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कोरबा

न्यायाधीश ने आदिवासियों से कहा-नशा छोड़ें, नशे से परिवार तबाह हो जाता है

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विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर विधिक जागरूकता कार्यक्रम

कोरबा। दिनांक 09 अगस्त 2024 को विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर पोस्ट मैट्रिक छात्रावास बालक बुधवारी बाजार कोरबा में आदिवासी बालकों को जनोपयोगी कानूनी जानकारी प्रदान किये जाने के संबंध में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। उक्त अवसर पर सत्येन्द्र कुमार साहू- प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि आज आदिवासी समाज का बच्चा या सदस्य को एक अच्छा अवसर मिलता है, तो अच्छा काम करके दिखा सकते हैं। आज एक आदिवासी समाज का सदस्य राष्ट्रपति एवं मुख्यमंत्री है, जो देश एवं राज्य को आज संभाल रहे हैं। आप सोच सकते हंै कि आप क्या कर सकते हैं। ये सभी कानूनी दायरे में काम करते हुये किया जा सकता है। अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की जानकारी देते हुये कहा गया कि किसी अप्रिय घटना के कारण अनुसूचित जनजाति के लोगों के विरूद्ध अत्याचार हो जाता है, तो इस घटना के फलस्वरूप किसी को क्षति पहुंचती है, तो उसकी क्षतिपूर्ति के लिये दावा करना चाहिये, जिससे पीडि़त को मुआवजा मिलेगा। मोबाईल का सद्पयोग करें, मोबाईल के माध्यम से कोई गलत मैसेज चले गये हैं, तो उसे निश्चित ही सजा मिलेगी। अपराध नहीं करना है, अपराध से दूर रहना है। आदिवासी समाज में ज्यादातर लोग शराब का सेवन करते है, शराब के कारण न्यायालय में बहुत से प्रकरण चल रहे हैं। शराब के सेवन से छोटे-छोटे मामलें में व्यक्ति अपना संतुलन खो देता है और गंभीर अपराध कर देता है। इससे हमें दूर रहना चाहिये। ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर देखा गया है कि लोक लुभावन विज्ञापन आता है, जैसे कि एक हजार जमा करो और छह माह में पचास हजार ले लो। ऐसे विज्ञापन से हमें दूर रहना चाहिये। हमें बैंक बीमा इतना पैसा नहीं दे सकता है तो अगली कंपनी कैसे देगी। इसमें अपने दिमाग का इस्तेमाल कीजिये और ऐसे विज्ञापन से बचें। कोई कंपनी आपको कम मेहनत वाले काम के बदले बहुत अधिक पैसा दे रहा है तो निश्चित ही रूप से वे आगे आपको गैर कानूनी कार्य करा सकती है। आप कहीं काम करने जायें तो स्पष्ट रूप से पूछें कि आपको क्या काम करना है। जिससे आप भविष्य में होने वाले अपराध से बच जायेगें। खेल का नियम हमें आनंद देता है। हर चीज के लिये नियम बना होता है, जो नियम को तोड़ता है उसके लिए सजा का प्रावधान है। जो सिस्टम बना है उसे संरक्षित रखने का प्रयास करना चाहिये। आपको बताये गये कानूनी जागरूकता का उपयोग अपने दैनिक जीवन में करेंं। आपमें अभी आगे बढऩे की असीम संभावना है। आप आगे चलकर बड़े आदमी, डॉक्टर, इंजीनियर, बड़े किसान बन सकते हंै। अपना समय का सदुपोग करें और कानून को समझें और अच्छे से रहें।
कृष्ण कुमार सूर्यवंशी, द्वितीय जिला अपर सत्र न्यायाधीश, कोरबा के द्वारा बताया गया कि मोटर दुर्घटना दावा अधिनियम की जानकारी देते हुये कहा गया कि बिना लायसेंस, वाहन के बीमा, वाहन का आर.सी. बुक के साथ ही वाहन का संचालन किया जावे। बीमा समय पर कराया जाना अति आवश्यक है। समय की चूक के गंभीर परिणाम हो जाते हैं। जब कोई दुर्घटना घटित होती है तो एफ.आई.आर. में दिनांक एवं समय को लिखा जाता है। वाहन का बीमा नहीं होने से संपूर्ण मुआवजा का खर्च वाहन मालिक को देना पड़ता है। बच्चों को मोबाईल का सीमित उपयोग किये जाने का सलाह देते हुये कहा कि स्मार्ट मोबाईल का सदुपयोग किया जावे। बिना पढ़े कोई भी मैसेज फारवर्ड न करें। गलत मैसेज फारवर्ड करने पर साइबर कानून के तहत् अपराधिक मामला पंजीबद्ध किया जा सकता है। नशा करना, नशा का पदार्थ रखना सभी अपराध की श्रेणी में आता है।

कु. डिम्पल, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा समाज के कमजोर वर्ग के लोग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला, बच्चे, विकलांग, अभिरक्षाधीन बंदी एवं अन्य व्यक्ति जिनकी आय डेढ़ लाख रूपये से कम है, उन्हें नि:शुल्क विधिक सहायता प्रदान की जाती है। न्यायालय के आपरधिक मामलों के लिये लीगल एड डिफेंस कौंसिल, अनुभवी पैनल अधिवक्ता का पैनल नि:शुल्क विधिक सहायता के लिये बना है, जो आपको प्रकरण न्यायालय में नि:शुल्क लड़ते हैं।

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कोरबा

आदिवासी कोरवा परिवार के तीन सदस्यों की जघन्य हत्या करने वाले आरोपियों की सजा उम्रकैद में बदली

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कोरबा/बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सामुहिक कुकर्म और तीन हत्या के मामले में पांच दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने माना है कि यह केस समाज को झकझोरने वाला है। फिर भी तथ्यों और परिस्थितियों में आरोपियों को मृत्युदंड की कठोर सजा देना उचित नहीं है, क्योंकि यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर का मामला नहीं है, जिसमें मृत्युदंड की कठोर सजा की पुष्टि की जानी चाहिए।

यह मामला जनवरी 2021 का है, जब कोरबा जिले में एक 16 साल की पहाड़ी कोरवा जाति की लड़की के साथ सामुहिक कुकर्म के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। साथ ही उसके पिता और एक चार साल की बच्ची को भी बेरहमी से मार दिया गया था। हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि आरोपियों की आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं होने और उनकी उम्र को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।

दरअसल, कोरबा जिले के देवपहरी निवासी विशेष जनजाति समुदाय के परिवार के सदस्य सतरेंगा के संतराम मंझवार के मवेशियों को चराने का काम करता था। इसके एवज में 8000 रुपए सालाना और हर महीने 10 किलो चावल देने की बात कही थी। लेकिन, संतराम मंझवार ने साल भर से बकाया भुगतान नहीं किया और मवेशी चराने के लिए केवल 600 रुपए और प्रति माह केवल 10 किलो चावल दिया। बाकी पैसे मांगने पर संतराम मंझवार टालमटोल करता रहा।

हाईकोर्ट ने इस केस को रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस नहीं माना

हाईकोर्ट ने इस केस को रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस नहीं माना

पति और बच्चियों को ढूंढती रही पत्नी

धरमू की पत्नी ने पुलिस को बताया कि वो अपने पति और बच्ची के साथ मवेशी चराने का हिसाब-किताब करने संतराम के पास गई थी। इस दौरान कहा था कि हमारा पैसा दे दो फिर हम अपने घर चले जाएंगे, तब संतराम ने उसे 600 रुपए नकद, अनाज दे दिया। जिसके बाद धरमू अपने गांव जाने के लिए ग्राम सतरेंगा के बस स्टैंड निकल गया।

कुछ देर बाद संतराम अपने साथियों के साथ आया। सभी को बाइक से घर छोड़ने की बात कही। पत्नी को एक बाइक से आगे भेज दिया। उसके पति, नाबालिग बेटी और नातिन को रोक लिया। इसके बाद जब तीनों घर नहीं पहुंचे, तब धरमू की पत्नी तीनों की तलाश करते हुए संतराम के घर भी गई थी। लेकिन उनकी कोई जानकारी नहीं मिली। उसने थाने में शिकायत की। उसकी शिकायत पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी।

जंगल में मिली परिवार के तीन सदस्यों की लाश

इस घटना के दूसरे दिन 29 जनवरी 2021 को गढ़-उपोड़ा के कोराई जंगल में तीनों की हत्या कर दी गई थी। मृतकों में देवपहरी गांव के धरमू उर्फ झकड़ी राम (45), उनकी बेटी (16) और नातिन सतमति (4) शामिल थे। 30 जनवरी को जंगल में तीनों का शव मिला था।

कोर्ट से सजा सुनाने के बाद आरोपियों को ले जाती हुई पुलिस।

कोर्ट से सजा सुनाने के बाद आरोपियों को ले जाती हुई पुलिस।

पिता के सामने लड़की से किया सामुहिक कुकर्म फिर तीनों को मार डाला

धरमू की पत्नी के बयान के आधार पर पुलिस ने संदेहियों को पकड़कर पूछताछ की, तब पता चला कि आरोपी संतराम और अन्य साथियों ने मिलकर धरमू को अपने साथ ले गए। जहां रास्ते में आरोपियों ने रास्ते में शराब पी। इस दौरान उन्होंने धरमू को भी शराब पिलाई। आरोपियों ने पहले तय साजिश के तहत मिलकर वारदात अंजाम दिया। पिता धरमू के सामने उसकी बेटी से सामुहिक कुकर्म किया, जिसका उसने विरोध किया तो लाठी-डंडे से पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी, जिसके बाद उसकी बेटी और चार साल की नातिन को भी मार डाला।

जिला न्यायालय ने सुनाई थी फांसी की सजा

जांच के बाद पुलिस ने सतरेंगा निवासी संतराम मंझवार (45), अनिल कुमार सारथी (20), आनंद दास (26), परदेशी दास (35) और जब्बार उर्फ विक्की (21) के साथ ही उमाशंकर यादव (22) को गैंगरेप और हत्या के केस में गिरफ्तार किया। पुलिस ने जांच पूरी कर सभी आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया।

ट्रॉयल के बाद कोर्ट ने सभी को दोषी ठहराया। मामले की सुनवाई करते हुए जिला एवं अपर सत्र न्यायालय (पॉक्सो कोर्ट) की विशेष न्यायाधीश डॉ. ममता भोजवानी ने अपने फैसले में कहा, मानवीय और निर्दयतापूर्वक किया गया कृत्य वीभत्स, पाशविक और कायरतापूर्ण है। वासना को पूरा करने के लिए निर्दोष और कमजोर लोगों की हत्या की गई, जिससे पूरे समाज की सामूहिक चेतना को आघात पहुंचा है। इसलिए, चार आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई। जबकि, एक आरोपी उमाशंकर यादव को उम्रकैद की सजा दी।

कोर्ट ने 5 दोषियों को फांसी की सजा और एक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

कोर्ट ने 5 दोषियों को फांसी की सजा और एक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

हाईकोर्ट ने फांसी को आजीवन कारावास में बदला

फांसी की सजा की पुष्टि के लिए केस को हाईकोर्ट भेजा गया। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में हुई। सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने कहा कि हालांकि, यह पूरे समाज को झकझोरने वाला है, फिर भी, मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में, अपीलकर्ताओं की आयु को देखते हुए और विचारपूर्वक विचार करने पर, हमारा मानना है कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में मृत्युदंड की कठोर सजा उचित नहीं है।

यह ‘दुर्लभतम से दुर्लभतम मामला’ नहीं है, जिसमें मृत्युदंड की कठोर सजा की पुष्टि की जानी है। हमारे विचार में उम्रकैद की सजा पूरी तरह से पर्याप्त होगा और न्याय के उद्देश्यों को पूरा करेगा। जिस पर हाईकोर्ट ने मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। वहीं, आरोपी उमाशंकर यादव की उम्रकैद की सजा को यथावत रखते हुए उसकी अपील खारिज कर दी है।

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कोरबा

गेवरा खदान में इलेक्ट्रिशियन की मौत:कोरबा के खदान में मेंटेनेंस के दौरान 6.6 केवी लाइन से करंट लगा, मुआवजे की मांग

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कोरबा ,एजेंसी। कोरबा में गेवरा खदान में बुधवार दोपहर एक इलेक्ट्रिशियन की करंट लगने से मौत हो गई। घटना दोपहर 3:30 से 4:00 बजे के बीच की है। पीक्यू सर्किट के बैकअप क्षेत्र में मेंटेनेंस कार्य के दौरान यह हादसा हुआ।

नागार्जुन कंपनी के इलेक्ट्रिशियन हीरा और उनके सहयोगी विवेक पटेल 6.6 केवी लाइन में आई स्पार्किंग की समस्या को ठीक करने पहुंचे थे। काम करते समय हीरा अचानक करंट की चपेट में आ गए। साथी कर्मचारी उन्हें तुरंत नेहरू शताब्दी चिकित्सालय ले गए। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

दीपका थाना प्रभारी प्रेमचंद पटेल ने बताया कि पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है। घटना के बाद कर्मचारियों में आक्रोश है। वे खदान में सुरक्षा मानकों के पालन पर सवाल उठा रहे हैं।

प्रशासन जल्द ही घटना की जांच के आदेश दे सकता है। कर्मचारी मृतक के परिवार को उचित मुआवजा और सहायता की मांग कर रहे हैं।

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कोरबा

बालको सेक्टर-5 में संचालित स्कूल में अव्यवस्थाओं का आलम

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व्यवस्था सुधारने नेता प्रतिपक्ष साहू ने कलेक्टर को लिखा पत्र
कोरबा/बालकोनगर। एक तरफ युक्तियुक्तकरण सम्पन्न हो चुका है और प्रदेश भर के स्कूलों में 16 जून से विद्यालय प्रारंभ भी हो गया है और शाला प्रवेशोत्सव मनाया गया, लेकिन कई विद्यालयों में अव्यवस्था का आलम देखा गया। शिक्षा सत्र प्रारंभ होने के बाद भी कई विद्यालयों में न तो साफ-सफाई दिखी और न ही बच्चों पेयजल की व्यवस्था।
ऐसा ही एक मामला बालको सेक्टर-5 में संचालित शासकीय प्राथमिक शाला में देखने को मिला। अव्यवस्थाओं से घिरे इस विद्यालय का प्रवेशोत्सव में नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष कृपाराम साहू भी पहुंचे थे, जहां अव्यवस्था देखकर काफी खिन्न हुए।


उन्होंने तत्काल 16 जून को ही कलेक्टर को पत्र लिखा और ज्ञापन सौंपकर विद्यालय की अव्यवस्था को सुधारने की मांग की। उन्होंने सौंपे ज्ञापन में कहा है कि उक्त विद्यालय में 250 से अधिक बच्चें अध्यनरत हैं, जहां पर शासकीय योजना के तहत मध्यान्ह भोजन भी संचालित है, लेकिन वहां भोजन बनाने के लिए तथा बच्चों के पीने के लिए पानी तक नहीं हैं। आखिर स्कूल प्रबंधन अब तक क्या कर रहा है, जिसे विद्यालय के बच्चों की सुख-सुविधा की भी चिंता नही हैं, ऐसे में बच्चें कैसे पढ़ेंगे। पत्र में यह भी लिखा गया है कि विद्यालय में एक भृत्य भी नहीं हैं। खेलने का मैदान खेलने लायक भी नहीं बचा। श्री साहू ने कलेक्टर से निवेदन करते हुए कहा है कि आप स्वयं निरीक्षण करें और अव्यवस्थाओं को तत्काल सुधारने का निर्देश दें, ताकि बच्चे मन लगाकर पढ़ सकें।

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