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स्पेस सेक्टर में स्टार्ट अप पर 1,000 करोड़ खर्च करेगी सरकार:बिहार और आंध्र प्रदेश के रेल प्रोजेक्ट्स को 6,798 करोड़ जारी; कैबिनेट बैठक में फैसला

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नई दिल्ली ,एजेंसी। भारत सरकार स्पेस सेक्टर में स्टार्ट अप को बढ़ावा देने के लिए 1,000 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इसे पांच में खर्च किया जाएगा। 2025-26 में 150 करोड़, 2026-27, 2027-28 और 2028-29 में 250-250 करोड़, 2029-30 में 100 करोड़ खर्च होंगे।

केंद्रीय मंत्री अश्विन वैष्णव ने यह जानकारी गुरुवार को कैबिनेट की बैठक के बाद दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक की अध्यक्षता की। आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने इस दौरान रेल मंत्रालय के 6,798 करोड़ रुपए के दो प्रोजेक्ट को पास किया।

इसमें नरकटियागंज-रक्सौल-सीतामढ़ी-दरभंगा और सीतामढी-मुजफ्फरपुर खंड में 256 किलोमीटर की रेल लाइन को डबल किया जाएगा। वहीं अमरावती होते हुए एर्रुपलेम और नंबुरु के बीच 57 किमी की नई रेल लाइन बिछाई जाएगी। यह आंध्र प्रदेश के एनटीआर विजयवाड़ा और गुंटूर जिलों और तेलंगाना के खम्मम जिले से होकर गुजरेगी।

बिहार में होने वाले दोहरीकरण से नेपाल, पूर्वोत्तर भारत तक कनेक्टिविटी बढ़ेगी। मालगाड़ियों के साथ-साथ यात्री ट्रेनों की आवाजाही में सुविधा होगी। दोनों योजनाएं तीन राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और बिहार के 8 जिलों को कवर करेंगी।

9 अक्टूबर: दिसंबर 2028 तक गरीबों को मुफ्त अनाज

केंद्रीय कैबिनेट की 9 अक्टूबर को हुई बैठक में राजस्थान और पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों में 4406 करोड़ रुपए के निवेश से 2280 KM सड़क निर्माण को मंजूरी दी गई थी।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PM-GKAY) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत जुलाई 2024 से दिसंबर 2028 तक मुफ्त फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति जारी रखने को भी मंजूरी दी गई थी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि इसमें 17,082 करोड़ रुपए खर्च होंगें, जिसे पूरी तरह से केंद्र सरकार उठाएगी।

उन्होंने कहा था कि गुजरात के लोथल में दुनिया का सबसे बड़ा राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) विकसित किया जाएगा।

3 अक्टूबर: रेलवे कर्मचारियों को 78 दिन के बोनस का ऐलान

3 अक्टूबर को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में रेलवे कर्मचारियों को 78 दिन के बोनस का ऐलान किया गया था। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया था कि सरकार ने रेलवे कर्मचारियों के लिए 2029 करोड़ रुपए के प्रोडक्टिविटी लिंक्ड बोनस को मंजूरी दी है।

उन्होंने बताया था कि इस ऐलान से रेलवे के 11,72,240 कर्मचारियों का फायदा मिलेगा। सरकार ने प्रधानमंत्री-राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (PM-RKVY) और कृषोन्नति योजना को भी मंजूरी दी है। इसके लिए 1,01,321 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया।

इसके अलावा मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया था। भारत सरकार ने 2004 में तमिल से शुरुआत करते हुए शास्त्रीय भाषा श्रेणी की स्थापना की थी।

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बांग्लादेश की भारत से मांग- शेख हसीना को वापस भेजें:पूर्व पीएम के खिलाफ अपहरण-देशद्रोह समेत 225 केस; तख्तापलट के बाद भारत में पनाह ली

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ढाका,एजेंसी। बांग्लादेश ने सोमवार को भारत से शेख हसीना को वापस भेजने की मांग की है। द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने इसकी पुष्टि की है।

हुसैन ने कहा-

हमने शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए भारत सरकार को एक राजनयिक चिट्ठी भेजी है। इसमें कहा गया है कि बांग्लादेश सरकार कानून का सामना करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री को वापस चाहती है।

इससे पहले गृह मामलों के सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया चल रही है। दरअसल, 5 अगस्त को तख्तापलट के बाद शेख हसीना ने भागकर भारत में पनाह ले ली थी। वे तब से यही पर हैं।

शेख हसीना की भारत से वापसी को लेकर सवाल पूछे जाने पर जहांगीर ने कहा कि भारत-बांग्लादेश के बीच अपराधियों की अदला-बदली को लेकर समझौता है। यह उसी समझौते के तहत किया जाएगा।

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद बनी यूनुस सरकार ने हसीना पर हत्या, अपहरण से लेकर देशद्रोह के 225 से ज्यादा मामले दर्ज किए हैं। वहीं, बांग्लादेशी सरकार ने चेतावनी दी है कि भारत में रहते हुए हसीना की तरफ से दिए जा रहे बयान दोनों देशों के संबंध बिगाड़ रहे हैं।

शेख हसीना 5 अगस्त की शाम अपनी बहन के साथ ढाका से गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पहुंची थीं।

शेख हसीना 5 अगस्त की शाम अपनी बहन के साथ ढाका से गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पहुंची थीं।

भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण समझौता क्या है?

साल 2013 की बात है। भारत के नॉर्थ-ईस्ट उग्रवादी समूह के लोग बांग्लादेश में छिप रहे थे। सरकार उन्हें बांग्लादेश में पनाह लेने से रोकना चाहती थी। इसी वक्त बांग्लादेश के प्रतिबंधित संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन के लोग भारत में आकर छिप रहे थे। दोनों देशों ने इस समस्या से निपटने के लिए एक प्रत्यर्पण समझौता किया।

इसके तहत दोनों देश एक-दूसरे के यहां पनाह ले रहे भगोड़ों को लौटाने की मांग कर सकते हैं। हालांकि इसमें एक पेंच ये है कि भारत राजनीति से जुड़े मामलों में किसी व्यक्ति के प्रत्यर्पण से इनकार कर सकता है, लेकिन अगर उस व्यक्ति पर हत्या और किडनैपिंग जैसे संगीन मामले दर्ज हों तो उसके प्रत्यर्पण को रोका नहीं जा सकता।

ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक इस समझौते की बदौलत, बांग्लादेश ने 2015 में यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम के नेता अनूप चेतिया को भारत को सौंपा था। भारत भी अब तक बांग्लादेश के कई भगोड़ों को वापस भेज चुका है।

समझौते में 2016 में हुए संशोधन के मुताबिक, प्रत्यर्पण की मांग करने वाले देश को अपराध के सबूत देने की जरूरत भी नहीं है। इसके लिए कोर्ट से जारी वारंट ही काफी है। इससे हसीना के लिए मुश्किलें और बढ़ जाती हैं।

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5वीं-8वीं में फेल होने वाले बच्चे प्रमोट नहीं होंगे:2 महीने में दोबारा एग्जाम होगा, फिर फेल हुए तो भी स्कूल से नहीं निकाला जाएगा

नई दिल्ली,एजेंसी। 5वीं और 8वीं क्लास के एग्जाम में फेल होने वाले स्टूडेंट्स को अब पास नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार ने सोमवार को ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ खत्म कर दी है। पहले इस नियम के तहत फेल होने वाले स्टूडेंट्स को दूसरी क्लास में प्रमोट कर दिया जाता था।

सरकार के नए नोटिफिकेशन के मुताबिक फेल होने वाले स्टूडेंट्स को 2 महीने के अंदर दोबारा परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा। अगर वे दोबारा फेल होते हैं, तो उन्हें प्रमोट नहीं किया जाएगा, बल्कि जिस क्लास में वो पढ़ रहे थे उसी में दोबारा पढ़ेंगे। सरकार ने इसमें एक प्रावधान भी जोड़ा है कि 8वीं तक के ऐसे बच्चों को स्कूल से निकाला नहीं जाएगा।

16 राज्यों में पहले से खत्म है नो-डिटेंशन पॉलिसी

केंद्र सरकार की नई पॉलिसी का असर केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों सहित करीब 3 हजार से ज्यादा स्कूलों पर होगा। 16 राज्य और 2 केंद्र शासित प्रदेश (दिल्ली और पुडुचेरी) नो-डिटेंशन पॉलिसी पहले पहले ही खत्म कर चुके हैं। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है, इसलिए राज्य इस संबंध में अपना निर्णय ले सकते हैं।

सरकार ने पॉलिसी में बदलाव क्यों किया

साल 2010-11 से 8वीं क्लास तक परीक्षा में फेल होने के प्रावधान पर रोक लगा दी गई थी। मतलब यह कि बच्चों के फेल होने के बावजूद अगली क्लास में प्रमोट कर दिया जाता था, लेकिन इससे देखा गया कि शिक्षा के लेवल में धीरे धीरे गिरावट आने लगी। जिसका असर 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं पर पड़ने लगा। काफी लंबे समय से इस मामले पर विचार-विमर्श के बाद नियमों में बदलाव कर दिया गया।

नॉ डिटेंशन पॉलिसी क्यों लागू की गई

नो डिटेंशन पॉलिसी राइट टू एजुकेशन 2009 का हिस्सा थी। ये सरकार की पहल थी जिससे भारत में शिक्षा की स्थिती में सुधार हो सके। इसका उद्देश्य था कि बच्चों को शिक्षा के लिए बेहतर माहौल दिया जा सके ताकि वो स्कूल आते रहें। फेल होने से स्टूडेंट्स की आत्मसम्मान को ठेस पहुंच सकती हैं। साथ ही फेल होने से बच्चे शर्म भी महसूस करते हैं जिससे पढ़ाई में वो पिछड़ सकते हैं। इसलिए नो डिटेंशन पॉलिसी लाई गई जिसमें 8वीं तक के बच्चों को फेल नहीं किया जाता।

2018 में लोकसभा में बिल पास हुआ था जुलाई 2018 में

लोकसभा में राइट टु एजुकेशन को संशोधित करने के लिए बिल पेश किया गया था। इसमें स्कूलों में लागू ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म करने की बात थी। इसके अनुसार 5वीं और 8वीं क्लास के स्टूडेंट्स के लिए रेगुलर एग्जाम्स की मांग की गई थी। इसी के साथ फेल होने वाले स्टूडेंट्स के लिए दो महीने के अंदर री-एग्जाम कराने की भी बात थी।

2019 में ये बिल राज्य सभा में पास हुआ। इसके बाद राज्य सरकारों को ये हक था कि वो ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ हटा सकते हैं या लागू रख सकते हैं। यानी राज्य सरकार ये फैसला ले सकती थीं कि 5वीं और 8वीं में फेल होने पर छात्रों को प्रमोट किया जाए या क्लास रिपीट करवाई जाए।

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भारत का हरित क्षेत्र 25.17% तक बढ़ा, पर्यावरण पर सकारात्मक असर : सरकारी रिपोर्ट

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नई दिल्ली,एजेंसी। भारत का कुल वन और वृक्षावरण 1,445 वर्ग किलोमीटर बढ़कर अब 827,357 वर्ग किलोमीटर हो गया है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17% है। यह जानकारी सरकार द्वारा शनिवार को जारी किए गए नवीनतम राज्य वन रिपोर्ट में दी गई है। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि जहां वनावरण में बढ़ोतरी हो रही है। वहीं प्राकृतिक जंगलों का क्षरण भी हो रहा है।

भारत के वनावरण में बढ़ोतरी

भारत का वनावरण 25.17% तक बढ़ चुका है, लेकिन इस वृद्धि का अधिकांश हिस्सा (149.13 वर्ग किलोमीटर में से 156.41 वर्ग किलोमीटर) वृक्षारोपण और कृषि वानिकी के माध्यम से हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दशक में 92,000 वर्ग किलोमीटर प्राकृतिक जंगलों का क्षरण हुआ है, जिससे घने जंगल खुले जंगलों में बदल गए हैं। यह भारतीय वन संसाधनों की गुणवत्ता के लिए चिंता का विषय है।

कार्बन अवशोषण में वृद्धि

पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने रिपोर्ट के विमोचन के दौरान कहा कि भारत ने कार्बन अवशोषण में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। 149.42 मिलियन टन CO2 के बराबर कार्बन स्टॉक में वृद्धि दर्ज की गई है और अब भारत का कुल कार्बन स्टॉक 30.43 बिलियन टन CO2 के बराबर हो गया है। यह वृद्धि भारत को 2030 तक पेरिस समझौते के तहत अपने कार्बन अवशोषण के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी।

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