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छत्तीसगढ़

बालोद में डायरिया से 1 की मौत, 4 गंभीर: CMHO ने कहा- ORS पाउडर शराब के साथ न पिएं, तो गुस्साए ग्रामीणों ने किया हंगामा

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बालोद, एजेंसी। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के ग्राम तरौद में डायरिया के प्रकोप से एक व्यक्ति की मौत हो गई है। जबकि 4 लोग गंभीर हालत में हैं। 30 से अधिक ग्रामीण उल्टी-दस्त से पीड़ित हैं। ऐसे में इलाज के लिए लगाए गए स्वास्थ्य शिविर में जमकर हंगामा हो गया।

ग्रामीणों का आरोप है कि मृतक मोहित निषाद (40) के चाचा बिट्ठल निषाद (65) जब उल्टी दस्त से स्वास्थ्य शिविर में पहुंचे, तो बालोद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. महेश सूर्यवंशी ने उन्हें ORS का पैकेट देते हुए कहा कि ORS को शराब के साथ घोल कर न पिएं। इस टिप्पणी के बाद शिविर में बैठे ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया।

गांव में मातम और डॉक्टर को मजाक सूझ रहा- चम्मन साहू

गांव के चम्मन साहू ने बताया कि, तरौद में 30 से अधिक लोग डायरिया से पीड़ित हैं। एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है। समय पर इलाज नहीं मिलने से गांव में शोक और मातम का माहौल है।

ऐसे संवेदनशील समय में जब स्वास्थ्य विभाग के सबसे वरिष्ठ अधिकारी शिविर में पहुंचे तो उन्होंने मरीज को ORS देते हुए शराब के साथ न लेने की सलाह दी। जिसे ग्रामीणों ने अपमानजनक माना। इस टिप्पणी का पीड़ित परिवार और पूरे गांव ने विरोध किया।

पुराने पाइपलाइन में लीकेज की आशंका, बोर के पानी के इस्तेमाल पर रोक

ग्राम तरौद के सरपंच धर्मेन्द्र रामटेके ने बताया कि, रावण भाठा वार्ड में करीब 20 साल पुरानी पाइपलाइन के जरिए पानी की सप्लाई होती है। इसी पाइपलाइन में लीकेज की आशंका जताई जा रही है। फिलहाल PHE विभाग की टीम मौके पर जांच कर रही है। एहतियातन इस वार्ड में बोर के पानी के उपयोग पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी गई है।

कलाकार था मोहित, सुबह बिगड़ी तबीयत, शाम तक चली गई जान

मृतक मोहित के चचेरे भाई सुरेंद्र निषाद ने बताया कि, मोहित को शुक्रवार सुबह से ही उल्टी हो रही थी। करीब 7 बार उल्टी के बाद दोपहर में उसे परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे। वह खुद पैदल चलते हुए अस्पताल के अंदर गया था।

लेकिन शाम 5 बजे अचानक उसकी मौत हो गई। जिससे पूरा गांव सदमे में है। मोहित एक लोक कलाकार था। जो सांस्कृतिक मंचों पर तबला और नाल बजाया करता था। शनिवार दोपहर 12 बजे गांव के मुक्तिधाम में उसका अंतिम संस्कार किया गया।

नल के पानी से आ रहे थे कीड़े, शिकायत के बाद भी नहीं हुई सुनवाई

ग्रामीण महेंद्र दास मानिकपुरी ने बताया कि, पिछले एक महीने से नल के पानी में कीड़े निकल रहे थे। जिसकी शिकायत भी की गई थी। लेकिन किसी जिम्मेदार अधिकारी ने ध्यान नहीं दिया। गंदे पानी की वजह से लोगों को पीने और इस्तेमाल में भारी परेशानी हो रही थी।

अब जब एक व्यक्ति की मौत हो गई, तब प्रशासन सक्रिय हुआ है। उन्होंने बताया कि लोग गुरुवार से ही अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं और मौत की खबर के बाद आज बड़ी संख्या में ग्रामीण इलाज के लिए प्राइवेट अस्पतालों की ओर दौड़े हैं।

जिला अस्पताल से लेकर प्राइवेट क्लिनिक तक 30 से ज्यादा मरीज

फिलहाल जिला अस्पताल बालोद में गैंदी बाई (55 वर्ष), मास्टर यश कुमार (10 वर्ष), नवीन साहू (27 वर्ष) और शंकर लाल ठाकुर (70 वर्ष) का इलाज जारी है। जिनकी स्थिति अभी स्थिर बताई जा रही है।

वहीं गांव के नरेश कुमार, राधिका निषाद, सूरज निषाद, नंदा, नारायण, चंद्रिका, रामकुंवर निषाद, अजय साहू, महेंद्र साहू, सोनू निषाद, दुर्गेश, दीपक, सुभाष, गणेश निषाद, धनीराम, शिवकुमार, रविशंकर और शंकरलाल निषाद का उपचार गांव के प्राथमिक अस्पताल और बालोद के विभिन्न प्राइवेट अस्पतालों में चल रहा है।

CMHO ने दी सफाई, बोले – नशे में लग रहे बुजुर्ग को दी थी साधारण सलाह, बात को घुमा दिया गया

CMHO डॉ. महेश सूर्यवंशी ने दैनिक भास्कर को बताया कि, शुक्रवार रात को गांव में काफी हंगामा हुआ। ग्रामीण खराब पानी के लिए स्वास्थ्य विभाग को ही जिम्मेदार ठहरा रहे थे। शिविर में इलाज के दौरान जब एक बुजुर्ग नशे में लगे, तो मैंने सिर्फ इतना कहा कि शराब पीते समय ORS नहीं लेना चाहिए।

इससे उल्टी बढ़ सकती है। यह सामान्य सलाह थी। लेकिन लोगों ने इसे गलत अर्थ में ले लिया। फिलहाल ग्रामीणों को समझाया गया है और जिन लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत है। उनका इलाज जारी है।

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कोरबा

शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सिमगा में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी बाजपेयी की जयंती को सुशासन दिवस के रूप में मनाया गया

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कोरबा। जिले के दूरस्थ वनाँचल स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सिमगा, विकासखण्ड-पोड़ीउपरोड़ा में 25 दिसम्बर 2025 को पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी बाजपेयी जी की जयंती सुशासन दिवस के अवसर पर विद्यार्थियों के मध्य विविध कार्यक्रम एवं परिचर्चा आयोजित की गई।


इस अवसर पर संस्था के प्राचार्य सतीश प्रकाश सिंह ने विद्यार्थियों को पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी बाजपेयी जी के जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारें में बताते हुए उनके आदर्शो को आत्मसात कर राष्ट्र और समाज के हित में कार्य करने को प्रेरित किये।

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कोरबा

वैकल्पिक रोजगार और बढ़ी हुई मुआवजा राशि की मांग को लेकर 26 दिसंबर को गेवरा खदान बंद और कार्यालय घेराव करेंगे भू विस्थापित

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गेवरा प्रबंधन के बार बार झूठे आश्वाशन से अक्रोशित हैं भू विस्थापित

कोरबा/गेवरा। पोंडी बाहनपाठ एवंं अमगांव के विस्थापितों ने एसईसीएल गेवरा प्रबंधन को ज्ञापन सौंपकर खदान में होने वाले कामों में वैकल्पिक रोजगार के साथ बढ़ी हुई मुआवजा राशि प्रदान करने की मांग कई बार भू विस्थापितों ने किया, लेकिन हर बार झूठा आश्वाशन और वादाखिलाफी से परेशान भू विस्थापितों ने गेवरा प्रबंधन और जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर समस्याओं का समाधान नहीं होने पर 26 दिसंबर को गेवरा खदान बंद और कार्यालय घेराव की चेतावनी दी है।

ग्राम पोंडी के भू विस्थापित मनोज राठौर ने बताया कि नरईबोध,भठोरा,भिलाई बाजार, रलिया,पोंडी, बाहनपाठ एवंं अमगांव का अधिसूचना प्रकाशन धारा 9 सभी ग्रामों का एक समान है। नरईबोध,भठोरा,भिलाई बाजार एवं रलिया के भू विस्थापितों को कंपनी सेक्रेटरी के स्वीकृत मिनट्स 326 वा निदेशक बोर्ड मीटिंग के पत्र क्र. 2310 दिनांक 8.8.2022 के अनुसार बढ़ी हुई मुआवजा राशि का भुगतान किया गया है जबकि पोंडी, बाहनपाठ एवंं अमगांव के भू विस्थापितों को उक्त मिनट्स के अनुसार बढ़ी हुई मुआवजा राशि के भुगतान से वंचित किया गया है और एसईसीएल ने हम विस्थापितों को कहा था की छोटे खातेदार जिनके परिवार को स्थाई रोजगार नहीं मिल रहा है उन्हें खदान में होने वाले वैकल्पिक कार्यों में रोजगार प्रदान किया जाएगा, लेकिन हमारे गांव के अधिग्रहण के चौदह वर्ष बाद भी प्रबंधन ने रोजगार देने का वायदा पूरा नहीं किया है।

पोंडी, बाहनपाठ एवंं अमगांव के भू विस्थापितों ने गेवरा महाप्रबंधक के साथ जिला प्रशासन से भी समस्याओं के समाधान की मांग को लेकर ज्ञापन दिया है साथ ही समस्याओं का समाधान नहीं होने पर 26 दिसंबर को गेवरा खदान बंद और कार्यालय घेराव की सूचना सभी को पहले ही दी गई लेकिन कोई सकारात्मक पहल होता नहीं दिख रहा है, इस लिए आंदोलन के सिवा और कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है।

जनपद सदस्य नेहा राजेंद्र सिंह तंवर ने कहा कि अब समस्याओं का समाधान किए बगैर खदान विस्तार का काम नहीं होने देंगे। अधिग्रहण के समय प्रबंधन केवल झूठे वादे करता है और खदान विस्तार होते ही भू विस्थापितों को मिलने वाले अधिकार से वंचित कर दिया जाता है इसलिए पहले समस्याओं का समाधान हो फिर खदान विस्तार की बात होगी।

घेराव जनपद सदस्य नेहा राजेन्द्र सिंह तंवर, भूस्थापित मनोज राठौर,चेतन दास,सूरज कंवर,राम गोपाल, फिरतू यादव, भरत केवट,भैयाराम केवट, एवं ग्राम पोंडी,बाहनपाठ एवंं अमगांव के भू विस्थापितों के नेतृत्व में किया जायेगा।

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छत्तीसगढ़

सामाजिक एकता, स्वाभिमान और परंपरा का भव्य संगम: सक्ती में आयोजित 24वां कुर्मी साझा कार्यक्रम बना समाज की शक्ति का प्रतीक

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सक्ती। कुर्मी समाज की एकता, सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक गौरव को सशक्त रूप देने वाला 24वां कुर्मी साझा कार्यक्रम शक्ति नगरी में अत्यंत गरिमामय, भव्य और भावनात्मक वातावरण में संपन्न हुआ। यह आयोजन न केवल सामाजिक समरसता का प्रतीक बना, बल्कि समाज की संगठित शक्ति, परंपराओं के प्रति सम्मान और भविष्य की दिशा तय करने वाला ऐतिहासिक अवसर भी सिद्ध हुआ।


इस गरिमामयी कुर्मी साझा कार्यक्रम में प्रदेश एवं देश स्तर के अनेक प्रख्यात जनप्रतिनिधियों और समाज के वरिष्ठ नेतृत्व की उपस्थिति ने आयोजन की गरिमा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद विजय बघेल (दुर्ग), सांसद श्रीमती कमलेश जांगड़े (जांजगीर–चांपा), श्रीमती लता ऋषि चन्द्राकर, पूर्व मंत्री धरमलाल कौशिक, पूर्व विधायक नारायण चंदेल, केशव चन्द्रा एवं प्रांतीय अध्यक्ष कृष्ण कांत चंद्रा का साल, श्रीफल एवं पुष्पहार से आत्मीय एवं सम्मानपूर्वक अभिनंदन किया गया।


कार्यक्रम स्थल पर कुर्मी समाज के वरिष्ठजनों, युवाओं, मातृशक्ति और बड़ी संख्या में सामाजिक प्रतिनिधियों की उपस्थिति ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि कुर्मी समाज आज संगठन, चेतना और नेतृत्व के स्तर पर निरंतर सशक्त हो रहा है। मंच से वक्ताओं ने समाज की गौरवशाली परंपराओं, कृषि आधारित संस्कृति, मेहनतकश पहचान और सामाजिक योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि कुर्मी समाज सदैव राष्ट्र निर्माण, सामाजिक समरसता और विकास की मुख्यधारा में अग्रणी रहा है।


अतिथियों ने अपने संबोधन में शिक्षा, संगठनात्मक मजबूती, सामाजिक एकजुटता और राजनीतिक जागरूकता पर विशेष जोर देते हुए कहा कि ऐसे साझा कार्यक्रम समाज को जोड़ने, नई पीढ़ी को संस्कार देने और सामूहिक निर्णय की शक्ति को मजबूत करने का कार्य करते हैं। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे समाज की रीढ़ बनकर आगे आएं और सामाजिक उत्थान में सक्रिय भूमिका निभाएं।
कार्यक्रम का वातावरण अत्यंत भावनात्मक रहा, जब समाज के वरिष्ठ नेतृत्व को सम्मानित किया गया और समाज की एकता के लिए सामूहिक संकल्प लिया गया। हर चेहरे पर गर्व, आत्मविश्वास और अपने समाज के प्रति गहरा जुड़ाव साफ दिखाई दे रहा था। कुर्मी साझा कार्यक्रम ने यह सिद्ध कर दिया कि जब समाज संगठित होता है, तो उसकी आवाज मजबूत, प्रभावी और निर्णायक बनती है।


कुल मिलाकर, सक्ती में आयोजित 24वां कुर्मी साझा कार्यक्रम
➡️ सामाजिक स्वाभिमान का उत्सव,
➡️ एकता और संगठन की मिसाल,
➡️ और भविष्य के लिए दिशा तय करने वाला ऐतिहासिक मंच बनकर सामने आया,
जिसने कुर्मी समाज की शक्ति, संस्कार और संकल्प को एक बार फिर पूरे प्रदेश के सामने मजबूती से स्थापित किया।

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