।

अडाणी को क्लीनचिट देते हुए SEBI की 6 बातें…

पारदर्शी जांच: SEBI ने पूरी जांच, सुनवाई और सबूतों के आधार पर पाया कि कोई धोखाधड़ी, शेयरों में हेरफेर या इनसाइडर ट्रेडिंग नहीं हुई। सभी लेन-देन वैध और पारदर्शी थे।

आरोप गलत साबित हुए: हिंडनबर्ग ने अडाणी पर शेयरों में हेरफेर, फंड का गलत इस्तेमाल, रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन छिपाने और गलत ट्रेडिंग के आरोप लगाए थे। जांच में ये आरोप सही नहीं पाए गए।

कोई नियम नहीं तोड़ा: अडाणी की कंपनियों (जैसे अडाणी पोर्ट्स, अडाणी पावर) के लेन-देन में SEBI के नियमों, लिस्टिंग नियमों या LODR नियमों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ।

रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन नहीं: माइलस्टोन ट्रेडलिंक्स, रेहवार इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी कंपनियों के जरिए हुए फंड ट्रांसफर को रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन नहीं माना गया, क्योंकि ये उस समय के नियमों में शामिल नहीं थे।

लोन चुकाया, कोई धोखा नहीं: अडाणी पोर्ट्स से अडाणी कॉर्प को दिए गए फंड्स को अडाणी पावर को लोन दिया गया था, जो ब्याज सहित पूरा चुका दिया गया। कोई फंड गलत इस्तेमाल, धोखाधड़ी या गलत फायदा नहीं पाया गया।

कोई सजा या जुर्माना नहीं: चूंकि कोई गलती साबित नहीं हुई, इसलिए अडाणी ग्रुप, गौतम अडाणी, राजेश अडाणी या उनकी कंपनियों पर कोई जुर्माना या सजा नहीं लगी।

जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यीय कमेटी बनाई थी

अडाणी ने किसी भी गलत काम के आरोपों से इनकार किया था। हालांकि इस केस की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यीय कमेटी बनाई और सेबी ने भी मामले की जांच की।

इस मामले में अडाणी को पहले ही कोर्ट ने बरी कर दिया है। फैसले के बाद गौतम अडाणी ने कहा था, ‘कोर्ट के फैसले से पता चलता है कि सत्य की जीत हुई है। सत्यमेव जयते। मैं उन लोगों का आभारी हूं जो हमारे साथ खड़े रहे। भारत की ग्रोथ स्टोरी में हमारा योगदान जारी रहेगा। जय हिन्द।

रिपोर्ट के बाद शेयर अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 59% गिरा था

24 जनवरी 2023 (भारतीय समय के अनुसार 25 जनवरी) को अडाणी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर का प्राइस 3442 रुपए था। 25 जनवरी को ये 1.54% गिरकर 3388 रुपए पर बंद हुआ था। 27 जनवरी को शेयर के भाव 18% गिरकर 2761 रुपए पर आ गए थे। 22 फरवरी तक ये 59% गिरकर 1404 रुपए तक पहुंच गए थे।

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CJI की सफाई- सभी धर्मों का सम्मान करता हूं:खजुराहो की खंडित मूर्ति बदलने की याचिका पर कहा था- भगवान से खुद करने को कहो

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नई दिल्ली,एजेंसी। खजुराहो के वामन (जावरी) मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति बदलने को लेकर दी टिप्पणी पर चीफ जस्टिस बीआर गवई ने सफाई दी है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि मेरी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से दिखाया गया। मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 16 सितंबर को राकेश दलाल की याचिका खारिज कर दी थी। सुनवाई के दौरान CJI ने याचिकाकर्ता से कहा था-

जाओ और भगवान से खुद करने को कहो। तुम कहते हो भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो, जाओ उनसे प्रार्थना करो।

बेंच में शामिल जस्टिस के विनोद चंद्रन ने सोशल मीडिया को एंटी-सोशल मीडिया कहा और बताया कि उन्हें भी ऑनलाइन गलत तरह से दिखाया गया है। वहीं, याचिकाकर्ता के वकील संजय नूली ने कहा कि CJI के बारे में सोशल मीडिया पर फैलाए गए बयान झूठे हैं।

सॉलिसिटर जनरल बोले- सोशल मीडिया पर बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है

गुरुवार को अदालत में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, मैं CJI को 10 साल से जानता हूं। वे सभी धर्मस्थलों पर जाते हैं। आजकल सोशल मीडिया पर बातें बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई जाती हैं। मेहता ने कहा,

न्यूटन का नियम है कि हर क्रिया की समान प्रतिक्रिया होती है, लेकिन अब सोशल मीडिया पर हर क्रिया की जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया हो जाती है।

वहीं, सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने भी सहमति जताई और कहा कि सोशल मीडिया की वजह से वकीलों को रोज दिक्कत उठानी पड़ती है।

VHP नेता बोले- सबका कर्तव्य है वाणी पर संयम रखना

VHP के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने X पर लिखा- न्यायालय न्याय का मंदिर है। भारतीय समाज की न्यायालयों पर श्रद्धा और विश्वास है। हम सबका कर्तव्य है कि यह विश्वास न सिर्फ बना रहे वरन और मजबूत हो।

हम सब का यह भी कर्तव्य है कि अपनी वाणी में संयम रखें। विशेष तौर पर न्यायालय के अंदर। यह जिम्मेदारी मुकदमा लड़ने वालों की है, वकीलों की है और उतनी ही न्यायाधीशों की भी है।

जावरी मंदिर खजुराहो का पहला मंदिर है, जिसे साइड व्यू से पूरा देखा जा सकता है।

जावरी मंदिर खजुराहो का पहला मंदिर है, जिसे साइड व्यू से पूरा देखा जा सकता है।

अपनी वास्तुकला के कारण खजुराहो के मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में सूचीबद्ध है।

अपनी वास्तुकला के कारण खजुराहो के मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में सूचीबद्ध है।

जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति खंडित होने की वजह से पूजा नहीं की जाती।

जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति खंडित होने की वजह से पूजा नहीं की जाती।

जावरी मंदिर में भगवान विष्णु के सभी अवतारों को दिखाया गया है।

जावरी मंदिर में भगवान विष्णु के सभी अवतारों को दिखाया गया है।

बीजेपी सरकार होने के बावजूद यह स्थिति दुखद

याचिकाकर्ता राकेश दलाल ने बताया कि उन्होंने 13 जून को यह जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें मुगलों के आक्रमण के दौरान खंडित हुई इस मूर्ति को बदलकर नई मूर्ति स्थापित करने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उन्होंने निराशा जताई।

याचिकाकर्ता राकेश दलाल हरियाणा के रहने वाले हैं

राष्ट्रीय वीर किसान मजदूर संघ दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश दलाल मूलतः हरियाणा के रहने वाले हैं और देश में किसान और धार्मिक स्थलों के मुद्दों पर लगातार आवाज बुलंद करते हैं।

खजुराहो के अलावा देश में जो अन्य ऐतिहासिक धार्मिक स्थल हैं, वहां मौजूद खंडित देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को ठीक कराने और मंदिरों में पूजा-पाठ शुरू हो, इसके लिए प्रयास करते हैं।

वह 5 साल पहले यह खजुराहो आए थे। यहां भगवान विष्णु की खंडित प्रतिमा देखकर उसके सुधार में जुट गए। इसके लिए इन्होंने खजुराहो के वामन जवारी मंदिर के बाहर कई बार अनशन भी किया और धार्मिक अनुष्ठान भी किए, जिससे स्थानीय लोग जागरूक हों।

जीर्णोद्धार की मांग, जंतर-मंतर पर प्रदर्शन भी किया था

जवारी मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भगवान विष्णु की 7 फीट ऊंची मूर्ति का सिर नहीं है। कई सामाजिक संगठनों और स्थानीय नागरिकों ने इसके जीर्णोद्धार की मांग उठाई है। राकेश दलाल ने इस मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन भी किया था और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को ज्ञापन सौंपा था।

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उत्तराखंड के चमोली में बादल फटा, 14 लोग लापता:मसूरी में 2500 टूरिस्ट्स फंसे, हिमाचल में 419 मौतें, देश में अबतक 8% ज्यादा बारिश

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नई दिल्ली/भोपाल/देहरादून,एजेंसी। उत्तराखंड में दो दिन में दूसरी बार बादल फटा है। 17 सितंबर की रात चमोली जिले के नंदानगर घाट में बादल फटा। यहां कुंटरी लंगाफली वार्ड में छह घर मलबे में दब गए। 14 लोग लापता हैं और 20 लोग घायल हैं। अब तक 2 लोग रेस्क्यू किए गए।

इससे पहले 16 सितंबर को देहरादून में बादल फटा था। देहरादून से मसूरी का 35 किलोमीटर का रास्ता कई जगह क्षतिग्रस्त है। इसके कारण मसूरी में 2500 टूरिस्ट्स लगातार तीसरे दिन फंसे हुए हैं।

हिमाचल में इस सीजन बारिश, बाढ़, लैंडस्लाइड और अचानक आई बाढ़ से अब तक 419 लोगों की मौत हो चुकी है। मौसम विभाग ने दोनों ही राज्यों उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को अगले 48 घंटे हाई अलर्ट पर रखा है।

देश में इस साल 24 मई को दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल पहुंचा था। देश में अब तक (17 सितंबर) सामान्य से 8% ज्यादा बारिश हो चुकी है। 3 राज्यों राजस्थान (पश्चिम), पंजाब और हरियाणा से मानसून की विदाई शुरू भी हो चुकी है, लेकिन इसके जाते-जाते भी देश के 7 राज्यों में तेज बारिश की संभवना है।

मौसम विभाग और ग्लोबल फोरकास्ट सिस्टम (GFS) के मुताबिक, सितंबर के आखिरी कुछ दिन और अक्टूबर की शुरुआत तक एक बड़े कम दबाव के क्षेत्र के साथ जबरदस्त बारिश के आसार हैं।

25-26 सितंबर को बंगाल की खाड़ी में बड़ा मानसूनी सिस्टम लो प्रेशर एरिया बन रहा है। इससे पूर्वी-पश्चिमी मध्य प्रदेश के अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, छग, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में 2-3 दिन तेज बारिश हो सकती है। कुछ इलाकों में 3 इंच तक पानी गिर सकता है।

चमोली के नंदानगर की तस्वीरें…

बादल फटने के कारण नंदानगर घाट इलाके के 6 मकानों में मलबा और पानी भर गया।

बादल फटने के कारण नंदानगर घाट इलाके के 6 मकानों में मलबा और पानी भर गया।

नंदानगर घाट में बादल फटने के बाद रास्ता कट गया।

नंदानगर घाट में बादल फटने के बाद रास्ता कट गया।

घरों में कई फीट तक मलबा भरा है, यहां पर 7 लोग लापता हैं।

घरों में कई फीट तक मलबा भरा है, यहां पर 7 लोग लापता हैं।

नंदानगर में बादल फटने के बाद पूरे इलाके में मलबा जमा हो गया। घरों में भी मलबा भर गया।

नंदानगर में बादल फटने के बाद पूरे इलाके में मलबा जमा हो गया। घरों में भी मलबा भर गया।

नंदानगर में घरों के नीचे से बहता पानी, कई घरों को नुकसान भी हुआ है।

नंदानगर में घरों के नीचे से बहता पानी, कई घरों को नुकसान भी हुआ है।

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