Connect with us

देश

मई 2025 में भारत का व्यापार घाटा घटकर 21.88 अरब डॉलर पर आया, निर्यात-आयात दोनों में गिरावट

Published

on

मुंबई, एजेंसी। भारत का माल व्यापार घाटा मई 2025 में घटकर 21.88 अरब डॉलर रह गया, जो अप्रैल 2025 में 26.42 अरब डॉलर और मई 2024 में 22.09 अरब डॉलर था। वाणिज्य मंत्रालय के अस्थायी आंकड़ों के अनुसार, मई में निर्यात 2.2% घटकर 38.73 अरब डॉलर और आयात 1.76% घटकर 60.61 अरब डॉलर रहा।

अप्रैल-मई में दिखा मिश्रित व्यापार रुझान

वित्त वर्ष 2025 की पहली दो महीनों (अप्रैल-मई) में कुल व्यापार में 5.75% की वृद्धि देखी गई। इस दौरान गैर-पेट्रोलियम माल निर्यात में 7.5% की बढ़ोतरी दर्ज हुई। खासकर इलेक्ट्रॉनिक सामान के निर्यात में 54% की जबरदस्त वृद्धि हुई है।

फार्मा, टेक्सटाइल और समुद्री उत्पाद जैसे क्षेत्रों में भी अच्छा प्रदर्शन देखने को मिला, जबकि पेट्रोलियम उत्पाद, रत्न-आभूषण और सूती धागे के निर्यात में गिरावट दर्ज की गई।

भारत की रणनीति: बड़े आयातक देशों और नए बाजारों पर फोकस

वाणिज्य सचिव सुनील बार्थवाल ने बताया कि भारत वैश्विक आयात के 75% हिस्से को कवर करने वाले 6 प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान दे रहा है। साथ ही, वैश्विक आयात का 65% से अधिक हिस्सा रखने वाले देशों पर फोकस किया जा रहा है। इसके अलावा, नए निर्यात बाजारों की तलाश भी की जा रही है। बार्थवाल ने कहा, “वैश्विक व्यापार में मौजूदा चुनौतीपूर्ण माहौल और WTO के पूर्वानुमानों के बावजूद भारत का प्रदर्शन औसत से बेहतर रहा है।”

कच्चे तेल की कीमतों और भू-राजनीतिक घटनाओं का असर

मंत्रालय के अनुसार, पेट्रोलियम कीमतों में उतार-चढ़ाव और भू-राजनीतिक तनाव के चलते कच्चे तेल से संबंधित आयात-निर्यात पर असर पड़ा है। अप्रैल-मई में रूस, इराक और सऊदी अरब से आयात घटा है, जबकि नीदरलैंड, सिंगापुर, यूके, सऊदी अरब और बांग्लादेश को निर्यात में कमी आई है।

व्यापार समझौतों का बढ़ता प्रभाव

प्राथमिक व्यापार समझौतों (Preferential Trade Agreements) के तहत प्रमाणपत्रों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। FY24 में जहां 6.84 लाख सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन जारी हुए थे, वहीं FY25 में यह बढ़कर 7.20 लाख हो गए। सिर्फ अप्रैल-मई 2025 में ही 1.32 लाख सर्टिफिकेट जारी किए गए, जो पिछले साल की समान अवधि में 1.20 लाख थे। 

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

देश

शेयर बाजार में गिरावट, सेंसेक्स 81,444 और निफ्टी 24,812 पर बंद

Published

on

मुंबई, एजेंसी। हफ्ते के तीसरे कारोबारी दिन बुधवार (18 जून) को भारतीय शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स 138 अंक गिरकर 81,444 के स्तर पर जबकि निफ्टी 41 अंक टूटा ये 24,812 के स्तर पर बंद हुआ।

सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 6 में तेजी जबकि 24 में गिरावट रही। अडानी पोर्ट्स, NTPC और कोटक महिंद्रा बैंक में 1% की गिरावट रही। जबकि इंडसइंड बैंक का शेयर 4.5% चढ़ा।

एशियाई बाजारों में मिलाजुला कारोबार

  • एशियाई बाजारों में जापान का निक्केई 255 अंक (0.66%) की बढ़त के साथ 38,791 पर और कोरिया का कोस्पी 17 अंक (0.57%) चढ़कर 2,967 पर कारोबार कर रहा है।
  • हॉन्गकॉन्ग का हैंगसेंग इंडेक्स करीब 300 अंक (1.20%) गिरकर 23,690 के स्तर पर और चीन का शंघाई कंपोजिट 7 अंक नीचे 3,380 पर कारोबार कर रहे हैं।
  • 17 जून को अमेरिका का डाउ जोन्स 0.70% गिरकर 42,216 पर बंद हुआ। वहीं, नैस्डेक कंपोजिट 0.91% नीचे 19,521 पर और S&P 500 0.84% गिरकर 5,983 पर बंद हुए।

Continue Reading

देश

चालू वित्त वर्ष में भारत की वास्तविक GDP वृद्धि 6.5% से अधिक होगी: इक्रा

Published

on

कोलकाता,एजेंसी। अग्रणी रेटिंग एजेंसी इक्रा ने अनुमान जताया है कि चालू वित्त वर्ष (2025-26) के लिए भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत से अधिक रहेगी। एजेंसी ने अपने ताजा परिदृश्य में कहा कि इसी अवधि के दौरान देश की वास्तविक सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) वृद्धि 6.3 प्रतिशत से अधिक होगी। जहां जीडीपी देश के भीतर उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को निर्धारित करता है, वहीं जीवीए उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं और सेवाओं की लागत को घटाने पर प्राप्त होता है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति के संबंध में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर के 4.2 प्रतिशत से अधिक रहने का अनुमान है, जबकि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) चालू वित्त वर्ष के लिए 2.7 प्रतिशत से अधिक रहेगा। इक्रा ने राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। इक्रा के अनुसार, रबी के नकदी प्रवाह और सामान्य से अधिक जलाशय स्तर की सहायता से ग्रामीण मांग में तेजी बनी रहने की संभावना है। 

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट में आयकर में बड़ी राहत, दरों में कटौती से ईएमआई (मासिक किस्त) में कमी और खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी से घरेलू खर्च योग्य आय में वृद्धि होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के वस्तु निर्यात में सुस्ती निकट भविष्य में भी जारी रह सकती है। इक्रा के अनुमान के अनुसार, सेवा निर्यात वस्तु निर्यात वृद्धि से आगे निकलने की संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र का पूंजीगत व्यय 2025-26 में 10.1 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है, जिससे निवेश गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।

Continue Reading

देश

इंडसइंड के बाद अब इस विदेशी बैंक पर मंडरा रहा संकट! RBI कभी भी कर सकता है कड़ा एक्शन

Published

on

मुंबई, एजेंसी। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की सख्ती का सामना अब एक और बड़े बैंक को करना पड़ सकता है। इंडसइंड बैंक के बाद अब विदेशी बैंक स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक (Standard Chartered Plc) की भारत में गतिविधियों पर अब आरबीआई की पैनी नजर है। खबर है कि बैंक ने छोटे और मझोले उद्यमों (SMEs) को ऐसे जटिल डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स बेचे, जिनमें उच्च जोखिम था लेकिन ग्राहकों को इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। मामला गंभीर होने के चलते केंद्रीय बैंक कभी भी सख्त कार्रवाई कर सकता है।

क्या है पूरा मामला?

एक रिपोर्ट के अनुसार, स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने SMEs को Target Redemption Forwards (TRFs) जैसे जटिल डेरिवेटिव्स बेचे—जो आमतौर पर केवल बड़े कॉर्पोरेट्स के लिए उपयुक्त होते हैं। इन प्रोडक्ट्स में बड़े नुकसान की आशंका होती है। जांच में खुलासा हुआ कि बैंक ने इन जोखिमों की जानकारी देने में लापरवाही बरती।

RBI की जांच के दायरे में ये पहलू शामिल

  • डेरिवेटिव सेल्स की पारदर्शिता और प्रक्रिया
  • जोखिम प्रबंधन (Risk Governance)
  • रिजर्व की पर्याप्तता
  • FRA (Forward Rate Agreement) लेनदेन की अकाउंटिंग ट्रीटमेंट

बैंक का रुख क्या है?

स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने प्रतिक्रिया में कहा है कि RBI का सालाना निरीक्षण रूटीन प्रक्रिया है और अगर कोई विशेष ऑब्जर्वेशन होता है, तो उसे समय पर सुधारा जाता है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, इस बार मामला ‘रूटीन’ से कहीं अधिक गंभीर है और RBI इस पर गहराई से जांच कर रहा है।

भारत में बैंक का नेटवर्क

  • 165 साल पुराना परिचालन
  • 42 शहरों में 100 शाखाएं

सेवाएं: कॉर्पोरेट बैंकिंग, इन्वेस्टमेंट बैंकिंग, वेल्थ मैनेजमेंट, रिटेल बैंकिंग

क्यों सख्त हुआ है RBI?

RBI लंबे समय से डेरिवेटिव बिक्री में पारदर्शिता सुनिश्चित करने पर जोर दे रहा है। हाल ही में इंडसइंड बैंक पर भी इसी तरह की सख्ती देखने को मिली थी। अब स्टैंडर्ड चार्टर्ड को लेकर भी यही पैमाना अपनाया जा रहा है। 

Continue Reading

Trending