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कोरबा

हरीश दुहन एसईसीएल के नए सीएमडी

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कोरबा। लोक उद्यम चयन बोर्ड (पीईएसबी), भारत सरकार द्वारा एसईसीएल के नये चेयरमेन कम मैनेजिंग डायरेक्टर (सीएमडी) हेतु हरीश दुहन के नाम की अनुशंसा की गयी है। श्री दुहन वर्तमान में कोलइण्डिया की अनुषंगी कम्पनी सेन्ट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड में निदेशक तकनीकी के पद पर कार्यरत हैं। श्री दुहन को माईनिंग क्षेत्र में 34 वर्षों से अधिक का समृद्ध अनुभव है जिसमें फर्स्ट माईल कनेक्टिविटी परियोजनाओं के कार्यान्वयन, डिजिटाईजेशन तथा सौर परियोजनाओं के विकास का अनुभव शामिल है। श्री दुहन ने नागपुर विश्वविद्यालय से माईनिंग में स्नातक उपाधि अर्जित की तथा उन्होंने वर्ष 1989 में वेस्टर्न कोलफील्ड्स से कोलइण्डिया में अपनी सेवा की शुरूआत की। उन्होंने फर्स्ट क्लास माईन मैनेजर सर्टिफिकेट तथा प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा की उपाधि भी अर्जित की है। श्री दुहन कोलइण्डिया की अनुषंगी कम्पनी नार्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के निगाही परियोजना के एरिया जनरल मैनेजर तथा कारपोरेट प्रोजेक्ट प्लानिंग विभाग के महाप्रबंधक के रूप में भी अपनी सेवाएँ दे चुके हैं। श्री दुहन के एसईसीएल के सीएमडी के पद पर चयनित होने पर एसईसीएल शीर्ष प्रबंधन सहित अधिकारियों-कर्मचारियों ने बधाई दी है ।

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कोरबा

पर्यावरण संरक्षण गतिविधि कोरबा द्वारा वृक्षारोपण

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कोरबा . 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण गतिविधि कोरबा द्वारा पोड़ीबहार तालाब, किन्नर समाज कब्रिस्तान मुडापार और तक्षशिला बौद्ध विहार कोरबा के पास वृहत वृक्षारोपण किया गया. कोरबा जिला संयोजक कैप्टन मुकेश अधलखा द्वारा पेड़ों का जीवन मे महत्व की जानकारी दी गयी.
इसलिए अवसर पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के विभाग सह संयोजक शैलेन्द्र नामदेव, भारत स्काउट गाइड कोरबा के कार्यकर्त्ता, किन्नर समाज के मालती एवं अन्य सदस्य, बसंत वैष्णव, श्रीमती अधलखा, शारदा नामदेव एवं कार्यकर्त्ता उपस्थित रहे.

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कोरबा

श्रद्धा जायसवाल मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव, शिक्षाश्री अलंकरण सम्मान से सम्मानित

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पाली. कस्तूरबा गांधी आदर्श आवासीय विद्यालय मुनगाडीह की अधीक्षिका श्रीमती श्रद्धा जायसवाल को मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण सम्मान से नवाजा गया है.


श्रीमती जायसवाल बिलासपुर संभाग से उक्त सम्मान प्राप्त करने वाली चयनित एकमात्र शिक्षिका है. शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए इन्हें पुरस्कृत और सम्मानित किया गया है. संयुक्त संचालक,शिक्षा संभाग बिलासपुर के द्वारा मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण शिक्षाश्री पुरस्कार समारोह का आयोजन किया गया.जिसमे श्रीमती जायसवाल को संभाग स्तर पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है. संभाग स्तर पर कोरबा जिले से पाली ब्लॉक से चयन होना पूरे पाली ब्लॉक ही नही वरन जिले के लिए गौरव का क्षण है. हालांकि य़ह पहला अवसर नही है जब मुनगाडीह कस्तूरबा विद्यालय अथवा इसकी अधीक्षिका श्रद्धा जायसवाल को कोई अलंकरण ,सम्मान या पुरस्कार प्राप्त हुआ है. संस्था बेहतर अनुशासन, सुविधा, विद्याध्यापन,खेल कूद, साँस्कृतिक गतिविधियों सहित विविध आयोजन मे बालिकाओं के सर्वांगीण विकास के लिए पृथक पहचान रखता है. यही कारण है कि इस संस्था मे प्रवेश के लिए क्षेत्र की बालिका और अभिभावक पहली प्राथमिकता देते हैं. य़ह सब अधीक्षिका श्रीमती श्रद्धा जायसवाल के कुशल मार्गदर्शन तथा उनके सहयोगी स्टाफ की कड़ी मेहनत का परिणाम है

.शिक्षा विभाग की ओर से मुख्यमंत्री गौरव शिक्षा श्री का सम्मान बिलासपुर संभाग से जिला कोरबा के विकास खंड पाली की व्याख्याता (कस्तुरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय की अधीक्षिका) श्रीमति श्रद्धा जायसवाल को बालिका शिक्षा के लिए संभाग स्तर पर प्रथम स्थान के लिए चयन से विकास खंड पाली एक बार फिर गौरवांवित हुआ है. इस संभाग स्तरीय मुख्यमंत्री गौरव अलंकरण शिक्षा श्री सम्मान समारोह कार्यक्रम मे बिलासपुर महापौर, संभागीय आयुक्त, संयुक्त संचालक, माध्यमिक शिक्षा मंडल के सदस्य, जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर,व जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा की उपस्थिति में मुख्यमंत्री गौरव अलंकरण समारोह का आयोजन किया गया था. पाली ब्लॉक शिक्षा अधिकारी-कर्मचारियों, शिक्षक शिक्षिकाओ शिक्षा विभाग परिवार ने श्रीमती जायसवाल को उक्त सम्मान के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी है .

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कोरबा

ये वादियां… ये फि.ज़ाएं… ये सदाएं… बुला रही हैं तुम्हें…

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चैतुरगढ के शंकर खोला को पर्यटन विकास की दरकार

कोरबा/पाली (कमल वैष्णव) . कोरबा जिले का बारहमासी, सदाबहार धार्मिक पर्यटन स्थल चैतुरगढ किसी परिचय का मोहताज नही है, किन्तु यही स्थित शंकर खोला आज भी उपेक्षित है. जहां पर्यटन की संभावना है जिसे विकसित कर सुविधा बढ़ाने की आवश्यकता है.


छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में मैकाल पर्वत श्रृंखला की एक ऊंची चोटी पर चैतुरगढ और इसका अभेद किला स्थित है. यह मंदिर प्राचीन कल्चुरी शासकों ने 14वीं शताब्दी में बनवाया था. मंदिर के गर्भगृह में 12 भुजाओं वाली मां महिषासुर मर्दिनी की मूर्ति स्थापित है.चैतुरगढ़ माता महिषासुर मर्दिनी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है. इसकी ऐतिहासिक महत्ता है जो क्षेत्र की आस्था से भी जुड़ा है.चैतुरगढ़ की पहाड़ियों को उनकी प्राकृतिक सुंदरता और रोमांचकारी अनुभवों के लिए जाना जाता है. इसे छत्तीसगढ़ का कश्मीर भी कहा जाता है क्योंकि यहां गर्मी के मौसम में भी तापमान सामान्य से न्यूनतम होता है.यह छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों में से एक है. पिछले कुछ वर्षो में कई विकास कार्य हुए हैं. सबसे अच्छी बात पहाड़ी पर स्थित होने के बाद सरल सुगम पहुँच मार्ग सहित पर्यटन सुविधा के कार्य भी हुए हैं.

इसी चैतुरगढ़ किले मे मन्दिर से 3 किमी दूर दूसरे छोर पर स्थित प्रसिद्ध प्राचीन मान्यताओं से जुड़ी ’शंकर गुफा’ भी है. जहां दूर दूर से भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर दर्शन के लिए पहुंचते हैं.यह जगह एकांत और मन की शांति के लिए अपने आप में बहुचर्चित और प्रसिद्ध है. भक्त इस जगह को लेकर एकदम शांत माहौल शुद्ध वातावरण की वजह से एकमात्र स्थान भी मानते हैं.लेकिन इतनी प्रसिद्धि के बाद भी शंकर गुफा का रास्ता अपने भक्तों के सुगमता के लिए आज भी तरस रहा है.शासन प्रशासन की अनदेखी की वजह से पहुँच मार्ग नहीं बन पाया है. शंकर खोला पॉइंट से नीचे गुफा जाने तक का पैदल रास्ता है, जो दुर्गम और खतरनाक है.आज तक इस रास्ते में पक्की सीढ़ी व रेलिंग की निर्माण नहीं हो सका है. इसी कारण से माता के दर्शन और आसपास घूमने तीर्थाटन करने के बाद भक्त और यात्री चैतुरगढ के पूरे किले, ऐतिहासिक और पुरातत्वविक धरोहरो का पूरा दीदार नही कर पाते हैं और वापस चले जाते हैं. जबकि जैव विविधता,वन्य जीवों,प्राकृतिक सुन्दरता से य़ह स्थल ओतप्रोत है.किले के चारो ओर वाचिग टावर से प्रकृत्ति से रूबरू होना रोमांचित कर देता है. जंगल के सन्नाटे के बीच जल प्रपात के शोर जैसी कई अन्य खूबसूरती का अनुभव नही उठा पाते है.चैतुरगढ के पूरे किले की परिक्रमा,चारो प्रवेश द्वार, वाचिंग टावरो को जोड़ने एक सुगम सड़क बनाने की आवश्यकता है.मन्दिर से शंकर खोला स्थल तक पहुँच मार्ग तथा यहां आवागमन के लिए बैट्री चलित वाहन सुविधा हो जाए तो यह सोने पे सुहागा होगा और इससे शंकर गुफा जाने वाले भक्तों की संख्या भी बढ़ जाएगी.

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