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छत्तीसगढ़

अबूझमाड़ में ‘खुशहाली’ के लिए अंगारों पर चले ग्रामीण:जगदलपुर में जोड़ा होली; माड़पाल में 615 साल पुरानी परंपरा निभाई; जानिए बस्तर की अनूठी प्रथाएं

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जगदलपुर ,एजेंसी। छत्तीसगढ़ के बस्तर में होलिका दहन की अलग-अलग प्रथा चली आ रही है। अबूझमाड़ में होलिका दहन के बाद ग्रामीण आग पर चले। जगदलपुर में जोड़ा होली जलाई गई। जबकि माड़पाल में बस्तर राज परिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव ने होलिका दहन कर 615 साल पुरानी परंपरा निभाई। इधर, दंतेवाड़ा में ताड़ के पत्तों से होली जलाने रस्म अदा की गई।

  • अंगारों पर चलने की प्रथा

दंतेवाड़ा, नारायणपुर और बस्तर जिले की सरहद पर एरपुंड गांव बसा हुआ है। इस गांव की आबादी लगभग 500 से 600 की है। गांव के ग्रामीणों का मानना है कि यह अबूझमाड़ का प्रवेश द्वार है। इस गांव में सालों से होलिका दहन किया जा रहा है। खास बात है कि हर साल की तरह इस साल भी होलिका दहन के बाद पुजारी समेत गांव के ग्रामीण आग पर चले।

ग्रामीणों का मानना है कि ऐसा करने से ग्राम देवी-देवता प्रसन्न होंगे और क्षेत्र में खुशहाली होगी। देवी-देवताओं के छत्र और देव विग्रह को लेकर पहले पुजारी अंगार पर चले। उनके पीछे गांव के अन्य ग्रामीणों ने भी अंगार पर चलकर सालों पुरानी परंपरा निभाई गई।

5 से 6 पीढ़ियों से चली आ रही प्रथा- पुजारी

गांव के पुजारी केदार नाथ ने कहा कि, पिछले 5 से 6 पीढ़ियों से प्रथा चली आ रही है। मावली माता को पूजते हैं। माता के प्रति लोगों की अटूट श्रद्धा और विश्वास है। उनमें शक्ति इतनी है कि अंगार में चलने के बाद भी किसी भी ग्रामीण का पैर नहीं जलता है। गांव में खुशहाली हो, कोई कष्ट, कोई विपदा न आए इसलिए पीढ़ी दर पीढ़ी इस प्रथा को निभाते आ रहे हैं।

अंगार पर चलते ग्रामीण।

अंगार पर चलते ग्रामीण।

  • ताड़ के पत्तों से होलिका दहन की प्रथा

बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी के मंदिर में ताड़ के पत्तों से होलिका दहन किया गया है। यह रस्म भी सालों से चली आ रही है। लगभग 11 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध फागुन मड़ई के पहले दिन ही पूरे विधि-विधान से ताड़फलंगा की रस्म पूरी की गई थी।

दंतेश्वरी सरोवर में ताड़ के पत्तों को पहले धोया गया। फिर पूजा कर इन्हें रखा गया था। अब होलिका दहन के दिन इन्हीं पत्तों का दहन किया गया। इस दौरान कई क्षेत्रीय देवी-देवताओं के देव विग्रह भी मौजूद रहे। मंदिर के पुजारी रंग-भंग की परंपरा भी निभाई।

होलिका दहन के समय सैकड़ों लोग पहुंचे।

होलिका दहन के समय सैकड़ों लोग पहुंचे।

615 साल पुरानी होलिका दहन परंपरा

ऐसी मान्यता है कि सालों पहले बस्तर के महाराजा पुरुषोत्तम देव पुरी से रथपति की उपाधि लेकर बस्तर लौट रहे थे। इस दौरान फागुन पूर्णिमा के दिन उनका काफिला माड़पाल ग्राम पहुंचा था। तब उन्हें इस दिन के महत्व का एहसास हुआ कि फागुन पूर्णिमा है और आज के दिन पुरी में भगवान जगन्नाथ धाम में हर्षोल्लास के साथ राधा-कृष्ण के साथ होली खेलते हैं।

माड़पाल में होलिका दहन कर लगभग 615 साल पुरानी परंपरा निभाई गई।

माड़पाल में होलिका दहन कर लगभग 615 साल पुरानी परंपरा निभाई गई।

राजा ने माड़पाल में होली जलाकर उत्सव मनाया था। तब से यहां भी होलिका दहन करने की परंपरा है। बस्तर राज परिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव रथ पर सवार होकर माड़पाल पहुंचे। इलाके के ग्रामीणों ने रथ को खींचा। इसके बाद होलिका दहन कर लगभग 615 साल पुरानी परंपरा निभाई गई। माड़पाल में होलिका दहन उत्सव मनाया गया।

जगदलपुर में जोड़ा होली जलाई गई।

जगदलपुर में जोड़ा होली जलाई गई।

जगदलपुर में जोड़ा होलिका की परंपरा

जगदलपुर शहर में मां मावली मंदिर के सामने जोड़ा होली जलाई गई। इसका मतलब अलग-अलग दो होलिका दहन किया जाता है। इनका अपना एक अलग ही महत्व है। क्योंकि एक मावली माता को और दूसरी होलिका जगन्नाथ भगवान को समर्पित होती है। यह परंपरा भी सालों से चली आ रही है।

गीदम में 70 सालों से जल रही होली।

गीदम में 70 सालों से जल रही होली।

70 सालों से जला रहे होली

दंतेवाड़ा जिले के गीदम में पुराना बस स्टैंड में शिव मंदिर के ठीक सामने पिछले 70 सालों से होलिका दहन की जा रही है। इस होलिका दहन में शहर के हर वर्ग के लोग मौजूद रहे। होलिका दहन के बाद यहां फाग गीत गाया गया। साथ ही लोगों ने DJ की धुन में जमकर ठुमके लगाए।

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छत्तीसगढ़

CG के मंत्रियों ने किया योग : खेला बैडमिंटन, IIM रायपुर में मैनेजमेंट गुरुओं ने सिखाया जनता के लिए कैसे काम करें

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रायपुर ,एजेंसी। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने एक जैसी टी-शर्ट और लोवर पहनकर योग करते दिखाई दिए। खेल मंत्री टंक राम वर्मा बैडमिंटन खेलने दिखाई दिए। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय योगा टीचर के साथ पोज़ दे रहे थे। सोमवार की सुबह कुछ ऐसा ही अंदाज सभी नेताओं का दिखा रायपुर के आईआईएम में।

दरअसल रायपुर के इस मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में चिंतन शिविर का आयोजन किया गया है। यहां सरकार के मंत्री जनता से जुड़े कामकाज के गुर मैनेजमेंट एक्सपर्ट से सीख रहे हैं। सोमवार को चिंतन शिविर का अंतिम दिन था । दो दिन के लिए यह शिविर आयोजित किया गया था।

मुख्यमंत्री ने योग को स्वस्थ जीवनशैली का आधार बताते हुए कहा कि योग न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि मन को भी शांत करता है और हमें प्रकृति के अधिक समीप लाता है। यह योगाभ्यास न केवल एक प्रेरणादायक पहल थी, बल्कि प्रदेश में स्वास्थ्य एवं संतुलित जीवनशैली को प्रोत्साहित करने का भी सशक्त संदेश था।

मुख्यमंत्री साय के साथ इस योग सत्र में उपमुख्यमंत्री अरुण साव, वन मंत्री केदार कश्यप, उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन, कृषि मंत्री रामविचार नेताम, खाद्य मंत्री दयालदास बघेल, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा और आईआईएम रायपुर के निदेशक प्रो. रामकुमार काकानी भी शामिल हुए।

चिंतन शिविर में बोले मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि यह शिविर आत्मनिरीक्षण और ज्ञान के आदान-प्रदान का अनूठा अवसर है, जो छत्तीसगढ़ को सुशासन के नए आयामों तक ले जाएगा। उन्होंने पिछले चिंतन शिविर से प्राप्त सुझावों को लागू कर आम जनता के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की बात कही। साय ने बताया कि डेढ़ वर्षों में 350 से अधिक प्रशासनिक सुधार किए गए, जिनमें ई-ऑफिस प्रणाली ने फाइलों के मैनुअल ढेर को समाप्त कर जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित की है। अब फाइलें ऑनलाइन मूव होती हैं, और हर कार्य की समय-सीमा निर्धारित है, जिससे भ्रष्टाचार की गुंजाइश खत्म हुई है।

छत्तीसगढ़ के रजत जयंती वर्ष को अटल निर्माण वर्ष के रूप में मनाते हुए मुख्यमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि अटल जी के सुशासन के सिद्धांतों को धरातल पर उतारना इस वर्ष का मुख्य लक्ष्य है। डिजिटल गवर्नेंस को अपनाकर रजिस्ट्री प्रक्रिया को सरल बनाया गया है, जिसमें अब घर बैठे मिनटों में रजिस्ट्री और स्वतः नामांतरण हो रहा है। यह तकनीकी नवाचार भ्रष्टाचार को समाप्त करने की दिशा में क्रांतिकारी कदम है।

नई उद्योग नीति के तहत सिंगल विंडो सिस्टम 2.0 और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस ने निवेश को प्रोत्साहन दिया है। खनिज संसाधनों से समृद्ध छत्तीसगढ़ में कोर सेक्टर की अपार संभावनाओं को देखते हुए विशेष अनुदान की व्यवस्था की गई है। पर्यटन को उद्योग का दर्जा देकर और होम स्टे उद्यमियों के लिए अनुदान शुरू कर प्राकृतिक सौंदर्य को आर्थिक अवसरों में बदला जा रहा है। इसके अलावा, एआई और क्लाइमेट चेंज से जुड़े उद्यमों को प्रोत्साहन, नवा रायपुर में देश का पहला एआई डाटा सेंटर पार्क और सेमीकंडक्टर यूनिट का शुभारंभ छत्तीसगढ़ को तकनीकी क्रांति का अग्रदूत बना रहा है।

यह हुआ चिंतन शिविर में

शिविर के पहले दिन परिवर्तनकारी नेतृत्व और दूरदर्शी शासन’, ‘संस्कृति, सुशासन और राष्ट्र निर्माण’ और ‘सक्षमता से सततता तक: सार्वजनिक वित्त पर पुनर्विचार’ जैसे विषयों पर सत्र आयोजित किए गए। डॉ. विनय सहस्रबुद्धे, प्रो. हिमांशु राय, डॉ. रविंद्र ढोलकिया, संजीव सान्याल, उदय माहुरकर और डॉ. राजेंद्र प्रताप गुप्ता जैसे प्रख्यात विशेषज्ञ अपने विचार साझा किए।

मुख्यमंत्री ने बस्तर के विकास पर विशेष जोर देते हुए कहा कि माओवाद पर प्रभावी कार्रवाई ने क्षेत्र में शांति और प्रगति की राह खोली है। बस्तर ओलंपिक, बस्तर पंडुम और बस्तर डायलॉग जैसे आयोजनों ने युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ा है। हाल ही में बोधघाट परियोजना को मंजूरी मिलने से 7 लाख हेक्टेयर में सिंचाई और 125 मेगावाट बिजली उत्पादन संभव होगा, जिससे हजारों स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। नियद नेल्ला नार योजना से शासकीय योजनाओं का सेचुरेशन सुनिश्चित किया गया है।

सुशासन तिहार के तहत 41 लाख से अधिक आवेदनों में से 99 प्रतिशत का गुणवत्तापूर्ण निराकरण कर जनसमस्याओं का समाधान किया गया। समाधान शिविरों में जनता से सीधा संवाद और शासकीय योजनाओं का पात्र लोगों को लाभ मिला। मुख्यमंत्री, मंत्रिमंडल और जनप्रतिनिधियों ने गांव-गांव जाकर विकास कार्यों की स्थिति का जायजा लिया। साय ने कहा कि छोटे कस्बों में स्कूल, अस्पताल और मल्टीप्लेक्स जैसी सुविधाओं के लिए अनुदान की व्यवस्था से पलायन रुकेगा और आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। महतारी वंदन योजना और कृषक उन्नति योजना ने बड़े तबके की आर्थिक ताकत बढ़ाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प को आत्मसात करते हुए विजन डाक्यूमेंट 2047 तैयार किया गया है, जिसमें छत्तीसगढ़ के सर्वांगीण विकास का रोडमैप है।

मुख्यमंत्री ने गर्व के साथ उल्लेख किया कि जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर बने विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज में छत्तीसगढ़ का स्टील उपयोग हुआ है। उन्होंने सुशासन एवं अभिसरण विभाग और आईआईएम रायपुर को इस आयोजन के लिए बधाई दी और कहा कि चिंतन शिविर में प्राप्त सुझाव विकसित छत्तीसगढ़ की ठोस नींव रखेंगे।

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छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के 5 जिलों में फैला कोविड, टोटल केस 56

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एक्टिव 41, सबसे ज्यादा रायपुर में; पिछले 2 दिनों में 15 रिकवर भी हुए

रायपुर,एजेंसी। छत्तीसगढ़ में अब तक 56 कोविड के मरीज मिल चुके हैं। इनमें से 14 रिकवर हो चुके हैं। वहीं 41 अब भी एक्टिव हैं। पिछले 24 घंटे की बात करें कोविड के 3 नए मरीज मिले हैं। इनमें दो रायपुर और एक दुर्ग के हैं। इससे पहले शुक्रवार को रायपुर में कोविड के एक ही दिन में 11, बिलासपुर में 5 और बालोद में 1 कुल 17 मरीज मिले थे।

नया वैरिएंट आने के बाद से ये एक दिन में सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसके बाद पूरा प्रशासन हाई अलर्ट मोड पर आ गया था। पिछले 2 दिनों से शासकीय जिला अस्पतालों और दूसरे हेल्थ सेंटर्स में टेक्निकल और नॉन-टेक्निकल सभी तरह के स्टाफ की ट्रेनिंग चल रही है। सैंपल कलेक्शन से लेकर कोविड मरीज के इलाज तक की ट्रेनिंग स्टाफ को दी जा रही है।

साथ ही एमरजेंसी सिच्युएशन से निपटने के लिए मॉकड्रिल भी कराई गई है। हालांकि पिछले 48 घंटे में केवल 6 नए मरीज ही मिले हैं। इनमें तीन रायपुर और तीन दुर्ग के हैं। ओवर ऑल बात करें तो प्रदेश में अब तक इन दोनों जिलों के अलावा बिलासपुर, बालोद, बस्तर कुल पांच जिलों में कोविड के पेशेंट मिल चुके हैं।

जानिए अलग-अलग शहर के एक्टिव केस

41 एक्टिव केस हैं। 37 होम आइसोलेशन में हैं। 3 ऑक्सीजन सपोर्ट में हैं, वहीं 01 मरीज होम आइसोलेशन में हैं।

  • सबसे ज्यादा 21 एक्टिव केस रायपुर में है
  • बिलासपुर में 12
  • दुर्ग में 6
  • बालोद में 1
  • बस्तर में 1

फिलहाल स्वास्थ्य विभाग कोविड JN.1 को लेकर लाइट अलर्ट पर है। मेकाहारा के डॉ. आर के पांडा के मुताबिक, ज्यादातर मरीज होम क्वारैंटाइन में ही ठीक हो जा रहे हैं, लेकिन उन मरीजों को ज्यादा खतरा है, जिन्हें पहले से दूसरी या एक से ज्यादा बीमारियां हैं। खासकर डायबिटीज पेशेंट और चेन स्मोकर्स नए वैरिएंट के चपेट में जल्दी आ सकते हैं।

देशभर में कोविड से 51 मौतें

वहीं, अगर देशभर की बात करें तो 9 राज्यों को छोड़कर बाकी स्टेट्स में कोविड का नया वैरिएंट JN.1 फैल चुका है। अब तक 6 हजार 491 मरीज मिल चुके हैं, जबकि 65 मौतें हो चुकी हैं। वहीं 6 हजार 861 मरीज ठीक हो चुके हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि नया वैरिएंट पहले की तुलना में कम खतरनाक हैं, फैटेलिटी रेट सिर्फ 2% है।

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रायपुर : भटपल्ली में जल जीवन मिशन की मिसाल: हर घर तक पहुंचा नल से शुद्ध जल

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भटपल्ली में जल जीवन मिशन की मिसाल: हर घर तक पहुंचा नल से शुद्ध जल

रायपुर। बीजापुर जिले के भोपालपटनम विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत तिमेड़ का आश्रित ग्राम भटपल्ली जल जीवन मिशन के अंतर्गत एक प्रेरणादायक सफलता का प्रतीक बनकर उभरा है। यहां अब समूह जल प्रदाय योजना के तहत हर घर में नल से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति हो रही है, जिससे ग्रामीणों के जीवन में उल्लेखनीय बदलाव आया है।

पूर्व में गांव में पेयजल आपूर्ति के लिए केवल 15 हैंडपंप ही उपलब्ध थे, जिन पर पानी भरने के लिए ग्रामीणों को लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ता था। लेकिन अब जल जीवन मिशन के माध्यम से गांव के 81 परिवारों को घर-घर नल कनेक्शन के जरिये नियमित और स्वच्छ जल मिल रहा है।

विगत आयोजित ग्रामसभा में भटपल्ली को शत-प्रतिशत “हर घर जल” ग्राम घोषित किया गया। इस अवसर पर ग्राम सरपंच श्रीमती वासम लक्ष्मी, सचिव अल्लेम कृष्णाराव, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारी-कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित रहे।

जल जीवन मिशन के अंतर्गत ग्राम पंचायत को जल आपूर्ति व्यवस्था के संचालन, प्रबंधन और सतत निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इससे न केवल ग्रामीणों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ी है, बल्कि वे इसके संरक्षण में सक्रिय भागीदारी भी निभा रहे हैं।

भटपल्ली में यह पहल न केवल आधारभूत सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह ग्रामीण सहभागिता, सतत विकास और सामूहिक जिम्मेदारी की भावना का भी उत्तम उदाहरण है।

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