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साइप्रस में PM मोदी ने Israel-Iran Conflict पर जताई चिंता, कहा-“यह युद्ध का युग नहीं!” 

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नई दिल्ली, एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि उन्होंने और साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने पश्चिम एशिया और यूरोप में चल रहे संघर्षों पर ‘‘चिंता जताई” और उन दोनों का मानना है कि ‘‘यह युद्ध का युग नहीं है।” मोदी ने यहां क्रिस्टोडौलिडेस के साथ व्यापक वार्ता के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में अपने संबोधन में यह भी कहा कि ‘‘बातचीत के जरिए समाधान और स्थिरता बहाल करना मानवता की मांग है।” प्रधानमंत्री ने सीमा पार से होने वाले आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में साइप्रस के समर्थन के लिए भी धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘हम सीमा पार से होने वाले आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में साइप्रस के समर्थन के लिए आभारी हैं।” प्रधानमंत्री मोदी तीन देशों की अपनी यात्रा के पहले चरण में अभी साइप्रस में हैं। मई में भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाए जाने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा है। पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में, ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकवादियों के बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया गया था। संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान अपने संबोधन में राष्ट्रपति क्रिस्टोडौलिडेस ने कहा, ‘‘हमारे बीच ऐतिहासिक मित्रता है और हमारे संबंधों में विश्वास है।”

उन्होंने 22 अप्रैल के भयावह पहलगाम आतंकी हमले को भी याद किया और कहा कि साइप्रस, भारत के साथ ‘‘पूरी एकजुटता” के साथ खड़ा है। राष्ट्रपति ने कहा कि साइप्रस आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ खड़ा है। अपने संबोधन में क्रिस्टोडौलिडेस ने अहमदाबाद में 12 जून को हुए एअर इंडिया विमान हादसे का भी जिक्र किया और कहा कि साइप्रस के लोग दुख की इस घड़ी में भारत के साथ हैं। मोदी और क्रिस्टोडौलिडेस ने भारत-साइप्रस संबंधों के सभी पहलुओं पर व्यापक चर्चा की। उन्होंने रक्षा, सुरक्षा, व्यापार, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु न्याय जैसे क्षेत्रों में सहयोग के बारे में बात की। उन्होंने क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की। मोदी ने कहा, ‘‘हम दोनों ने पश्चिम एशिया और यूरोप में चल रहे संघर्षों पर चिंता व्यक्त की। उनका नकारात्मक प्रभाव केवल उन क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है। हम दोनों का मानना है कि यह युद्ध का युग नहीं है। बातचीत के माध्यम से समाधान और स्थिरता बहाल करना मानवता की मांग है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी यात्रा भारत-साइप्रस द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय लिखने का ‘‘स्वर्णिम अवसर” है। पिछले दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की साइप्रस की यह पहली यात्रा है। सोमवार को राष्ट्रपति भवन पहुंचने पर उनका स्वागत किया गया। बाद में, मोदी ने भारत-साइप्रस संबंधों को बढ़ावा देने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा करने के लिए राष्ट्रपति के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की। विदेश मंत्री एस जयशंकर, विदेश सचिव विक्रम मिसरी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल वार्ता के दौरान मौजूद थे। साइप्रस पहुंचने के तुरंत बाद मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘यह यात्रा भारत-साइप्रस संबंधों को महत्वपूर्ण गति प्रदान करेगी, खासकर व्यापार, निवेश और अन्य क्षेत्रों में।” संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान साइप्रस के राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमने प्रधानमंत्री के साथ साइप्रस मुद्दे पर भी चर्चा की।”

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सेंसेक्स 195 अंकों की गिरावट के साथ खुला, निफ्टी 25,000 के नीचे, फार्मा और हेल्थकेयर शेयरों में दबाव

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मुंबई, एजेंसी। मंगलवार को शुरुआती कारोबार में भारतीय शेयर बाजारों ने हल्की बढ़त के साथ शुरुआत की, लेकिन जल्द ही मुनाफावसूली के चलते प्रमुख सूचकांक लाल निशान में आ गए। वैश्विक स्तर पर ईरान-इज़राइल संघर्ष के बढ़ते तनाव का असर बाजार की धारणा पर देखा गया, जिससे फार्मा, हेल्थकेयर और कंज़्यूमर ड्यूरेबल्स शेयरों में गिरावट आई।

सुबह 9:28 बजे तक, बीएसई सेंसेक्स 194.71 अंक गिरकर 81,601.44 पर आ गया, जबकि एनएसई निफ्टी 69 अंकों की गिरावट के साथ 24,877.50 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। Geojit Investments Limited के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट डॉ. वी.के. विजयकुमार ने कहा कि, “ईरान-इज़राइल संघर्ष की गंभीरता के बावजूद वैश्विक शेयर बाजारों में स्थिरता और मजबूती बनी हुई है। अमेरिका के वोलैटिलिटी इंडेक्स (CBOE VIX) में गिरावट यह संकेत देती है कि जब तक संघर्ष किसी बड़े मोड़ पर नहीं पहुंचता, तब तक बाजार में कोई बड़ी गिरावट की आशंका कम है।”

उन्होंने आगे कहा कि, “मूल्यांकन (Valuations) ऊंचे होने के बावजूद रिटेल निवेशक हर गिरावट को खरीदारी का अवसर मान रहे हैं। पिछले चार कारोबारी सत्रों में एफआईआई ने जहां ₹8,080 करोड़ की बिकवाली की, वहीं डीआईआई ने ₹19,800 करोड़ की खरीदारी कर इस बिकवाली को पूरी तरह से संतुलित कर दिया है। एसआईपी के ज़रिए लगातार रिटेल फंड फ्लो डीआईआई को समर्थन दे रहा है।”

बढ़त वाले शेयर:

  • एनटीपीसी: 0.63% की तेजी
  • कोटक महिंद्रा बैंक: 0.61% ऊपर
  • एक्सिस बैंक: 0.54% की बढ़त
  • एशियन पेंट्स: 0.43% की तेजी
  • अडानी पोर्ट्स: 0.31% की तेजी

गिरावट वाले शेयर:

  • इंडसइंड बैंक: 1.22% की गिरावट
  • सन फार्मा: 1.10% नीचे
  • बजाज फाइनेंस: 1.03% की गिरावट
  • टाइटन कंपनी: 0.99% नीचे
  • बजाज फिनसर्व: 0.95% की गिरावट

तकनीकी विश्लेषण के अनुसार, निफ्टी को 24,500 के स्तर पर समर्थन और 25,000 के स्तर पर प्रतिरोध मिल सकता है। विजयकुमार ने कहा कि, “भले ही थोड़ी सावधानी बरतने की ज़रूरत है, लेकिन मौजूदा बाजार में निवेश बनाए रखना और गिरावट पर खरीदारी करना समझदारी होगी।”

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Nuclear Bomb: SIPRI रिपोर्ट का बड़ा खुलासा: न्यूक्लियर हथियारों के मामले में कौन-सा देश सबसे पॉवरफुल, लिस्ट जारी

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नई दिल्ली, एजेंसी। ईरान और इज़रायल के बीच जारी तनाव, और हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच हुई तनातनी के बीच, दुनिया भर में परमाणु हथियारों की स्थिति पर स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि वैश्विक ताकतों के बीच हथियारों की होड़ अब भी जारी है – और यह दौड़ केवल संख्या तक सीमित नहीं, बल्कि तकनीकी रूप से भी बेहद खतरनाक होती जा रही है।

रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के पास कुल 12,121 परमाणु हथियार हैं, जिनमें से सक्रिय (यानि तैनात) हथियारों की संख्या लगभग 9,600 है। ये हथियार अब पुराने ज़माने के मिसाइल सिस्टम से हटकर अत्याधुनिक और अधिक विध्वंसक तकनीकों पर आधारित हो चुके हैं।

भारत-पाकिस्तान की परमाणु ताकत: कौन है आगे?

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हाल ही में जब पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने जवाबी एयर स्ट्राइक की, तो पाकिस्तान ने परमाणु हमले की धमकी देकर माहौल और गरमा दिया। ऐसे में SIPRI की रिपोर्ट यह दर्शाती है कि इस क्षेत्र में असली शक्ति संतुलन किसके पास है।

  • भारत के पास 180 परमाणु हथियार हैं, जो पाकिस्तान के 170 हथियारों से थोड़े अधिक हैं।
  • भारत ने हाल ही में कैनिस्टराइज्ड मिसाइल तकनीक को अपनाया है, जिससे परमाणु मिसाइलों को पहले से वॉरहेड के साथ जोड़कर कहीं भी तैनात किया जा सकता है। यह सिस्टम तेज़ प्रतिक्रिया देने में सहायक होता है।

चीन और रूस – परमाणु हथियारों के ‘सुपरकिंग’

  • रूस दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु हथियार भंडार रखने वाला देश है, जिसके पास 5,880 हथियार हैं।
  • अमेरिका 5,244 परमाणु हथियारों के साथ दूसरे स्थान पर है।
  • चीन ने बीते वर्षों में हथियारों की संख्या में तेज़ी से इज़ाफा किया है और अब उसके पास 600 परमाणु हथियार हैं – जो भारत की तुलना में तीन गुना ज्यादा हैं।

सिर्फ संख्या ही नहीं, ये देश अपने हथियारों को और ज़्यादा घातक और सटीक बनाने में भी जुटे हुए हैं। चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया ने अपनी सीमाओं पर अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम और परमाणु हथियारों की मॉडर्न तैनाती शुरू कर दी है।

हथियारों का वैश्विक बाज़ार: कौन बेच रहा है, कौन खरीद रहा है?

SIPRI रिपोर्ट ने यह भी उजागर किया है कि दुनिया में कौन से देश हथियारों की सबसे बड़ी खरीददारी कर रहे हैं और कौन इन्हें बेचकर सैन्य अर्थव्यवस्था चला रहे हैं:

हथियार खरीद में टॉप देश (2020–24):

  1. यूक्रेन
  2. भारत
  3. कतर
  4. सऊदी अरब
  5. पाकिस्तान

इन पांच देशों ने पूरी दुनिया में खरीदे गए भारी हथियारों में से लगभग 35% का हिस्सा अकेले लिया है। भारत ने अपनी रक्षा क्षमता बढ़ाने के लिए लगातार अंतरराष्ट्रीय सौदों पर ज़ोर दिया है।

हथियार निर्यात में टॉप देश:

  • अमेरिका – दुनिया का सबसे बड़ा हथियार विक्रेता, जिसने 2020–24 के बीच कुल वैश्विक निर्यात का 43% किया।
  • फ्रांस – दूसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बना।
  • रूस – कुछ गिरावट के बावजूद तीसरे स्थान पर रहा।

दिलचस्प बात यह है कि चीन ने इस दौरान अपने हथियारों के आयात में कमी की है, और अब घरेलू उत्पादन पर ज़ोर दे रहा है।

क्या आगे युद्ध का खतरा और बढ़ेगा?

ईरान और इज़रायल के बीच परमाणु हथियारों को लेकर बढ़ती तनातनी दुनिया के लिए गंभीर संकेत है। इज़रायल का कहना है कि अगर ईरान ने परमाणु हथियार बना लिए तो यह पूरे विश्व की सुरक्षा के लिए खतरा होगा। भारत और पाकिस्तान जैसे परमाणु ताकतवर देशों के बीच तनाव भी इस ज्वलंत विषय को और गंभीर बना देता है।

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भारत की ईरान में फंसे अपने नागरिकों के लिए टेंशन बढ़ी; 24×7 हेल्पलाइन जारी, तुरंत दूतावास से संपर्क की अपील

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नई दिल्ली, एजेंसी। ईरान और इजराइल के बीच जारी तनाव और लगातार हो रहे हमलों के बीच तेहरान स्थित  भारतीय दूतावास ने आपातकालीन अलर्ट जारी किया है। इसमें सभी  भारतीय नागरिकों और भारतीय मूल के लोगों (PIOs)  से अपील की गई है कि वे  तत्काल दूतावास से संपर्क करें और अपना स्थान एवं मोबाइल नंबर साझा करें।तेहरान में सभी भारतीय नागरिकों से मंगलवार को अनुरोध किया गया कि वे तुरंत भारतीय दूतावास से संपर्क करें और अपना स्थान तथा संपर्क नंबर प्रदान करें, क्योंकि ईरान और इजराइल के बीच संघर्ष तेज हो गया है। भारतीय मिशन ने सभी भारतीय नागरिकों और भारतीय मूल के लोगों (पीआईओ) को भी सलाह दी है कि जो अपने स्वयं के संसाधनों से तेहरान से बाहर जा सकते हैं, वे शहर के बाहर सुरक्षित स्थान पर चले जाएं। तेहरान में भारतीय दूतावास ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘सभी भारतीय नागरिक जो तेहरान में हैं और दूतावास के संपर्क में नहीं हैं, उनसे अनुरोध है कि वे तुरंत तेहरान में भारतीय दूतावास से संपर्क करें और अपना स्थान तथा संपर्क नंबर प्रदान करें।

कृपया इन नंबर पर संपर्क करें:

+989010144557; +989128109115; +989128109109 ।” यह पोस्ट ऐसे समय में आया है जब इजराइल और ईरान के बीच संघर्ष तेज हो गया है तथा उन्होंने पांचवें दिन भी हमले किए हैं। मौजूदा परिस्थिति के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कनाडा में जी7 शिखर सम्मेलन से एक दिन पहले ही वापस वाशिंगटन के लिए रवाना हो गए। ट्रंप ने ईरानियों को तत्कल तेहरान छोड़ने की चेतावनी भी दी। नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने कहा कि ईरान और इजराइल में जारी घटनाक्रम के मद्देनजर मंत्रालय में 24 घंटे संचालित नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है।

बयान में कहा गया, ‘‘नियंत्रण कक्ष का संपर्क विवरण इस प्रकार है:

1800118797 (टोल-फ्री), +91-11-23012113, +91-11-23014104, +91-11-23017905, +91-9968291988 (व्हाट्सएप) ।” इसके अलावा, तेहरान में भारतीय दूतावास ने संपर्क के लिए 24 घंटे संचालित आपातकालीन हेल्पलाइन स्थापित की है। इसमें कहा गया है, ‘‘केवल कॉल के लिए: +98 9128109115, +98 9128109109; व्हाट्सएप के लिए: +98 901044557, +98 9015993320, +91 8086871709, बंदर अब्बास: +98 9177699036, जाहेदान: +98 9396356649 ।” इजराइल ने शुक्रवार की सुबह ईरान पर हमला कर दिया था और उसके परमाणु, मिसाइल और सैन्य ढांचे को निशाना बनाया। बाद में ईरान ने इजराइल पर जवाबी हमला किया। 

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