मुंबई, एजेंसी। भारत के कपड़ा निर्यात में बीते महीनों में उल्लेखनीय तेजी दर्ज की गई है। Confederation of Indian Textile Industry (CITI) के आंकड़ों के अनुसार, मई 2025 में भारत का परिधान निर्यात 11.3% बढ़ा, जिससे उद्योग को नई ऊर्जा मिली है। यह बढ़त ऐसे समय में आई है जब पश्चिमी देश भारत को एक भरोसेमंद सप्लायर के रूप में देख रहे हैं, खासतौर पर बांग्लादेश और चीन की तुलना में। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अब बांग्लादेश में अस्थिरता और चीन पर टैरिफ से भारत को बड़ा मौका मिला है। अगर हमें कच्चा माल सस्ता मिले, तो हम बहुत तेजी से बढ़ सकते हैं।
राजनीतिक अस्थिरता ने बढ़ाया भारत का प्रभाव
विश्लेषकों के अनुसार, बांग्लादेश में अगस्त 2024 में हुए राजनीतिक परिवर्तन और उसके बाद की अस्थिरता ने अंतरराष्ट्रीय खरीदारों को भारत की ओर मोड़ दिया है। सितंबर में भारत का निर्यात 17.3% और अक्टूबर में 24.35% तक बढ़ गया, जो इस बदलाव का स्पष्ट संकेत है। इसके अलावा विकसित देशों के खरीदार अब भारतीय आपूर्तिकर्ताओं से क्षमता बढ़ाने और मान्यता प्राप्त प्रमाणपत्र प्राप्त करने का भी दबाव बना रहे हैं।
चीन पर ड्यूटी से भारत को मिला लाभ
चीन पर लगाए गए अमेरिकी टैरिफ का भी भारत को सीधा फायदा मिल रहा है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा लागू की गई ड्यूटी के चलते भारत को प्रतिस्पर्धी लाभ मिल रहा है। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति में भारतीय कंपनियां अपने वैश्विक बाजार हिस्सेदारी को तेजी से बढ़ा सकती हैं।
कोविड के बाद मिली राहत
कोविड-19 महामारी के बाद से कपड़ा उद्योग पर मंदी का साया था। इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स की राष्ट्रीय कपड़ा समिति के अध्यक्ष संजय के. जैन ने कहा, “महामारी के दौरान लोगों ने पहले ही जरूरत से ज्यादा कपड़े खरीद लिए थे। इसलिए दो साल तक बाजार में सुस्ती रही।” अब जब वैश्विक खरीद दोबारा गति पकड़ रही है, भारतीय उद्योग को राहत मिलती दिख रही है।
सप्लाई चेन की स्थिरता बनी बड़ी वजह
उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि कपड़ा खरीद एक सतत प्रक्रिया है और अंतरराष्ट्रीय खरीदार सप्लाई चेन में अनिश्चितता पसंद नहीं करते। बांग्लादेश की स्थिति को देखते हुए, कई बड़े ऑर्डर अब भारत को ट्रांसफर किए जा रहे हैं। हालांकि, भारत की निर्माण क्षमता अब भी बांग्लादेश की तुलना में सीमित है, लेकिन इसमें तेजी से विस्तार की संभावनाएं हैं।
बढ़ते आयात पर चिंता
एक तरफ निर्यात में तेजी है, दूसरी तरफ कच्चे कपास का आयात तेजी से बढ़ रहा है। इसकी वजह है घरेलू कपास की ऊंची कीमतें, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार की तुलना में काफी ज्यादा हैं। इससे भारतीय कंपनियां विदेशों से सस्ता कपास आयात कर रही हैं ताकि लागत कम रख सकें।
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुमान के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में 170 किलोग्राम कपास की 3.3 मिलियन गांठों का आयात किया जाएगा, जबकि पिछले साल ये आंकड़ा 1.52 मिलियन गांठ था — यानी दोगुने से ज्यादा की वृद्धि।
नजर अमेरिका पर
भारत के लिए सबसे बड़ा अवसर अमेरिकी परिधान बाजार (120 अरब डॉलर) में है। फिलहाल भारत की हिस्सेदारी 10 अरब डॉलर है जबकि चीन की 30 अरब डॉलर। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत को कच्चा माल प्रतिस्पर्धी दरों पर मिलना शुरू हो जाए, तो निर्यात में और भी ज़बरदस्त बढ़त देखी जा सकती है।