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बम फटा, बेटा मरा, नहीं पता मालेगांव का गुनहगार कौन
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2 months agoon
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Divya Akash
प्रज्ञा समेत 7 आरोपी बरी, विक्टिम फैमिली बोलीं- फिर अजहर-फरहीन को किसने मारा
मुंबई,एजेंसी। महाराष्ट्र के मालेगांव में रहने वाले सैयद निसार का बेटा अजहर नमाज पढ़ने निकला था। शाम को लौटते वक्त वह भीकू चौक पहुंचा। अजहर एक बाइक के बगल से गुजर रहा था, तभी ब्लास्ट हो गया। 19 साल के अजहर के अलावा 5 और लोग मारे गए। जवान बेटे की मौत पर सैयद उस दिन खूब रोए। उस दिन तारीख थी 29 सितंबर 2008
17 साल बाद सैयद निसार की आंखों में फिर आंसू हैं। 31 जुलाई, 2025 को मालेगांव ब्लास्ट पर कोर्ट का फैसला आया। NIA की स्पेशल कोर्ट ने ब्लास्ट के सभी सातों आरोपियों; साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी, को बरी कर दिया।

कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ मामला साबित नहीं कर सका। अब 80 साल के हो चुके सैयद निसार कहते हैं, ‘कोर्ट के फैसले ने बेटे की मौत का दर्द फिर से ताजा कर दिया। यह फैसला नाइंसाफी है, बिल्कुल गलत है।’
विक्टिम बोले- इंसाफ के लिए हर कोर्ट जाएंगे
कांपती आवाज और नम आंखों के साथ सैयद उस दिन को याद करते हैं। वे बताते हैं, ‘मेरा बेटा नमाज पढ़कर मस्जिद से निकला था। वह कोई आवारा लड़का नहीं था। हमेशा वहां जाता था। उसका उस रास्ते से गुजरना, एक बाइक के पास पहुंचना और उसी पल उस बाइक में धमाका हो जाना, यह सब एक पल में हो गया।’

ये सैयद निसार हैं। कहते हैं, यहां इंसाफ नहीं मिला, तो हम सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। इंशाअल्लाह, हम न्याय के लिए लड़ेंगे।
सैयद निसार आगे कहते हैं, ‘मेरे बेटे की उम्र उस वक्त सिर्फ 19 साल थी। 17 साल बीत गए। मैं इंसाफ के लिए इंतजार करता रहा। आज अदालत ने हमें यह दिन दिखाया। फिर भी हम चुप नहीं बैठेंगे।’
वे सरकार से अपील करते हुए कहते हैं,
हम बस यही चाहते हैं कि असली गुनहगारों को पकड़ा जाए और उन्हें सख्त सजा दी जाए। हम इंसाफ के लिए हर अदालत तक जाने के लिए तैयार हैं।
10 साल की फरहीन वड़ा पाव लेने निकली थी, ब्लास्ट में मौत
सैयद निसार जैसा ही दर्द मालेगांव के लियाकत शेख का भी है। उनकी 10 साल की बेटी फरहीन वड़ा पाव लेने निकली थी। ब्लास्ट में उसकी मौत हो गई। लियाकत कहते हैं, ‘हमने इंसाफ के लिए 17 साल गवां दिए। अब यह फैसला आया है। यह बिल्कुल गलत है। हम इसे नहीं मानते।’
बेटी की मौत के बारे में लियाकत बताते हैं, ‘मेरी बच्ची घर से वड़ा पाव लेने निकली थी। अचानक जोरदार धमाके की आवाज आई। मैं घबराकर बाहर भागा, तो चारों तरफ अंधेरा और धुआं था। मैं घर लौट आया। मेरी बीवी ने कहा कि फरहीन अब तक वापस नहीं आई। मैंने उसे दिलासा दिया कि आ जाएगी। कुछ ही देर में कोई भागता हुआ आया और बोला कि घायलों में एक छोटी बच्ची भी है।’
‘यह सुनते ही हम फौरन फरहान हॉस्पिटल भागे। वहां मैंने अपनी बच्ची को देखा। मुझसे उसकी पहचान के लिए आईडी मांगी गई। सदमे की हालत में मुझे कुछ दिखाई-सुनाई नहीं दे रहा था।’

ये लियाकत शेख हैं। उनका सवाल है कि अगर बरी आरोपी गुनहगार नहीं हैं, तो सरकार बताए कि असली गुनहगार कौन है।
लियाकत आगे कहते हैं, ‘पहले ATS ने जांच की थी, उसका नतीजा गलत था। उसके बाद हेमंत करकरे ने सबूतों के साथ असली गुनहगारों को पकड़ा था। आज अदालत कह रही है कि वे गुनहगार नहीं हैं। अगर वे बेगुनाह हैं, तो फिर असली गुनहगार कौन हैं। उन्हें हमारे सामने लाओ।’
उस्मान का भतीजा चाय पीने रुका, तभी ब्लास्ट हो गया
मालेगांव ब्लास्ट ने जिनका सब कुछ खत्म कर दिया, उनमें उस्मान खान भी शामिल हैं। उन्हें पता था कि कोर्ट का फैसला आने वाला है। वे सुबह से ही बार-बार घड़ी देख रहे थे। कोर्ट ने जैसे ही फैसला सुनाया, उनकी आंखों से आंसू बहने लगे।
उस्मान कहते हैं, ‘मैं इस फैसले से बिल्कुल खुश नहीं हूं। फैसला तो हुआ ही नहीं है। हमारा सवाल ये है कि आखिर मुजरिम है कौन। मसला तो मुजरिम को सजा दिलाने का था।’

ब्लास्ट में उस्मान खान के भतीजे की मौत हुई थी। केस में उस्मान की गवाही भी शामिल की गई थी।
वे बताते हैं, ‘मेरा भतीजा ऑटो चलाता था। रमजान का मुबारक महीना था। त्योहार की वजह से खरीदारी चल रही थी। मेरे भतीजे ने चाय पीने के लिए ऑटो खड़ा किया था।’
उस्मान एक पल के लिए खामोश हो जाते हैं। फिर कहते हैं, ‘जैसे ही वह चाय पीने गया, धमाका हो गया। उसके जिस्म का पिछला हिस्सा पूरी तरह खत्म हो चुका था। हम उसे लेकर भागे। पहले हम फरहान हॉस्पिटल पहुंचे। उन्होंने नासिक ले जाने को कहा। हम नासिक ले गए। वहां से उसे मुंबई के जेजे अस्पताल में भर्ती कराया। वहीं उसकी मौत हो गई।’
क्या सरकार या पुलिस ने आपसे कॉन्टैक्ट किया? उस्मान जवाब देते हैं, ‘हां, पुलिस आई थी। उसके कपड़े वगैरह लेकर गई थी। बाद में जमीयत उलेमा ए हिंद ने बहुत मदद की। उन्होंने ही हमें गवाही देने के लिए तैयार किया। हम 6 लोग बॉम्बे हाईकोर्ट गए थे। बयान दर्ज कराए। कोर्ट की तरफ से हमें मालेगांव तक का किराया और दूसरे खर्चे भी दिए गए थे।’
कोर्ट ने कहा- आरोपियों के खिलाफ सबूत नहीं
कोर्ट ने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ मामला साबित नहीं कर सका। धमाके में इस्तेमाल बाइक का मालिकाना हक साबित नहीं हुआ। RDX लाने या रखने का कोई सबूत नहीं मिला। साजिश की बैठकों के भी पुख्ता सबूत नहीं मिले।
323 गवाहों में से करीब 40 गवाह बयान से पलट गए। अदालत ने माना कि जांच में गंभीर चूकें हुईं। ब्लास्ट वाली जगह का पंचनामा ठीक से नहीं हुआ। मेडिकल सर्टिफिकेट में हेरफेर पाया गया। रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय से संगठन अभिनव भारत को आतंकी संगठन साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला।
केस की जांच पहले महाराष्ट्र ATS ने की थी। हेमंत करकरे की अगुआई में साध्वी प्रज्ञा और बाकी आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। ATS ने इस ब्लास्ट को अभिनव भारत संगठन की साजिश बताया था। 2011 में जांच NIA को सौंप दी गई। NIA ने ATS की जांच पर सवाल उठाए। मकोका की धाराएं हटाईं। कहा कि ATS ने RDX प्लांट किया और गवाहों पर दबाव डाला। इससे अभियोजन पक्ष की कहानी कमजोर हो गई।
दो जांचें और दोनों में कई अंतर
मालेगांव ब्लास्ट केस में महाराष्ट्र ATS और फिर NIA ने जांच की थी। दोनों एजेंसियों की जांच में बड़ा अंतर है। ATS ने दावा किया कि धमाके की साजिश अभिनव भारत संगठन के सदस्यों ने रची थी। इसमें साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित, रमेश उपाध्याय, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और अजय राहिरकर को मुख्य आरोपी बनाया गया।
ATS ने कहा कि धमाके में प्रज्ञा की बाइक का इस्तेमाल हुआ। बाइक का चेसिस और इंजन नंबर मिटाया गया था। सुधाकर द्विवेदी के लैपटॉप से कथित बैठकों की रिकॉर्डिंग भी मिली। ATS ने आरोपियों पर MCOCA, UAPA और IPC के तहत केस दर्ज किया। एजेंसी ने दावा किया कि धमाके का मकसद मुस्लिम बहुल इलाके में सांप्रदायिक तनाव फैलाना था।
ATS की जांच पर सवाल भी उठे। आरोप लगे कि गवाहों पर दबाव डाला गया और सबूतों को गलत तरीके से पेश किया गया।
2011 में NIA ने जांच संभाली। एजेंसी ने साध्वी प्रज्ञा, शिवनारायण कलसांगरा, श्याम बावरलाल साहू और प्रवीण तक्कलकी के खिलाफ आरोप हटा दिए। लोकेश शर्मा और धन सिंह को आरोपी बनाया गया, लेकिन 2008 के धमाके में उनकी भूमिका साबित नहीं हुई।
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हिंडनबर्ग केस- अडाणी को SEBI की क्लीन चिट:अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप थे, मार्केट वैल्यू ₹1 लाख करोड़ कम हो गई थी
Published
19 hours agoon
September 18, 2025By
Divya Akash
मुंबई,एजेंसी। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने गुरुवार,18 सितंबर को हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को खारिज करते हुए अडाणी ग्रुप को क्लीनचिट दे दी है। अमेरिकी शॉर्ट-सेलर कंपनी ने गौतम अडाणी और उनकी कंपनियों (जैसे- अडाणी पोर्ट्स और अडाणी पावर) पर शेयर बाजार में हेरफेर के आरोप लगाए थे।
24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे कई आरोप लगाए गए थे। इससे 25 जनवरी तक ग्रुप के शेयरों की मार्केट वैल्यू करीब 12 बिलियन डॉलर (1 लाख करोड़ रुपए) कम हो गई थी।
अडाणी को क्लीनचिट देते हुए SEBI की 6 बातें…
पारदर्शी जांच: SEBI ने पूरी जांच, सुनवाई और सबूतों के आधार पर पाया कि कोई धोखाधड़ी, शेयरों में हेरफेर या इनसाइडर ट्रेडिंग नहीं हुई। सभी लेन-देन वैध और पारदर्शी थे।
आरोप गलत साबित हुए: हिंडनबर्ग ने अडाणी पर शेयरों में हेरफेर, फंड का गलत इस्तेमाल, रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन छिपाने और गलत ट्रेडिंग के आरोप लगाए थे। जांच में ये आरोप सही नहीं पाए गए।
कोई नियम नहीं तोड़ा: अडाणी की कंपनियों (जैसे अडाणी पोर्ट्स, अडाणी पावर) के लेन-देन में SEBI के नियमों, लिस्टिंग नियमों या LODR नियमों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ।
रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन नहीं: माइलस्टोन ट्रेडलिंक्स, रेहवार इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी कंपनियों के जरिए हुए फंड ट्रांसफर को रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन नहीं माना गया, क्योंकि ये उस समय के नियमों में शामिल नहीं थे।
लोन चुकाया, कोई धोखा नहीं: अडाणी पोर्ट्स से अडाणी कॉर्प को दिए गए फंड्स को अडाणी पावर को लोन दिया गया था, जो ब्याज सहित पूरा चुका दिया गया। कोई फंड गलत इस्तेमाल, धोखाधड़ी या गलत फायदा नहीं पाया गया।
कोई सजा या जुर्माना नहीं: चूंकि कोई गलती साबित नहीं हुई, इसलिए अडाणी ग्रुप, गौतम अडाणी, राजेश अडाणी या उनकी कंपनियों पर कोई जुर्माना या सजा नहीं लगी।
जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यीय कमेटी बनाई थी
अडाणी ने किसी भी गलत काम के आरोपों से इनकार किया था। हालांकि इस केस की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यीय कमेटी बनाई और सेबी ने भी मामले की जांच की।
इस मामले में अडाणी को पहले ही कोर्ट ने बरी कर दिया है। फैसले के बाद गौतम अडाणी ने कहा था, ‘कोर्ट के फैसले से पता चलता है कि सत्य की जीत हुई है। सत्यमेव जयते। मैं उन लोगों का आभारी हूं जो हमारे साथ खड़े रहे। भारत की ग्रोथ स्टोरी में हमारा योगदान जारी रहेगा। जय हिन्द।
रिपोर्ट के बाद शेयर अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 59% गिरा था
24 जनवरी 2023 (भारतीय समय के अनुसार 25 जनवरी) को अडाणी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर का प्राइस 3442 रुपए था। 25 जनवरी को ये 1.54% गिरकर 3388 रुपए पर बंद हुआ था। 27 जनवरी को शेयर के भाव 18% गिरकर 2761 रुपए पर आ गए थे। 22 फरवरी तक ये 59% गिरकर 1404 रुपए तक पहुंच गए थे।
देश
CJI की सफाई- सभी धर्मों का सम्मान करता हूं:खजुराहो की खंडित मूर्ति बदलने की याचिका पर कहा था- भगवान से खुद करने को कहो
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19 hours agoon
September 18, 2025By
Divya Akash
नई दिल्ली,एजेंसी। खजुराहो के वामन (जावरी) मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति बदलने को लेकर दी टिप्पणी पर चीफ जस्टिस बीआर गवई ने सफाई दी है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि मेरी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से दिखाया गया। मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 16 सितंबर को राकेश दलाल की याचिका खारिज कर दी थी। सुनवाई के दौरान CJI ने याचिकाकर्ता से कहा था-
जाओ और भगवान से खुद करने को कहो। तुम कहते हो भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो, जाओ उनसे प्रार्थना करो।
बेंच में शामिल जस्टिस के विनोद चंद्रन ने सोशल मीडिया को एंटी-सोशल मीडिया कहा और बताया कि उन्हें भी ऑनलाइन गलत तरह से दिखाया गया है। वहीं, याचिकाकर्ता के वकील संजय नूली ने कहा कि CJI के बारे में सोशल मीडिया पर फैलाए गए बयान झूठे हैं।
सॉलिसिटर जनरल बोले- सोशल मीडिया पर बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है
गुरुवार को अदालत में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, मैं CJI को 10 साल से जानता हूं। वे सभी धर्मस्थलों पर जाते हैं। आजकल सोशल मीडिया पर बातें बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई जाती हैं। मेहता ने कहा,
न्यूटन का नियम है कि हर क्रिया की समान प्रतिक्रिया होती है, लेकिन अब सोशल मीडिया पर हर क्रिया की जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया हो जाती है।
वहीं, सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने भी सहमति जताई और कहा कि सोशल मीडिया की वजह से वकीलों को रोज दिक्कत उठानी पड़ती है।
VHP नेता बोले- सबका कर्तव्य है वाणी पर संयम रखना
VHP के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने X पर लिखा- न्यायालय न्याय का मंदिर है। भारतीय समाज की न्यायालयों पर श्रद्धा और विश्वास है। हम सबका कर्तव्य है कि यह विश्वास न सिर्फ बना रहे वरन और मजबूत हो।
हम सब का यह भी कर्तव्य है कि अपनी वाणी में संयम रखें। विशेष तौर पर न्यायालय के अंदर। यह जिम्मेदारी मुकदमा लड़ने वालों की है, वकीलों की है और उतनी ही न्यायाधीशों की भी है।

जावरी मंदिर खजुराहो का पहला मंदिर है, जिसे साइड व्यू से पूरा देखा जा सकता है।

अपनी वास्तुकला के कारण खजुराहो के मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में सूचीबद्ध है।

जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति खंडित होने की वजह से पूजा नहीं की जाती।

जावरी मंदिर में भगवान विष्णु के सभी अवतारों को दिखाया गया है।
बीजेपी सरकार होने के बावजूद यह स्थिति दुखद
याचिकाकर्ता राकेश दलाल ने बताया कि उन्होंने 13 जून को यह जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें मुगलों के आक्रमण के दौरान खंडित हुई इस मूर्ति को बदलकर नई मूर्ति स्थापित करने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उन्होंने निराशा जताई।
याचिकाकर्ता राकेश दलाल हरियाणा के रहने वाले हैं
राष्ट्रीय वीर किसान मजदूर संघ दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश दलाल मूलतः हरियाणा के रहने वाले हैं और देश में किसान और धार्मिक स्थलों के मुद्दों पर लगातार आवाज बुलंद करते हैं।
खजुराहो के अलावा देश में जो अन्य ऐतिहासिक धार्मिक स्थल हैं, वहां मौजूद खंडित देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को ठीक कराने और मंदिरों में पूजा-पाठ शुरू हो, इसके लिए प्रयास करते हैं।
वह 5 साल पहले यह खजुराहो आए थे। यहां भगवान विष्णु की खंडित प्रतिमा देखकर उसके सुधार में जुट गए। इसके लिए इन्होंने खजुराहो के वामन जवारी मंदिर के बाहर कई बार अनशन भी किया और धार्मिक अनुष्ठान भी किए, जिससे स्थानीय लोग जागरूक हों।
जीर्णोद्धार की मांग, जंतर-मंतर पर प्रदर्शन भी किया था
जवारी मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भगवान विष्णु की 7 फीट ऊंची मूर्ति का सिर नहीं है। कई सामाजिक संगठनों और स्थानीय नागरिकों ने इसके जीर्णोद्धार की मांग उठाई है। राकेश दलाल ने इस मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन भी किया था और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को ज्ञापन सौंपा था।
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उत्तराखंड के चमोली में बादल फटा, 14 लोग लापता:मसूरी में 2500 टूरिस्ट्स फंसे, हिमाचल में 419 मौतें, देश में अबतक 8% ज्यादा बारिश
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22 hours agoon
September 18, 2025By
Divya Akash
नई दिल्ली/भोपाल/देहरादून,एजेंसी। उत्तराखंड में दो दिन में दूसरी बार बादल फटा है। 17 सितंबर की रात चमोली जिले के नंदानगर घाट में बादल फटा। यहां कुंटरी लंगाफली वार्ड में छह घर मलबे में दब गए। 14 लोग लापता हैं और 20 लोग घायल हैं। अब तक 2 लोग रेस्क्यू किए गए।
इससे पहले 16 सितंबर को देहरादून में बादल फटा था। देहरादून से मसूरी का 35 किलोमीटर का रास्ता कई जगह क्षतिग्रस्त है। इसके कारण मसूरी में 2500 टूरिस्ट्स लगातार तीसरे दिन फंसे हुए हैं।
हिमाचल में इस सीजन बारिश, बाढ़, लैंडस्लाइड और अचानक आई बाढ़ से अब तक 419 लोगों की मौत हो चुकी है। मौसम विभाग ने दोनों ही राज्यों उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को अगले 48 घंटे हाई अलर्ट पर रखा है।
देश में इस साल 24 मई को दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल पहुंचा था। देश में अब तक (17 सितंबर) सामान्य से 8% ज्यादा बारिश हो चुकी है। 3 राज्यों राजस्थान (पश्चिम), पंजाब और हरियाणा से मानसून की विदाई शुरू भी हो चुकी है, लेकिन इसके जाते-जाते भी देश के 7 राज्यों में तेज बारिश की संभवना है।
मौसम विभाग और ग्लोबल फोरकास्ट सिस्टम (GFS) के मुताबिक, सितंबर के आखिरी कुछ दिन और अक्टूबर की शुरुआत तक एक बड़े कम दबाव के क्षेत्र के साथ जबरदस्त बारिश के आसार हैं।
25-26 सितंबर को बंगाल की खाड़ी में बड़ा मानसूनी सिस्टम लो प्रेशर एरिया बन रहा है। इससे पूर्वी-पश्चिमी मध्य प्रदेश के अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, छग, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में 2-3 दिन तेज बारिश हो सकती है। कुछ इलाकों में 3 इंच तक पानी गिर सकता है।
चमोली के नंदानगर की तस्वीरें…

बादल फटने के कारण नंदानगर घाट इलाके के 6 मकानों में मलबा और पानी भर गया।

नंदानगर घाट में बादल फटने के बाद रास्ता कट गया।

घरों में कई फीट तक मलबा भरा है, यहां पर 7 लोग लापता हैं।

नंदानगर में बादल फटने के बाद पूरे इलाके में मलबा जमा हो गया। घरों में भी मलबा भर गया।

नंदानगर में घरों के नीचे से बहता पानी, कई घरों को नुकसान भी हुआ है।


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