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ISRO ने अध्ययन के लिए Proba – 3 उपग्रहों को सूर्य की और भेजा, अंतरिक्ष में एक और मील का पत्थर

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अमरावती,एजेंसी।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने विश्वसनीय रॉकेट, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV), के माध्यम से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के दो उपग्रहों – प्रोबा-3 को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा। यह प्रक्षेपण 5 दिसंबर 2024 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से हुआ। प्रक्षेपण के एक दिन पहले, 4 दिसंबर को उपग्रहों में कुछ “विसंगतियाँ” पाई गई थीं, जिसके कारण प्रक्षेपण को स्थगित करना पड़ा था। हालांकि, सभी समस्याओं का समाधान करके 5 दिसंबर को इसे पुनः सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। 

प्रोबा-3 मिशन का मुख्य उद्देश्य सूर्य के बाहरी वातावरण (कोरोना) का अध्ययन करना और उन्नत गठन-उड़ान तकनीकों का परीक्षण करना है। यह मिशन सूर्य ग्रहण के दौरान उत्पन्न होने वाले प्रभावों का अनुकरण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, और इसमें दो उपग्रहों को अत्यधिक सटीकता से एक दूसरे के पास उड़ने के लिए तैयार किया गया है। इन उपग्रहों में से एक कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट (CSC) और दूसरा ऑकुल्टर स्पेसक्राफ्ट (OSC) है। इन दोनों उपग्रहों का उद्देश्य सूर्य के कोरोनाग्राफ का अध्ययन करना है, और वे एक साथ बहुत करीबी और सटीक उड़ान भरते हुए सूर्य के बाहरी वातावरण का निरीक्षण करेंगे। 

प्रोबा-3 मिशन की विशेषताएँ
– गठन-उड़ान तकनीक: प्रोबा-3 मिशन में दो उपग्रहों को एक सटीक गठन में उड़ाने का काम किया गया है। ये दोनों उपग्रह एक दूसरे से कुछ दूरी पर उड़ेंगे और एक कठोर संरचना की तरह दिखेंगे, जैसे कि एक अकेला उपग्रह। यह तकनीक पहले कभी नहीं देखी गई है और पूरी दुनिया में इसे सबसे पहले ESA द्वारा किया जा रहा है। 
– सूर्य ग्रहण का अनुकरण: इन उपग्रहों की उड़ान ऐसी होगी कि एक उपग्रह दूसरे के पीछे आकर सूर्य के कुछ हिस्से को ढकने का काम करेगा, जिससे सूर्य ग्रहण का सटीक अनुकरण हो सके।
– मिनी-उपग्रह: मिशन में शामिल दोनों उपग्रह मिनी-उपग्रह हैं और इनका कुल वजन 545 किलोग्राम है। इन उपग्रहों का उद्देश्य उन्नत तकनीकों का प्रदर्शन करना और सूर्य के कोरोनाग्राफ का निरीक्षण करना है।

PSLV रॉकेट और लॉन्च विवरण
यह मिशन ISRO की वाणिज्यिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) द्वारा एक समर्पित वाणिज्यिक प्रक्षेपण के तहत किया गया। 
– रॉकेट: पीएसएलवी (Polar Satellite Launch Vehicle) रॉकेट, जिसका वजन उड़ान के समय 320 टन था, ने दोनों उपग्रहों को अपनी 61वीं उड़ान में अंतरिक्ष में भेजा।
– उड़ान विवरण: लॉन्च के करीब 18 मिनट बाद, उपग्रहों को पृथ्वी से लगभग 600 किमी की ऊँचाई पर तैनात किया गया। यह पीएसएलवी रॉकेट द्वारा किए गए एक और महत्वपूर्ण मिशन को दर्शाता है।

प्रोबा-3 मिशन की तकनीकी सफलता
यह मिशन ESA का पहला सटीक गठन-उड़ान (formation flying) मिशन है। इसके तहत दोनों उपग्रहों को एक साथ उड़ाया जाएगा, जो एक दूसरे के साथ अत्यधिक करीबी दूरी पर उड़ान भरेंगे। इस मिशन में उपग्रहों का रुख और पृथक्करण सटीक रूप से नियंत्रित किया जाएगा। इससे सूर्य के कोरोनाग्राफ का एक अद्वितीय अध्ययन किया जाएगा और नई तकनीकों का विकास किया जाएगा। इससे पहले, ESA ने 2001 में प्रोबा-1 मिशन लॉन्च किया था, जो पूरी तरह से सफल रहा और दो दशकों से अधिक समय तक काम करता रहा। यह मिशन अब तक एक मील का पत्थर माना जाता है, और प्रोबा-3 मिशन को इसी सफलता की कड़ी में देखा जा रहा है।

कैसा रहा इसमें भारत और यूरोप का सहयोग
यह इसरो और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के बीच बढ़ते सहयोग का एक और उदाहरण है। इस मिशन को भारतीय रॉकेट पर दूसरा ESA उपग्रह प्रक्षेपण माना जा रहा है। इससे पहले 2001 में प्रोबा-1 मिशन भी ISRO के पीएसएलवी रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया था। प्रोबा-1 की सफलता ने ESA और ISRO के बीच मजबूत साझेदारी को दर्शाया था, और अब प्रोबा-3 उसी सफलता को आगे बढ़ा रहा है।

न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) की भूमिका
NSIL ने इस मिशन के लिए प्रक्षेपण सेवा प्रदान की। NSIL ISRO की वाणिज्यिक शाखा है, जो अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय ग्राहकों के लिए वाणिज्यिक उपग्रह प्रक्षेपण सेवाएँ प्रदान करती है। यह भारतीय अंतरिक्ष उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस प्रक्षेपण ने भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक सफलता दिलाई है। प्रोबा-3 मिशन ने न केवल सूर्य के कोरोनाग्राफ का अध्ययन करने का एक नया तरीका प्रस्तुत किया, बल्कि इसने ISRO की क्षमताओं और इसके वाणिज्यिक मिशनों की सफलता को भी साबित किया। यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को और भी ऊँचाइयों पर ले जाएगा और वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में भारत की भूमिका को मजबूती से स्थापित करेगा।

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भारत का हरित क्षेत्र 25.17% तक बढ़ा, पर्यावरण पर सकारात्मक असर : सरकारी रिपोर्ट

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नई दिल्ली,एजेंसी। भारत का कुल वन और वृक्षावरण 1,445 वर्ग किलोमीटर बढ़कर अब 827,357 वर्ग किलोमीटर हो गया है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17% है। यह जानकारी सरकार द्वारा शनिवार को जारी किए गए नवीनतम राज्य वन रिपोर्ट में दी गई है। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि जहां वनावरण में बढ़ोतरी हो रही है। वहीं प्राकृतिक जंगलों का क्षरण भी हो रहा है।

भारत के वनावरण में बढ़ोतरी

भारत का वनावरण 25.17% तक बढ़ चुका है, लेकिन इस वृद्धि का अधिकांश हिस्सा (149.13 वर्ग किलोमीटर में से 156.41 वर्ग किलोमीटर) वृक्षारोपण और कृषि वानिकी के माध्यम से हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दशक में 92,000 वर्ग किलोमीटर प्राकृतिक जंगलों का क्षरण हुआ है, जिससे घने जंगल खुले जंगलों में बदल गए हैं। यह भारतीय वन संसाधनों की गुणवत्ता के लिए चिंता का विषय है।

कार्बन अवशोषण में वृद्धि

पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने रिपोर्ट के विमोचन के दौरान कहा कि भारत ने कार्बन अवशोषण में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। 149.42 मिलियन टन CO2 के बराबर कार्बन स्टॉक में वृद्धि दर्ज की गई है और अब भारत का कुल कार्बन स्टॉक 30.43 बिलियन टन CO2 के बराबर हो गया है। यह वृद्धि भारत को 2030 तक पेरिस समझौते के तहत अपने कार्बन अवशोषण के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी।

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PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च सम्मान:ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर पाने वाले पहले भारतीय PM; अब तक 20 देश कर चुके सम्मानित

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कुवैत सिटी ,एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुवैत दौरे के दूसरे दिन सर्वोच्च सम्मान ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर से सम्मानित किया गया है। उन्हें ये सम्मान कुवैत के अमीर शेख मिशाल ​​​​​​अल-अहमद अल-जबर अल-सबा ने दिया। ये सम्मान पाने वाले मोदी पहले भारतीय PM हैं। मोदी को किसी देश से मिलने वाला ये 20वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है।

ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर कुवैत का एक नाइटहुड ऑर्डर है। यह अवॉर्ड दोस्ती की निशानी के तौर पर राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शासकों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है। इससे पहले यह पुरस्कार बिल क्लिंटन, प्रिंस चार्ल्स और जॉर्ज बुश जैसे विदेशी नेताओं को दिया जा चुका है।

वहीं, अमीर शेख मिशाल के साथ हुई बातचीत को लेकर पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। पीएम ने लिखा-

कुवैत के अमीर के साथ शानदार मुलाकात हुई। हमने फार्मास्यूटिकल्स, आईटी, फिनटेक, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सिक्योरिटी जैसे मुद्दों पर चर्चा की। हमने अपनी पार्टनरशिप को स्ट्रैटजिक लेवल तक बढ़ाया है और मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में हमारी दोस्ती और भी मजबूत होगी।

इससे पहले PM मोदी का अमीर के महल बायन पैलेस में स्वागत किया गया, जहां उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया। PM मोदी शनिवार को दो दिन के कुवैत दौरे पर पहुंचे थे।

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खड़गे बोले- चुनाव नियम बदलना सरकार की सोची-समझी साजिश:यह EC की आजादी पर हमला; केंद्र ने कहा था- पोलिंग बूथ के फुटेज सार्वजनिक नहीं होंगे

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नई दिल्ली,एजेंसी। वोटिंग नियमों में बदलाव को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार ने चुनाव आयोग (ECI) की स्वतंत्रता पर हमला किया है।

रविवार सुबह X पर पोस्ट में उन्होंने कहा- पहले मोदी सरकार ने CJI को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाले पैनल से हटा दिया था और अब वे चुनावी जानकारी को जनता से छिपाना चाह रहे हैं। यह सरकार की सोची-समझी साजिश है।

जब भी कांग्रेस ने इलेक्शन कमीशन को वोटर लिस्ट से नाम हटाए जाने और EVM में ट्रांसपेरेंसी के बारे में लिखा, तो ECI ने अपमानजनक लहजे में जवाब दिया और हमारी शिकायतों को भी स्वीकार नहीं किया।

दरअसल, केंद्र सरकार ने 20 दिसंबर को पोलिंग स्टेशन के CCTV, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट्स को पब्लिक करने से रोकने के लिए चुनाव नियमों में बदलाव किया था।

अधिकारियों ने बताया कि AI के इस्तेमाल से पोलिंग स्टेशन के CCTV फुटेज से छेड़छाड़ करके फेक नैरेटिव फैलाया जा सकता है। बदलाव के बाद भी ये कैंडिडेट्स के लिए उपलब्ध रहेंगे। अन्य लोग इसे लेने के लिए कोर्ट जा सकते हैं।

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