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विशेष लेख

सर्वमान्य नेता, जिनके नेतृत्व में भारत खुशहाल हुआ, सक्षम हुआ

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भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी: 16 अगस्त: 07वीं पूण्यतिथि पर विशेष
जन्म- 25 दिसम्बर 1924
निधन- 16 अगस्त 2018
11 मई 1998 को भारत के लिए ऐतिहासिक दिन था। अटल बिहारी बाजपेयी ने अपने प्रधानमंत्रीत्व काल में ऐतिहासिक कदम उठाया और पोखरण में तीन धमाके के साथ परमाणु परीक्षण कर दुनिया को दिखा दिया… कि हम भी अपने राष्ट्र की सुरक्षा के लिए सक्षम हैं। अमेरिका की खुफिया एजेंसियां हाथ मलते रह गई और अमेरिका भौंचक। परमाणु परीक्षण होने के बाद अटल जी की मिशन शक्ति ने अमेरिका ही नहीं पूरी दुनिया को हैरत में डाल दिया।
अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिया। अटल जी का जवाब था-ना हम झूकेंगे… ना डरेंगे। हम सक्षम हैं-अमेरिका प्रतिबंध लगा दे या रिश्ता तोड़ दे। हम सभी मामलों में सक्षम हैं। आज भारत के पास 5 हजार किलोमीटर रेंज वाली बलिस्टिक मिसाईलें हैं, सबमरीन हैं। 3 हजार किलोमीटर रेंज की के-4 सबमरीन बेस्ड मिसाईल सिस्टम है और भारत अपनी अखण्डता और सुरक्षा के लिए सक्षम है। हम अपने दुश्मनों को मारने में भी सक्षम हैं।
परमाणु परीक्षण कर अटल जी ने देश-दुनिया को संदेश दिया- यह नया भारत है और अब हम किसी भी प्रतिबंध से ना डिगने वाले, ना पीछे हटने वाले। ना हम झूके हैं… ना झूकेंगे।
अटल जी भारत के ही नहीं, बल्कि दुनिया के ताकतवर राष्ट्र प्रमुखों में सर्वमान्य नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई और दुनिया को हिन्दी की ताकत भी समझाई। अटल जी भारत के वे रत्न थे, जिन्होंने अपने कार्यकाल में भारत को सशक्त और सक्षम बनाया। अटल जी के नेतृत्व को देश ने सराहा और उनके कार्यकाल को स्वर्णीम काल के नाम से जाना जाने लगा।
7 साल पूर्व अटल जी इस दुनिया को अलविदा कह गए। उन्होंने मौत को भी चुनौती देने के लिए एक कविता रची… जो विश्व विख्यात बन गई।
पढ़ें उनकी यह खास कविता
मौत से ठन गई…
जुझने का मेरा ईरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे, इसका वादा न था।
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं।
लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं।
तू दबे पांव, चोरी-छिपे से न आ।
सामने वार कर, फिर मुझे आजमा।

अटल जी को सम्मान में देशवासियों ने न जाने क्या-क्या नाम दिया। युग पुरूष, भारत मां के सच्चे सपूत, राष्ट्र पुरूष, राष्ट्र मार्गदर्शक, भारत रत्न। वे सच्चे अर्थों में एक ऐसा राष्ट्रभक्त थे, जिन्होंने भारतीय राजनीति से द्वेष को मिटाने का काम किया। आज राजनीति में कहीं भी सात्विकता नहीं दिखती। अटल जी जब विपक्ष में थे, तो तत्समय के प्रधानमंत्री पी व्ही नरसिम्हा राव थे और दोनों की जुगलबंदी से राष्ट्र को नई दिशा मिली। वे एक-दूसरे को गुरू कह कर पुकारते थे। राजनीति में ऐसे दो विपरीत धु्रव शायद आज की राजनीति में दिखाई न दे। आज राजनीति फिर से कलुषित हो गई है और अटल जी का मार्ग शायद आज के राजनेता भूल गए हैं।
अटल जी का वह स्वर्णीम काल जब सभी धर्म के लोग खुशहाल और समभाव जीवन व्यतीत कर रहे थे। शायद आज भारतवासी उस काल को याद कर अपने आपको सांत्वना दे रहे होंगे। अटल जी प्रधानमंत्री के रूप में अपना सर्वश्रेष्ठ भारत को दिया और सबसे बड़ी बात वे एक अच्छे इंसान भी थे। स्पष्ट वक्ता होने के कारण उनकी लोकप्रियता भारत में ऐसी बढ़ी, कि वे सर्वमान्य नेता के रूप में आम जनता के साथ सभी दलों के लिए लोकप्रिय थे।
वे एक ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने कभी भी किसी से दुर्व्यहार नहीं किया और न ही किसी के उपर व्यक्तिगत लांछन लगाया। वे सच्चे अर्थों में मां भारती के लाडले सपूत थे, जो बच्चों, युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों के बीच अतिलोकप्रिय थे।
देश का हर युवा, बच्चा उन्हें अपना आदर्श मानता था। आजीवन अविवाहित रह कर मां भारती की सेवा करते रहे और उन्होंने अपनी अंतिम सांस भी मां को समर्पित कर दिया। चंूकि वे आजीवन अविवाहित रहे, जिसके कारण उनकी संतान नहीं थी, लेकिन पूरे भारतवासी उनके संतान बन गए और उन्होंने भारत की हर संतान को खुशहाल बनाने की दृढ़ प्रतिज्ञा लेकर भारत को आगे ऊंचाईयों तक ले जाने के लिए प्रयास करते रहे और लोगों को पहली बार लगा कि भारत में सुशासन की स्थापना हुई है।
उनके कार्यों के बदौलत ही उन्हें भारत के ढांचागत विकास का दूरदृष्टा कहा जाता है। विरोधियों का भी दिल जीतने की ताकत अटल जी में थी और वे जब तक जीए, बेदाग रहे। उनका पूरा जीवन सार्वजनिक था और वे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रहित को सर्वोपरी माना, तभी तो उन्हें राष्ट्रपुरूष का भी दर्जा दिया गया। अटल जी की बातें और विचार हमेशा तर्कपूर्ण रहते थे और जब वे विपक्ष में रहकर सत्तापक्ष को घेरते, तो बड़े-बड़े राजनेता और मंत्री स्तब्ध रह जाते थे। यहां तक कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू भी अटल जी की बातों को ध्यान से सुना करते थे। जब अटल जी बोलते थे, तो लगता था कि वे राष्ट्र के बारे में बोल रहे हैं, जहां पर राजनीतिक द्वेष का नामोनिशान नहीं रहता। उन्होंने संसद में जब भी बहस की, प्रधानमंत्री से लेकर विधायक तक उनकी बातों को गौर किया और जब अटल जी बोलते तो पूरे सदन में एक ही आवाज गूंजती थी, वह आवाज रहती अटल जी की। 25 दिसम्बर 1924 को भारत में एक ऐसे महापुरूष का जन्म हुआ, जो कालांतर में अटल बिहारी बाजपेयी के नाम से विश्व प्रसिद्ध हुआ। इस युगपुरूष के पिता पं. कृष्ण बिहारी बाजपेयी और माता कृष्णा बाजपेयी धन्य हुए, जिन्होंने इस मां भारती के सच्चे सेवक को जन्म दिया। संघ प्रचारक से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर करने वाले इस भारत रत्न को 16 अगस्त को देश फिर याद करेगा और उनके सुशासन को भी याद करेगा। ग्वालियर में जन्में अटल जी की बीए तक की शिक्षा ग्वालियर के वर्तमान लक्ष्मीबाई कालेज में पूरी हुई। कानपुर के डीएव्ही कालेज से उन्होंने कला में स्नातकोत्तर की उपाधि प्रथम श्रेणी में पास की। वे राजनीति के सविनय सूरज थे, जिनकी उष्मा और राष्ट्रभक्ति से वर्षों तक भारत को राजनीति का स्वर्णीम काल मिला।
सम्पादक की कलम से…

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छत्तीसगढ़

रायपुर : राज्य सरकार के 02 वर्ष पर विशेष : छत्तीसगढ़ बना भारत का ग्रोथ इंजन

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  • छगन लोन्हारे उप संचालक (जनसंपर्क) 

विकसित भारत और विकसित छत्तीसगढ़ के लक्ष्य अनुरूप छत्तीसगढ़ में न केवल तेजी से अधोसंरचनाएं विकसित हो रही है, बल्कि सस्टेनबल डेवलपमेंट गोल के लक्ष्य को भी हासिल किया जा रहा है। विगत दो वर्षों में छत्तीसगढ़ भारत के विकास इंजन के रूप में भी तेजी से अपनी पहचान बना रहा है। प्रदेश की नवीन औद्योगिक नीति में डिफेंस, आईटी, एआई, ग्रीन एनर्जी जैसे नए क्षेत्रों को विशेष पैकेज दिया जा रहा है। राज्य में अब तक 7.69 लाख रूपए के निवेश के प्रस्ताव मिल चुके हैं। राज्य में विकास, विश्वास और सुरक्षा का नया वातावरण बना है। राज्य की प्रगति में माओवाद आतंक हमेशा से ही बाधक रही है। अब यह बाधा दूर होने जा रही है। माओवाद अब अंतिम सांसें ले रहा है। 

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सुशासन, पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। राज्य सरकार ने प्रशासनिक कार्यप्रणाली को अधिक सुदृढ़ एवं परिणाम आधारित बनाने के लिए सुशासन एवं अभिसरण विभाग का गठन किया है। शासन व्यवस्था में अनुशासन और समयबद्धता सुनिश्चित करने हेतु 01 दिसम्बर 2025 से मंत्रालय महानदी भवन में अधिकारियों के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली लागू कर दी गई है, जिससे कार्य संस्कृति और जवाबदेही को नई पहचान मिल रही है।

प्रदेश के लोकतांत्रिक इतिहास में एक अत्यंत गौरवपूर्ण क्षण जुड़ा है नवा रायपुर अटल नगर में छत्तीसगढ़ के नए भव्य विधानसभा भवन का लोकार्पण प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा किया गया। यह विधानसभा भवन नई ऊर्जा, नई सोच और विकसित छत्तीसगढ़ के संकल्प का प्रतीक है।
पिछले 2 वर्षों में बस्तर और सरगुजा अंचल के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए वहां सड़क, रेल, स्वास्थ्य और संचार सहित कई नई परियोजनाएं भी शुरू की गई। नई औद्योगिक नीति में पर्यटन को उद्योग का दर्जा  दिया गया है। बस्तर में पर्यटन सुविधाओं को बढ़ाने का प्रयास किए जा रह हैं। इसके लिए नई होम स्टे पॉलिसी और इको टूरिज्म के लिए विशेष प्रावधान रखे है। बस्तर और सरगुजा अंचल में उद्योगों की स्थापना पर विशेष सुविधाएं, छूट और रियायतें दी जा रही है। इसके अलावा उद्योगों को विशेष पैकेज के अंतर्गत सस्ती जमीन उपलब्ध कराई जा रही है। 

नियद नेल्ला नार योजना के अंतर्गत माओवाद आतंक से प्रभावित क्षेत्रों में स्थापित 69 सुरक्षा कैम्पों के माध्यम से मूलभूत सुविधाओं के साथ ही केंद्र और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। बस्तर की बदलती फिजा को सबके सामने लाने में बस्तर ओलंपिक और बस्तर पंडुम जैसे बड़े आयोजनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बस्तर के युवा अब विकास से जुड़ना चाहते है, इसकी बानगी यहां चलाए जा रहे हैं। स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रमों में देखी जा सकती है। बस्तर की युवाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए और उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए पर्यटन ऑटोमोबाईल, पायलट, आईटी आदि क्षेत्रों में स्किल डेवलपमेंट के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 

राज्य में सस्टेनबल डेवलपमेंट गोल को हासिल करने के लिए सामाजिक, आर्थिक गतिशीलता के लिए शुरू की गई कार्यक्रमों का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है। जल जीवन मिशन के अंतर्गत 40 लाख घरों में पीने का स्वच्छ जल मुहैया कराया जा रहा है। इसी प्रकार 26 लाख से अधिक परिवारों के लिए पीएम आवास स्वीकृत किए गए हैं। महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने और समाज में उनकी भूमिका बढ़ाने के लिए महतारी वंदन योजना में 70 लाख से अधिक महिलाओं के बैंक खाते में एक-एक हजार रूपए की राशि दी जा रही है। इस योजना के अंतर्गत लगभग 14 हजार करोड़ रूपए की राशि जारी की जा चुकी है। आयुष्मान भारत योजना के दायरे में राज्य की 98 प्रतिशत आबादी को लाया जा चुका है। 

छत्तीसगढ़ में धान की पैदावार और समर्थन मूल्य में खरीदी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मुख्य धुरी है। किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाने के लिए मोदी की गारंटी के अंतर्गत किसानों को देश में सर्वाधिक धान का मूल्य दिया जा रहा है। राज्य के 2300 से अधिक धान उपार्जन केंद्रों में सफलतापूर्वक धान की खरीदी की जा रही है। किसानों से धान प्रति एकड़ 21 क्विंटल के मान से तथा 3100 रूपए प्रति क्विंटल की कीमत दी जा रही है। किसान हितैषी फैसलों के फलस्वरूप छत्तीसगढ़ में किसानों के खाते में एक लाख करोड़ रूपए से अधिक की राशि अंतरित की जा चुकी है। किसान इस राशि का खेती किसानी में भरपूर निवेश कर रहे हैं और इससे बाजार भी गुलजार हुए हैं जिससे शहरी अर्थव्यवस्था पर सीधा असर दिख रहा है। ट्रैक्टर आदि की बिक्री ने रिकार्ड आंकड़ा छू लिया है।

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छत्तीसगढ़

जशपुर : दो साल का सुशासन – जशपुर में विकास की नई पहचान

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  • मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में जशपुर जिले को मिली अभूतपूर्व सौगातें
  • विशेष लेख :
  • श्रीमती नूतन सिदार,सहायक संचालक (जनसंपर्क)
  • सुनील त्रिपाठी,सहायक संचालक (जनसंपर्क)
 विशेष लेख : दो साल का सुशासन – जशपुर में विकास की नई पहचान
 विशेष लेख : दो साल का सुशासन – जशपुर में विकास की नई पहचान

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में बीते दो वर्ष जशपुर जिले के लिए विकास के स्वर्णिम अध्याय साबित हुए हैं। 13 दिसंबर को उनके कार्यकाल के दो वर्ष पूर्ण हो रहे हैं, और इस अवधि में जशपुर जिले ने वह प्रगति हासिल की है, जिसने न सिर्फ जिले की दिशा बदली, बल्कि विकास की नई परिभाषा भी गढ़ी। राज्य की जनता से किए वायदों को पूरा करना एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन श्री साय ने दृढ़ इच्छाशक्ति, पारदर्शी प्रशासन और संवेदनशील नेतृत्व के बल पर इन चुनौतियों को विकास के अवसर में बदल दिया।

 विशेष लेख : दो साल का सुशासन – जशपुर में विकास की नई पहचान

गरीबों को मिली जीवनभर की सुरक्षा पक्का मकान बना खुशियों की बुनियाद

मुख्यमंत्री बनने के साथ ही श्री साय की पहली बड़ी प्राथमिकता थी—हर गरीब को पक्का घर। कैबिनेट की पहली बैठक में 18 लाख गरीब परिवारों को घर देने के वादे को स्वीकृति मिली।
जशपुर जिले में 52,760 प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुए, जिससे हजारों परिवारों का वर्षों पुराना सपना पूरा हुआ। आज ये परिवार सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी रहे हैं।

महिलाओं को मिली आर्थिक मजबूती – आत्मनिर्भरता की नई राह

महतारी वंदन योजना के तहत प्रदेश की 70 लाख महिलाओं को प्रति माह 1,000 रुपए प्रदान करने की घोषणा को श्री साय ने पूरे दृढ़ संकल्प के साथ लागू किया।
जशपुर जिले में 2 लाख से अधिक महिलाओं को 448 करोड़ 97 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जा चुकी है। यह राशि महिलाओं के जीवन में वास्तविक सशक्तिकरण का आधार बनी है–चाहे वह बचत हो, छोटे व्यवसाय हों या परिवार की ज़रूरतें।

किसानों के जीवन में खुशियों की बहार – बोनस, खरीदी और सम्मान निधि से बढ़ा विश्वास

पिछली सरकार के बकाया दो साल के धान बोनस का भुगतान कर मुख्यमंत्री ने किसानों का भरोसा और मजबूत किया। जिले के 50 हजार से अधिक किसानों से 3,100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी की गई।
इसके साथ ही 1,23,168 किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि में 308 करोड़ 30 लाख 76 हजार रुपए दिए गए। इन कदमों ने कृषि को स्थिरता, किसानों को सुरक्षा और खेती को निरंतरता प्रदान की।

स्वास्थ्य सेवाओं में ऐतिहासिक परिवर्तन — आधुनिक चिकित्सालय की स्वीकृति

जिले की स्वास्थ्य सेवाओं को उन्नत बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए नए अत्याधुनिक चिकित्सालय भवन को मंजूरी मिली है।
इससे मरीजों को बड़े शहरों में जाने की आवश्यकता कम होगी। प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को नए उपकरण, डॉक्टर, नर्स और संसाधन उपलब्ध कराए गए। साथ ही जिले में अतिरिक्त 108 संजीवनी एक्सप्रेस व शव वाहन की व्यवस्था से आपातकालीन सेवाओं में उल्लेखनीय सुधार आया है।

सड़कें बनी प्रगति का मार्ग –कनेक्टिविटी में आया व्यापक सुधार

जिले में सड़क निर्माण और मरम्मत कार्यों के लिए करोड़ों रुपए मंजूर हुए। पहले दुर्गम माने जाने वाले क्षेत्रों में भी पक्की सड़कें पहुंचीं, जिससे व्यापार, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के अवसरों तक पहुंच आसान हुई। स्थानीय लोगों के लिए आवागमन आज पहले से कहीं अधिक सुगम है।

ऊर्जा व्यवस्था में नई शक्ति — उपकेंद्रों से मजबूत हुई बिजली आपूर्ति

जिले में अनेक नए विद्युत उपकेंद्रों की स्वीकृति से बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता में बड़ा सुधार हुआ है।
लो-वोल्टेज की समस्या में कमी आई है और गांवों में ट्रांसफार्मर व लाइन सुधार कार्य गति से जारी हैं।
बेहतर बिजली ने उद्योग, शिक्षा और घरेलू जिंदगी को नई ऊर्जा दी है।

शिक्षा के क्षेत्र में विस्तार — युवाओं के लिए बढ़े अवसर

जशपुर को शिक्षा क्षेत्र में भी बड़ी सौगातें मिली हैं। जिले में दो नए महाविद्यालयों की स्वीकृति से छात्रों को अब उच्च शिक्षा के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
स्कूलों में भवन निर्माण, स्मार्ट क्लास, छात्रावास और अधोसंरचना उन्नयन पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का मार्ग और मजबूत हुआ है।

पर्यटन विकास को मिली गति — जशपुर की पहचान को मिला नया आयाम

जिले की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मद में विशेष बजट स्वीकृत हुआ है। पर्यटक स्थलों के सौंदर्यीकरण, सड़क सुधार और सुविधाओं के विकास से जशपुर पर्यटन के नए मानचित्र पर तेजी से उभर रहा है।

सिंचाई परियोजनाओं से खेतों में लौटी हरियाली

जिले में विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी देकर किसानों की वर्षों पुरानी मांग पूरी की गई। नलकूप खनन, एनीकट, तालाब निर्माण और अन्य योजनाओं से किसानों को पर्याप्त सिंचाई सुविधा मिलेगी। फसल उत्पादन बढ़ेगा और किसान आर्थिक रूप से अधिक सशक्त बन सकेंगे।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में जशपुर जिले ने इन दो वर्षों में वह प्रगति हासिल की है, जिसकी कल्पना वर्षों से की जा रही थी। गरीबों के लिए घर, महिलाओं के लिए सम्मान, किसानों के लिए सुरक्षा, युवाओं के लिए अवसर और हर वर्ग के लिए विकास—इन्हीं उपलब्धियों ने जशपुर को नई पहचान दी है। आगे आने वाले वर्षों में यह गति और मजबूत होगी, यही विश्वास जशपुरवासियों के दिलों में है।

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कोरबा

हमारी संस्कृति… हमारी विरासत है… छत्तीसगढ़ी भाषा

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आलेख: डॉ. गजेन्द्र तिवारी, छत्तीसगढ़ी राजभाखा 28 नवम्बर पर विशेष
वैसे तो भारत के हर कोने में अपनी माटी की अलग महक है। यहां हर 5 किलोमीटर में भाषा और बोली बदल जाती है, परंतु हर भारतीय का एक ही लक्ष्य होता है कि भाषा और बोली के संवाद से सद्भाव, एकता और राष्ट्रभाव जागृत करना।
हम यदि छत्तीसगढ़ की भाषा या बोली छत्तीसगढ़ी की बात करें, तो यह छत्तीसगढ़वासियों का मान और अभिमान दोनों है। कहा भी जाता है कि पूरे देश में छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया…। छत्तीसगढ़ी भाषा की बात करें, तो यह संस्कृत और हिन्दी भाषा की तरह मधुर और मीठी लगती है। पूरे देश में छत्तीसगढ़ी बोलने वाले की अलग पहचान होती है। इस भाषा में सादगी और मिठास की साफ झलक दिखाई देती है। हम छत्तीसगढ़ियों के लिए छत्तीसगढ़ी भाषा हमारी संस्कृति और विरासत की अनमोल धरोहर है।
28 नवम्बर 2007 को छत्तीसगढ़ी भाषा को राजभाषा का दर्जा मिला और 2007 के बाद हर 28 नवम्बर को राजभाषा दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। 11 जुलाई 2008 को राजपत्र में इसका प्रकाशन हुआ और 14 अगस्त 2008 से छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग का कार्यकाल प्रारंभ हुआ। तब डा. रमन सिंह मुख्यमंत्री हुआ करते थे और उन्होंने आयोग के प्रथम सचिव के रूप में छत्तीसगढ़ के लब्धप्रतिष्ठित कवि एवं साहित्यकार पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे को नामित किया। आज हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हम छत्तीसगढ़ी बोलते हैं। पूरे भारत में छत्तीसगढ़ी भाषा का आज बोलबाला दिखाई देता है और हम जिस राज्य में भी जाएं… स्वाभिमान और गर्व के साथ छत्तीसगढ़ी बोलते हैं।
आकर्षक भाषा
छत्तीसगढ़ी भाषा में गजब का आकर्षण है। छत्तीसगढ़ी भाषा की मिठास और मधुरता में इतनी ताकत है कि वह किसी को भी आकर्षित कर सकती है। छत्तीसगढ़ी भाषा बोलते ही लोगों को लगता है कि छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया…। राग, द्वेष से विरक्त छत्तीसगढ़ी संस्कृति से प्रभावित किसी भी राज्य के लोग यहां आते हैं… और यहीं के रह जाते हैं। आज छत्तीसगढ़ लघु भारत के रूप में भी विख्यात है और उत्तर से दक्षिण तक तथा पूर्व से पश्चिम तक फैले भारत के हर राज्य के लोग यहां निवास कर यहां की संस्कृति और विरासत को पुष्पित और पल्लवित कर रहे हैं। सरल और सभ्य भाषा के रूप में आज हर राज्य के लोग इस भाषा को बोलने लगे हैं, क्योंकि यह भाषा सरल और सहज है।
हमारी संस्कृति और विरासत को बढ़ाने की जरूरत
छत्तीसगढ़ी भाषा हमारी संस्कृति और विरासत दोनों है। आज हमें इस भाषा को किसी भी लेबल में बोलने से हिचकने की जरूरत नहीं, क्योंकि यह हमारा मान है और स्वाभिमान भी है। इस भाषा को बोल-चाल के साथ-साथ राजकीय कार्य में भी पूर्ण सम्मान के साथ शामिल किए जाने की आवश्यकता है, ताकि छत्तीसगढ़ी भाषा का मान और बढ़े।
13वीं भाषा के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल
राजभाषा बनने के बाद छत्तीसगढ़ी को 13वीं भाषा के रूप में मान्यता मिली और साहित्यकारों तथा सरकार की मदद से इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया गया। इससे छत्तीसगढ़ी का मान और सम्मान बढ़ा।
8वीं अनुसूची में हो शामिल
छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग बनने के बाद छत्तीसगढ़ी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रयास लगातार जारी है और छत्तीसगढ़ी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने प्रयास तेज होना चाहिए।
यहां हर 5 किलोमीटर में बोली के अलग रंग
छत्तीसगढ़ की परंपरा और संस्कृति अद्भूत और निराली है। छत्तीसगढ़ी भाषा की एक ऐसी भाषा है जहां हर 5 किलोमीटर में इसका रंग और रूप बदल जाती है। रायपुर जिले के लोग जहां अलग रूप से छत्तीसगढ़ी बोलते हैं, वहीं बिलासपुर और कोरबा में इसके बोलने की शैली बदल जाती है। सरगुजा जाने पर अलग और बस्तर जाने पर छत्तीसगढ़ी की बोली अलग हो जाती है। यह हमारे छत्तीसगढ़ में ही संभव है जहां पर छत्तीसगढ़ी के कई रूप देखने को मिलते हैं। यही रंग और रूप छत्तीसगढ़ को अद्भूत और निराला बनाता है। यदि हम छत्तीसगढ़ में बोली जानी वाली बोलियों की बात करें तो प्रमुख रूप से सरगुजिया, लरिया, सदरी कोरवा, खल्हाटी, बैगानी, बिंझवारी, कलंगा/भूलिया और बस्तरी (हल्बी) प्रमुख है। गोड़ जाति के लोग जहां गोंडी बोलते हैं वहीं कई आदिवासी कुरूक बोली का उपयोग करते हैं। इसके अलावा हर 5 किलोमीटर में छत्तीसगढ़ी बोली का रूप बदल जाता है। ऐसी छत्तीसगढ़ी भाषा/बोली अद्भूत और निराली है। इस भाषा में सद्भाव और एकता पैदा करने की अद्भूत शक्ति भी है।
सब झन ल राजभाखा दिवस के गाड़ा-गाड़ा बधाई
28 नवम्बर ह हमर बर ऐतिहासिक दिन हावे। आजे के दिन हमर छत्तीसगढ़ी भाषा ल 2007 म हमर मुख्यमंत्री रहिस डॉ. रमन सिंह ह राजभाषा के दर्जा दिन अऊ छत्तीसगढ़ी के मान ल बढ़ाईस। छत्तीसगढ़ भाखा हमर पुरखौती मन के स्वाभिमान ए, एला हमन ल आगे बढ़ाए के जरूरत हावे। छत्तीसगढ़ी भाखा ह हमर अभिमान अऊ स्वाभिमान हावे। एला संजोए के जरूरत हावे। छत्तीसगढ़ महतारी के मान तभी बढ़ही, जब हमन हमर बोलचाल के भाषा म छत्तीसगढ़ी के उपयोग करबो अऊ सरकारी कामकाज म घलऊ एकर उपयोग होही। ये हमर गौरव अऊ संस्कृति दुनो हावे, एकर मान ल बढ़ाए बर सब्बोझन के प्रयास जरूरी हावे, तभे आत्मगौरव के एहसास होही। सब्बो झन ल एक बार अऊ राजभाखा दिवस के गाड़ा गाड़ा बधाई।

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