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प्लेन क्रैश में बचे इकलौते यात्री से मिले PM मोदी:10 मिनट बातचीत की; पैसेंजर रमेश बोला- दरवाजा टूटा और मैं सीट समेत नीचे गिर गया

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अहमदाबाद, एजेंसी। अहमदाबाद प्लेन हादसे में जिंदा बचे इकलौते यात्री रमेश विश्वास कुमार ने बताया कि मुझे विश्वास नहीं होता कि मैं कैसे जिंदा बाहर निकला। शायद दरवाजा टूटा और सीट समेत नीचे गिर गया। मुझे कुछ याद नहीं था।

रमेश कुमार अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में भर्ती हैं। PM मोदी ने शुक्रवार को उनसे मुलाकात की और हालचाल जाना। दोनों के बीच करीब 10 मिनट बातचीत हुई।

इसके बाद रमेश ने DD न्यूज से बातचीत में कहा, PM ने उनका हालचाल जाना और पूछा कि हादसा कैसे हुआ। रमेश प्लेन की 11A सीट पर बैठे थे। हादसे के बाद वे घटनास्थल से खुद पैदल चलकर बाहर निकले।

पीएम मोदी ने विश्वास से करीब 5 मिनट बात की।

पीएम मोदी ने विश्वास से करीब 5 मिनट बात की।

रमेश ने कहा- मुझे विश्वास नहीं होता, मैं कैसे जिंदा बचा

सवाल: हादसा कैसे हुआ? जवाब: सब कुछ मेरे सामने हुआ। मुझे पता नहीं कैसे यह हुआ। मुझे विश्वास नहीं होता कि मैं कैसे जिंदा बाहर निकला। थोड़े वक्त के लिए लगा था कि मैं भी मरने वाला हूं। मेरी आंख खुली तो लगा कि मैं जिंदा हूं। मैंने सोचा मैं यहां से निकल सकता हूं और मैं निकल गया। सवाल: फ्लाइट के टेक ऑफ होते ही क्या हुआ? जवाब: टेक ऑफ होते ही पांच-दस सेकेंड के अंदर लगा कि स्टाप हो गया हो है। बाद में ग्रीन और व्हाइट लाइट ऑन हो गई। फिर जैसे ही स्पीड बढ़ाई। उसी समय गिर गया और धमाका हो गया। सवाल: जब फ्लाइट हॉस्टल पर गिरी तभी आप बाहर निकले थे। जवाब: मेरी सीट प्लेन के जिस हिस्से में थी, वो बिल्डिंग के निचले हिस्से से टकराया होगा। ऊपर के हिस्से में आग लग गई थी, कई लोग वहीं फंसे गए। शायद मैं सीट समेत नीचे गिर गया था। मैं जैसे-तैसे निकल पाया। दरवाजा टूट गया था और सामने कुछ खाली जगह दिखी, तो निकलने की कोशिश की। दूसरी साइड पर दीवार थी, वहां से शायद कोई नहीं निकल सका। आंखों के सामने ही दो एयर होस्टेस, एक अंकल-आंटी और सब कुछ जल रहा था। सवाल: आप पैदल चलकर आए वहां से। जवाब: हां।

प्लेन हादसे के बाद रमेश विश्वास कुमार घटनास्थल से खुद ही पैदल चलकर बाहर आए थे।

प्लेन हादसे के बाद रमेश विश्वास कुमार घटनास्थल से खुद ही पैदल चलकर बाहर आए थे।

अस्पताल में भर्ती रमेश विश्वास कुमार। उन्हें चेहरे और शरीर पर जख्म आए हैं।

अस्पताल में भर्ती रमेश विश्वास कुमार। उन्हें चेहरे और शरीर पर जख्म आए हैं।

विमान में 242 लोग सवार थे, 241 की जान चली गई एअर इंडिया की उड़ान संख्या AI-171 (बोइंग 787 ड्रीमलाइनर प्लेन) अहमदाबाद से लंदन जा रही थी। गुरुवार दोपहर 1.40 बजे क्रैश हो गई। इसमें 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और एक कनाडाई नागरिक समेत कुल 230 यात्री सवार थे। बाकी 12 क्रू मेंबर्स थे। एक यात्री जिंदा बचा है। 240 लोगों की मौत हुई है।

प्लेन जिस बिल्डिंग से टकराया, वहां अहमदाबाद के सिविल हॉस्पिटल के डॉक्टर्स रहते हैं। जानकारी के मुताबिक हादसे के समय इमारत में 50 से 60 डॉक्टर मौजूद थे, इनमें 15 से ज्यादा घायल हो गए हैं। हादसे की जगह से मिले ज्यादातर शव पूरी तरह से झुलस गए।

रमेश विश्वास कुमार का टिकट, वे 11A नंबर की सीट पर बैठे थे।

रमेश विश्वास कुमार का टिकट, वे 11A नंबर की सीट पर बैठे थे।

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हिमाचल में लैंडस्लाइड, पुणे में गाड़ियां बहीं:MP में 2 दिन बाद मानसून आएगा; हरियाणा सरकार बोली- महिलाएं दोपहर में खाना न बनाएं

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नई दिल्ली/भोपाल/लखनऊ, एजेंसी। मानसून ने फिर से रफ्तार पकड़ ली है। मध्य प्रदेश में 16 जून तक मानसून की एंट्री हो सकती है। वहीं राजस्थान के जैसलमेर में आज सुबह बारिश हुई। मौसम विभाग ने 23 जिलों में आंधी-बारिश की संभावना जताई है। शुक्रवार को श्रीगंगानगर देश का सबसे गर्म शहर रहा। यहां अधिकतम तापमान 49.4 डिग्री पहुंच गया था।

इससे पहले श्रीगंगानगर में 1 जून 2018 को 49.1 डिग्री अधिकतम तापमान रिकॉर्ड किया गया था। श्रीगंगानगर में जून महीने का अब तक का सबसे ज्यादा तापमान 14 जून 1934 को 50 डिग्री दर्ज किया गया था।

मौसम विभाग ने शनिवार को UP, पंजाब-हरियाणा समेत देश के 7 राज्यों में हीटवेव का अलर्ट जारी किया है। उधर बीती रात पुणे में भारी बरसात हुई। पिंपरी चिंचवड़ शहर की सड़कों पर पानी भर गया। नाले में चार से पांच गाड़ियां बह गईं, गनीमत रही कि कोई हताहत नहीं हुआ। हिमाचल के चंबा जिले में लैंडस्लाइड हुई।

हरियाणा में बढ़ती गर्मी को देखते हुए सरकार की ओर से गाइड लाइन जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि महिलाएं गर्मी के पीक आवर्स में खाना न बनाएं। इसके साथ यह भी कहा है कि प्यास न हो तब भी पानी पीते रहें।

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मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव से Adani Group की बड़ी डील्स खतरे में, अरबों डॉलर के निवेश पर संकट

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 गौतम अडानी की अगुवाई वाला अडानी ग्रुप इस समय एक बड़े भू-राजनीतिक तूफान की जद में है। इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते युद्ध जैसे हालात ने कंपनी के अरबों डॉलर के निवेश पर संकट खड़ा कर दिया है। अडानी ग्रुप की इजरायल में तीन प्रमुख हिस्सेदारियां – हाइफा पोर्ट, डिफेंस पार्टनरशिप और सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट – अब खतरे में नजर आ रही हैं।  

हाइफा पोर्ट: 10,000 करोड़ की डील पर छाया युद्ध का साया

मुंबई, एजेंसी।साल 2023 में अडानी ग्रुप ने इजरायल के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हाइफा पोर्ट में 70% हिस्सेदारी खरीदकर 1.2 बिलियन डॉलर (लगभग 10,000 करोड़ रुपए) का निवेश किया था। यह पोर्ट इजरायल के आयात-निर्यात का अहम केंद्र है लेकिन अब मिडिल ईस्ट में बिगड़ते हालात के कारण इस पर संकट मंडरा रहा है। भले ही लड़ाई दक्षिणी इजरायल में केंद्रित है, पर लंबे समय तक युद्ध चलने की सूरत में मेडिटेरेनियन सी रूट बाधित हो सकता है, जिससे शिपिंग में देरी और लॉजिस्टिक्स का संकट उत्पन्न हो सकता है।

इस डर का असर शेयर बाजार पर दिख चुका है— शुक्रवार को अडानी पोर्ट्स के शेयर 2.71% गिरकर 1405 रुपए और अडानी एंटरप्राइजेज 1.36% गिरकर 2506 रुपए पर बंद हुए।

डिफेंस सेक्टर में अडानी-एल्बिट जॉइंट वेंचर को मिलेगी बढ़त या संकट?

अडानी ग्रुप और इजरायल की प्रमुख रक्षा कंपनी Elbit Systems के बीच बना जॉइंट वेंचर Adani Elbit Advanced Systems India, भारत में Hermes 900 ड्रोन बना रहा है, जो इजरायली डिफेंस फोर्सेज द्वारा उपयोग किए जाते हैं। युद्ध के माहौल में ड्रोन्स की डिमांड बढ़ सकती है, जिससे इस जॉइंट वेंचर को व्यापारिक लाभ हो सकता है लेकिन दूसरी तरफ इस तरह की डिफेंस साझेदारी जियोपॉलिटिकल दबावों को भी बढ़ा सकती है। अगर ईरान या उसके सहयोगी देशों ने इस साझेदारी को निशाना बनाया, तो अडानी ग्रुप को रणनीतिक और कारोबारी झटके लग सकते हैं।

10 अरब डॉलर की सेमीकंडक्टर डील पर लगा ब्रेक

अडानी ग्रुप और इजरायली Tower Semiconductor के बीच भारत में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने की योजना थी, जिसकी अनुमानित लागत थी 10 बिलियन डॉलर (83,000 करोड़ रुपये)। लेकिन अप्रैल में आई रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रोजेक्ट को फिलहाल रोक दिया गया है। मुख्य कारण हैं–मिडिल ईस्ट में बढ़ता तनाव और ग्लोबल मार्केट की अनिश्चितता।

ग्लोबल बाजार में भी उथल-पुथल

इजरायल के हमले के बाद कच्चे तेल की कीमत 9% उछलकर 75.36 डॉलर/बैरेल हो गई और सोना 1.5% चढ़कर 3434 डॉलर/औंस तक पहुंच गया। एशियाई शेयर बाजारों में भी भारी गिरावट देखी गई। इजरायल ने इमरजेंसी की घोषणा की है और ईरानी जवाबी हमले की आशंका बनी हुई है।

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दुर्लभ खनिज ऑक्साइड निर्यात पर पुनर्विचार, भारत-जापान समझौते की नई शर्तों पर मंथन

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मुंबई, एजेंसी। भारत सरकार जापान के साथ 2012 में हुए दुर्लभ खनिज ऑक्साइड निर्यात समझौते की शर्तों पर नए सिरे से विचार कर रही है। यह कदम ऐसे समय उठाया जा रहा है जब घरेलू उद्योगों को चीन से मैग्नेट की आपूर्ति में रुकावट के चलते कच्चे माल की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

समझौते के तहत, भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई IREL इंडिया लिमिटेड जापान की टोयोटा त्सुशो को दुर्लभ खनिज ऑक्साइड निर्यात करती है, जिसे बाद में परिष्कृत कर मैग्नेट के रूप में जापान को आपूर्ति किया जाता है। इन मैग्नेट का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन टर्बाइनों, एयरोस्पेस और रक्षा उपकरणों में होता है।

सूत्रों के मुताबिक, अब भारत इस समझौते को अधिक संतुलित और पारस्परिक लाभकारी बनाना चाहता है। सरकार से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, “हमने सालों से निर्यात किया है, लेकिन बदले में कुछ खास नहीं मिला। अब हमारी मांग है कि अगर जापान हमारे दुर्लभ खनिज ले रहा है, तो वह बदले में हमें मैग्नेट की आपूर्ति करे या तकनीक साझा करे।”

घरेलू उद्योगों की मांग और रणनीतिक दबाव

वाहन उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “भारत मैग्नेट उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं है और हमारी लगभग 30-40% जरूरतें आयात से पूरी होती हैं। जापान इस मामले में हम पर निर्भर है, इसलिए हमें एक ऐसी साझेदारी चाहिए जिसमें तकनीकी सहयोग और स्थानीय उत्पादन दोनों शामिल हों।

भारत सरकार की योजना है कि जापान के साथ मिलकर मैग्नेट निर्माण का संयुक्त ढांचा तैयार किया जाए। प्रस्ताव यह भी है कि जापान कुछ मैग्नेट खुद बनाए और शेष का उत्पादन भारत में किया जाए।

भविष्य की संभावनाएं और उत्पादन क्षमता

भारत में दुर्लभ खनिजों का मुख्य स्रोत मोनाजाइट रेत है, जो आंध्र प्रदेश, केरल, ओडिशा और तमिलनाडु में पाई जाती है। विशेष रूप से केरल की रेत अत्यधिक समृद्ध मानी जाती है। मोनाजाइट में नियोडिमियम और प्रेजोडिमियम जैसे खनिज मौजूद होते हैं, जो उच्च गुणवत्ता के मैग्नेट के लिए जरूरी हैं।

फिलहाल भारत का वार्षिक मोनाजाइट उत्पादन लगभग 5,000 टन है, जबकि IREL की परिष्कृत करने की क्षमता 10,000 टन तक है। सरकार ने 2032 तक इस क्षमता को 5 करोड़ टन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।

जापान की प्रतिक्रिया

जापानी दूतावास के एक अधिकारी ने इस विषय पर कहा, “हम भारत से कच्चा माल आयात कर उसे परिष्कृत करते हैं और मैग्नेट बनाते हैं। हम भारत को भी मैग्नेट निर्यात करते हैं, हालांकि मात्रा अभी सीमित है। यह विषय हमारी सरकार के साथ विचाराधीन है।”

संभावित समझौता: भारत के लिए रणनीतिक अवसर

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास अब रणनीतिक बढ़त है क्योंकि जापान के पास दुर्लभ खनिजों का अपना स्रोत नहीं है। अगर भारत समझदारी से बातचीत करता है, तो यह देश के लिए तकनीकी सहयोग, स्थानीय उत्पादन और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में प्रमुख स्थान पाने का अवसर हो सकता है।

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