छत्तीसगढ़
दूरस्थ इलाकों में पहुंचेगी शिक्षा की रौशनी
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23 hours agoon
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Divya Akash
युक्तियुक्तकरण से बच्चों को मिला बेहतर शिक्षा का भरोसा
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लागू की गई युक्तियुक्तकरण नीति ने दूरस्थ क्षेत्रों के स्कूलों में अध्ययन-अध्यापन की बेहतर व्यवस्था की नई उम्मीद जगी है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती की प्रक्रिया को तेज़ी से और पूरी पारदर्शिता के साथ पूरा किया जा रहा है। कलेक्टर निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर के मार्गदर्शन में जिले में युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया बेहद सुचारू और निष्पक्ष तरीके से पूरी कर ली गई है। अब तक जिन स्कूलों में या तो शिक्षक नहीं थे या केवल एक शिक्षक की तैनाती थी, अब वहां विषय-विशेषज्ञ शिक्षक उपलब्ध हो गए हैं। इससे गणित, विज्ञान और अन्य विषयों अध्ययन-अध्यापन अच्छे से हो सकेगा।
शिक्षकों ने जताया भरोसा और आभार
इस प्रक्रिया से शिक्षक भी बेहद संतुष्ट नज़र आ रहे हैं। शिक्षिका श्रीमती सिंधु श्रीवास्तव ने बताया कि काउंसलिंग के दौरान स्क्रीन पर रिक्त पदों की जानकारी दी गई, जिससे स्कूल चयन में कोई दिक्कत नहीं हुई। उन्होंने सरकार और प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया। वरिष्ठ शिक्षक मनोज कुमार जैन, जो पहले माध्यमिक शाला देवडोंगर में पदस्थ थे, ने कहा कि सेवानिवृत्ति के करीब होने के बावजूद उनकी इच्छानुसार और पारदर्शी तरीके से स्कूल चयन करने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की इस पहल से अब ग्रामीण स्कूलों में गणित, रसायन और जीवविज्ञान जैसे विषयों के विशेषज्ञ शिक्षक मिल सकेंगे, जिससे बच्चों की पढ़ाई में सुधार होगा।
शिक्षक आत्माराम मंडावी ने बताया कि उन्हें उनके ही ब्लॉक के विद्यालय में युक्तियुक्तकरण के माध्यम से पदस्थ किया गया है, उन्हें यह उम्मीद नहीं थी। उन्होंने कहा कि जब कलेक्टर, सीईओ और जिला शिक्षा अधिकारी स्वयं काउंसलिंग प्रक्रिया में उपस्थित रहे, तो प्रक्रिया की विश्वसनीयता स्वतः सिद्ध हो गई।
समावेशी शिक्षा की दिशा में बड़ा कदम
शिक्षक वर्ग का मानना है कि इस पारदर्शी तरीके से युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूरी हुई है। इससे जरूरत वाली शालाओं में शिक्षकों की पदस्थापना होने से शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी। इससे विद्यार्थियों और अभिभावकों का सरकारी स्कूलों पर विश्वास भी मजबूत होगा। यह पहल समावेशी शिक्षा व्यवस्था की दिशा में बड़ा कदम है। राज्य शासन की युक्तियुक्तकरण नीति ने छात्रों के उज्ज्वल भविष्य की नींव भी मजबूत की है। शिक्षक समुदाय ने इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार और जिला प्रशासन कांकेर को धन्यवाद दिया है।

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कोरबा
पर्यावरण संरक्षण गतिविधि कोरबा द्वारा वृक्षारोपण
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9 minutes agoon
June 7, 2025By
Divya Akash
कोरबा . 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण गतिविधि कोरबा द्वारा पोड़ीबहार तालाब, किन्नर समाज कब्रिस्तान मुडापार और तक्षशिला बौद्ध विहार कोरबा के पास वृहत वृक्षारोपण किया गया. कोरबा जिला संयोजक कैप्टन मुकेश अधलखा द्वारा पेड़ों का जीवन मे महत्व की जानकारी दी गयी.
इसलिए अवसर पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के विभाग सह संयोजक शैलेन्द्र नामदेव, भारत स्काउट गाइड कोरबा के कार्यकर्त्ता, किन्नर समाज के मालती एवं अन्य सदस्य, बसंत वैष्णव, श्रीमती अधलखा, शारदा नामदेव एवं कार्यकर्त्ता उपस्थित रहे.




कोरबा
श्रद्धा जायसवाल मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव, शिक्षाश्री अलंकरण सम्मान से सम्मानित
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14 minutes agoon
June 7, 2025By
Divya Akash
पाली. कस्तूरबा गांधी आदर्श आवासीय विद्यालय मुनगाडीह की अधीक्षिका श्रीमती श्रद्धा जायसवाल को मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण सम्मान से नवाजा गया है.

श्रीमती जायसवाल बिलासपुर संभाग से उक्त सम्मान प्राप्त करने वाली चयनित एकमात्र शिक्षिका है. शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए इन्हें पुरस्कृत और सम्मानित किया गया है. संयुक्त संचालक,शिक्षा संभाग बिलासपुर के द्वारा मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण शिक्षाश्री पुरस्कार समारोह का आयोजन किया गया.जिसमे श्रीमती जायसवाल को संभाग स्तर पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है. संभाग स्तर पर कोरबा जिले से पाली ब्लॉक से चयन होना पूरे पाली ब्लॉक ही नही वरन जिले के लिए गौरव का क्षण है. हालांकि य़ह पहला अवसर नही है जब मुनगाडीह कस्तूरबा विद्यालय अथवा इसकी अधीक्षिका श्रद्धा जायसवाल को कोई अलंकरण ,सम्मान या पुरस्कार प्राप्त हुआ है. संस्था बेहतर अनुशासन, सुविधा, विद्याध्यापन,खेल कूद, साँस्कृतिक गतिविधियों सहित विविध आयोजन मे बालिकाओं के सर्वांगीण विकास के लिए पृथक पहचान रखता है. यही कारण है कि इस संस्था मे प्रवेश के लिए क्षेत्र की बालिका और अभिभावक पहली प्राथमिकता देते हैं. य़ह सब अधीक्षिका श्रीमती श्रद्धा जायसवाल के कुशल मार्गदर्शन तथा उनके सहयोगी स्टाफ की कड़ी मेहनत का परिणाम है

.शिक्षा विभाग की ओर से मुख्यमंत्री गौरव शिक्षा श्री का सम्मान बिलासपुर संभाग से जिला कोरबा के विकास खंड पाली की व्याख्याता (कस्तुरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय की अधीक्षिका) श्रीमति श्रद्धा जायसवाल को बालिका शिक्षा के लिए संभाग स्तर पर प्रथम स्थान के लिए चयन से विकास खंड पाली एक बार फिर गौरवांवित हुआ है. इस संभाग स्तरीय मुख्यमंत्री गौरव अलंकरण शिक्षा श्री सम्मान समारोह कार्यक्रम मे बिलासपुर महापौर, संभागीय आयुक्त, संयुक्त संचालक, माध्यमिक शिक्षा मंडल के सदस्य, जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर,व जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा की उपस्थिति में मुख्यमंत्री गौरव अलंकरण समारोह का आयोजन किया गया था. पाली ब्लॉक शिक्षा अधिकारी-कर्मचारियों, शिक्षक शिक्षिकाओ शिक्षा विभाग परिवार ने श्रीमती जायसवाल को उक्त सम्मान के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी है .

कोरबा
ये वादियां… ये फि.ज़ाएं… ये सदाएं… बुला रही हैं तुम्हें…
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20 minutes agoon
June 7, 2025By
Divya Akash
चैतुरगढ के शंकर खोला को पर्यटन विकास की दरकार

कोरबा/पाली (कमल वैष्णव) . कोरबा जिले का बारहमासी, सदाबहार धार्मिक पर्यटन स्थल चैतुरगढ किसी परिचय का मोहताज नही है, किन्तु यही स्थित शंकर खोला आज भी उपेक्षित है. जहां पर्यटन की संभावना है जिसे विकसित कर सुविधा बढ़ाने की आवश्यकता है.

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में मैकाल पर्वत श्रृंखला की एक ऊंची चोटी पर चैतुरगढ और इसका अभेद किला स्थित है. यह मंदिर प्राचीन कल्चुरी शासकों ने 14वीं शताब्दी में बनवाया था. मंदिर के गर्भगृह में 12 भुजाओं वाली मां महिषासुर मर्दिनी की मूर्ति स्थापित है.चैतुरगढ़ माता महिषासुर मर्दिनी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है. इसकी ऐतिहासिक महत्ता है जो क्षेत्र की आस्था से भी जुड़ा है.चैतुरगढ़ की पहाड़ियों को उनकी प्राकृतिक सुंदरता और रोमांचकारी अनुभवों के लिए जाना जाता है. इसे छत्तीसगढ़ का कश्मीर भी कहा जाता है क्योंकि यहां गर्मी के मौसम में भी तापमान सामान्य से न्यूनतम होता है.यह छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों में से एक है. पिछले कुछ वर्षो में कई विकास कार्य हुए हैं. सबसे अच्छी बात पहाड़ी पर स्थित होने के बाद सरल सुगम पहुँच मार्ग सहित पर्यटन सुविधा के कार्य भी हुए हैं.

इसी चैतुरगढ़ किले मे मन्दिर से 3 किमी दूर दूसरे छोर पर स्थित प्रसिद्ध प्राचीन मान्यताओं से जुड़ी ’शंकर गुफा’ भी है. जहां दूर दूर से भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर दर्शन के लिए पहुंचते हैं.यह जगह एकांत और मन की शांति के लिए अपने आप में बहुचर्चित और प्रसिद्ध है. भक्त इस जगह को लेकर एकदम शांत माहौल शुद्ध वातावरण की वजह से एकमात्र स्थान भी मानते हैं.लेकिन इतनी प्रसिद्धि के बाद भी शंकर गुफा का रास्ता अपने भक्तों के सुगमता के लिए आज भी तरस रहा है.शासन प्रशासन की अनदेखी की वजह से पहुँच मार्ग नहीं बन पाया है. शंकर खोला पॉइंट से नीचे गुफा जाने तक का पैदल रास्ता है, जो दुर्गम और खतरनाक है.आज तक इस रास्ते में पक्की सीढ़ी व रेलिंग की निर्माण नहीं हो सका है. इसी कारण से माता के दर्शन और आसपास घूमने तीर्थाटन करने के बाद भक्त और यात्री चैतुरगढ के पूरे किले, ऐतिहासिक और पुरातत्वविक धरोहरो का पूरा दीदार नही कर पाते हैं और वापस चले जाते हैं. जबकि जैव विविधता,वन्य जीवों,प्राकृतिक सुन्दरता से य़ह स्थल ओतप्रोत है.किले के चारो ओर वाचिग टावर से प्रकृत्ति से रूबरू होना रोमांचित कर देता है. जंगल के सन्नाटे के बीच जल प्रपात के शोर जैसी कई अन्य खूबसूरती का अनुभव नही उठा पाते है.चैतुरगढ के पूरे किले की परिक्रमा,चारो प्रवेश द्वार, वाचिंग टावरो को जोड़ने एक सुगम सड़क बनाने की आवश्यकता है.मन्दिर से शंकर खोला स्थल तक पहुँच मार्ग तथा यहां आवागमन के लिए बैट्री चलित वाहन सुविधा हो जाए तो यह सोने पे सुहागा होगा और इससे शंकर गुफा जाने वाले भक्तों की संख्या भी बढ़ जाएगी.



जुलाई कर अवधि से समय-बाधित हो जाएगा जीएसटी रिटर्न

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