संपादकीय
व्यक्तिगत लक्ष्य निर्धारण के लिए बच्चों को छोड़ दें स्वतंत्र
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1 month agoon
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Divya Akashअभिभावक अपने बच्चों को बेहतर और कामयाब इंसान बनाने के लिए बचपन से ही उन पर पूरा फोकस करे। बचपन से ही उन्हें अच्छा करने के लिए प्रेरित करें। प्राथमिक कक्षा में एडमिशन के साथ ही पुस्तकीय ज्ञान के साथ लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करना सीखाएं। छोटी-छोटी बातों में आगे चलकर बड़ा संदेश निकलता है। जैसे खाना खाते समय यदि उसके छोटे दोस्त घर पर पहुंचते हैं, तो उन्हें भी साथ में बैठने के लिए पैरेंट्स बच्चों को समझाएं, इससे लोगों के प्रति बच्चे का प्रेम बढ़ेगा और सामुदायिक जीवन जीने के लिए प्रेरित होगा। इसके अलावा भाई-बहनों के साथ कुछ समय के लिए गपशप करने दें, एक साथ भाई-बहनों, दोस्तों के साथ खेलने दें, आसपास घूमने दें, पढ़ाई करने दें। इस तरह का माहौल मिलने से बच्चे सामुदायिक जीवन को अपनाएंगे और मन में सद्भाव बढ़ेगा।
अच्छी पढ़ाई के साथ बच्चे को सफल इंसान तो बना सकते हैं, लेकिन बेहतर इंसान बनाने के लिए अभिभावकों को भी बच्चों के सामने एक आदर्श पैरेंट्स की भूमिका निभानी होगी। पैरेंट्स को भी सामुदायिक एवं रचनात्मक कार्यों में लगा देख कर बच्चे भी अपने अभिभावक से सीखेंगे कि परिवार के साथ-साथ दूसरों को लाभ पहुंचाने के लिए किस तरह कार्य किया जा सकता है। यह ध्यान रहे कि बच्चों का रोल मॉडल उसके अपने माता-पिता ही होते हैं। समाज में आपकी जिस तरह से एक्टिविटी होगी, वैसा ही बालक सीखेगा।
लक्ष्य निर्धारण के लिए स्वतंत्र छोड़ दें
जब बालक किशोरवय अवस्था में पहुंचता है और मीडिल-हाई स्कूल में एंट्री करता है तो वह अपना अच्छा व बुरा समझने लगता है और उसके मन में ब्याकुलता आती है कि वह आगे चलकर क्या बनेगा? किस क्षेत्र में वह अपना कैरियर बनाएगा। लक्ष्य निर्धारण के लिए पैरेंट्स अपने बच्चों पर ज्यादा दबाव न डालें और उन्हें लक्ष्य निर्धारण के लिए स्वतंत्र छोड़ दें। इस बात पर अभिभावक जरूर ध्यान दें कि बचपन से अब तक बच्चे को किस विषय पर रूचि है और उस विषय को लेकर पैरेंट्स अपने बच्चों का प्रोत्साहन बढ़ाएं, ताकि बच्चों को लक्ष्य निर्धारण के लिए ऊहापोह की स्थिति निर्मित न हो और वह आसानी से अपने रूचिकर विषय की ओर आगे बढ़ सके और इसी विषय को लेकर वह अपना कैरियर गढऩे के लिए स्वतंत्र मस्तिष्क से लक्ष्य निर्धारण कर सके। आप बच्चों को लक्ष्य निर्धारिण के लिए स्वतंत्र छोड़ दें और आप देखेंगे कि बच्चा किस तरह से अपने कैरियर के प्रति गंभीर होकर आगे बढ़ रहा है।
समूह में रहना सिखाएं
आज भौतिक युग में एकल परिवार की संख्या बढ़ती जा रही है और इसके दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं। एकल परिवार में अधिकतर माता-पिता नौकरी पेशा वाले होते हैं और अपने बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते, जिसके कारण बच्चे उद्दण्ड और गलत संगति में पडक़र भटकाव की स्थिति में आ जाते हैं और उनका कैरियर बर्बाद हो जाता है। यदि आप एकल परिवार में जी रहे हैं, तो भी बच्चों के लिए समय अवश्य निकालें और रिश्तेदारों के साथ घुलमिलकर रहना सिखाएं। सामुदायिक जीवन से बच्चों का मानसिक स्थिति बेहतर बनती है।
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छत्तीसगढ़
विष्णु के सुशासन का एक वर्ष:खुशहाल छत्तीसगढ़ के लिए अपराध नियंत्रण भी जरूरी
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6 days agoon
December 17, 2024By
Divya Akash
यह दो मत नहीं कि भाजपा सरकार बनते ही कुछ हद तक एक साल में छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार की लगी जंक को विष्णु सरकार ने धोने की कोशिश की और युवाओं तथा जनता का विश्वास पाने में सफल हुई। खासकर सीजी पीएससी घोटाले से तात्कालीन कांग्रेस सरकार के प्रति युवाओं में आक्रोश और उदासी छायी हुई थी और युवाओं ने समझा कि बड़े पदों पर सिर्फ रसूखदारों का ही आधिपत्य होगा। जिस तरह से सीजी पीएससी के चेयरमेन टामन सोनवानी ने अपने रिश्तेदारों, राजनेताओं के बच्चों, अधिकारियों के बच्चों को सलेक्ट कर डिप्टी कलेक्टर जैसे पदों पर नियुक्ति दे दी। विपक्ष में रहकर भाजपा ने जिस कदर पीएससी घोटाले को उजागर किया और जांच की मांग की। साथ ही यह भी कहा कि यदि प्रदेश में भाजपा की सरकार आती है तो सीजीपीएससी घोटाले के आरोपियों को जेल भेजेंगे। युवाओं ने भाजपा पर भरोसा किया और भ्रष्ट कांग्रेस शासन को उखाड़ फेंका। कई मामलों में कांग्रेस की तात्कालीन सरकार ने प्रदेश को लूटा और भाजपा के कहे अनुसार एटीएम बनकर छत्तीसगढ़ के करोड़ों रूपयों को दिल्ली भेजा। केन्द्रीय मंत्री अमित शाह ने गत विधानसभा चुनाव के पूर्व कांग्रेस पर हमलावर हुए और केन्द्रीय एजेंसियों की कार्यवाही से डीएमएफ घोटाला, कोयला लेवी घोटाला, महादेव सट्टा एप में कांग्रेसियों और अधिकारियों की संलिप्ता उजागर हुई। जनता ने भाजपा पर स्वच्छ सरकार देने की अपेक्षा के साथ बंपर वोट दिया और प्रदेश में विष्णु के सुशासन का सूर्योदय हुआ।
मातृ शक्ति सशक्त हुई आर्थिक दृष्टि से। महतारी वंदन योजना से महिलाओं में भी उत्साह था और मातृ शक्ति ने भी भाजपा को जिताने में अहम भूमिका निभाई। कांग्रेस 72 से 35 में सिमट गई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह की छवि से भाजपा को बेहद लाभ हुआ तथा 54 सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनी और लोगों को उम्मीद थी कि फिर से डॉ रमन सिंह मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन भाजपा ऐसी पार्टी है जो सभी को अवसर देती है। आदिवासी क्षेत्रों में भाजपा को एकतरफा जनादेश मिला और वरिष्ठ आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को छत्तीसगढ़ की कमान सौंप दी गई।
सरल, सौम्य और सबकी सुनने वाले विष्णुदेव साय ने मोदी की गारंटी और विष्णु का सुशासन के ध्येय वाक्य को लेकर कुर्सी संभाली और जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए काम प्रारंभ किया। 13 दिसंबर 2023 को कुर्सी संभालने के बाद विष्णु सरकार ने उन 18 लाख गरीब परिवारों की सुध ली, जो भूपेश सरकार के समय छत का इंतजार करते-करते थक गए लेकिन गरीबों को पीएम आवास से वंचित कर दिया। 18 लाख प्रधानमंत्री आवास नहीं बना,इसके लिए भूपेश सरकार ने केन्द्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा कर जनता को गुमराह करने की कोशीश की। यदि गरीब हित का जज्बा भूपेश सरकार में रहता तो वह सडक़ की लड़ाई लड़ती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अपना पल्ला झाडक़र गरीबों का बड़ा नुकसान किया।
आज गरीब परिवार को रोटी, कपड़ा और मकान की सबसे ज्यादा जरूरत रहती है। भूपेश सरकार ने रोटी और कपड़ा का जुगाड़ तो कर दिया, लेकिन गरीबों का सपना उस समय चकनाचूर हो गया, जब 18 लाख प्रधानमंत्री आवास को बनने ही नहीं दिय और आरोप मढ़ दिया केन्द्र पर । भ्रष्ट शासन 5 साल में ही उखड़ गया।
भूपेश सरकार ने प्रदेश में ऐसी-ऐसी योजनाएं लायी, जिसे भाजपा के लोग कभी सोच भी नहीं सकते थे। प्रारंभिक काल में भूपेश सरकार का ग्राफ बढ़ता गया और भाजपा को भी चिंता हो गई थी कि क्या फिर भूपेश रमन की तरह 15 साल राज करेंगे। दो साल बाद डीएमएफ में 20 से 30 प्रतिशत की कमीशन खोरी ने भूपेश सरकार को जमीन से उठाकर आसमान में उडऩे के लिए मजबूर कर दिया और भूपेश सरकार की लूट की वजह से राजनेता, कुछ कमीशनखोर अधिकारी हवा में उडऩे लगे और भूपेश सरकार की जमीन से लगाव हटता गया और भूपेश का राज सार्वजनिक होने में देर नहीं लगी, क्योंकि ईडी ने जनता को दिखा दिया कि भूपेश सरकार जनता की हितैषी नहीं बल्कि, लूटेरी सरकार है। चुनाव आते-आते जनता ने भूपेश सरकार की जमीनी हकीकत को भांप लिया और कुर्सी से उतार दिया। भूपेश की अकल्पनीय योजनाएं धरातल पर उतरी ही नहीं।
भूपेश की बड़ी सोच जनता को भाने लगी थी। भूपेश की सोच थी कि जब तक हम गांव को स्वावलंबी नहीं बनाएंगे, तब तक प्रदेश की तरक्की नहीं हो सकती। भूपेश ने ग्रामीणों को स्वावलंबी बनाने के लिए किसानों के लिए खजाना खोल दिया, रीपा की नई योजना को देश भर में प्रशंसा मिली, आदिवासी संस्कृति और विरासत को नई पहचान मिली, रामवनपथ गमन योजना से प्रदेश की पहचान पूरे देश में होने लगी। इसके बावजूद भी एक गलती ने भूपेश की बड़ी सोच को बदल दिया। भ्रष्टाचार का बड़ा बोलबाला और अधिकारियों की निरंकुशता ने जनता को भूपेश सरकार के प्रति मोह भंग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
अब जब भाजपा का सुशासन आया है तो विष्णु देवसाय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के लिए खजाना खोल दिया, तेंदू पत्ता संग्राहकों को समृद्धि का नया रास्ता दिखाया, रमन सिंह के कार्यकाल की कई बड़ी योजनाएं फिर से प्रारंभ होंगी। महतारी वंदन योजना से महिलाओं को बड़ी राहत मिल रही है।
विष्णु के सुशासन को आगे बढ़ाने में केन्द्रीय मंत्री नितीन गडकरी, रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव, तात्कालीन रेल मंत्री पियुष गोयल की भी बड़ी भूमिका मानी जा रही है। सडक़ और रेल परिवहन की जाल प्रदेश में बिछने लगी है। रेल और सडक़ परिवहन जितनी सुविधाजनक होगी, उस राज्य की तरक्की को कोई नहीं रोक सकता। प्रदेश में सडक़ें चमचमा रही हैं और प्रदेश आगे बढ़ रहा है।
विष्णु के सुशासन पर कुछ कमजोरियों को भी उजागर करना जरूरी है ताकि सरकार इस ओर भी ध्यान दे और जनता की खुशहाली और बढ़े और प्रदेश के मुखिया का मान बढ़े तथा जनता के दिलों में शासन के प्रति रिश्ता और प्रगाढ़ हो। आज प्रदेश में पुलिसिंग और प्रशासन में कसावट जरूरी है, ताकि प्रदेश की जनता किसी भी अधिकारी या मंत्री के पास आसानी से पहुंच जाए और अपनी समस्याएं बता सके। आज प्रदेश के कई हिस्सों में जिस तरह से अपराध घट रहे हैं, उससे सरकार की छवि धूमिल हो रही है। अपराध के लिए साजिश कर्ताओं का भंडाफोड़ जरूरी है, ताकि विष्णु का सुशासन सूर्योदय की तरह देश में ही नहीं विदेश में भी दैदिव्यमान होता रहे और भाजपा सरकार की उम्र बढ़ती जाए।
पुलिसिंग और प्रशासन को और अधिक चुस्त करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। देखने में आ रहा है कि विभागों के अधिकारी अपनी मर्जी चला रहे हैं और जनता कई विभागों में परेशान दिख रही है। भाजपा सरकार का दावा है कि भ्रष्टाचार पर जीरो टारलेंस पर सरकार काम कर रही है, लेकिन यह हकीकत से कोसों दूर है। रेत तस्करी पर प्रशासन की कहीं भी सख्ती नहीं दिखाई दे रही है। पीडीएस का चावल राशन दुकानों पर पहुंच रहा है।
हालांकि महतारी वंदन योजना से सरकार स्वयं की पीठ थपथपा तो रही है और समझ रही है कि 1000 की राशि से महिलाओं में सशक्तिकरण हो रहा है और उनकी जरूरतें पूरी हो रही है। दूसरी तरफ भाजपा शासन काल में महंगाई चरम पर पहुंच गई है और उन्हें लगता है कि प्रदेश खुशहाल हो गया है। तरक्की तो हो रही है… इसमें कोई दो मत नहीं, लेकिन महंगाई ने मध्यम एवं गरीब परिवार की कमर ही तोड़ दी है। कोरोना काल के बाद दवाईयों की कीमत 400 गुना बढ़ गई है और सरकार कहती है कि देश आगे बढ़ रहा है। महंगाई पर नियंत्रण जरूरी है। कम से कम जीवन रक्षक दवाईयों की कीमत कुछ सालों तक स्थित रहे, तो लोगों को कुछ राहत मिलेगी, लेकिन यहां दवाईयोंं का दाम भी हरी साग सब्जी की तरह रोज बढ़ रहा है।
खाद्य सामाग्रियों की ही बात करें तो भाजपा सरकार में 1 रूपए जब कीमत कम होती है और सरकार पीठ थपथपाने लगती है कि हमने कीमत कम की, लेकिन वही सामान एक सप्ताह बाद 10 रूपए बढ़ता है तो सरकार का फिर बयान आता है कि हम कीमत कंट्रोल कर रहे हैं। निरंतर खाद्यान्न सहित सभी सामानों की कीमत बढ़ती जा रही है और जनता घूटन सी महसूस कर रही है। आखिर वह दिन कब आएगा जब लोगों को लगे… अच्छे दिन आ रहे हैं। विष्णु के सुशासन में सबसे अहम बात यह है कि प्रदेश में घट रही घटनाओं सहित महिला अपराधों पर नियंत्रण हो और देश के सबसे शांति प्रिय के रूप में विख्यात टापू को राम राज्य की परिकल्पना के आधार पर विकसित, सुंदर, समन्वित विकास की ओर ले जाएं…।
सुमन शर्मा, अध्यापिका
दिल्ली सरकार
अतुल सुभाष, 34 वर्षीय युवा AI इंजीनियर की आत्म हत्या ने समाज के बदलते सामाजिक-सांस्कृतिक परिदृश्यों और असमानता के आधारों को पुष्ट करती हमारी लचर न्याय (विधि) व्यवस्था के भयावह नग्न तस्वीर को प्रस्तुत किया है l किसी भी न्याय व्यवस्था का ये सबसे अन्यायपूर्ण पहलू हैं कि किसी एक पक्ष को केवल इसलिए प्राथमिकता दे दी जाती हैं कि वो किसी वर्ग विशेष से संबंधित है l यथा – किसी की बात को इसलिए प्राथमिकता के साथ सुना व माना जाएगा कि वो “स्त्री वर्ग” से सबंधित हैं l आज हम पुरुष वर्ग के प्रति असमान विधिक व्यवस्था की बात कर रहे हैं l ये केवल किसी एक अतुल सुभाष का केस नहीं हैं वरन लाखों पुरुष आज इस तरह के केसों में फंसे हैं l यहाँ देखना विचारणीय रहेगा कि अतुल सुभाष की आत्महत्या से महिला और पुरुष के मध्य एक समान कानून व्यवस्था का आगाज़ होगा या अभी इसके लिए कुछ और अतुल सुभाषों की बलियों की दरकार इस समाज और कानून व्यवस्था को रहेगी l
अगस्त 2022 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपना निर्णय देते हुए घरेलू हिंसा और 498 ए के दुरुपयोग पर चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि दादा-दादी और बिस्तर पर पड़े लोगों को भी फंसाया जा रहा है। मई में केरल हाईकोर्ट ने कहा था कि पत्नियां अक्सर बदला लेने के लिए पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ ऐसे मामले दर्ज करवा देती हैं, यहाँ विचारणीय है कि केवल परिवार के सदस्य ही नहीं बल्कि निकट रिश्तेदारों को भी इनमें घसीट लिया जाता हैं।
ये समाज खुश कैसे रह सकता है जहाँ “हँसी ठिठोली” भी विधिक अपराधों की श्रेणी में आ जाए और वो भी वर्ग विशेष के सदस्यों की इच्छा के आधार पर l
घरेलू हिंसा के कानून महिलाओं की पहचान, सुरक्षा व घर-समाज में उनके सम्मान को सुनिश्चित करने हेतु बनाए गए थे l परंतु वर्तमान में ऐसी स्थितियाँ बहुसंख्या में सामने आ रही है जिनमें महिलाओं ने इन कानूनों का दुरूपयोग किया l कानून के विशेषज्ञों की टिप्पणियाँ इस ओर संकेत करती है कि हम सभी जानते हैं कि एक बड़ी संख्या में महिलाओं के द्वारा भी झूठे केस रिपोर्ट कराए जाते है और केवल महिला होने के कारण वो कानून के दायरों में लाभ की स्थिति में खड़ी होती हैं l
एक सरकारी विद्यालय में नवीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़की जो कि विद्यालय में मोबाइल फोन लेकर आई थी कि शिकायत जब उसकी कक्षा के मोनिटर (जो कि एक लड़का था) ने अपने कक्षाध्यापक से की तो उस लड़की ने अपनी कक्षा के मॉनिटर को धमकी दी कि ‘तुमने एक लड़की से पंगा लिया है अब मैं तुम्हें दिखाती हूँ कि लड़की होने का क्या फायदा हैं?” और अगले ही दिन वो अपनी माँ के साथ लिखित कंप्लेंन स्कूल में देकर गई कि उसे स्कूल में लड़कें छेड़ते हैं l’ इससे भी ज्यादा हैरानी की बात तब देखने में आई कि सारे स्टाफ ने मिलकर बात संभाली और इस बात पर सुकून महसूस किया कि शुक्र है इसने किसी पुरुष अध्यापक का नाम नहीं लिया l सोचिए क्या हालात बन रहे हैं l
हम ये नहीं कह रहे कि महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा हेतु कानून न हो वरन हम ये कहना चाहते हैं कि कानून को असमानता को बढ़ावा देने वाला नहीं होना चाहिए l और कानून किसी पूर्वाग्रहों से ग्रस्त न हो l स्त्रियों को संरक्षण देने हेतु बनाए गये कुछ कानून इस धारणा पर आधारित हैं की आरोपी पुरुष ने ही कुछ गलत किया होगा l हालाँकि यह ऐतिहासिक रूप से सत्य है की भारतीय समाज में स्त्रियों पर कदम कदम पर अत्याचार होते रहे है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि इसका खामियाजा वर्तमान समय में उन पुरुषों को भी भुगतना पड़े जिन्होंने क़ानूनी दृष्टि से कुछ भी गलत नहीं किया है लेकिन पति-पत्नी के वैवाहिक संबंध में दरार आने की स्थिति में उन पर कठोर क़ानूनी शिकंजा अब कुछ स्त्रियों द्वारा पुलिस और न्याय पालिका की मदद से अपने व्यक्तिगत और आर्थिक स्वार्थों की पूर्ति हेतु कसा जा रहा है l कानून का आधार न्याय हो, और ये न्याय सबके लिए हो l किसी एक वर्ग को सुरक्षा देने वाला कानून बाकि सबको असुरक्षित कर देगा जो कि समाज में किसी भी स्तर पर स्वीकार्य नहीं हो सकता l कानून की पनाह में आकर हर नागरिक ये महसूस करे कि उसकी बात को भी सुना जाएगा और उसके साथ न्याय होगा l भारत में कुंवारेपन के बढ़ते रुझान के पीछे पुरुषों के प्रति अपनाया जाने वाला असमानता पूर्ण क़ानूनी रविया भी एक प्रमुख कारण हैं l
संपादकीय
नशीले पदार्थों का डंप एरिया बनता छत्तीसगढ़
Published
1 month agoon
November 15, 2024By
Divya Akashउड़ीसा में गांजे का अवैध कारोबार चरम पर है। उड़ीसा से गांजे की तस्करी छत्तीसगढ़ में बड़ी मात्रा में हो रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सख्त रवैय्ये के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस इस दिशा में कार्य कर रही है और सीएम के निर्देश के बाद बड़ी मात्रा में गांजे की बड़ी खेप आये दिन पुलिस जब्त कर रही है। कई प्रदेशों से नशीले पदार्थों का आवक छत्तीसगढ़ में हो रहा है, यूं कहें तो छत्तीसगढ़ नशीले पदार्थों खासकर गांजा का डपिंग एरिया बन चुका है। बड़ी-बड़ी महंगी कारों में भी गांजे की अवैध तस्करी पुलिस ने पकड़ा है। इस दिशा में और बेहतर कार्य करने की जरूरत महसूस की जा रही है,ताकि छत्तीसगढ़ बीमारू राज्य ना बने और गांजा मुक्त छत्तीसगढ़ की दिशा में बेहतर कार्य हो सके। आज कल देखने में आया है कि शहर-शहर ठेलों में भी गांजा बेचते दिख जाते हैं और पुलिस कार्यवाही के बाद भी गांजा की अवैध बिक्री नहीं रूक पा रही है। इस दिशा में पुलिस को और सक्रिय होना होगा, ताकि युवा नशे की लत से अपना कैरियर बर्बाद न कर सकें।
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