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छत्तीसगढ़

2 मिनट की देरी…परीक्षा से चूके 15 ADEO कैंडिडेट:रायपुर में अभ्यर्थी बोले-इस बार सरल प्रश्न आए थे, 200 पोस्ट के लिए 3 लाख अभ्यर्थी

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रायपुर, एजेंसी। छत्तीसगढ़ व्यापम की सहायक विकास विस्तार अधिकारी भर्ती परीक्षा (ADEO-2025) रविवार को परीक्षा हुई। 200 पदों के लिए 3 लाख 10 हजार कैंडिडेट्स आवेदन किए थे, जिसमें 70 प्रतिशत अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए।

रायपुर में 95 केन्द्र बनाए थे। परीक्षा का समय सुबह 10 से दोपहर 12:15 रहा। इसमें करीब 15 अभ्यर्थी 2 मिनट की देरी से पहुंचने पर एग्जाम से चूक गए हैं। हालांकि वह कॉलेज कैंपस के अंदर 9.55 के पहुंच गए थे।

वहीं अभ्यर्थियों ने परीक्षा को लेकर कहा कि वैसे बहुत कठिन प्रश्न पूछे जाते हैं, लेकिन इस बार बहुत ही सरल सवाल आए थे। सवाल अच्छे से सॉल्व किए हैं। अब रिजल्ट के बाद ही पता चलेगा कि कितने नंबर मिले हैं और कटे हैं।

2 मिनट की देरी से एग्जाम से चूके कैंडिडेट्स एंट्री के लिए गुहार लगाते रह गए, लेकिन एंट्री नहीं मिली।

2 मिनट की देरी से एग्जाम से चूके कैंडिडेट्स एंट्री के लिए गुहार लगाते रह गए, लेकिन एंट्री नहीं मिली।

अंदर जाने के लिए रिक्वेस्ट करते रहे कैंडिडेट

जेआर दानी कन्या स्कूल के गेट बंद होने के बाद कैंडिडेट अंदर जाने के लिए रिक्वेस्ट करते रहे, लेकिन उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। वहीं पत्नी एग्जाम देने के लिए गई, तो पति बच्चे को संभालते हुए दिखाई दिए। कुलेश्वर ने बताया कि वे पाटन के रहने वाले हैं।

परीक्षा देने पहुंचे एक अभ्यर्थी ने बताया कि सामान्य हिंदी,छत्तीसगढ़ी सामान्य अध्ययन, भारत का सामान्य अध्ययन, ग्रामीण विकास, पंचायती राज और आजीविका संबंधित योजनाएं से संबंधित प्रश्न पूछे गए थे, जो बहुत ही सरल रहे।

किस तरह के पूछे गए थे सवाल ?

1. वित्त मंत्री ओपी चौधरी के हस्तलिखित बजट भाषण में क्या मुख्यमंत्री नगर उत्थान योजना के लिए राशि का प्रावधान है?

2 बस्तर जिले की तीन प्रमुख नदियां कौन सी हैं?

3. राउत नाचा के बीच गाए जाने वाले दोहे क्या होते हैं? 4. मड़वा ताप विद्युत स्टेशन छत्तीसगढ़ के किस जिले में स्थित है? 5. दक्षिण कोसल का चाणक्य किसे कहा जाता है?

5000 लोगों की ड्यूटी

रायपुर में 38 हजार से अधिक कैंडिडेट के लिए 95 एग्जाम सेंटर बनाए गए हैं। इनमें ऑबजर्वर ,केन्द्राध्यक्ष समेत एग्जाम हॉल में इनविजीलेटर की ड्यूटी लगाई गई है। साथ ही परीक्षा में 5000 अधिकारी और कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है।

समय से पहले पहुंचने की अपील

एग्जाम में लगे अधिकारियों ने कैंडिडेट से अपील की थी कि सभी कैंडिडेट एग्जाम सेंटर में 10 बजे से पहले पहुंचे। अधिकारियों ने बताया था कि ठीक दस बजे एग्जाम सेंटर का गेट बंद हो जाएगा। इसके बाद किसी भी कैंडिडेट को एंट्री नहीं मिलेगी।

पिछली परीक्षाओं में यह देखा गया है कि कुछ मिनट की देरी से पहुंचने वाले कैंडिडेट को परीक्षा से में शामिल होने नहीं दिया गया था।

पूरी तरह जांच के बाद ही अभ्यर्थियों को अंदर प्रवेश दिया गया।

पूरी तरह जांच के बाद ही अभ्यर्थियों को अंदर प्रवेश दिया गया।

ये चीजें बैन

  • परीक्षा हॉल में अभ्यर्थी केवल पारदर्शी पानी बॉटल लाएं, उस पर किसी भी प्रकार का स्टिकर नहीं होना चाहिए।
  • परीक्षा हॉल में डिजिटल वॉच, मोबाइल फोन, आईटी गैजेट्स, स्मार्ट वॉच, ब्लूटूथ, किसी भी प्रकार कम्युनिकेशन उपकरण और बैग या पर्स ले जाने की अनुमति नहीं है।
  • सभी परीक्षार्थियों को प्रवेश के समय एडमिट कार्ड और फोटोयुक्त पहचान पत्र पेश करना होगा।
  • मोबाइल पर ई-एडमिट कार्ड की तस्वीर दिखाने से परीक्षा केंद्र में एंट्री नहीं मिलेगी।

परीक्षा केंद्रों की सूची-

  • जे.आर. दानी, शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला, कालीबाड़ी चौक
  • प्रो.जे.एन. पाण्डेय शासकीय बहुद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, नलघर चौक
  • पी.जी. उमाठे, शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला, शांति नगर
  • डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, डब्ल्यू आर.एस. कॉलोनी
  • प्यारे लाल यादव शासकीय हिन्दू उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बैरन बाजार
  • जे.आर. नायडू शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, रविग्राम तेलीबांधा
  • स्व० श्रीराम शर्मा (मिन्टू) शा०उ०मा०विद्यालय, डूमरतराई
  • काशीराम शर्मा शास० उ०मा० वि० भनपुरी, बाजार चौक
  • शासकीय जे योगानंदम छत्तीसगढ़ महाविद्यालय बैरन बाजार, रायपुर
  • बीपी पुजारी शासकीय अंग्रेजी माध्यम विद्यालय राजातालाब, रायपुर

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कोरबा

आदिवासी कोरवा परिवार के तीन सदस्यों की जघन्य हत्या करने वाले आरोपियों की सजा उम्रकैद में बदली

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कोरबा/बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सामुहिक कुकर्म और तीन हत्या के मामले में पांच दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने माना है कि यह केस समाज को झकझोरने वाला है। फिर भी तथ्यों और परिस्थितियों में आरोपियों को मृत्युदंड की कठोर सजा देना उचित नहीं है, क्योंकि यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर का मामला नहीं है, जिसमें मृत्युदंड की कठोर सजा की पुष्टि की जानी चाहिए।

यह मामला जनवरी 2021 का है, जब कोरबा जिले में एक 16 साल की पहाड़ी कोरवा जाति की लड़की के साथ सामुहिक कुकर्म के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। साथ ही उसके पिता और एक चार साल की बच्ची को भी बेरहमी से मार दिया गया था। हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि आरोपियों की आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं होने और उनकी उम्र को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।

दरअसल, कोरबा जिले के देवपहरी निवासी विशेष जनजाति समुदाय के परिवार के सदस्य सतरेंगा के संतराम मंझवार के मवेशियों को चराने का काम करता था। इसके एवज में 8000 रुपए सालाना और हर महीने 10 किलो चावल देने की बात कही थी। लेकिन, संतराम मंझवार ने साल भर से बकाया भुगतान नहीं किया और मवेशी चराने के लिए केवल 600 रुपए और प्रति माह केवल 10 किलो चावल दिया। बाकी पैसे मांगने पर संतराम मंझवार टालमटोल करता रहा।

हाईकोर्ट ने इस केस को रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस नहीं माना

हाईकोर्ट ने इस केस को रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस नहीं माना

पति और बच्चियों को ढूंढती रही पत्नी

धरमू की पत्नी ने पुलिस को बताया कि वो अपने पति और बच्ची के साथ मवेशी चराने का हिसाब-किताब करने संतराम के पास गई थी। इस दौरान कहा था कि हमारा पैसा दे दो फिर हम अपने घर चले जाएंगे, तब संतराम ने उसे 600 रुपए नकद, अनाज दे दिया। जिसके बाद धरमू अपने गांव जाने के लिए ग्राम सतरेंगा के बस स्टैंड निकल गया।

कुछ देर बाद संतराम अपने साथियों के साथ आया। सभी को बाइक से घर छोड़ने की बात कही। पत्नी को एक बाइक से आगे भेज दिया। उसके पति, नाबालिग बेटी और नातिन को रोक लिया। इसके बाद जब तीनों घर नहीं पहुंचे, तब धरमू की पत्नी तीनों की तलाश करते हुए संतराम के घर भी गई थी। लेकिन उनकी कोई जानकारी नहीं मिली। उसने थाने में शिकायत की। उसकी शिकायत पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी।

जंगल में मिली परिवार के तीन सदस्यों की लाश

इस घटना के दूसरे दिन 29 जनवरी 2021 को गढ़-उपोड़ा के कोराई जंगल में तीनों की हत्या कर दी गई थी। मृतकों में देवपहरी गांव के धरमू उर्फ झकड़ी राम (45), उनकी बेटी (16) और नातिन सतमति (4) शामिल थे। 30 जनवरी को जंगल में तीनों का शव मिला था।

कोर्ट से सजा सुनाने के बाद आरोपियों को ले जाती हुई पुलिस।

कोर्ट से सजा सुनाने के बाद आरोपियों को ले जाती हुई पुलिस।

पिता के सामने लड़की से किया सामुहिक कुकर्म फिर तीनों को मार डाला

धरमू की पत्नी के बयान के आधार पर पुलिस ने संदेहियों को पकड़कर पूछताछ की, तब पता चला कि आरोपी संतराम और अन्य साथियों ने मिलकर धरमू को अपने साथ ले गए। जहां रास्ते में आरोपियों ने रास्ते में शराब पी। इस दौरान उन्होंने धरमू को भी शराब पिलाई। आरोपियों ने पहले तय साजिश के तहत मिलकर वारदात अंजाम दिया। पिता धरमू के सामने उसकी बेटी से सामुहिक कुकर्म किया, जिसका उसने विरोध किया तो लाठी-डंडे से पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी, जिसके बाद उसकी बेटी और चार साल की नातिन को भी मार डाला।

जिला न्यायालय ने सुनाई थी फांसी की सजा

जांच के बाद पुलिस ने सतरेंगा निवासी संतराम मंझवार (45), अनिल कुमार सारथी (20), आनंद दास (26), परदेशी दास (35) और जब्बार उर्फ विक्की (21) के साथ ही उमाशंकर यादव (22) को गैंगरेप और हत्या के केस में गिरफ्तार किया। पुलिस ने जांच पूरी कर सभी आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया।

ट्रॉयल के बाद कोर्ट ने सभी को दोषी ठहराया। मामले की सुनवाई करते हुए जिला एवं अपर सत्र न्यायालय (पॉक्सो कोर्ट) की विशेष न्यायाधीश डॉ. ममता भोजवानी ने अपने फैसले में कहा, मानवीय और निर्दयतापूर्वक किया गया कृत्य वीभत्स, पाशविक और कायरतापूर्ण है। वासना को पूरा करने के लिए निर्दोष और कमजोर लोगों की हत्या की गई, जिससे पूरे समाज की सामूहिक चेतना को आघात पहुंचा है। इसलिए, चार आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई। जबकि, एक आरोपी उमाशंकर यादव को उम्रकैद की सजा दी।

कोर्ट ने 5 दोषियों को फांसी की सजा और एक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

कोर्ट ने 5 दोषियों को फांसी की सजा और एक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

हाईकोर्ट ने फांसी को आजीवन कारावास में बदला

फांसी की सजा की पुष्टि के लिए केस को हाईकोर्ट भेजा गया। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में हुई। सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने कहा कि हालांकि, यह पूरे समाज को झकझोरने वाला है, फिर भी, मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में, अपीलकर्ताओं की आयु को देखते हुए और विचारपूर्वक विचार करने पर, हमारा मानना है कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में मृत्युदंड की कठोर सजा उचित नहीं है।

यह ‘दुर्लभतम से दुर्लभतम मामला’ नहीं है, जिसमें मृत्युदंड की कठोर सजा की पुष्टि की जानी है। हमारे विचार में उम्रकैद की सजा पूरी तरह से पर्याप्त होगा और न्याय के उद्देश्यों को पूरा करेगा। जिस पर हाईकोर्ट ने मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। वहीं, आरोपी उमाशंकर यादव की उम्रकैद की सजा को यथावत रखते हुए उसकी अपील खारिज कर दी है।

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कोरबा

गेवरा खदान में इलेक्ट्रिशियन की मौत:कोरबा के खदान में मेंटेनेंस के दौरान 6.6 केवी लाइन से करंट लगा, मुआवजे की मांग

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कोरबा ,एजेंसी। कोरबा में गेवरा खदान में बुधवार दोपहर एक इलेक्ट्रिशियन की करंट लगने से मौत हो गई। घटना दोपहर 3:30 से 4:00 बजे के बीच की है। पीक्यू सर्किट के बैकअप क्षेत्र में मेंटेनेंस कार्य के दौरान यह हादसा हुआ।

नागार्जुन कंपनी के इलेक्ट्रिशियन हीरा और उनके सहयोगी विवेक पटेल 6.6 केवी लाइन में आई स्पार्किंग की समस्या को ठीक करने पहुंचे थे। काम करते समय हीरा अचानक करंट की चपेट में आ गए। साथी कर्मचारी उन्हें तुरंत नेहरू शताब्दी चिकित्सालय ले गए। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

दीपका थाना प्रभारी प्रेमचंद पटेल ने बताया कि पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है। घटना के बाद कर्मचारियों में आक्रोश है। वे खदान में सुरक्षा मानकों के पालन पर सवाल उठा रहे हैं।

प्रशासन जल्द ही घटना की जांच के आदेश दे सकता है। कर्मचारी मृतक के परिवार को उचित मुआवजा और सहायता की मांग कर रहे हैं।

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कोरबा

बालको सेक्टर-5 में संचालित स्कूल में अव्यवस्थाओं का आलम

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व्यवस्था सुधारने नेता प्रतिपक्ष साहू ने कलेक्टर को लिखा पत्र
कोरबा/बालकोनगर। एक तरफ युक्तियुक्तकरण सम्पन्न हो चुका है और प्रदेश भर के स्कूलों में 16 जून से विद्यालय प्रारंभ भी हो गया है और शाला प्रवेशोत्सव मनाया गया, लेकिन कई विद्यालयों में अव्यवस्था का आलम देखा गया। शिक्षा सत्र प्रारंभ होने के बाद भी कई विद्यालयों में न तो साफ-सफाई दिखी और न ही बच्चों पेयजल की व्यवस्था।
ऐसा ही एक मामला बालको सेक्टर-5 में संचालित शासकीय प्राथमिक शाला में देखने को मिला। अव्यवस्थाओं से घिरे इस विद्यालय का प्रवेशोत्सव में नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष कृपाराम साहू भी पहुंचे थे, जहां अव्यवस्था देखकर काफी खिन्न हुए।


उन्होंने तत्काल 16 जून को ही कलेक्टर को पत्र लिखा और ज्ञापन सौंपकर विद्यालय की अव्यवस्था को सुधारने की मांग की। उन्होंने सौंपे ज्ञापन में कहा है कि उक्त विद्यालय में 250 से अधिक बच्चें अध्यनरत हैं, जहां पर शासकीय योजना के तहत मध्यान्ह भोजन भी संचालित है, लेकिन वहां भोजन बनाने के लिए तथा बच्चों के पीने के लिए पानी तक नहीं हैं। आखिर स्कूल प्रबंधन अब तक क्या कर रहा है, जिसे विद्यालय के बच्चों की सुख-सुविधा की भी चिंता नही हैं, ऐसे में बच्चें कैसे पढ़ेंगे। पत्र में यह भी लिखा गया है कि विद्यालय में एक भृत्य भी नहीं हैं। खेलने का मैदान खेलने लायक भी नहीं बचा। श्री साहू ने कलेक्टर से निवेदन करते हुए कहा है कि आप स्वयं निरीक्षण करें और अव्यवस्थाओं को तत्काल सुधारने का निर्देश दें, ताकि बच्चे मन लगाकर पढ़ सकें।

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