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यूक्रेन बोला- रूस ने इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइल से हमला किया: ये परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम; यूक्रेन ने एक दिन पहले अमेरिका-ब्रिटेन की मिसाइलें दागी थीं

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कीव ,एजेंसी। यूक्रेन ने दावा किया है कि रूस ने उसके निप्रो शहर पर गुरुवार सुबह इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइल (ICBM) से हमला किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये हमले अस्त्राखान इलाके से किए गए। हालांकि रूस ने ICBM मिसाइल से हमले की पुष्टि नहीं की है। अस्त्राखान और निप्रो के बीच की दूरी 700 किमी है।

अमेरिकी न्यूज चैनल ABC न्यूज ने पश्चिमी देशों के अधिकारियों के हवाले से कहा है कि यूक्रेन हमले को बढ़ा-चढ़ाकर बता रहा है। ये हमला रूस ने किसी सामान्य क्रूज या बैलिस्टिक मिसाइल से किया है। इसके लिए ICBM का इस्तेमाल नहीं हुआ है। इससे पहले बुधवार को यूक्रेन ने ब्रिटेन की स्टॉर्म शैडो क्रूज मिसाइल और मंगलवार को अमेरिकी ATACMS मिसाइल से हमला किया था।

यूक्रेन की एयर फोर्स ने यह भी दावा किया कि ICBM के अलावा रूस ने 7 Kh-101 क्रूज मिसाइल से भी हमले किए। इनमें से 6 मिसाइलों को मार गिराया गया। रूस ने यूक्रेन पर किन्जल हाइपरसॉनिक मिसाइल भी दागीं। रूस ने पिछले महीने कहा था कि अगर NATO देशों के हथियारों का इस्तेमाल उसकी जमीन पर होता है तो इसे तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत समझा जाएगा।

पिछले साल सरमत ICBM को तैनात किया था रूस ने पिछले साल यूक्रेन जंग के बीच लंबी दूरी की RS 28 सरमत ICBM मिसाइल को तैनात किया था। हालांकि ये साफ नहीं है कि यूक्रेन की तरफ से जिस ICBM मिसाइल हमले का दावा किया जा रहा है वह सरमत मिसाइल ही है।

19 नवंबर को यूक्रेन ने रूस पर पहली बार अमेरिकी मिसाइल दागी थी रूस ने 19 नवंबर को दावा किया था कि यूक्रेन ने पहली बार अमेरिका से मिली लंबी दूरी की मिसाइलें उसके इलाके में दागीं। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन ने मंगलवार सुबह ब्रियांस्क इलाके में लंबी दूरी वाली 6 आर्मी टेक्टिकल मिसाइल सिस्टम (ATACMS) मिसाइलें दागीं।

रूस ने कहा कि उन्होंने 5 मिसाइलों को मार गिराया। रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन और अमेरिका के अधिकारियों ने भी रूस पर ATACMS का इस्तेमाल किए जाने की पुष्टि की है। इसके बाद बुधवार को कीव में अमेरिकी एम्बेसी को बंद कर दिया गया था। बाद में अमेरिका ने इसे गुरुवार को खोलने की बात कही।

क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइल में क्या अंतर? अमेरिका ने यूक्रेन को बैलिस्टिक मिसाइल और ब्रिटेन ने क्रूज मिसाइल दी है। दोनों मिसाइलों का अलग-अलग काम होता है।

क्रूज मिसाइल

  • क्रूज मिसाइल एक तरह की सेल्फ गाइडेड मिसाइल है। यह जमीन से काफी करीब उड़ती है। यह अपना रास्ता खुद बना लेती है, इसलिए इसे क्रूज मिसाइल कहते हैं।
  • यह जेट इंजन टेक्नोलॉजी की मदद से पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर उड़ान भरती हैं। इनकी स्पीड बहुत तेज होती है।
  • कम ऊंचाई पर उड़ने की वजह से ही यह रडार की पकड़ में नहीं आती। इन्हें जमीन, हवा, पनडुब्बी और युद्धपोत कहीं से भी दागा जा सकता है।
  • क्रूज मिसाइलों को क्षमता के हिसाब से सबसोनिक, सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में बांट सकते हैं। उदाहरण के लिए भारत की ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल है और ब्रह्मोस 2 हाइपरसोनिक मिसाइल है।
  • यह आकार में बैलिस्टिक मिसाइल से छोटी होती हैं और इस पर हल्के बम ले जाए जाते हैं। क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल पारंपरिक और परमाणु बम दोनों के लिए होता है।

बैलिस्टिक मिसाइल

  • ये मिसाइल छोड़े जाने के बाद तेजी से ऊपर जाती है और फिर गुरुत्वाकर्षण की वजह से तेजी से नीचे आते हुए अपने टारगेट को हिट करती है।
  • इसे बड़े समुद्री जहाज या फिर किसी खास जगह से छोड़ा जाता है। भारत के पास पृथ्वी, अग्नि और धनुष बैलिस्टिक मिसाइलें हैं।
  • ये साइज में क्रूज मिसाइलों से बड़ी होती हैं। साथ ही ये क्रूज की तुलना में भारी वजन वाले बम ले जा सकती हैं।
  • यह दागे जाने के बाद हवा में एक अर्धचंद्राकर रास्ते पर चलती है। जैसे ही रॉकेट से उनका संपर्क टूटता है, उनमें लगा बम गुरुत्वाकर्षण की वजह से जमीन पर गिरता है।
  • बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल आमतौर पर परमाणु बमों को ले जाने के लिए होता है, हालांकि इससे पारंपरिक हथियार भी ले जाए जा सकते हैं।

यूक्रेन को लैंड माइन्स देगा अमेरिका, 3 दिन में 2 खतरनाक हथियारों को मंजूरी दी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन यूक्रेन को एंटी पर्सनल लैंड माइन्स देने को राजी हो गए हैं। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी रक्षा विभाग के एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि जल्द ही यूक्रेन को ऐसे माइन्स सौंपे जाएंगे।

अधिकारी ने कहा कि अमेरिका ने यूक्रेन को इन माइन्स का इस्तेमाल यूक्रेन की सीमा में ही करने को कहा है। रिपोर्ट के मुताबिक रूसी सेना यूक्रेन के पूर्वी इलाके में तेजी से बढ़ती जा रही है। इस पर रोक लगाने के लिए अमेरिका ने यूक्रेन को ये हथियार देने का फैसला किया है।

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रूस ने कैंसर की वैक्सीन बनाई:पुतिन सरकार ने कहा- 2025 से नागरिकों को मुफ्त लगाएंगे; यह सदी की सबसे बड़ी खोज

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मॉस्को,एजेंसी। रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि हमने कैंसर की वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल कर ली है। इसकी जानकारी रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर आंद्रेई कप्रीन ने रेडियो पर दी। रूसी न्यूज एजेंसी TASS के मुताबिक, इस वैक्सीन को अगले साल से रूस के नागरिकों को फ्री में लगाया जाएगा।

डायरेक्टर आंद्रेई ने बताया कि रूस ने कैंसर के खिलाफ अपनी mRNA वैक्सीन विकसित कर ली है। रूस की इस खोज को सदी की सबसे बड़ी खोज माना जा रहा है। वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल से पता चला है कि इससे ट्यूमर के विकास को रोकने में मदद मिलती है।

इससे पहले इस साल की शुरुआत में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बताया था कि रूस कैंसर की वैक्सीन बनाने के बेहद करीब है।

क्या होती है mRNA वैक्सीन mRNA या मैसेंजर-RNA इंसानों के जेनेटिक कोड का एक छोटा सा हिस्सा है, जो हमारी सेल्स (कोशिकाओं) में प्रोटीन बनाती है। इसे आसान भाषा में ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब हमारे शरीर पर कोई वायरस या बैक्टीरिया हमला करता है तो mRNA टेक्नोलॉजी हमारी सेल्स को उस वायरस या बैक्टीरिया से लड़ने के लिए प्रोटीन बनाने का मैसेज भेजती है।

इससे हमारे इम्यून सिस्टम को जो जरूरी प्रोटीन चाहिए, वो मिल जाता है और हमारे शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है। इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे कन्वेंशनल वैक्सीन के मुकाबले ज्यादा जल्दी वैक्सीन बन सकती है। इसके साथ ही इससे शरीर की इम्यूनिटी भी मजबूत होती है। mRNA टेक्नोलॉजी पर आधारित यह कैंसर की पहली वैक्सीन है।

इससे पहले इस तकनीक के आधार पर कोविड-19 की वैक्सीन बनाई गई हैं।

इससे पहले इस तकनीक के आधार पर कोविड-19 की वैक्सीन बनाई गई हैं।

कैंसर होने से पहले नहीं बल्कि बाद में दी जाती है वैक्सीन कैंसर स्पेशलिस्ट एमडी मौरी मार्कमैन का कहना है कि कैंसर की वैक्सीन बनाना बायोलॉजिकल तौर पर असंभव है। कैंसर के लिए कोई टीका नहीं हो सकता क्योंकि कैंसर कोई बीमारी नहीं है। यह शरीर में हजारों अलग-अलग स्थितियों का परिणाम है।

फिर भी वैक्सीन कुछ कैंसरों की रोकथाम में जरूरी रोल निभाती है। ये वैक्सीन कैंसर रोगियों को उपचार के दौरान सुरक्षा देने में जरूरी टूल हैं। क्योंकि कैंसर मरीज को इलाज के दौरान दूसरी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

कैंसर वैक्सीन की खास बात यह है कि यह कभी कैंसर होने से पहले नहीं दी जाती है, बल्कि यह उन लोगों को दी जाती है जिन्हें कैंसर ट्यूमर है। यह वैक्सीन हमारे इम्यून सिस्टम को यह पहचानने में मदद करती है कि कैंसर सेल्स कैसी दिखती है।

कैंसर वैक्सीन बनाना मुश्किल क्यों?

  • कैंसर सेल्स ऐसे मॉलिक्यूल से बनते हैं जो इम्यून सेल्स को दबा देते हैं। अगर कोई वैक्सीन इम्यून सेल्स को एक्टिव कर भी दे तो हो सकता है वो इम्यून सेल्स ट्यूमर के अंदर प्रवेश न कर पाए।
  • कैंसर सेल्स सामान्य सेल्स की तरह ही होती हैं और इस वजह से इम्यून सिस्टम को यह उतनी खतरनाक नहीं लगतीं। इससे इम्यून सिस्टम के लिए यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि किस पर हमला करना है।
  • अगर कैंसर का एंटीजन सामान्य और असामान्य सेल्स दोनों पर मौजूद होता है तो वैक्सीन दोनों पर हमला करना शुरू कर देती है। इससे शरीर को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचता है।
  • कई बार कैंसर ट्यूमर इतना ज्यादा बड़ा होता है कि इम्यून सिस्टम उससे लड़ नहीं पाता है। कुछ लोगों का इम्यून सिस्टम काफी कमजोर होता है, इस वजह से कई लोग वैक्सीन लगने के बाद भी रिकवर नहीं कर पाते हैं।

भारत में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को कैंसर भारत में 2022 में कैंसर के 14.13 लाख नए केस सामने आए थे। इनमें 7.22 लाख महिलाओं में, जबकि 6.91 लाख पुरुषों में कैंसर पाया गया। 2022 में 9.16 लाख मरीजों की कैंसर से मौत हुई।

5 साल में भारत में 12% की दर से कैंसर मरीज बढ़ेंगे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) का आकलन है कि 5 साल में देश में 12% की दर से कैंसर मरीज बढ़ेंगे, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती कम उम्र में कैंसर का शिकार होने की है। नेचर जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, कम उम्र में कैंसर की सबसे बड़ी वजहों में हमारी लाइफस्टाइल है।

ग्लोबल कैंसर ऑब्जरवेटरी के आंकड़ों के अनुसार, 50 साल की उम्र से पहले ब्रेस्ट, प्रोस्टेट और थायरॉइड कैंसर सबसे ज्यादा हो रहे हैं। भारत में ब्रेस्ट, मुंह, गर्भाशय और फेफड़ों के कैंसर के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं।

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रूस के न्यूक्लियर चीफ की ब्लास्ट में मौत:इलेक्ट्रिक स्कूटर में बम लगाकर उड़ाया; इसमें 300 ग्राम TNT था

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मॉस्को,एजेंसी। रूस के न्यूक्लियर चीफ इगोर किरिलोव की मंगलवार को मॉस्को में हुए एक ब्लास्ट में मौत हो गई है। बीबीसी के मुताबिक जनरल किरिलोव अपार्टमेंट से बाहर निकल रहे थे उसी वक्त नजदीक में ही पार्क स्कूटर में ब्लास्ट हो गया। इसमें किरिलोव के साथ-साथ उनका अस्टिटेंट भी मारा गया है।

धमाका मॉस्को के राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन से सिर्फ 7 किमी दूर हुआ है। रूस की जांच एजेंसी ने बताया कि धमाके के लिए 300 ग्राम TNT का इस्तेमाल किया गया था। एजेंसी ने आपराधिक हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

उन्हें अप्रैल 2017 में न्यूक्लियर फोर्सेस का चीफ बनाया गया था। वे रूस के रेडिएशन, केमिकल और जैविक हथियार जैसे विभागों के चीफ रह चुके थे।

धमाके से 4 मंजिल तक खिड़कियों के कांच टूटे

धमाका इतना तेज था कि इससे इमारत की 4 मंजिल ऊपर तक खिड़कियों के कांच टूट गए। यूएन टूल के मुताबिक 300 ग्राम टीएनटी विस्फोटक से करीब 17 मीटर (55 फीट) दूरी पर मौजूद कांच की खिड़की भी टूट सकती है। इसके अलावा यह विस्फोटक 1.3 मीटर दूर मकान को भी धमाके में नुकसान पहुंचा सकता है।

किरिलोव की मौत के बाद रूसी संसद के डिप्टी स्पीकर ने कहा है कि उनकी हत्या का बदला जरूर लिया जाएगा।

पिछले 4 महीनों में 3 बड़े अधिकारियों की मौत

किरिलोव पिछले 4 महीनों में दुश्मनों का शिकार होने वाले तीसरे बड़े रूसी अधिकारी हैं। उनसे पहले हुई रूसी अधिकारियों की हत्याएं…

12 दिसंबर, 2024, जगह- मॉस्को

रूस के मिसाइल एक्सपर्ट मिखाइल शेतस्की की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

शेतस्की रूसी मिसाइलों को मॉडर्नाइज करने में शामिल थे, जिन्हें यूक्रेन पर दागा जा रहा था।

28 सितंबर, 2024, जगह- मॉस्को का कोलोमा शहर

ड्रोन स्पेशलिस्ट कर्नल एलेक्सी कोलोमीतसेव मॉस्को में मृत पाए गए।

कोलोमीतसेव रूसी सेना में ड्रोन एक्सपर्ट्स बनने की ट्रेनिंग देने के लिए मशहूर थे।

यूक्रेन पर डर्टी बम बनाने का आरोप लगाया था

इगोर किरिलोव ने अक्टूबर 2024 में यूक्रेन पर अमेरिका की मदद से डर्टी बम बनाने का आरोप लगाया था। डर्टी बम को बनाने में रेडियोएक्टिव मटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें बनाने में खर्च भी कम होता है। इससे पहले वे 2018 में अमेरिका पर जॉर्जिया में रूस और चीन बॉर्डर के नजदीक एक गुप्त बायोलॉजिकल हथियार प्रयोगशाला चलाने का आरोप भी लगा चुके थे।

इसी साल अमेरिका ने रूस पर यूक्रेन में केमिकल हथियारों के इस्तेमाल का आरोप लगाया था। इसके जवाब में किरिलोव ने कहा था कि रूस ने तय समय से पहले सितंबर 2017 में ही अपने सारे केमिकल हथियार नष्ट कर दिए थे। जबकि अमेरिका ने यह काम 2023 में किया था।

दूसरी ओर यूक्रेन सिक्योरिटी सर्विसेज (SBU) ने दावा किया कि रूस ने लगभग 5,000 बार रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया है। इनमें 700 से ज्यादा बार इनका इस्तेमाल इस साल मई में ही हुआ था।

कीव इंडिपेंडेट की रिपोर्ट के मुताबिक किरिलोव पर कल यानी सोमवार को यूक्रेन की सिक्योरिटी सर्विस ने जंग में बैन केमिकल हथियार इस्तेमाल करने के आरोप में दोषी मानते हुए सजा सुनाई थी।

यूक्रेन जंग में भूमिका को लेकर अक्टूबर में ब्रिटेन और कनाडा ने उन पर पाबंदियां लगाई हुई थी।

यूक्रेन जंग में भूमिका को लेकर अक्टूबर में ब्रिटेन और कनाडा ने उन पर पाबंदियां लगाई हुई थी।

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देश

सीरियाई राष्ट्रपति देश छोड़कर भागे, सेना बोली- उनकी सत्ता खत्म:लोगों ने राष्ट्रपति भवन लूटा; टैंकों पर चढ़कर जश्न मना रहे विद्रोही

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दमिश्क ,एजेंसी। सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर भाग चुके हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक सेना ने असद के देश छोड़ने की पुष्टि करते हुए कहा कि राष्ट्रपति की सत्ता खत्म हो चुकी है। सीरिया में पिछले 11 दिनों से विद्रोही गुटों और सेना के बीच कब्जे के लिए लड़ाई चल रही थी।

विद्रोही लड़ाकों ने रविवार को राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है। असद के देश छोड़ने के बाद सीरियाई PM ने विद्रोहियों को सत्ता सौंपने का प्रस्ताव दिया है। PM मोहम्मद गाजी अल जलाली ने एक वीडियो में कहा है कि वो देश में ही रहेंगे और जिसे भी सीरिया के लोग चुनेंगे, उसके साथ मिलकर काम करेंगे।

CNN की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक हफ्ते में विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क के अलावा सीरिया के चार बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया है। इनमें अलेप्पो, हमा, होम्स और दारा शामिल हैं।

विद्रोही लड़ाके राजधानी दमिश्क में दारा शहर की तरफ से घुसे थे, जिस पर उन्होंने 6 दिसंबर को कब्जा किया था। दारा वही शहर है, जहां से 2011 में राष्ट्रपति बशर अल-असद के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत हुई थी और पूरे देश में जंग छिड़ गई थी। दारा से राजधानी दमिश्क की दूरी करीब 100 किमी है। यहां स्थानीय विद्रोहियों ने कब्जा किया है।

वहीं, अलेप्पो, हमा और होम्स इस्लामी चरमपंथी ग्रुप हयात तहरीर अल-शाम की गिरफ्त में है। संघर्ष की वजह से अब तक 3.70 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा है। हालांकि लोग असद सरकार के गिरने की खुशी मना रहे हैं। लोगों के सेना के टैंकों पर चढ़कर सेलिब्रेट करने के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।

सीरिया में विद्रोहियों के कब्जे से जुड़ी तस्वीरें…

दमिश्क में विद्रोहियों के घुसने के बाद देश छोड़ने के लिए एयरपोर्ट पर भगदड़ मची।

दमिश्क में विद्रोहियों के घुसने के बाद देश छोड़ने के लिए एयरपोर्ट पर भगदड़ मची।

दारा शहर पर कब्जे के बाद सीरिया का झंडा लहराते विद्रोही लड़ाके।

दारा शहर पर कब्जे के बाद सीरिया का झंडा लहराते विद्रोही लड़ाके।

हमा शहर पर कब्जे के दौरान विद्रोहियों ने सीरिया सरकार के फाइटर जेट्स पर भी कब्जा कर लिया।

हमा शहर पर कब्जे के दौरान विद्रोहियों ने सीरिया सरकार के फाइटर जेट्स पर भी कब्जा कर लिया।

हमा पर कब्जे के बाद रॉकेट लॉन्चर के साथ विद्रोही लड़ाका। बैकग्राउंड में राष्ट्रपति असद का पोस्टर है जिसमें चेहरे पर गोलियों के निशान दिख रहे हैं।

हमा पर कब्जे के बाद रॉकेट लॉन्चर के साथ विद्रोही लड़ाका। बैकग्राउंड में राष्ट्रपति असद का पोस्टर है जिसमें चेहरे पर गोलियों के निशान दिख रहे हैं।

हमा शहर पर कब्जे के बाद जीत का जश्न मनाते विद्रोही गुट के लड़ाके।

हमा शहर पर कब्जे के बाद जीत का जश्न मनाते विद्रोही गुट के लड़ाके।

हमा शहर पर कब्जे के बाद दमिश्क शहर की तरफ रवाना होते HTS लड़ाके।

हमा शहर पर कब्जे के बाद दमिश्क शहर की तरफ रवाना होते HTS लड़ाके।

असद ने 11 दिन में सत्ता गंवाई

सीरिया में 27 नवंबर को सेना और सीरियाई विद्रोही गुट हयात तहरीर अल शाम (HTS) के बीच 2020 के सीजफायर के बाद फिर संघर्ष शुरू हुआ था। इसके बाद 1 दिसंबर को विद्रोहियों ने सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर कब्जा कर लिया। इसे राष्ट्रपति बशर अल असद ने सीरिया की जंग के दौरान 4 साल की लड़ाई के बाद जीता था।

अलेप्पो जीतने के 4 दिन बाद विद्रोही गुटों ने एक और बड़े शहर हमा और फिर दक्षिणी शहर दारा पर कब्जा कर लिया। इसके बाद राजधानी दमिश्क को दो दिशाओं से घेर लिया है। दारा और राजधानी दमिश्क के बीच सिर्फ 90 किमी की दूरी है।

इस तरह असद ने सिर्फ 11 दिन के भीतर अपनी सत्ता गंवा दी और सीरिया पर असद परिवार के 50 साल का शासन खत्म हुआ।

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