छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में 4 IAS अफसरों का ट्रांसफर:अभिजीत सिंह चिकित्सा शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव; नए अफसरों को भी मिली पोस्टिंग
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10 months agoon
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Divya Akash
रायपुर । छत्तीसगढ़ शासन ने मंगलवार शाम भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के 4 अफसरों का तबादला कर दिया है। 2012 बैच के IAS अभिजीत सिंह को चिकित्सा शिक्षा विभाग में संयुक्त सचिव का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। अभी उनके पास गृह और जेल विभाग है।
वहीं 2015 बैच के प्रभात मलिक को इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त सचिव का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। अभी वे चिप्स (छत्तीसगढ़ इंफोटेक प्रमोशन सोसाइटी) के CEO हैं। उनके पास सुशासन एवं अभिसरण विभाग का भी प्रभार है।
नए अफसरों को भी मिली पोस्टिंग
प्रोबेशन पीरियड में चल रहे नए IAS अफसरों को भी पोस्टिंग मिली है। 2022 बैच की अफसर बलौदाबाजार की सहायक कलेक्टर नम्रता चौबे को महासमुंद जिले में सरायपाली का SDM बनाया गया है। वहीं कांकेर के सहायक कलेक्टर प्रखर चंद्राकर को जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ में सारंगढ़ में SDM की जिम्मेदारी सौंपी गई है।


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छत्तीसगढ़
अमित जोगी बोले- BJP वाले प्रतिमा पॉलिटिक्स मत कीजिए
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7 minutes agoon
June 8, 2025By
Divya Akash
एक महीने में प्रतिमा पुर्नस्थापित नहीं हुई, तो क्रेन से सीएम-हाउस लाकर मुख्यमंत्री से कराऊंगा अनावरण
रायपुर,एजेंसी। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में अजीत जोगी की प्रतिमा हटाने के विरोध में जेसीसी-जे के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने रायपुर स्थित अपने आवास में प्रेस कांफ्रेंस की। उन्होंने प्रतिकात्मक विरोध स्वरूप हाइड्रा क्रेन में पोस्टर लगाकर मीडिया से चर्चा की।
अमित जोगी ने कहा कि, मैं भाजपा के सम्माननीय लोगों से भी अपील करता हूं कि ये “प्रतिमा पॉलिटिक्स” मत कीजिए। कुछ मुद्दे पॉलिटिक्स से नहीं एथिक्स से हल किए जाते हैं। अगर जोगी जी की प्रतिमा एक महीने के अंदर ज्योतिपुर चौक पर पुर्नस्थापित नहीं की गई, तो बड़ा आंदोलन होगा।
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही क्षेत्र के लोग जोगी जी की उसी प्रतिमा को क्रेन में रायपुर मुख्यमंत्री निवास में लाएंगे और मुख्यमंत्री से आग्रह करेंगे की अब आप प्रतिमा का अनावरण कर दीजिए, क्योंकि आप ही ने तो हम लोगों से कहा था कि, आप गौरेला आएंगे और प्रतिमा का अनावरण करेंगे।

अमित जोगी ने कहा कि एक महीने में अजीत जोगी की प्रतिमा स्थापित नहीं की गई तो इसी क्रेन में अपने पिता की प्रतिमा मुख्यमंत्री निवास में बाहर लाऊंगा और सीएम से लोकापर्ण का आग्रह करुंगा।
2 हफ्ते बाद भी एक्शन नहीं लिया गया
अमित जोगी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर क्रेन से लटकते हुए एक CCTV फुटेज का पोस्टर दिखाया। जिसमें दिख रहे क्रेन की ओर इशारा करते हुए अमित जोगी ने बताया कि, इसी क्रेन से मूर्ति उखाड़ा गया। फुटेज में प्रतिमा भी क्रेन के सामने दिख रही है।
अमित ने कहा कि, 25 मई की रात मानसिक दिवालियापन से ग्रसित कुछ लोगों ने पहले शराब पी, फिर ज्योति चौक पर लगे प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजित जोगी की प्रतिमा उखाड़कर फेंक दी। 2 हफ्ते होने के बावजूद भी इस मामले में अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया। न जोगी जी की प्रतिमा ज्योतिपुर चौक गौरेला में पुर्नस्थापित हो पाई और न ही दोषी पकड़े गए।
ये अपराधी निडर होकर खुल्ले घूम रहे हैं। पुलिस-प्रशासन को छोड़कर पूरी दुनिया को दिख रहा हैं। पिछले हफ़्ते स्वास्थ्य मंत्री के साथ पेंड्रा गेस्ट हाउस में बैठकर यह अपराधी चाय पी रहे थे।

अमित जोगी बोले- अजीत जोगी की प्रतिमा को उखाड़कर फेंकने वाले दोषियों को सरकार का संरक्षण।
मूर्ति हटाने वालों को अमित जोगी ने भेजी किताब
अमित जोगी ने कहा कि, मेरे पिता की मूर्ति को जिन तीन लोगों ने हटाया है। मैं उन्हें माफ करता हूं और उन्हें मैं अजीत जोगी जी की किताब को भेंट करता हूं। अमित जोगी ने कहा कि, गौरेला के चीफ म्युनिसिपल ऑफिसर नारायण साहू, विश्व हिन्दू परिषद के उपाध्यक्ष प्रदीप जायसवाल और जिसने क्रेन में मूर्ति हटाई दीपक शर्मा को किताब भेज रहा हूं।
जिन अपराधियों ने जोगी जी की प्रतिमा को उखाड़ कर फेंका है, मैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से माफ करता हूं और उनसे आग्रह करता हूं कि “जोगी जी को पढ़ो” और उन्हें जानो। क्योंकि जो जोगी जी को जानता है, वो जोगी जी को मानता है। अमित ने कहा कि पूरे जीवन, संघर्ष का सैलाब जिनकी “आत्मा” को डिगा नहीं पाया, तुम उनकी “प्रतिमा” को उखाड़ने चले हो।
मुखर्जी की एक नहीं एक लाख मूर्ति लगाए, पर पोर्ते और जोगी का एक-एक मूर्ति भी लगा दें
अमित जोगी ने कहा कि, मैं मुख्यमंत्री और दोनों उप मुख्यमंत्रियों से पूछना चाहता हूं। आप तीनों की निजी भूमि में क्या कोई और आकर प्रतिमा लगा सकता है? किस क़ानून और किस नियम से नगर पालिका गौरेला ने जोगी परिवार के आधिपत्य की भूमि पर जोगी जी की प्रतिमा नहीं लगने दे रहे हैं ?
क्या नगर पालिका गौरेला एक अधिकारी के अहंकार पर चलेगा या संविधान और कानून के आधार पर।हम तो चाहते हैं कि, जोगी जी और मुखर्जी जी दोनों की प्रतिमा लगे, लेकिन उनकी अपनी उपयुक्त जगह पर, वैधानिक ज़मीन पर। आप मुखर्जी जी की एक नहीं एक लाख प्रतिमा लगाइए, लेकिन गौरेला में तो कम से कम पोर्ते और जोगी जी की एक-एक प्रतिमा स्थापित कीजिए।

मूर्ति हटाने वालों को अमित जोगी ने भेजी किताब।
ज्योतिपुर चौक की भूमि परिवार के स्वामित्व की
पूर्व विधायक अमित जोगी ने स्पष्ट किया कि, ज्योतिपुर चौक की भूमि उनके परिवार के स्वामित्व में है। यह जमीन 1932 में स्वर्गीय मॅजेस ने खरीदी थी। उन्होंने यहां अकाल राहत के लिए एक कुआं बनवाया था। 2020 में इस भूमि का पावर ऑफ अटॉर्नी अमेरिकी संस्था द्वारा अतुल आर्थर को दिया गया।
सोसाइटी ने जोगी की प्रतिमा स्थापित करने की दी थी अनुमति
2021 में अजीत जोगी के निधन के बाद, अतुल आर्थर और संबंधित सोसाइटी ने इस भूमि पर जोगी की प्रतिमा और उद्यान स्थापित करने की अनुमति दी थी। तत्कालीन विधायक डॉ. रेणु जोगी ने अपनी विधायक निधि से 83.5 लाख रुपए दिए थे। यह राशि चबूतरे पर अजीत जोगी की आदमकद प्रतिमा स्थापना के लिए थी।
गौरेला नगर पालिका को केवल चबूतरा और उद्यान निर्माण की जिम्मेदारी दी गई थी। अमित जोगी ने भाजपा जिला अध्यक्ष के आवेदन को गैरकानूनी बताया है। उन्होंने जिला प्रशासन से अजीत जोगी की प्रतिमा का तत्काल लोकार्पण करने की मांग की है।
छत्तीसगढ़
न्यायिक रिमांड पर मारपीट…जेल शिक्षक सस्पेंड
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11 minutes agoon
June 8, 2025By
Divya Akash
कुनबी-समाज ने गृहमंत्री से की मुलाकात, FIR नहीं लिखने पर पीड़ित को ठेले पर बैठाकर सड़क पर घुमाया था
रायपुर,एजेंसी। रायपुर सेंट्रल जेल में कुनबी समाज के सचिव श्याम देशमुख से मारपीट करवाने का शिक्षक नेतराम नाकतोड़े पर आरोप लगा था। जिसके बाद जेल प्रशासन ने उसे सस्पेंड कर दिया है। समाज के प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को डिप्टी सीएम और गृहमंत्री विजय शर्मा से मुलाकात की।
इस दौरान विजय शर्मा ने प्रतिनिधियों को कार्रवाई की जानकारी दी और निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया है। वही, इस मामले में कुनबी समाज ने FIR दर्ज करने की मांग की है। गृहमंत्री ने जांच के बाद FIR और कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
इससे पहले शनिवार को कुनबी समाज के लोग भी थाने पहुंचे थे। मारपीट करवाने वाले शिक्षक के खिलाफ FIR की मांग की थी। लेकिन पुलिस ने FIR नहीं लिखी, जबकि उसका पैर टूट गया है। जिसके बाद पत्नी ने ठेले पर घायल पति को लेकर न्याय मांगने सड़क पर निकली थी।

जेल में मारपीट के दौरान घायल श्याम देशमुख।
जेल के शिक्षक ने कैदियों से पिटवाया
कुनबी समाज के सचिव श्याम देशमुख, समाज के अध्यक्ष देवराज पारधी और पुरुषोत्तम तोंडरे 4 जून से न्यायिक रिमांड पर जेल में बंद थे। तीनों शुक्रवार देर शाम जेल से रिहा हुए। जेल से बाहर निकलने के बाद श्याम देशमुख सीधे अपने परिवार के साथ अस्पताल पहुंचे, जहां उन्होंने अपने परिजनों को जेल के भीतर हुई मारपीट की घटना की जानकारी दी।
श्याम देशमुख ने पुलिस थाने पहुंचकर बताया कि, जेल के शिक्षक नेतराम नाग तोड़े ने उनके साथ मारपीट कर जान से मारने की धमकी दी। साथ ही अन्य कैदियों से पिटाई करवाई। जिससे उनके पैर में गंभीर चोट आई है। इस घटना से आहत कुनबी समाज के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

पीड़ित के पीठ पर मारपीट के निशान।
सुबह से थाने FIR करवाने पहुंचा समाज
जेल के अंदर हुई मारपीट की घटना के विरोध में समाज के सदस्य शनिवार सुबह से गंज थाने में पहुंचे। सभी ने मांग की थी कि मारपीट करवाने वाले जेल के शिक्षक नेतराम नागतोड़े के खिलाफ FIR की जाए। वहीं खबर लिखे जाने तक इस मामले में पुलिस की ओर से पीड़ित की शिकायत पर FIR दर्ज नहीं की गई है। समाज के लोग इस मामले में कोर्ट जाने की बात कह रहे हैं।
समाज की सदस्य माधुरी तोंडरे ने बताया कि, वे कल से पुलिस से दर्ज करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक जेल के अंदर मारपीट करने वाले और कैदियों से मारपीट करवाने वाले शिक्षक के खिलाफ FIR दर्ज नहीं की गई है।

दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे कुनबी समाज के सदस्य।
ये किसी एक की नहीं, पूरे समाज की लड़ाई- समाज
समाज के लोगों का कहना है कि, जब जेल में शिक्षक ही हमलावर बन जाए और पुलिस शिकायत भी न ले, तो जनता कहां जाए। ये किसी एक की नहीं, पूरे समाज की लड़ाई है। ये हमला सिर्फ श्याम देशमुख पर नहीं, बल्कि पूरे समाज की आवाज को दबाने की कोशिश है।
जेल प्रशासन की ओर ने नहीं मिला जवाब
जेल के अंदर मारपीट के मामले को लेकर जब रायपुर सेंट्रल जेल प्रशासन से संपर्क किया गया तो उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला। जेल शिक्षक नेतराम नागतोड़े से संपर्क किया गया तो उनका भी फोन बंद था।
जेल से मामले की जांच के बाद लिखेंगे FIR- टीआई
इस मामले में गंज थाना प्रभारी ने बताया कि, पीड़ित की ओर से शिकायत मिली है। मामला जेल परिसर के अंदर का है। ऐसे में हम सीधे FIR नहीं कर सकते है। जो शिकायत मिली है, उसे जेल प्रशासन को भेजा गया है। जेल से मामले की जांच के बाद FIR की जाएगी।

32 साल से काट रहे थे कलेक्टर दफ्तर के चक्कर,बृजमोहन के दखल के बाद हुई जमीन की रजिस्ट्री
रायपुर,एजेंसी। रायपुर के कुछ किसान मिठाई लेकर बृजमोहन अग्रवाल से मिलने पहुंचे और उनका मुंह मीठा कराया। सांसद कार्यालय की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, किसान अपनी जमीन के लिए 32 साल से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे थे। बृजमोहन की दखल के बाद इतने साल बाद इनके जमीन की रजिस्ट्री हो पाई।
ये किसान रायपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले चम्पारण धाम के है। 10 किसान परिवार परेशानी झेल रहे थे। आज इन किसानों को उनकी जमीन का मालिकाना हक मिल गया है। किसानों ने 32 वर्षों से लंबित पंजीयन और प्रमाणीकरण की प्रक्रिया पूरी होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सांसद का आभार जताया।
सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि, मेरे लिए संतोष और गर्व का विषय है कि चम्पारण जैसे धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल से जुड़े किसानों को उनका हक दिला सका। अब ये किसान बिना किसी डर और संशय के अपने भविष्य की योजनाएं बना सकेंगे। मैं चम्पारण के सभी किसानों को उनके धैर्य, संयम और सत्य के साथ डटे रहने के लिए बधाई देता हूं।

ये है पूरा मामला
दरअसल, 1992 में चम्पारण स्थित महाप्रभु प्राकट्य बैठक ट्रस्ट ने मंदिर निर्माण राशि के लिए मंदिर ट्रस्ट ने 10 किसानों को 24 एकड़ जमीन बेच दी थी। जिसकी पूरी राशि उस समय किसानों ने दे दी थी। विधिवत स्टाम्प पेपर पर गवाही समेत एग्रीमेंट भी हुआ था। लेकिन ट्रस्ट की जमीन होने के कारण कलेक्टर की अनुमति आवश्यक थी, जो किसानों के सामर्थ्य से बाहर थी।
इसके कारण वे पिछले 32 वर्षों से लगातार पटवारी, तहसीलदार, एसडीएम, अपर कलेक्टर और कलेक्टर कार्यालय के चक्कर लगाते रहे, लेकिन न्याय नहीं मिल सका। जिसके बाद किसानों ने सांसद बृजमोहन अग्रवाल के समक्ष अपना पक्ष रखा और सभी आवश्यक दस्तावेज पेश किए। सांसद अग्रवाल ने इस विषय को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन को तत्काल आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
जिसके परिणामस्वरूप कलेक्टर गौरव सिंह ने अनुमति दी। पंजीयन संपन्न हुआ और ऋण पुस्तिका (किसान किताब) किसानों को प्रदान की गई। प्रभावित किसानों में प्रेमलाल साहू, प्यारी साहू, ओमप्रकाश तारक, खिलेंद्र साहू, आशाराम साहू, इच्छा राम साहू, इरासिंह धीवर, लुकरू साहू, रूंगू राम साहू और वीरेंद्र साहू शामिल थे।


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