Connect with us

विदेश

भारतीय से बदसलूकी पर अमेरिका बोला- अवैध एंट्री बर्दाश्त नहीं

Published

on

वैध तरीके से आएं तो स्वागत; एयरपोर्ट पर छात्र को पटका फिर इंडिया भेजा था

वॉशिंगटन डीसी,एजेंसी। अमेरिका के न्यूजर्सी में भारतीय छात्र को जमीन पर पटकने, हथकड़ी लगाने और डिपोर्ट करने के मुद्दे पर भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने मंगलवार को बयान दिया। दूतावास ने कहा कि अमेरिका में अवैध एंट्री बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

अमेरिकी दूतावास ने X पर लिखा- अमेरिका अपने देश में वैध यात्रियों का स्वागत करता है। हम अवैध एंट्री, वीजा का दुरुपयोग या अमेरिकी कानून के उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं करेंगे।

भारतीय ने शेयर किया था VIDEO, लिखा- अपराधी जैसा व्यवहार

इससे पहले भारतीय मूल के अमेरिकी बिजनेसमैन कुणाल जैन ने रविवार को इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया था। जैन ने X पर लिखा- मैंने न्यूअर्क एयरपोर्ट पर एक युवा भारतीय छात्र को हथकड़ी लगाकर, रोते हुए, अपराधी की तरह ट्रीट होते देखा।

जैन ने बताया कि छात्र हरियाणवी में कह रहा था, ‘मैं पागल नहीं हूं, ये लोग मुझे पागल साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।’ वीडियो में एयरपोर्ट अधिकारियों ने छात्र को जमीन पर पटका और उसे हथकड़ी लगाई। इसके बाद उसे भारत डिपोर्ट कर दिया गया। अभी तक यह साफ नहीं है कि छात्र को किस वजह से डिपोर्ट किया गया।

छात्र ने कहा कि वो पागल नहीं है, उसे जबरदस्ती पागल साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।

छात्र ने कहा कि वो पागल नहीं है, उसे जबरदस्ती पागल साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।

अमेरिकी अधिकारियों की कैद में भारतीय छात्र।

अमेरिकी अधिकारियों की कैद में भारतीय छात्र।

भारत सरकार से अपील- छात्र के बारे में पता लगाएं

कुनाल जैन ने कहा था, “बच्चे वीजा लेकर सुबह फ्लाइट से आते हैं। किसी कारण से इमिग्रेशन अथॉरिटीज को अपने आने का कारण समझा नहीं पाते और शाम की फ्लाइट से हाथ-पैर बांधकर, मुजरिमों की तरह भेज दिए जाते हैं। हर दिन 3-4 ऐसे मामले हो रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में ऐसे केस ज्यादा बढ़ गए हैं।”

जैन ने भारतीय दूतावास, अमेरिका और भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की। उन्होंने लिखा था, “पता लगाना चाहिए कि इस छात्र का क्या हो रहा है।”

कांग्रेस बोली- भारतीयों के अपमान पर मोदी चुप

कांग्रेस ने इस मुद्दे पर X पर लिखा, “अमेरिका में लगातार भारतीय नागरिकों को अपमानित किया जा रहा है। हर दिन ऐसी खबरें आ रही हैं और नरेंद्र मोदी चुप्पी साधे हुए हैं। मोदी सरकार भारतीयों के सम्मान की रक्षा करने में नाकाम साबित हुई है। हमारी मांग है कि नरेंद्र मोदी को ट्रंप प्रशासन से भारतीयों के अपमान को लेकर बात करनी चाहिए। ये वक्त सरेंडर का नहीं है, ये वक्त अपनों के साथ खड़े होने का है।

भारतीय दूतावास बोला- अधिकारियों के संपर्क में हैं

न्यूयॉर्क में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। दूतावास ने लिखा कि हम इस संबंध में स्थानीय अधिकारियों के संपर्क में हैं।​​​​ हम भारतीय नागरिकों की भलाई के लिए हमेशा तत्पर हैं।

अमेरिका ने विदेशी छात्रों पर सख्ती बढ़ाई

  • यह घटना ऐसे वक्त पर हुई है, जब अमेरिकी सरकार अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर सख्ती बढ़ा रही है और बिना नोटिस के वीजा रद्द कर रही है। फिलिस्तीन के समर्थन से लेकर ट्रैफिक उल्लंघन तक, अलग-अलग वजहों से छात्र कानूनी मुश्किलों में पड़ जाते हैं।
  • अमेरिकी सरकार ने दो हफ्ते पहले विदेशी छात्रों के लिए नए वीजा इंटरव्यू पर रोक लगा दी है। विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इसे लेकर एक आदेश जारी किया था। आदेश का मकसद देश की यूनिवर्सिटीज में यहूदी विरोध और वामपंथी विचारों को रोकना है।
  • रुबियो ने दुनिया भर में अमेरिकी दूतावासों को आदेश जारी कर कहा- वे स्टूडेंट वीजा के लिए नए इंटरव्यू शेड्यूल न करें, क्योंकि ट्रम्प सरकार अमेरिका आने वाले छात्रों के सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच को और सख्त करने जा रही है।
  • उन्होंने आगे कहा- तत्काल प्रभाव से कांसुलर सेक्शन आगे के दिशानिर्देश जारी होने तक स्टूडेंट या एक्सचेंज विजिटर (F, M और J) वीजा के लिए नए अपॉइंटमेंट की इजाजत न दे।
  • क्लास छोड़ी तो विदेशी छात्रों का वीजा रद्द होगा
  • ट्रम्प प्रशासन का कहना है कि कोई विदेशी छात्र बिना जानकारी कोर्स छोड़ता है, क्लास नहीं जाता या पढ़ाई बीच में छोड़ता है, तो उसका स्टूडेंट वीजा रद्द किया जा सकता है। भारत में अमेरिकी दूतावास ने कुछ समय पहले एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी। दूतावास ने किसी भी समस्या से बचने के लिए हमेशा अपनी वीजा शर्तों का पालन करने के लिए कहा।
  • दूसरी तरफ, ट्रम्प सरकार ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के साथ 850 करोड़ रुपए (लगभग 100 मिलियन डॉलर) के कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर दिया है। यह फैसला 28 मई 2025 को लिया गया। सरकार पहले ही इस आइवी लीग स्कूल के लिए 22 हजार करोड़ रुपए से अधिक की मदद रोक चुकी है।

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

विदेश

ऑस्ट्रिया के स्कूल में गोलीबारी:अब तक 11 छात्रों की मौत, 28 घायल

Published

on

संदिग्ध हमलावर स्कूल का छात्र, बॉडी मिली

वियना,एजेंसी। ऑस्ट्रिया के ग्राज शहर में मंगलवार सुबह एक हाई स्कूल में फायरिंग की घटना हुई। इसमें 11 लोगों की मौत हो गई और 28 घायल हो गए। उनमें से चार की हालत बेहद गंभीर है। कुछ लोगों के सिर में भी गोली लगी है।

पुलिस ने इलाके में बड़ा ऑपरेशन शुरू कर दिया है और लोगों से कहा गया है कि वे वहां से दूर रहें। ऑस्ट्रियाई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक सुबह करीब 10 बजे बोर्ग ड्रेयर्सचुटजेनगैस हाई स्कूल के अंदर गोलियों की आवाजें सुनी गईं।

इसके तुरंत बाद पुलिस मौके पर पहुंची। रिपोर्ट के अनुसार, संदिग्ध हमलावर शायद उसी स्कूल का छात्र था और उसने खुद को गोली मारकर जान ले ली। स्कूल के बाथरूम में उसकी बॉडी मिलने की भी सूचना है।

स्कूल फायरिंग से जुड़ीं तस्वीरें

ग्राजा में सड़क बंद कराती पुलिस।

ग्राजा में सड़क बंद कराती पुलिस।

एम्बुलेंस में घायलों को तुरंत मेडिकल मदद दी गई।

एम्बुलेंस में घायलों को तुरंत मेडिकल मदद दी गई।

घायल छात्रों को एयर एम्बुलेंस से हॉस्पिटल से जाते रेस्क्यू वर्कर्स।

घायल छात्रों को एयर एम्बुलेंस से हॉस्पिटल से जाते रेस्क्यू वर्कर्स।

हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस टीम हेलिकॉप्टर से तुरंत मौके पर पहुंच गई।

हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस टीम हेलिकॉप्टर से तुरंत मौके पर पहुंच गई।

हमलावर के भी मारे जाने की खबर

ऑस्ट्रिया के गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि मृतकों की वास्तविक संख्या अभी नहीं बताई जा सकती है, इसके साथ ही घायलों की संख्या की पुष्टि भी नहीं की जा सकती है।

पुलिस प्रवक्ता सबरी योर्गुन ने बताया कि पुलिस अभी भी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि वहां क्या हुआ था। फिलहाल स्पेशल फोर्स कोबरा को मौके पर तैनात किया गया है।

ऑस्ट्रियाई चांसलर क्रिश्चियन स्टॉकर भी ग्राज के लिए रवाना हो गए हैं, जहां उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की योजना है।

ग्राज ऑस्ट्रिया का दूसरा सबसे बड़ा शहर

हाई स्कूल में घटी इस घटना की गंभीरता को देखते हुए पूरे इलाके को घेर लिया गया है और पुलिस ने लोगों से शांत रहने और अफवाहों से बचने की अपील की है। ग्राज ऑस्ट्रिया का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, जो देश के दक्षिण-पूर्व में स्थित है और वहां करीब 3 लाख लोग रहते हैं।

यूरोपीय यूनियन के विदेश नीति प्रमुख काजा कालास ने कहा कि ऑस्ट्रिया के स्कूल में गोलीबारी की खबर सुनकर बहुत दुखी हूं। हर बच्चे को स्कूल में सुरक्षित महसूस करना चाहिए और उसे भय और हिंसा से मुक्त होकर सीखने में सक्षम होना चाहिए। इस दुखद घड़ी में मेरी संवेदनाएं पीड़ितों, उनके परिवारों और ऑस्ट्रियाई लोगों के साथ हैं।

Continue Reading

विदेश

इजाराइली सेना ने गाजा के लिए सहायता ले जा रह जहाज रोका, ग्रेटा थनबर्ग गिरफ्तार

Published

on

 गाजा, एजेंसी। इजराइल की सेना ने सोमवार की सुबह गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए जा रहे एक जहाज को रोक दिया और उसमें सवार सामाजिक कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग तथा अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। ‘फ्रीडम फ्लोटिला कोलिशन’ नामक संगठन ने गाजा पट्टी में मानवीय सहायता पहुंचाने और इजराइल की नाकाबंदी तथा युद्ध के दौरान उसके आचरण का विरोध करने और फलस्तीनियों तक राहत सामग्री पहुंचाने के लिए इस यात्रा का आयोजन किया था। ‘फ्रीडम फ्लोटिला कोलिशन’ ने आरोप लगाया कि सामाजिक कार्यकर्ताओं का ‘‘इजराइली सेना ने अपहरण कर लिया है” और उसने उनके पहले से रिकॉर्ड किए गए संदेश जारी किए।

संगठन ने एक बयान में कहा, ‘‘जहाज पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया। जहाज के निहत्थे असैन्य चालक दल के सदस्यों का अपहरण कर लिया गया और इस पर मौजूद जीवन रक्षक राहत सामग्री जैसे कि शिशु फॉर्मूला, भोजन और चिकित्सा आपूर्ति को जब्त कर लिया गया।” इजराइल के विदेश मंत्रालय ने यात्रा को एक ‘जनसंपर्क का हथकंडा’ बताया और सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘सेलिब्रिटी लोगों का ‘सेल्फी जहाज’ सुरक्षित रूप से इजराइल के तट पर पहुंच रहा है”। मंत्रालय ने कहा कि यात्री अपने देश लौट जाएंगे और सहायता स्थापित माध्यमों के जरिए गाजा पहुंचाई जाएगी। बाद में मंत्रालय ने फुटेज प्रसारित किया जिसमें इजराइली सैन्यकर्मी नारंगी रंग की लाइफ जैकेट पहने सामाजिक कार्यकर्ताओं को सैंडविच और पानी देते नजर आ रहे हैं।

Continue Reading

विदेश

चुपचाप की परमाणु बम विस्फोटों की तैयारी कर रहा ईरान! अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मचा  हड़कंप

Published

on

वियना, एजेंसी। विश्व समुदाय के सामने ईरान की एक खौफनाक साजिश का पर्दाफाश हुआ है। इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) की एक नई रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि ईरान सिर्फ यूरेनियम संवर्धन तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उसने गुप्त रूप से परमाणु हथियार तैयार करने की दिशा में कई गंभीर परीक्षण और योजनाएं भी अंजाम दी हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि ईरान ने 9 परमाणु बमों का डिजाइन तैयार किया और तीन गुप्त साइटों पर रेडियोएक्टिव सामग्री भी एकत्र की। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हड़कंप मच गया है, खासकर उस वक्त जब अमेरिका और ईरान एक नई परमाणु डील के बेहद करीब माने जा रहे थे।


IAEA का बड़ा खुलासा
 IAEA की रिपोर्ट के अनुसार,ईरान ने 2003 में दो बार इम्प्लोजन परीक्षण किए। एक 15 फरवरी और दूसरा 3 जुलाई को। यह वही तकनीक है जो परमाणु बम के कोर को विस्फोटित करने में इस्तेमाल की जाती है, और इसका कोई असैन्य प्रयोग नहीं होता। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ईरान के पास कम से कम 9 परमाणु बम तैयार करने लायक डिजाइन और तकनीकी योजनाएं मौजूद हैं।


गुप्त साइट्स पर हथियार निर्माण का सबूत
ईरान ने गुप्त रूप से तीन स्थानों पर गतिविधियां चलाईं।  इन स्थानों पर न्यूट्रॉन डिटेक्टर,  इम्प्लोजन सिस्टम और  रेडिएशन उपकरण पाए गए। वरामिन साइट से UF6 सिलिंडर, हाइड्रोफ्लोरिक एसिड और अन्य बम निर्माण में उपयोग होने वाले केमिकल्स भी बरामद हुए हैं।

मोसाद की पुरानी चोरी बनी सबूत की कुंजी
रिपोर्ट में जिन दस्तावेजों का हवाला दिया गया है, वो वही हैं जिन्हें इज़राइली खुफिया एजेंसी मोसाद ने 2018 में तेहरान से चोरी किया था। ये दस्तावेज ईरान के लंबे समय से छुपाए गए परमाणु एजेंडे का सबूत हैं। 20 साल पुरानी योजना को ईरान ने गुप्त रूप से संरक्षित रखा, और 2025 तक परमाणु हथियार बनाने की क्षमता** हासिल करने की दिशा में वह सक्रिय हो चुका है।


तुर्कुज़ाबाद में छिपा रेडियोधर्मी जखीरा गायब
IAEA रिपोर्ट के मुताबिक 2009 से 2018 के बीच ईरान ने तुर्कुज़ाबाद में बड़ी मात्रा में रेडियोधर्मी सामग्री छिपाकर रखी थी, जो अब गायब है। इसके अलावा Jaber Ibn Hayan नामक लैब से यूरेनियम के गायब होने की पुष्टि हुई है, जो इसी परमाणु परियोजना से जुड़ा माना जा रहा है।


सख्त कदम की मांग
IAEA ने कहा कि ईरान ने जांच के दौरान बार-बार झूठी या विरोधाभासी जानकारी दी है और कई सवालों के जवाब अधूरे छोड़ दिए हैं। इंटरनेशनल थिंक टैंक Institute for Science and International Security के प्रमुख डेविड अलब्राइट ने इस रिपोर्ट को गंभीर सुरक्षा संकट बताते हुए इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले जाने की मांग की है। इज़राइल पहले ही ईरान पर सैन्य कार्रवाई के संकेत दे चुका है। वहीं, अमेरिका की नई परमाणु डील की प्रक्रिया इस रिपोर्ट से पटरी से उतर सकती है ।  

Continue Reading

Trending