कुसमुंडा
जरहाजेल के भू विस्तपितों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर जमीन वापसी के साथ पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने की मांग की
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4 weeks agoon
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Divya Akashएसईसीएल ने जमीन अधिग्रहण किया लेकिन रोजगार और बसावट नहीं दिया
एसईसीएल भूमि अधिग्रहण और अवार्ड के प्रावधानों का उलंघन कर रही है
कोरबा/कुसमुंडा। एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र द्वारा ग्राम जरहाजेल तहसील दर्री में अन्य ग्रामो´ की पुनर्वास के लिए पेड़ों की कटाई की अनुमति मांगी गई है, जबकि उक्त ग्राम की जमीन अर्जन के लिए वर्ष 1983 में पारित अवार्ड में स्पष्ट रूप से 20 वर्ष पश्चात मूल खातेदारों को जमीन वापसी करने की शर्त रखी गयी है। ऐसी व्यवस्था के विपरीत जबरदस्ती किसानो के साथ अन्यायपूर्ण कार्यवाही हो रही है। जरहाजेल के ग्रामीणों ने पूर्व में अधिग्रहित जमीन किसानों को वापस करने के साथ पेड़ो के कटाई के लिए मांगे गई अनुमति को रद्द करने की मांग को लेकर कलेक्टर कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा।

जरहाजेल के भू विस्थापित दामोदर श्याम, इंद्रप्रकाश और घासीराम कैवर्त ने कहा की उक्त भूमि को मध्यप्रदेश भू-राजस्व सहिता 1959 की धारा 247/1 के तहत भूमि का अधिग्रहण किया गया था और एस.ई.सी.एल. (तत्कालिन पश्चिमी कोयला प्रक्षेत्र ) कुसमुण्डा कालरी के प्रबंधक द्वारा तत्कालिन अतिरिक्त कलेक्टर कोरबा म.प्र. को कोयला उत्खनन के लिए म.प्र. भू-राजस्व सहिता 1959 कि धारा 247/3/ के तहत अनुमति चाही गई थी, जिसपर न्यायालय अतिरिक्त कलेक्टर कोरबा म.प्र. राजस्व प्रकरण क्र.1 / अ-67/82-83 दिनांक 27/04/1983 को आदेश पारित कर पाँच बिंदुओ के शर्तों के आधार पर दखल करने का अधिकार दिया गया था । जो कि निम्नानुसार है –
न्यायालय अतिरिक्त कलेक्टर कोरबा म.प्र. के द्वारा उल्लेखित शर्तों के अनुसार पारित आदेश 27/04/1983 के बाद 20 वर्षों के बाद उत्खनन् हुए क्षेत्र एवं आवास गृह, रेलवे लाईन सडक आदि निर्माण के लिए चाही गई जमीन को 60 वर्षो के बाद भू-स्वामियों को वापस करना होगा | संबंधित व्यक्ति को भूमि के वापसी तक भू-राजस्व शासन द्वारा निर्धारित आधार पर अदा करना होगा। विस्थापित परिवारो को आवश्यक सुविधाए कंपनी द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। राज्य शासन द्वारा समय-समय पर बनाए गये नियम व शर्तों के लिए कंपनी बंधन कारी होगा।
उन्होंने कहा कि इस आदेश पत्र में निहित शर्तो में अपने परियोजना अंतर्गत अन्य गाँवों को बसाहट दिए जाने का प्रावधान नहीं रखा गया था | उसके बावजूद इस क्षेत्र में पुनर्वास देने का प्रयास किया जा रहा है, जो अनुचित है | उक्त गांव में आज भी रोजगार एवं मुआवजा के कई प्रकरण लंबित है, जमीन जाने के बाद विस्थापित रोजगार के लिए भटक रहे हैं। किसी भी विस्थापित को बसावट प्रदान नहीं किया गया है। जमीन अधिग्रहण के एवॉर्ड उपलब्ध नहीं होने के नाम पर दर्जनों रोजगार को रोक कर रखा गया है, जब एवॉर्ड कैसे हुआ एसईसीएल बता ही नहीं पा रहा है तो जमीन का उपयोग कैसे एसईसीएल ने किया। यदि आवश्यक ही था तो आवार्ड में दिए गए प्रावधान के अनुसार राज्य सरकार के नीति का पालन कर किसानो के पुन:अर्जन की कार्यवाही किया जाना था जिसका पालन नहीं किया गया |

जरहाजेल के भू विस्थापितों ने कहा की अधिग्रहित जमीन पर लगे पेड़ों की कटाई के लिए मांगे गए अनुमति रद्द करने और जमीन को मूल खातेदारो / परिवार के सदस्यों को सुपुर्दगी करना सुनिश्चित करने की मांग की है और कहा है ऐसा नहीं होने पर आन्दोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
ज्ञापन सौंपने में प्रमुख रूप से संतोष,बजरंग सोनी,मोहन, फीरत,पुरषोत्तम,हरिशरण,विशेश्वर,शिव नारायण,दीनानाथ,डुमन, दुलचंद,रेशम,गंगा प्रसाद,टकेश्वर,कमलेश,केदार कश्यप,लक्ष्मण,वीरेंद्र,राकेश, के साथ बड़ी संख्या में ग्राम जरहाजेल के भू विस्थापित उपस्थित थे।
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कुसमुंडा
भाजपा पार्षद दिलीप दास का तस्वीर वायरल, पुष्टि के बाद पुराने मामले से जुड़ सकती है कड़ी….,,देखे पूरी खबर
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16 hours agoon
December 22, 2025By
Divya Akashसंवाददाता साबीर अंसारी
कुसमुंडा :– बांकीमोंगरा नगर पालिका क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 23 आदर्शनगर के भाजपा पार्षद दिलीप दास का एक महिला मित्र के साथ तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल होते ही एक बार फिर से सुर्खियों में आ गए है।
तस्वीर वाली महिला मित्र जो उनकी धर्मपत्नी नहीं हैं, पर किसी अन्य महिला मित्र के साथ वाले इस तस्वीर को देख कर स्पष्ट अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये पल उनका यादगार पलो में से एक पल है। तस्वीर वायरल होने के बाद पश्चिमांचल कोयलांचल और आम जनों में इस बात को लेकर खलबली मची है और दिलीप दास के इस तस्वीर के चर्चे हर जुबा पर सुर्खियों की तरह छाया हुआ है।
खास बात तो यह है कि पार्षद दिलीप दास के साथ जो महिला नजर आ रही है, यह वही महिला है जिसके खिलाफ उस महिला के ससुराल पक्ष परिजन द्वारा थाना में शिकायत की गई थी कि उसने दिलीप दास के बहकावे में आकर अपने घर केपैसे और जेवरात उसके हवाले कर दिया है। जिसके बाद दिलीप दास ने इस आरोप को निराधार बताते हुए छवि धूमिल करने की बात बताई थी।

वहीं उस शिकायत के बाद महिला सामने आकर उसने दिलीप दास को पूरी तरह से बेकसूर बताया था और उसको झूठे केस में उलझाने, फसाने और छवि खराब करने की बात कही थी, उससे किसी भी तरह के संबंधों से भी साफ साफ इंकार किया था। पर अब वायरल हुए इस तस्वीर से उनकी कहानी पूरी गलत नजर आ रही है और इनकी यह तस्वीर कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।
इस तस्वीर वाली खबर समाचार को देखने के बाद उस महिला के पति द्वारा एक ऑडियो भी जारी किया गया है जिसमें उसके पति विनय अग्रवाल ने अपने नाम पता के बताते हुए कह रहे है कि इसमें जो लड़की है वो मेरी बीवी है, और अभी तो ये मेरे साथ नहीं रह रही है, मैं कुसमुंडा थाना या एस पी ऑफिस जाता हु तो मेरा कोई सुनवाई नहीं होता है, मेरे पत्नी और पार्षद दिलीप दास ने मुझे धमकी देकर मेरे घर का सारा सोना चांदी को मेरी पत्नी ले गई है, जिसका शिकायत भी दर्ज कर चुका हूं। पर उसने मेरे और मेरे माताजी पर ही बिलासपुर में झूठा आरोप लगाकर F.I.R दर्ज करा दी है। विनय ने कहा कि मैं कांग्रेस पार्टी का समर्थक हूं इसलिए मुझे कही से किसी तरह का समर्थन नहीं भी नहीं मिल रहा है।
👇👇ऑडियो
इनकी तस्वीर को देखने के बाद क्षेत्र के वरिष्ठ भाजपाई भी अंदर हीं अंदर ये कहते नजर आ रहे है कि यह दिलीप दास का निजी मामला हो सकता है पर सार्वजनिक जीवन में यह सब उजागर होना पार्टी की छवि को धूमिल करने जैसा है इसलिए संगठन को इस पर जांच करते हुए कार्रवाई तो जरूर करनी चाहिए।
पार्षद दिलीप दास ने इस वायरल तस्वीर को लेकर कहा कि सोशल मीडिया पर किसी ने मेरी फेक आईडी बनाकर इस तस्वीर को वायरल किया है, इस संबंध मे मेरे द्वारा जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में शिकायत की जा रही है। फेक आईडी बनाने वाले की जांच कर कठोर कार्रवाई करने की मांग की गई है। दिलीप दास ने एक बार फिर से कहा कि यह सब एक साजिश है जो मेरी छवि को धूमिल करने के लिए किया जा रहा है।

अब देखना ये है कि क्या इनकी पार्टी का संगठन इस विषय को कितनी गंभीरता से लेती है और इनपर क्या कार्रवाई करती है। इस वायरल तस्वीर के स्पष्टीकरण के बाद इससे पहले वाले मामले में हुए शिकायतों पर सोच विचार किया जाता है या इसके आधार पर उसमें क्या फेरबदल होगी। या फिर फेक आईडी बनाने वाली बात सही होती है, या कहानी कौन सी मोड लेगी वो तो अब शिकायत के जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी।
कुसमुंडा
सरस्वती शिशु मंदिर कुसमुंडा में रामानुजन जयंती पर गणित मेले का हुआ भव्य आयोजन
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3 days agoon
December 20, 2025By
Divya Akashविद्यार्थियों ने चार्ट, मॉडल और प्रदर्शनी के माध्यम से गणित को बनाया रोचक
कोरबा/कुसमुण्डा। सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, कुसमुंडा में 20 दिसंबर, शनिवार को महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जयंती के अवसर पर गणित मेले का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ संस्था के प्राचार्य चिंतामणि कौशिक, गणिताचार्य रामशरण कश्यप, अनूप सावलकर तथा विज्ञान प्रमुख श्रीमती अंजना पाराशर द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया।

गणित मेले में भैया-बहनों ने गणित विषय को रोचक एवं सरल बनाने के उद्देश्य से गणितीय चार्ट, मॉडल, मापन गतिविधियां एवं विविध प्रदर्शनी प्रस्तुत की। इसके साथ ही प्रश्न मंच के माध्यम से प्रश्नोत्तर कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता निभाई।

इस अवसर पर प्राचार्य चिंतामणि कौशिक ने अपने उद्बोधन में कहा कि महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन ने अल्प आयु में ही गणित के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियां प्राप्त कीं। उन्होंने पाई के अंकों की गणना के लिए अनेक नवीन सूत्र दिए, जो परंपरागत तरीकों से भिन्न थे। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान जीवन में गणित का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है और इसके बिना जीवन की कल्पना संभव नहीं है। कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालय के समस्त आचार्य परिवार की सक्रिय सहभागिता रही।


कुसमुंडा
SECL कुसमुंडा क्षेत्र की प्रभावित महिलाओं का आंदोलन, तहसीलदार के ठोस आश्वासन पर अस्थायी विराम
Published
3 weeks agoon
December 2, 2025By
Divya Akashमहिलाओं ने दी एक महीने बाद फिर आंदोलन की चेतावनी
कोरबा/कुसमुंडा । एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र में अपनी पुश्तैनी ज़मीन कोयला खदानों को देने वाली विस्थापित महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे अनिश्चितकालीन आंदोलन को प्रबंधन और प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद फिलहाल एक महीने के लिए स्थगित कर दिया गया है । आंदोलन के दूसरे दिन कुसमुंडा प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन ने भूविस्थापित महिला नेताओं गोमती केवट, सरिता इंद्रा को गिरफ्तार कर दर्री तहसील में पेश किया ।
दमनकारी कार्रवाई और आश्वासन
आंदोलन से घबराए एसईसीएल प्रबंधन और प्रशासन ने दमनकारी कार्यवाही करते हुए महिलाओं की आवाज़ को दबाने का प्रयास किया। जिन किसानों की ज़मीन से आज देश और राज्य को रोशनी मिल रही है और सबसे ज़्यादा राजस्व प्राप्त हो रहा है, उन्हीं भूविस्थापित महिलाओं पर इस प्रकार की कार्यवाही चिंतनीय विषय है ।
दर्री तहसील में तहसीलदार ने आंदोलनकारी महिलाओं को ठोस आश्वासन दिया, उन्होंने कहा कि एक महीने के भीतर भूविस्थापितों के रोज़गार, बसाहट, पुनर्वास और अन्य समस्याओं का निराकरण कर दिया जाएगा। इस आश्वासन के बाद महिला नेताओं को मुचलके पर रिहा कर दिया गया ।
झूठा आश्वासन साबित न हो, महिलाओं की चेतावनी

गिरफ्तार हुईं गोमती केवट, सरिता इंद्रा सहित अन्य महिलाओं ने रिहा होने के बाद स्पष्ट किया कि यह आश्वासन केवल खानापूर्ति नहीं होना चाहिए। उन्होंने तहसीलदार से साफ़ कहा कि अगर उनकी रोज़गार, पुनर्वास सहित अन्य माँगें एक महीने के भीतर पूरी नहीं हुईं और यह आश्वासन झूठा साबित हुआ तो वे एक महीने के बाद फिर से आंदोलन करने को मजबूर होंगी ।
रोज़गार के लिए संघर्ष

भूविस्थापित महिलाओं का संघर्ष उन किसानों का दर्द बयां करता है, जिनकी ज़मीन पर कभी हल चला करती थी और आज वे अपनी ही ज़मीन एसईसीएल को समर्पित करने के बाद रोज़गार के लिए संघर्ष करने को मजबूर हैं ।एसईसीएल प्रबंधन द्वारा किसानों की समस्याओं को सुलझाने के बजाय प्रशासन का उपयोग कर उनकी आवाज़ को दबाने का प्रयास मानवीय व नैतिक मूल्यों के विपरीत है ।
भूविस्थापित महिलाओं ने प्रशासन से अपील की है कि वे अपनी निर्दय व बेरहम छवि को छोड़कर जिनके त्याग पर यह क्षेत्र प्रगति कर रहा है उनके प्रति न्यायपूर्ण रवैया अपनाएँ और तत्काल उनकी समस्याओं का समाधान करें ।

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