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अहमदाबाद विमान हादसे में बड़ा खुलासा: ‘प्लेन के टेक ऑफ करते ही हो गया था पावर फेल्योर…’

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नई दिल्ली,एजेंसी। हाल ही में अहमदाबाद में हुए भयावह विमान हादसे की परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं, और जांचकर्ताओं की नजर अब एक पांच साल पुरानी ब्रिटेन की विमान दुर्घटना पर भी है। इस अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण के साथ, विशेषज्ञ यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि कहीं इतिहास ने खुद को दोहराया तो नहीं।
  
ब्रिटेन की 2020 दुर्घटना से संभावित समानता
दरअसल, वर्ष 2020 में लंदन के गैटविक एयरपोर्ट से उड़ान भरते ही एक Airbus A321 के दोनों इंजन विफल हो गए थे। टेकऑफ के महज 11 मिनट बाद, विमान को इमरजेंसी में वापस लौटना पड़ा। इस घटना की जांच UK की Air Accidents Investigation Branch (AAIB) ने की थी — वही संस्था जो अब अहमदाबाद हादसे की भी गहराई से पड़ताल कर रही है।

 अहमदाबाद हादसे में  ‘पावर फेल्योर’  मुख्य संदिग्ध
भारतीय जांच अधिकारियों ने खुलासा किया है कि अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हुए विमान में टेकऑफ के कुछ ही सेकेंड बाद मुख्य इलेक्ट्रिकल सिस्टम फेल हो गया। प्रारंभिक सबूत — घटनास्थल पर मिला मलबा, वीडियो फुटेज, और तकनीकी रिपोर्ट्स — इस बात की ओर इशारा करते हैं कि बिजली की गड़बड़ी ही हादसे की जड़ हो सकती है।

 सिर्फ 625 फीट की ऊंचाई तक पहुंच पाया विमान
विमान हादसे के समय केवल 625 फीट की ऊंचाई तक ही पहुंच सका था, जिससे पायलट को स्थिति संभालने का पर्याप्त समय और अवसर नहीं मिल पाया। जानकार बताते हैं कि यदि विमान 3600 फीट या उससे अधिक ऊंचाई पर होता, तो Boeing 787 Dreamliner में मौजूद manual reversion control system की मदद से उसे सुरक्षित मोड़ा जा सकता था।

 DNA टेस्ट से पहचान की कोशिशें, केवल एक यात्री जीवित
विमान में 242 यात्री सवार थे, जिनमें से सिर्फ एक ही व्यक्ति बच पाया। शवों की हालत इतनी गंभीर थी कि उनकी पहचान कर पाना संभव नहीं था। 6 साल से कम उम्र के बच्चों की पहचान तो और भी जटिल हो गई, क्योंकि कई के दांत भी पूरी तरह विकसित नहीं हुए थे, जिससे DNA मिलान मुश्किल हो रहा है।

ब्लैक बॉक्स और डीवीआर गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त
ब्लैक बॉक्स और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) बरामद कर लिए गए हैं, लेकिन दोनों डिवाइस गंभीर क्षतिग्रस्त हैं। अधिकारियों के मुताबिक, उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका भेजने की योजना बनाई जा रही है ताकि वहाँ की उच्च तकनीक प्रयोगशालाओं में उनसे डेटा निकाला जा सके।

टेक्निकल लॉग और मेंटेनेंस रिकॉर्ड की पड़ताल
जांचकर्ता अब विमान के पिछले 24-48 घंटे के तकनीकी लॉग, मेंटेनेंस रिपोर्ट और कैप्टन द्वारा की गई किसी भी शिकायत या अवलोकन का विश्लेषण कर रहे हैं। हादसे से पहले इस विमान ने दिल्ली से पेरिस और फिर टोक्यो की उड़ानें भरी थीं, जिससे इसके सिस्टम पर अतिरिक्त दबाव की भी जांच की जा रही है।

 सिंगापुर एयरलाइंस की चुप्पी पर सवाल
इस हादसे में सहयोगी एयरलाइन रही सिंगापुर एयरलाइंस की चुप्पी पर भी अब सवाल उठने लगे हैं। पूर्व मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने सार्वजनिक रूप से इस पर प्रतिक्रिया मांगी है कि क्यों इतनी बड़ी त्रासदी पर साझेदार एयरलाइन ने अब तक कोई बयान नहीं दिया।

Boeing 787 Dreamliner, जिसमें यह हादसा हुआ, अपनी एडवांस्ड इलेक्ट्रिकल और हाइड्रोलिक सिस्टम्स के लिए जाना जाता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि यह विमान एक इंजन पर भी सुरक्षित उड़ान भर सकता है और हाइड्रोलिक फेल्योर की स्थिति में भी पायलट मैन्युअल नियंत्रण हासिल कर सकता है। यही वजह है कि हादसे के कारणों को लेकर सबसे बड़ा सवाल यही है — अगर सिस्टम इतने सक्षम हैं, तो फिर यह चूक कैसे हुई?

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संसदीय समिति ने दालों, तिलहनों का आयात बढ़ने पर चिंता जताई, सरकार ने कहा बढ़ रहा है उत्पादन

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नई दिल्ली,एजेंसी। सरकार ने एक संसदीय समिति को बताया कि पिछले 10 वर्षों में दालों और खाद्य तेलों का घरेलू उत्पादन एक दशक पहले की तुलना में अधिक गति से बढ़ा है। दूसरी ओर सांसदों ने मांग को पूरा करने के लिए आयात पर भारत की निर्भरता पर चिंता जताई है। कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण संबंधी संसद की स्थायी समिति के समक्ष प्रस्तुतीकरण में कहा गया कि 2023-24 में 156.6 लाख टन का आयात, खाद्य तेलों की घरेलू मांग का 56 प्रतिशत है।

सूत्रों ने कहा कि कृषि मंत्रालय ने 20 जून की बैठक में इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए किए जा रहे कार्यों पर जोर दिया और कहा कि 2014-15 और 2024-25 के बीच तिलहन उत्पादन में 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। तीसरे अग्रिम अनुमान में पिछले वित्त वर्ष में तिलहन उत्पादन 426.09 लाख टन होने का अनुमान है। इस तरह 2004-05 और 2014-15 के बीच 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। 

सूत्रों ने कहा कि देश पाम तेल की मांग को पूरा करने के लिए लगभग पूरी तरह से आयात पर निर्भर है। कुछ सांसदों ने अपेक्षाकृत सस्ते खाद्य तेल से जुड़े स्वास्थ्य संबंधी खतरों का जिक्र किया। मंत्रालय ने कहा कि खाद्य तेल आयात पर भारत की भारी निर्भरता से सालाना 80,000 करोड़ रुपये से अधिक का भार पड़ रहा है। 

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पेंशनधारकों के लिए खुशखबरी! हर महीने मिलेगी अब ज्यादा रकम

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पटना,एजेंसी। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के बुजुर्गों, दिव्यांगों और विधवा महिलाओं के लिए बड़ी सौगात दी है। सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के अंतर्गत मिलने वाली मासिक पेंशन राशि को ₹400 से बढ़ाकर ₹1,100 प्रति माह कर दिया गया है। यह बढ़ी हुई राशि जुलाई 2025 से हर महीने की 10 तारीख को लाभार्थियों के खातों में भेजी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जानकारी देते हुए कहा कि इस फैसले से 1 करोड़ 9 लाख 69 हजार 255 लोगों को सीधा लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा, “बुजुर्ग हमारे समाज का कीमती हिस्सा हैं और उनका सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।”

पंचायती राज प्रतिनिधियों के भत्ते में बढ़ोतरी

मुख्यमंत्री ने पंचायती राज प्रतिनिधियों के भत्तों में भी इजाफा करने का ऐलान किया:

  • जिला परिषद अध्यक्ष: ₹20,000 → ₹30,000 प्रति माह
  • उपाध्यक्ष: ₹10,000 → ₹20,000 प्रति माह
  • मुखिया: ₹5,000 → ₹7,500 प्रति माह

इसके अलावा, मनरेगा योजनाओं में मुखिया को अब ₹10 लाख तक की योजना को स्वीकृत करने का अधिकार दिया गया है, जो पहले ₹5 लाख तक सीमित था।

चुनावी माहौल में बड़ा राजनीतिक संदेश

इस घोषणा को आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। जेडीयू-बीजेपी गठबंधन एक बार फिर सरकार बनाने की कोशिश में है, जबकि इंडिया गठबंधन भी अपने अभियान को आक्रामक रूप दे रहा है।

नीतीश सरकार की यह घोषणा न केवल सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है, बल्कि ग्रामीण सशक्तिकरण और पंचायती व्यवस्था को मजबूती देने का भी संकेत देती है।
 

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चीन-पाक और बांग्लादेश मिलकर पका रहे भारत के खिलाफ खिचड़ी ! कुनमिंग में हुई ऐतिहासिक बैठक

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नई दिल्ली,एजेंसी। चीन ने पहली बार पाकिस्तान और बांग्लादेश  के साथ एक त्रिपक्षीय बैठक  आयोजित कर दक्षिण एशिया के कूटनीतिक संतुलन को नया मोड़ दे दिया है। यह बैठक कुनमिंग शहर (चीन के युन्नान प्रांत) में 19 जून को हुई, जिसमें तीनों देशों ने व्यापार, निवेश, स्वास्थ्य, शिक्षा, समुद्री सहयोग और क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने पर सहमति जताई। भारत के लिए यह घटनाक्रम सिर्फ एक औपचारिक बैठक नहीं, बल्कि एक  गंभीर कूटनीतिक संकेत है कि उसके पारंपरिक पड़ोसी अब  चीन की छतरी के नीचे आकर एक नया समीकरण बना रहे हैं। 

बैठक के बाद तीनों देशों ने विशेष कार्य समूह (Working Group)” के गठन की घोषणा की, जो आपसी सहयोग के क्षेत्रों में ठोस परियोजनाओं को मूर्त रूप देगा।बैठक में प्रमुख प्रतिनिधि रहे:

  •  चीन के उप विदेश मंत्री  सुन वेइदोंग 
  •  बांग्लादेश के कार्यवाहक विदेश सचिव रूहुल आलम सिद्दीकी 
  •  पाकिस्तान की विदेश सचिव अमना बलोच 
  •  पाकिस्तान के एशिया-प्रशांत विभाग के एडिशनल सेक्रेटरी इमरान अहमद सिद्दीकी 
  • भारत के लिए रणनीतिक संकेत
  • भारत के लिए यह गठजोड़ एक चिंताजनक रणनीतिक संकेत  है, क्योंकि बांग्लादेश पूर्वोत्तर भारत के लिए भौगोलिक जीवनरेखा है। पाकिस्तान ने नवंबर 2023 से  चटगांव बंदरगाह से अपने जहाज भेजने शुरू किए हैं, जिससे बंगाल की खाड़ी में भारत की उपस्थिति कमजोर पड़ सकती है। भारत और बांग्लादेश के रिश्ते फिलहाल अस्थिर हैं, खासकर प्रधानमंत्री शेख हसीना की विदाई के बाद।
  • बदले समीकरण, बदली दोस्ती
  • सूत्रों के अनुसार,  पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और सेना ने शेख हसीना की सत्ता से विदाई में पर्दे के पीछे से भूमिका निभाई। शेख हसीना के हटते ही चीन ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से संपर्क तेज़ किया और अब आर्थिक, सामरिक सहयोग के ज़रिए एक नया गठजोड़ बन चुका है।चीन ने दावा किया कि यह बैठक  किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं है। मगर भारत इसे नेबरहुड फर्स्ट नीति पर सीधी चोट मानता है। बांग्लादेश और पाकिस्तान के साथ चीन की नज़दीकी, भारत के सुरक्षा, व्यापार और भू-राजनीतिक हितों  को कमजोर कर सकती है।
  • भारत को अब पड़ोसी देशों के साथ अपने रिश्तों की  पुनर्समीक्षा करनी होगी, विशेषकर बांग्लादेश के साथ। इस त्रिपक्षीय गठबंधन से यह स्पष्ट हो चुका है कि क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा अब केवल सीमाओं तक सीमित नहीं , बल्कि बंदरगाहों, समुद्रों और आर्थिक नीतियों तक पहुंच चुकी है। कुनमिंग में हुई यह त्रिपक्षीय बैठक केवल कूटनीतिक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक नई ध्रुवीयता की शुरुआत  है। भारत को अब अपनी रणनीतिक नीति को नए सिरे से परखना होगा वरना पड़ोस की बिसात पर चीन बाज़ी मार सकता है। 

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