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तीन टीवी सीरियल जितना ‘श्रीमद रामायण’ का बजट

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कपड़े-ज्वेलरी पर चार गुना ज्यादा खर्च

अयोध्या और लंका के लिए अलग-अलग सेट बने

उमरगांव, एजेंसी। रील टु रियल के नए एपिसोड में हम मुंबई से दूर गुजरात बॉर्डर पर एक जगह उमरगांव पहुंचे। वहां बड़े- बड़े सेट लगे थे। वहां टीवी सीरियल श्रीमद रामायण की लॉन्चिंग चल रही थी। पत्थरों और फर्नीचर के सेट देख आंखें चौंधिया रही थीं। वहां अलग-अलग चार सेट लगे थे। श्रीराम के जन्म स्थान अयोध्या का सेट देखकर शांति का अनुभव हो रहा था। वहीं जब हम लंका के सेट पर गए तो ऐसा लगा कि आसुरी शक्तियां आस-पास डेरा जमाए बैठी हैं। आर्ट डायरेक्टर उमंग कुमार ने कहा कि उन्होंने सेट बनाने के लिए किसी भी आर्टिफिशियल चीज का इस्तेमाल नहीं किया है। बाहर से पत्थर मंगवाकर सेट पर नक्काशी की गई है। सोनी इंटरटेनमेंट शो के बिजनेस हेड ने बताया कि इस पौराणिक सीरियल को बनाने में तीन डेली सोप की मेकिंग जितना खर्च आया है। लकडिय़ों से बनाया मिथिला का सेट, आर्टिफिशियल चीजों का कम इस्तेमाल किया गया सीरियल का सेट डिजाइन करने वाले आर्ट डायरेक्टर उमंग कुमार ने कहा, ‘हम इस सेट पर पूरी तरह प्राचीन भारत का फील देना चाहते थे। हमने आर्टिफिशियल चीजों का कम से कम इस्तेमाल किया है। बाहर से पत्थर मंगवाकर सेट पर लगाए गए हैं। मिथिला का सेट बनाते वक्त हमने लकडिय़ों का बहुत इस्तेमाल किया है। मतलब प्राचीन अयोध्या से लेकर लंका, मिथिला और किष्किंधा को हम बिल्कुल वैसा ही दिखाना चाहते हैं जैसे वो उस समय रहे होंगे। इसके लिए काफी रिसर्च भी किया गया है।’

सोने की लंका बनाने के लिए खास इंतजाम करने पड़े

उमंग कुमार ने बहुत सारे सेट्स बनाए हैं। फिर श्रीमद रामायण के सेट में नयापन कैसे ला पाए। उन्होंने समझाते हुए कहा, ‘यह सही बात है कि मैंने बहुत सारे सेट्स डिजाइन किए हैं। हालांकि इस सेट को बनाने के लिए मुझे खुद को उस जोन में भेजना पड़ा। मान लीजिए कि मैं प्राचीन भारत का एक आर्किटेक्ट हूं। राजा मुझे अपने राजमहल को डिजाइन करने का टास्क देता है। अब मुझे राजा को खुश भी करना है, इसलिए मैं उस वक्त के संसाधनों का प्रयोग करके एक सुंदर और भव्य राजमहल बनाने की कोशिश करूंगा। मैंने अपने आप को उसी जोन में डालकर यह सेट डिजाइन किया है। अगर मुझे सोने की लंका बनानी है, तो ऐसे धातुओं की खोज करता हूं जिसमें सोने की परत लगी हो और जो बिल्कुल सोने की तरह ही लगे।’

बिना मिर्च-मसाला लगाए सीरियल को बनाया गया, तथ्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं हुई

इस साल रामायण पर बनी फिल्म आदिपुरुष पर काफी विवाद हुए थे। ऐसे में मेकर्स के सामने कोई चुनौती थी सोनी एंटरटेनमेंट चैनल के बिजनेस हेड नीरज व्यास ने कहा, सीरियल बनाते वक्त हमने कोशिश की है कि हम इसमें अपनी सोच न दिखाएं। जो रामायण में लिखा गया है या जो लोगों ने पढ़ा हुआ है, बिल्कुल उसी को बिना मिर्च मसाला लगाए दिखाया जाए। इसके लिए कई महीनों तक हम कहानी ही लिखते रहे। हमने स्टोरी की ड्राफ्टिंग कई बार की। फरवरी 2023 में पहली बार हमने इस सीरियल की मेकिंग के लिए मीटिंग रखी। हजारों लोगों के ऑडिशन हुए। बड़े लेवल पर प्रमोशन हुआ। परिणामस्वरूप आज हम शो लॉन्च कर रहे हैं।’

तीन डेली सोप बनने जितना पैसा श्रीमद रामायण को बनाने में लगा

नीरज ने आगे कहा, ‘टेक्निकली आज हम बहुत एडवांस हो चुके हैं। हमारे पास पहले वो टूल्स नहीं थे जो आज हैं। आज के वक्त में हमारे पास अच्छे साउंड, बढिय़ा एडिटिंग, महंगे कैमरे और बेहतरीन व्हीएफ एक्स हैं। इसकी मदद से हमने शो को ग्रैंड बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।’ नीरज ने शो का एक्जेक्ट बजट तो नहीं बताया, लेकिन उन्होंने इतना जरूर कहा कि जितने में तीन डेली सोप बनते हैं, उतना इसका अकेला बजट है।

राम मंदिर के उद्घाटन वाले वक्त शो शुरू करना एक संयोग

22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन है। क्या इसे ध्यान में रखकर ही शो की शुरुआत 1 जनवरी से की जा रही है जवाब में नीरज ने कहा, ‘राम मंदिर के उद्घाटन वाली डेट से पहले ही हमने शो की अनाउंसमेंट कर दी थी। इसलिए उस डेट से हमारे शो का कोई संबंध नहीं है, लेकिन यह एक अच्छा संयोग है। हमें खुशी है कि हमारा शो तब आ रहा है जब अयोध्या में राम लला अपने सही जगह पर विराजमान होने जा रहे हैं।’

हाथ में बनवाया महादेव का टैटू, 10 दिन बाद रावण का रोल ऑफर हुआ

इस सीरियल में रावण का किरदार निभा रहे एक्टर निकितिन धीर ने अपने रोल के बारे में बात की। उन्होंने कहा, ‘मुझे बहुत सालों से महादेव का टैटू बनवाने का मन कर रहा था। सावन के आखिरी सोमवार को मैंने अपने हाथ में महादेव का टैटू गुदवा लिया। इसके 10-15 दिन बाद मेरी मुलाकात सीरियल के डायरेक्टर सिद्धार्थ से हुई। उन्होंने मुझे रावण का रोल ऑफर किया। मुझे लगा कि यह महादेव की तरफ से मेरे लिए एक आशीर्वाद है। मैंने इसके लिए तुरंत हां बोल दिया।’ निकितिन ने आगे कहा, ‘मुझे शुरुआत में थोड़ा डर लग रहा था। अरविंद त्रिवेदी ने रावण का जो रोल किया था, उसे लोग आज भी याद रखते हैं। मुझे शक था कि क्या मैं उनके जैसा किरदार निभा पाऊंगा। हालांकि, अरविंद जी ने जब यह किरदार निभाया तो वो थोड़े उम्रदराज हो गए थे। उस सीरियल में रावण के बाद के जीवन की कहानी ज्यादा दिखाई गई है। यहां आपको रावण के यंग एज से जुड़ी बहुत अनकही बातें जानने को मिलेंगी।’ निकितिन यहां रामानंद सागर वाली रामायण में रावण का किरदार निभाने वाले दिवंगत एक्टर अरविंद त्रिवेदी की बात कर रहे हैं। सीरियल में अयोध्या, किष्किंधा, लंका और मिथिला के वासियों के लिए अलग कपड़े और ज्वेलरी डिजाइन किए गए कॉस्ट्यूम डिजाइनर शिबाप्रिया सेन ने कहा कि उन्होंने सीरियल के हर कैरेक्टर के लुक्स पर तकरीबन तीन महीने रिसर्च किया है। सबके लिए अलग-अलग पैटर्न के कपड़े और ज्वेलरी बनाई गई है। उन्होंने कहा, ‘सीरियल में अयोध्या, किष्किंधा, लंका और मिथिला सहित चार साम्राज्य दिखाए जाएंगे। सभी साम्राज्यों में रहने वाले लोगों के लिए अलग-अलग तरह के कपड़े तैयार किए गए हैं। ऐसा इसलिए किया गया है कि ताकि हर कैरेक्टर दूसरे से अलग दिखाई दे। रेगुलर सीरियल में आप देखते होंगे कि सारे कैरेक्टर्स एक ही पैटर्न के लुक्स में दिखाई देते हैं। इसके लिए बजट भी काफी ज्यादा लगा। हमें मेकर्स की तरफ से पहले ही कहा गया था कि बजट की चिंता नहीं करनी है।’

किरदारों के कपड़ों का खर्च चार टीवी शोज के कॉस्ट्यूम बजट से ज्यादा

रावण का किरदार निभा रहे एक्टर निकितिन धीर इस शो में 20 किलो से ज्यादा वजन वाली ज्वेलरी पहने नजर आएंगे। उनकी सारे ज्वेलरी को कॉपर से बनाया गया है। उसके ऊपर गोल्डन पेंट किया गया है, ताकि वो असली सोना लगे। कॉस्ट्यूम डिजाइनर शिबाप्रिया सेन ने बताया कि चार टीवी शो के कॉस्ट्यूम पर जितना खर्चा आता है, उतना इस शो का अकेले आया है।

हनुमान का रोल करने के बाद शराब और नॉनवेज से बनाई दूरी

एक्टर निर्भय वाधवा इस शो में हनुमानजी का रोल निभा रहे हैं। यह किरदार निभाने के बाद उनके जीवन में काफी बदलाव आया है। निर्भय ने कहा, ‘हनुमान का रोल करने के बाद मैंने सिगरेट, शराब और नॉनवेज से दूरी बना ली है। अगर आपने एक महीने भी ऐसे कैरेक्टर को निभा लिया तो आप ऑटोमेटिक इन सब चीजों से दूर हो जाएंगे। मुझे अब सिगरेट और शराब के नाम पर उल्टी आती है। पहले मैं पंजाबी और अंग्रेजी सॉन्ग सुनता था। अब भजन लगाकर सुनता हूं।’ निर्भय ने आगे कहा, ‘पहले मैं बहुत गुस्से वाला था। मेरी गाड़ी अगर किसी ने ठोक दी तो सड़क पर उससे झगडऩे लगता था। हालांकि हनुमान जी का रोल करने के बाद यह गुस्सा शांत हो गया है। अब गाड़ी पर कोई स्क्रैच भी मार देता है तो मैं मुस्कुरा कर उसे आगे बढऩे के लिए बोल देता हूं।’

सेट देख कर लगेगा कि आप अयोध्या में हैं- डायरेक्टर सिद्धार्थ तिवारी

शो के डायरेक्टर और पौराणिक कथाओं पर कई टीवी शोज बना चुके स्वास्तिक प्रोडक्शन के फाउंडर सिद्धार्थ कुमार तिवारी ने कहा, ‘हम इस सीरियल के जरिए भारत की संस्कृति को दिखाना चाहते थे। हजारों साल पहले हमारा भारतवर्ष कैसा दिखता था, इसकी कल्पना हम इस सेट को देखकर कर सकते हैं। अयोध्या नगरी अभेद्य थी। इसे कोई भेद नहीं सकता था। हमने कुछ ऐसी ही अयोध्या दिखाने की कोशिश की है। अयोध्या की तरह यहां भी सरयू नदी का तट बनाया गया है। सेट देखकर आप यही कहेंगे कि मैं अयोध्या में हूं।’

रामायण के बहुत सारे चैप्टर को अभी दिखाना बाकी

सिद्धार्थ ने कहा कि रामायण तो सबने देखी हुई है, लेकिन अभी भी कुछ कहानियां ऐसी हैं, जिनके बारे में हमें पता नहीं है। उन्होंने कहा, ‘रामायण की स्टोरी के बहुत सारे चैप्टर अभी दिखाए ही नहीं गए हैं। आपको पता नहीं होगा कि राजा दशरथ का नाम दशरथ कैसे पड़ा? उनका नाम महाराजा निमि था। उन्होंने राक्षस संभासुर के साथ एक युद्ध में 10 दिशाओं में रथ घुमाकर शौर्य का परिचय दिया था। तब से उनका नाम दशरथ पड़ गया। ऐसी ही बहुत सारी कहानियों को हम इस सीरियल के जरिए दिखाएंगे।’ सिद्धार्थ तिवारी पौराणिक कथाओं को छोटे पर्दे पर तकरीबन 10 साल से भी ज्यादा समय से दिखाते आ रहे हैं। उन्हें इसकी मास्टरी कैसे हासिल हुई। जवाब में उन्होंने कहा, ‘मैं किताबें बहुत पढ़ता हूं। अपने इतिहास के बारे में जानने की बहुत इच्छा रखता हूं। मैंने रामायण-महाभारत के बारे में पढऩा शुरू किया। मुझे इन्हें पढऩा अच्छा लगने लगा और मैं दिन-प्रतिदिन इसमें घुसता चला गया। इसके बाद मैंने इन पौराणिक कहानियों को दिखाना शुरू किया।’ राम और सीता की कास्टिंग पर बात करते हुए डायरेक्टर सिद्धार्थ तिवारी ने कहा, ‘हमें राम के किरदार के लिए एक ऐसे शख्स की जरूरत थी, जिसके चेहरे पर एक ठहराव दिखे। जिसको देखकर लगे कि यह बंदा रिएक्ट नहीं बल्कि रिस्पॉन्ड करेगा। सीता का रोल करने वाली के अंदर एक मासूमियत होनी चाहिए। सौभाग्य से हमें सुजॉय रिऊ और प्राची बंसल के रूप में ऐसे एक्टर्स मिल गए। अंत में ये कलाकर ही होते हैं जो कैरेक्टर्स को स्क्रीन पर जिंदा करते हैं।’

कैकेयी के जीवन का अलग पहलू भी देखने को मिलेगा

सीरियल में दशरथ का किरदार निभाने वाले एक्टर आरव चौधरी ने कैकेयी के किरदार के बारे में बात की। उन्होंने कहा, कैकेयी के बारे में सबके अंदर एक गलत धारणा है। इस सीरियल में आपको कैकेयी का एक पॉजिटिव अवतार भी देखने को मिलेगा। श्री राम को वनवास भेजने से पहले भी उनकी एक अलग लाइफ थी। उनके शौर्य के बारे में तो कभी चर्चा ही नहीं होती है। उन्होंने दशरथ की जान बचाई थी। उनके पराक्रम से खुश होकर दशरथ ने उन्हें दो वरदान दिए थे।

फेमस टीवी एक्ट्रेस शिल्पा सकलानी ने शो में कैकेयी का रोल निभाया है।

सीरियल का नाम श्रीमद रामायण कैसे पड़ा?

श्रीमद रामायण टाइटल रखने के पीछे क्या सोच रही होगी। इसका जवाब देते हुए सीरियल के राइटर विनोद शर्मा ने कहा, ‘हम अपने आस-पास के व्यक्तियों को श्री कह कर सम्मान देते हैं। महिलाओं को श्रीमती और कुंवारी लड़कियों को सुश्री कहते हैं। फिर रामायण जैसे महान ग्रंथ के आगे श्री क्यों नहीं लगा सकते? जहां तक बात श्रीमद की है…भगवान के मुख से निकलने वाली बात को श्रीमद कहते हैं। सभी को पता है कि भगवान शिव ने सबसे पहले पार्वती जी को रामायण की कहानी सुनाई थी। यही सोचकर और समझकर हमने सीरियल का नाम श्रीमद रामायण रखा।’

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बांग्लादेश की भारत से मांग- शेख हसीना को वापस भेजें:पूर्व पीएम के खिलाफ अपहरण-देशद्रोह समेत 225 केस; तख्तापलट के बाद भारत में पनाह ली

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ढाका,एजेंसी। बांग्लादेश ने सोमवार को भारत से शेख हसीना को वापस भेजने की मांग की है। द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने इसकी पुष्टि की है।

हुसैन ने कहा-

हमने शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए भारत सरकार को एक राजनयिक चिट्ठी भेजी है। इसमें कहा गया है कि बांग्लादेश सरकार कानून का सामना करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री को वापस चाहती है।

इससे पहले गृह मामलों के सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया चल रही है। दरअसल, 5 अगस्त को तख्तापलट के बाद शेख हसीना ने भागकर भारत में पनाह ले ली थी। वे तब से यही पर हैं।

शेख हसीना की भारत से वापसी को लेकर सवाल पूछे जाने पर जहांगीर ने कहा कि भारत-बांग्लादेश के बीच अपराधियों की अदला-बदली को लेकर समझौता है। यह उसी समझौते के तहत किया जाएगा।

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद बनी यूनुस सरकार ने हसीना पर हत्या, अपहरण से लेकर देशद्रोह के 225 से ज्यादा मामले दर्ज किए हैं। वहीं, बांग्लादेशी सरकार ने चेतावनी दी है कि भारत में रहते हुए हसीना की तरफ से दिए जा रहे बयान दोनों देशों के संबंध बिगाड़ रहे हैं।

शेख हसीना 5 अगस्त की शाम अपनी बहन के साथ ढाका से गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पहुंची थीं।

शेख हसीना 5 अगस्त की शाम अपनी बहन के साथ ढाका से गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पहुंची थीं।

भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण समझौता क्या है?

साल 2013 की बात है। भारत के नॉर्थ-ईस्ट उग्रवादी समूह के लोग बांग्लादेश में छिप रहे थे। सरकार उन्हें बांग्लादेश में पनाह लेने से रोकना चाहती थी। इसी वक्त बांग्लादेश के प्रतिबंधित संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन के लोग भारत में आकर छिप रहे थे। दोनों देशों ने इस समस्या से निपटने के लिए एक प्रत्यर्पण समझौता किया।

इसके तहत दोनों देश एक-दूसरे के यहां पनाह ले रहे भगोड़ों को लौटाने की मांग कर सकते हैं। हालांकि इसमें एक पेंच ये है कि भारत राजनीति से जुड़े मामलों में किसी व्यक्ति के प्रत्यर्पण से इनकार कर सकता है, लेकिन अगर उस व्यक्ति पर हत्या और किडनैपिंग जैसे संगीन मामले दर्ज हों तो उसके प्रत्यर्पण को रोका नहीं जा सकता।

ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक इस समझौते की बदौलत, बांग्लादेश ने 2015 में यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम के नेता अनूप चेतिया को भारत को सौंपा था। भारत भी अब तक बांग्लादेश के कई भगोड़ों को वापस भेज चुका है।

समझौते में 2016 में हुए संशोधन के मुताबिक, प्रत्यर्पण की मांग करने वाले देश को अपराध के सबूत देने की जरूरत भी नहीं है। इसके लिए कोर्ट से जारी वारंट ही काफी है। इससे हसीना के लिए मुश्किलें और बढ़ जाती हैं।

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5वीं-8वीं में फेल होने वाले बच्चे प्रमोट नहीं होंगे:2 महीने में दोबारा एग्जाम होगा, फिर फेल हुए तो भी स्कूल से नहीं निकाला जाएगा

नई दिल्ली,एजेंसी। 5वीं और 8वीं क्लास के एग्जाम में फेल होने वाले स्टूडेंट्स को अब पास नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार ने सोमवार को ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ खत्म कर दी है। पहले इस नियम के तहत फेल होने वाले स्टूडेंट्स को दूसरी क्लास में प्रमोट कर दिया जाता था।

सरकार के नए नोटिफिकेशन के मुताबिक फेल होने वाले स्टूडेंट्स को 2 महीने के अंदर दोबारा परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा। अगर वे दोबारा फेल होते हैं, तो उन्हें प्रमोट नहीं किया जाएगा, बल्कि जिस क्लास में वो पढ़ रहे थे उसी में दोबारा पढ़ेंगे। सरकार ने इसमें एक प्रावधान भी जोड़ा है कि 8वीं तक के ऐसे बच्चों को स्कूल से निकाला नहीं जाएगा।

16 राज्यों में पहले से खत्म है नो-डिटेंशन पॉलिसी

केंद्र सरकार की नई पॉलिसी का असर केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों सहित करीब 3 हजार से ज्यादा स्कूलों पर होगा। 16 राज्य और 2 केंद्र शासित प्रदेश (दिल्ली और पुडुचेरी) नो-डिटेंशन पॉलिसी पहले पहले ही खत्म कर चुके हैं। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है, इसलिए राज्य इस संबंध में अपना निर्णय ले सकते हैं।

सरकार ने पॉलिसी में बदलाव क्यों किया

साल 2010-11 से 8वीं क्लास तक परीक्षा में फेल होने के प्रावधान पर रोक लगा दी गई थी। मतलब यह कि बच्चों के फेल होने के बावजूद अगली क्लास में प्रमोट कर दिया जाता था, लेकिन इससे देखा गया कि शिक्षा के लेवल में धीरे धीरे गिरावट आने लगी। जिसका असर 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं पर पड़ने लगा। काफी लंबे समय से इस मामले पर विचार-विमर्श के बाद नियमों में बदलाव कर दिया गया।

नॉ डिटेंशन पॉलिसी क्यों लागू की गई

नो डिटेंशन पॉलिसी राइट टू एजुकेशन 2009 का हिस्सा थी। ये सरकार की पहल थी जिससे भारत में शिक्षा की स्थिती में सुधार हो सके। इसका उद्देश्य था कि बच्चों को शिक्षा के लिए बेहतर माहौल दिया जा सके ताकि वो स्कूल आते रहें। फेल होने से स्टूडेंट्स की आत्मसम्मान को ठेस पहुंच सकती हैं। साथ ही फेल होने से बच्चे शर्म भी महसूस करते हैं जिससे पढ़ाई में वो पिछड़ सकते हैं। इसलिए नो डिटेंशन पॉलिसी लाई गई जिसमें 8वीं तक के बच्चों को फेल नहीं किया जाता।

2018 में लोकसभा में बिल पास हुआ था जुलाई 2018 में

लोकसभा में राइट टु एजुकेशन को संशोधित करने के लिए बिल पेश किया गया था। इसमें स्कूलों में लागू ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म करने की बात थी। इसके अनुसार 5वीं और 8वीं क्लास के स्टूडेंट्स के लिए रेगुलर एग्जाम्स की मांग की गई थी। इसी के साथ फेल होने वाले स्टूडेंट्स के लिए दो महीने के अंदर री-एग्जाम कराने की भी बात थी।

2019 में ये बिल राज्य सभा में पास हुआ। इसके बाद राज्य सरकारों को ये हक था कि वो ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ हटा सकते हैं या लागू रख सकते हैं। यानी राज्य सरकार ये फैसला ले सकती थीं कि 5वीं और 8वीं में फेल होने पर छात्रों को प्रमोट किया जाए या क्लास रिपीट करवाई जाए।

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भारत का हरित क्षेत्र 25.17% तक बढ़ा, पर्यावरण पर सकारात्मक असर : सरकारी रिपोर्ट

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नई दिल्ली,एजेंसी। भारत का कुल वन और वृक्षावरण 1,445 वर्ग किलोमीटर बढ़कर अब 827,357 वर्ग किलोमीटर हो गया है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17% है। यह जानकारी सरकार द्वारा शनिवार को जारी किए गए नवीनतम राज्य वन रिपोर्ट में दी गई है। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि जहां वनावरण में बढ़ोतरी हो रही है। वहीं प्राकृतिक जंगलों का क्षरण भी हो रहा है।

भारत के वनावरण में बढ़ोतरी

भारत का वनावरण 25.17% तक बढ़ चुका है, लेकिन इस वृद्धि का अधिकांश हिस्सा (149.13 वर्ग किलोमीटर में से 156.41 वर्ग किलोमीटर) वृक्षारोपण और कृषि वानिकी के माध्यम से हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दशक में 92,000 वर्ग किलोमीटर प्राकृतिक जंगलों का क्षरण हुआ है, जिससे घने जंगल खुले जंगलों में बदल गए हैं। यह भारतीय वन संसाधनों की गुणवत्ता के लिए चिंता का विषय है।

कार्बन अवशोषण में वृद्धि

पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने रिपोर्ट के विमोचन के दौरान कहा कि भारत ने कार्बन अवशोषण में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। 149.42 मिलियन टन CO2 के बराबर कार्बन स्टॉक में वृद्धि दर्ज की गई है और अब भारत का कुल कार्बन स्टॉक 30.43 बिलियन टन CO2 के बराबर हो गया है। यह वृद्धि भारत को 2030 तक पेरिस समझौते के तहत अपने कार्बन अवशोषण के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी।

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