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छत्तीसगढ़

पेस मेकर की बैटरी बदलने में गई मरीज की जान,हंगामा:भिलाई के शंकराचार्य हॉस्पिटल के डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप;परिजन बोले-कंसेंट लेटर साइन नहीं कराया

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भिलाई , एजेंसी। भिलाई के जुनवानी क्षेत्र में स्थित श्री शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पेस मेकर की बैटरी बदलते समय मरीज की जान चली गई। इसके बाद मरीज के परिजन ने अस्पताल में जमकर हंगामा करते हुए तोड़फोड़ की। परिजन ने आरोप लगाया कि डॉक्टर ने ऑपरेशन में लापरवाही बरती, जिससे मरीज की जान गई।श्री शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ दिलीप रत्नानी ने बताया कि 15 साल पहले महेश यादव नाम के व्यक्ति को हार्ट की समस्या हुई थी। उस दौरान उसके हार्ट वाल्व ब्लॉक होने से उसे बदला गया था। इसके बाद फिर से उसे समस्या हुई तो 20-25 दिन के लिए उसे हॉस्पिटल में रखा गया और फिर एक पेस मेकर लगाया गया।

ऑपरेशन के दौरान हार्ट वॉल्व चोक होने से गई जान

डॉ रत्नानी का कहना है कि पेस मेकर की बैटरी 10 साल चलती है। इसलिए मरीज को बैटरी चेंज करने के लिए बुलाया गया था। उसे ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया। ऑपरेशन के दौरान अचानक उसके हार्ट का वॉल्व चोक हो गया और उसकी जान चली गई।वहीं इस बारे में मृतक महेश यादव के बेटे का कहना है कि डॉक्टर ने उन्हें ऑपरेशन से पहले ये नहीं बताया था कि इसमें मरीज की जान भी जा सकती है, ना ही उनसे किसी भी तरह का कंसेंट लेटर (सहमति पत्र) साइन कराया था।

मौत की खबर सुनते ही हंगामा शुरू किया

ऑपरेशन के बीच डॉक्टर बाहर आए और परिजन को बताया कि मरीज का हार्ट वॉल्व चोक हो गया, जिससे उसकी मौत हो गई। इससे परिजन भड़क गए और उन्होंने अस्पताल परिसर में हंगामा शुरू कर दिया। परिजन का कहना है कि डॉक्टर ने ऑपरेशन में लापरवाही बरती है, जिससे मरीज की जान गई है।

परिजनों ने 50 लाख रुपए मुआवजे के साथ ही डॉक्टर के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है।

डॉक्टर ने कहा कंसेट लेटर साइन कराना जरूरी नहीं

डॉ रत्नानी का कहना है कि कई बार मरीज की कंडीशन काफी खराब होती है। इस स्थिति में कंसेंट लेटर (सहमति पत्र) लेना जरूरी नहीं होता है। इस मामले में भी मरीज की कंडीशन काफी खराब थी। इसलिए उन्होंने औरन उसे ऑपरेशन थिएटर में शिफ्ट किया और ऑपरेशन के दौरान उसकी मौत हो गई। हालांकि उन्होंने कंसेंट लेटर को जरूरी बताते हुए यह भी कहा कि इस मुद्दे को क्यों उठाया जा रहा है।

गार्ड की नौकरी करके परिवार पालता था महेश

परिजन ने बताया कि महेश के बच्चे काफी छोटे हैं। वह एक पैर से दिव्यांग था। हार्ट की समस्या होने के बाद वह अधिक जोखिम वाले काम नहीं कर सकता था। इसलिए उसने गार्ड की नौकरी की और उसी के सहारे परिवार का पेट पालता था। अब उसकी मौत के बाद परिवार के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है। पत्नी और बेटे का रो-रोकर बुरा हाल है।

कंसेंट लेटर के बिना ऑपरेशन करना अपराध

इस बारे में जिला नर्सिंग होम एक्ट के नोडल अधिकारी डॉ अनिल शुक्ला ने कहा कि मेडिकल नॉर्म्स में स्पष्ट लिखा है कि किसी भी तरह के ऑपरेशन से पहले उसके जोखिम के बारे में परिजन को बताना है। सभी जानकारी भरकर सगे संबंधियों से एक कंसेंट लेटर (सहमति पत्र) लेना है।

बिना कंसेंट लेटर के मरीज का ऑपरेशन किया जाता है और उस स्थिति में उसकी मौत हो जाती है तो ये आपराधिक श्रेणी में आता है। हालांकि डॉ शुक्ला ने कहा कि अगर श्री शंकराचार्य हॉस्पिल की शिकायत उनके पास आएगी तो वे उसकी जांच करेंगे और स्थिति के मुताबिक ही बता पाएंगे की डॉक्टर के खिलाफ किस तरह की कार्रवाई हो सकती है।

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छत्तीसगढ़

रायपुर : अनुसूचित जाति के मेधावी विद्यार्थियों के लिए ‘श्रेष्ठ योजना’ हेतु आवेदन की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर

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गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए देश के श्रेष्ठ निजी आवासीय विद्यालयों में मिलेगा प्रवेश अवसर

रायपुर। अनुसूचित जाति के मेधावी विद्यार्थियों को देश के सर्वश्रेष्ठ निजी आवासीय विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से भारत सरकार की “श्रेष्ठ योजना” (Scheme for Residential Education for Students in High Schools in Targeted Areas – SHRESHTA) के तहत आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर 2025, शाम 5 बजे निर्धारित की गई है। इस योजना के अंतर्गत प्रतिवर्ष राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा के माध्यम से कक्षा 9 और 11 में प्रवेश के लिए 3000 नए विद्यार्थियों का चयन किया जाता है, जो कक्षा 12वीं तक की शिक्षा पूरी करते हैं। स्कूलों का आबंटन योग्यता और विद्यार्थियों की प्राथमिकता के आधार पर आनलाइन काउंसिलिंग के माध्यम से किया जाता है।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा वर्ष 2022-23 से संचालित यह योजना राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित निजी आवासीय विद्यालयों के माध्यम से अनुसूचित जाति वर्ग के विद्यार्थियों को कक्षा 9वीं एवं 11वीं में प्रवेश का अवसर प्रदान करती है। इसके लिए राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा “राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा (श्रेष्ठ)” (NETS) का आयोजन किया जाता है। आगामी परीक्षा दिसंबर 2025 में संभावित है।

श्रेष्ठ योजना के अंतर्गत प्रत्येक वर्ष सर्वोत्तम निजी आवासीय विद्यालयों का चयन का मापदंड ऐसे विद्यालय हैं जो न्यूनतम पाँच वर्षों से सतत रूप से संचालित हों, पिछले तीन वर्षों में कक्षा 10वीं एवं 12वीं की परीक्षाओं में कम से कम 75 प्रतिशत या उससे अधिक उत्तीर्णता दर प्राप्त कर चुके हों, तथा जिनके पास कक्षा 9वीं और 11वीं में अतिरिक्त रूप से कम से कम 10 अनुसूचित जाति विद्यार्थियों को समायोजित करने हेतु आवश्यक एवं उपयुक्त बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध हों।

इस योजना के अंतर्गत चुने गए विद्यार्थियों को शिक्षण एवं छात्रावास शुल्क का पूरा व्यय भारत सरकार द्वारा वहन किया जाता है। विद्यार्थियों को किसी प्रकार का शुल्क या अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होता। साथ ही, शैक्षणिक समायोजन में सहायता हेतु ‘ब्रिज कोर्स’ के लिए वार्षिक शुल्क का 10% तक का प्रावधान है।

योजना अंतर्गत ऑनलाइन आवेदन NTA की वेबसाइट पर किया जा सकता है। आवेदन सुधार हेतु विंडो 1 से 2 नवंबर 2025 तक खुली रहेगी। विस्तृत दिशा-निर्देश एवं सार्वजनिक सूचनाhttps://cdnbbsr.s3waas.gov.inपर उपलब्ध हैं।

राज्य शासन ने सभी जिलों के कलेक्टरों को निर्देशित किया है कि वे अपने जिलों में स्कूलों, वेबसाइटों और सोशल मीडिया के माध्यम से इस योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करें, ताकि पात्र विद्यार्थी समय पर आवेदन कर सकें और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के इस अवसर का लाभ उठा सकें।

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कोरबा

कलश यात्रा के साथ श्रीमद् देवी भागवत कथा का शुभारंभ

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कोरबा। कोरबा के पंडित रविशंकर शुक्ल नगर में 22 अक्टूबर को सुबह भव्य कलश यात्रा निकाली गई और इसके साथ श्रीमद् देवी भागवत का शुभारंभ हो गया। पंवार परिवार द्वारा 22 से 30 अक्टूबर तक संगीतमय श्रीमद् देवी भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा का आयोजन भूपेंद्र सिंह पंवार और श्रीमती विंध्यवासिनी पंवार द्वारा किया जा रहा है और आचार्य पंडित जनार्दन प्रसाद दुबे बरपाली वाले के श्रीमुख से आज 22 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक कथा का वाचन किया जाएगा।


कथा का कार्यक्रम:

  • 22 अक्टूबर: कलश यात्रा और कथा का शुभारंभ
  • 23 अक्टूबर: हयग्रीव अवतार कथा और कौरव-पांडव उत्पत्ति कथा
  • 24 अक्टूबर: भुवनेश्वरी देवी कथा और देवी मंत्र महात्म्य कथा
  • 25 अक्टूबर: वृत्तासुर कथा और वृत्ततनिहन्ति देवी कथा
  • 26 अक्टूबर: सरस्वती पूजन और हैहयवंशी राजाओं की कथा
  • 27 अक्टूबर: भगवान श्री कृष्ण के चरित्र का वर्णन
  • 28 अक्टूबर: श्री दुर्गा देवी कथा और देवी के अन्य अवतारों की कथा
  • 29 अक्टूबर: सदाचार वर्णन और गायत्री मां की महिमा
  • 30 अक्टूबर: गीता पाठ, तुलसी वर्षा, कपिला तर्पण, सहस्त्रधारा, कुमारी भोजन, ब्राह्मण भोजन और विसर्जन
    आयोजक परिवार:
  • पंवार परिवार ने नगरवासियों से इस कथा में शामिल होने और पुण्य लाभ प्राप्त करने का आग्रह किया है।

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छत्तीसगढ़

रायपुर : गोवर्धन पूजा के अवसर पर मुख्यमंत्री ने किया गौपूजन, प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की

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गोवर्धन पूजा के अवसर पर मुख्यमंत्री ने किया गौपूजन, प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की
गोवर्धन पूजा के अवसर पर मुख्यमंत्री ने किया गौपूजन, प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज मुख्यमंत्री निवास रायपुर में स्थित गौशाला में गोवर्धन पूजा के अवसर पर गौमाता की पूजा-अर्चना की और गौ माता को खिचड़ी खिलाकर गोसेवा की परंपरा निभाई। उन्होंने इस अवसर पर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि, शांति और खुशहाली की मंगलकामना की।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि गोवर्धन पूजा प्रकृति, गौवंश और पर्यावरण के प्रति आभार व्यक्त करने का पावन पर्व है। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं दी।

पूजा-अर्चना के बाद प्रसाद वितरण के दौरान मुख्यमंत्री श्री साय ने गौशाला में सेवा कर रहे गौसेवकों को अपने हाथों से मिठाई खिलाकर सम्मानित किया। उन्होंने गौसेवा के लिए उनकी सराहना करते हुए सभी से गौवंश की रक्षा एवं संरक्षण के कार्यों में आगे आने का आग्रह किया। इस दौरान मुख्यमंत्री श्री साय ने  गौशाला की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। गौसेवकों ने मुख्यमंत्री को बताया कि गौशाला में गौवंश की देखरेख की सभी व्यवस्था मौजूद है। 

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि गोवर्धन पूजा हमारे जीवन में प्रकृति, अन्न और पशुधन के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। गाय भारतीय संस्कृति की आधारशिला है, जो न केवल हमारे ग्रामीण जीवन से जुड़ी है, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था और आस्था दोनों का केंद्र भी है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ की मिट्टी में गोसेवा और प्रकृति पूजन की भावना गहराई से रची-बसी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गाय, अन्न और धरती का सम्मान करना उस मातृशक्ति को प्रणाम करना है, जिससे हमारा जीवन जुड़ा है। जब हम इन्हें नमन करते हैं, तब हम अपनी संस्कृति की जड़ों, अपनी आत्मा की गहराइयों और समृद्धि के स्रोतों को स्पर्श करते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी संस्कृति में गाय गौमाता के रूप में पूजनीय है, और इसी भावना के साथ राज्य सरकार गोसेवा को ग्रामीण विकास की धुरी बनाने के लिए कार्य कर रही है।

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