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राहुल बोले- एजुकेशन में प्राइवेटाइजेशन सही नहीं:IIT स्टूडेंट से कहा- भाजपा विकास को लेकर आक्रामक, हम संसाधनों को बराबर बांटना चाहते हैं

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चेन्नई,एजेंसी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने IIT मद्रास के स्टूडेंट से मुलाकात की। X पर स्टूडेंट से बातचीत का वीडियो शेयर करते हुए राहुल गांधी ने लिखा- सरकारों को एजुकेशन सेक्टर में खर्च बढ़ाना चाहिए। निजीकरण और वित्तीय सहायता के जरिए क्वालिटी एजुकेशन हासिल नहीं किया जा सकता है।

राहुल से एक स्टूडेंट ने पूछा कि कांग्रेस और भाजपा की वर्किंग में क्या अंतर है। इस राहुल ने कहा- कांग्रेस और यूपीए का आम तौर पर मानना ​​है कि संसाधन निष्पक्ष तरीके से सभी में बंटने चाहिए। विकास सबके लिए बराबर होना चाहिए। समाज का कोई वर्ग इससे ना छूटे।

वहीं, भाजपा वाले ग्रोथ को लेकर अधिक आक्रामक रहते हैं। उनका मानना है कि संसाधनों पर फोकस करना चाहिए। वे आर्थिक रूप से इसे ट्रिकल डाउन कहते हैं। सामाजिक मामलों पर कांग्रेस का मानना है कि समाज जितना सौहार्द से भरा होगा। उतने कम लोग लड़ेंगे।

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भारत में 2022-23 में अत्यधिक गरीबी घटकर 5.3% पर आई: विश्व बैंक

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नई दिल्ली,एजेंसी। भारत की अत्यधिक गरीबी दर 2011-12 में 27.1 प्रतिशत से एक दशक में तेजी से घटकर 2022-23 में 5.3 प्रतिशत रह गई। हालांकि, विश्व बैंक ने अपनी गरीबी रेखा की सीमा को संशोधित कर तीन डॉलर प्रति दिन कर दिया है। विश्व बैंक ने एक रिपोर्ट में कहा कि 2017 और 2021 के बीच भारत की मुद्रास्फीति दर को देखते हुए, तीन डॉलर की संशोधित अत्यधिक गरीबी रेखा 2021 की कीमतों में व्यक्त 2.15 डॉलर की सीमा से 15 प्रतिशत अधिक होगी और इसके परिणामस्वरूप 2022-23 में गरीबी दर 5.3 प्रतिशत होगी। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2024 में 54,695,832 लोग तीन डॉलर प्रतिदिन से कम पर जीवन यापन कर रहे थे। इस प्रकार, तीन डॉलर प्रतिदिन (2021 पीपीपी – प्रतिशत जनसंख्या) पर गरीबी दर 2024 में 5.44 प्रतिशत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2011-12 और 2022-23 के बीच अत्यधिक गरीबी की दर 16.2 प्रतिशत से घटकर 2.3 प्रतिशत हो गई, जबकि निम्न मध्यम आय वाले देश (एलएमआईसी) में गरीबी दर में 33.7 प्रतिशत अंकों की गिरावट आई। मुफ़्त और रियायती खाद्यान्न हस्तांतरण से गरीबी में कमी आई और ग्रामीण-शहरी गरीबी का अंतर कम हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में 54 प्रतिशत अत्यंत गरीब लोग रहते हैं। अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वित्त वर्ष 2024-25 तक भारत की वास्तविक जीडीपी महामारी-पूर्व प्रवृत्ति स्तर से लगभग पांच प्रतिशत कम थी। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा वैश्विक अनिश्चितताओं को व्यवस्थित तरीके से हल किए जाने की स्थिति में 2027-28 तक वृद्धि धीरे-धीरे संभावित स्तर पर वापस आ जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है, “हालांकि, परिदृश्य में महत्वपूर्ण नकारात्मक जोखिम हैं, क्योंकि वैश्विक स्तर पर नीतिगत बदलाव जारी रह सकते हैं। बढ़ते व्यापार तनाव से भारत के निर्यात की मांग कम होगी और निवेश में सुधार में और देरी होगी।” इसमें कहा गया है कि चालू खाता घाटा 2026-28 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के औसतन 1.2 प्रतिशत के आसपास रहने की उम्मीद है और पूंजी प्रवाह द्वारा पर्याप्त रूप से वित्तपोषित रहेगा। साथ ही, विदेशी मुद्रा भंडार सकल घरेलू उत्पाद के 16 प्रतिशत के आसपास स्थिर रहने का अनुमान है। 

विश्व बैंक ने कहा कि भारत ने 2011-12 और 2022-23 के बीच के दशक में 17.1 करोड़ लोगों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला है। विश्व बैंक के अनुसार, “पिछले एक दशक में, भारत ने गरीबी को काफी कम कर दिया है। विश्व बैंक ने अप्रैल में भारत पर अपने ‘गरीबी और समानता संक्षिप्त’ में कहा था कि अत्यधिक गरीबी (प्रतिदिन 2.15 डॉलर से कम पर जीवन यापन) 2011-12 में 16.2 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 2.3 प्रतिशत हो गई, जिससे 17.1 करोड़ लोग इस रेखा से ऊपर आ गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबी 18.4 प्रतिशत से घटकर 2.8 प्रतिशत हो गई है, तथा शहरी क्षेत्रों में यह 10.7 प्रतिशत से घटकर 1.1 प्रतिशत हो गई है, जिससे ग्रामीण-शहरी अंतर 7.7 प्रतिशत से घटकर 1.7 प्रतिशत रह गया है, जो कि 16 प्रतिशत की वार्षिक गिरावट है। 

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….तो बढ़ाए जाएंगे काम के घंटे, महिलाएं भी करेंगी नाइट शिफ्ट, होने लगा विरोध

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नई दिल्ली,एजेंसी। आंध्र प्रदेश सरकार जल्द ही श्रम कानूनों में बड़ा बदलाव करने जा रही है। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई में कैबिनेट ने एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है, जिसके तहत काम के घंटे 9 से बढ़ाकर 10 घंटे किए जाएंगे। सरकार का कहना है कि यह बदलाव ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति के तहत निवेशकों को आकर्षित करने के लिए किया जा रहा है।

हालांकि, ट्रेड यूनियनों ने इस फैसले को कर्मचारियों के शोषण की दिशा में कदम बताया है। उनका आरोप है कि इससे श्रमिकों को “गुलाम जैसा” बना दिया जाएगा और यह बदलाव उद्योगपतियों को खुश करने के लिए किया जा रहा है।

ओवरटाइम और नाइट शिफ्ट नियमों में भी बदलाव

ओवरटाइम सीमा: अब 75 घंटे से बढ़ाकर 144 घंटे कर दी गई है। इसका मतलब यह है कि अब श्रमिकों को अतिरिक्त वेतन 144 घंटे ओवरटाइम के बाद ही मिलेगा
महिला कर्मचारियों की नाइट शिफ्ट: अब अनुमति होगी लेकिन बदले में एक अतिरिक्त पेड लीव प्रबंधन के विवेक पर दी जाएगी।
शिफ्ट ओवरलैप नियम: अब फैक्ट्री प्रबंधन खुद तय करेगा।

ट्रेड यूनियन का विरोध तेज

CPM के राज्य सचिव वी. श्रीनिवास राव ने इस फैसले की तीखी आलोचना की और सरकार से इसे तुरंत वापस लेने की मांग की। यूनियनों ने राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी भी दी है। उन्हें आशंका है कि नए नियमों के तहत 12 घंटे तक काम लेना भी संभव हो जाएगा।

सरकार का पक्ष

राज्य के सूचना मंत्री के. पार्थसारथी ने कहा कि ये बदलाव आंध्र प्रदेश को औद्योगिक निवेश के लिए आकर्षक गंतव्य बनाएंगे और इससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी।

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रेलवे में बड़ा बदलाव: स्लीपर के डिब्बों में भी यात्रियों को मिलेगी AC की ये सर्विस

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नई दिल्ली,एजेंसी। भारतीय रेलवे ने आम यात्रियों के लिए एक और राहत भरा कदम उठाया है। अब स्लीपर कोच में सफर करने वालों को भी वो सुविधा मिलेगी, जो अब तक सिर्फ एसी डिब्बों तक ही सीमित थी। रेलवे ने फैसला लिया है कि जिन मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में ऑन बोर्ड हाउसकीपिंग सर्विस (OBHS) उपलब्ध है, वहां अब स्लीपर कोच के टॉयलेट और वॉश बेसिन एरिया में लिक्विड हैंड वॉश डिस्पेंसर लगाए जाएंगे।

अब तक एसी कोच तक सीमित थी सुविधा

अब तक यह सुविधा केवल एसी कोच तक ही सीमित थी, लेकिन रेलवे की इस नई पहल के तहत स्लीपर क्लास यात्रियों को भी बेहतर स्वच्छता का अनुभव मिलेगा। वॉशबेसिन के पास हाथ धोने की साफ व्यवस्था से न केवल सफर hygienic होगा, बल्कि यात्रियों की सेहत का भी ध्यान रखा जा सकेगा।

रेलवे बोर्ड का सख्त निर्देश

रेलवे बोर्ड ने सभी ज़ोनल रेलों को पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि OBHS सुविधा से युक्त सभी ट्रेनों में यह बदलाव किया जाए। ट्रेन के रवाना होने से पहले इन डिस्पेंसरों को भरा जाएगा और यदि सफर के दौरान ये खत्म हो जाएं तो उन्हें दोबारा भरवाने की जिम्मेदारी हाउसकीपिंग स्टाफ की होगी।

लाखों यात्रियों को मिलेगा फायदा

हर दिन लाखों लोग स्लीपर क्लास में लंबी दूरी की यात्रा करते हैं। ऐसे में यह बदलाव उनके सफर को न केवल स्वच्छ, बल्कि और भी आरामदायक बनाएगा। यह फैसला खासकर उन ट्रेनों के लिए राहत भरा है जहां यात्रियों की संख्या ज्यादा होती है और हाइजीन को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

स्वच्छ भारत मिशन से जुड़ता एक और कदम

रेलवे की यह पहल प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत अभियान से भी जुड़ती है। अब सिर्फ राजधानी, वंदे भारत या शताब्दी जैसी प्रीमियम ट्रेनों में ही नहीं, बल्कि आम मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में भी साफ-सफाई को लेकर नया मानक तैयार हो रहा है।

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