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दिल्ली में साल 2028 से एयर टैक्सी की शुरुआत संभव:3 घंटे तक का सफर 10 से 12 मिनट में पूरा होगा, शुरुआती किराया ₹500 होगा

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नई दिल्ली,एजेंसी। भारत में 2028 तक एयर टैक्सी उड़ान भरने लगेंगी। ये कहीं से भी सीधे उड़ान भर सकती हैं और कहीं भी लैंड कर सकती हैं। पंजाब के मोहाली स्थित स्टार्टअप नलवा एयरो ने स्वदेशी ईवीटॉल (इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेक-ऑफ एंड लैंडिंग) एयर टैक्सी विकसित की है। DGCA ने इसे डिजाइन ऑर्गेनाइजेशन अप्रूवल (डीओए) सर्टिफिकेट भी दे दिया है।

नलवा एयरो के सीईओ कुलजीत सिंह संधू के मुताबिक- कोविड-19 में एक मित्र ने इमरजेंसी मेडिकल इवैक्युएशन की जरूरत बताई। आसपास कोई एयर एम्बुलेंस या हेलीपैड नहीं था। तभी विचार आया कि क्यों न ऐसी मशीन बनाएं जो कहीं से भी वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग कर सके।

उन्होंने कहा कि इसका डिजाइन चरण पूरा हो चुका है। सब-स्केल प्रोटोटाइप अगले एक माह में तैयार हो जाएगा। यह किफायती एयर मोबिलिटी मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग को ध्यान में रखकर तैयार की जा रही है। शुरू में दिल्ली-एनसीआर में लॉन्च होगी।

आईजीआई एयरपोर्ट से आनंद विहार, नोएडा, गाजियाबाद और पानीपत जैसी जगहों तक सड़क से जाने में एक से 3 घंटे लगते हैं। ईवीटॉल एयर टैक्सी 10 से 12 मिनट में पहुंचा देगी। आईजीआई एयरपोर्ट से आनंद विहार का शुरुआती किराया लगभग 500 रु. प्रति व्यक्ति रहने का अनुमान है। दिल्ली के बाद ये मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु सहित अन्य मेट्रो शहरों में भी दिखेंगी।

नलवा एयरो के इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेक-ऑफ एंड लैंडिंग (ईवीटॉल) का डिजाइन।

नलवा एयरो के इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेक-ऑफ एंड लैंडिंग (ईवीटॉल) का डिजाइन।

8 रोटर सिस्टम, क्रैश नहीं होगा

संधू के अनुसार ईवीटॉल में 8 रोटर सिस्टम हैं। दो फेल भी हो जाएं तो विमान क्रैश नहीं होगा। तीन बंद होने पर सुरक्षित लैंडिंग संभव है। यह हेलिकॉप्टर से सुरक्षित है।

हेलिकॉप्टर की तुलना में 10 गुना शांत और परिचालन लागत में 90% से अधिक सस्ती होगी। हेलिकॉप्टर का परिचालन खर्च 5 लाख रु. प्रति घंटे तक पहुंच सकता है, जबकि ईवीटॉल की लागत इसके 10% से भी कम रहेगी।

कंपनी के अनुसार ये एयरक्राफ्ट फेडरेल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) और यूरोपियन यूनियन एविएशन सेफ्टी एजेंसी (EASA) के रेगुलेशन के अनुरूप तैयार किए जा रहे हैं।

अभी गुजरात और आंध्र प्रदेश में ईवीटॉल के लिए सैंड बॉक्स ट्रायल साइट तैयार की जा रही हैं। इनमें वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम भी भागीदार है।

तकनीक: सिंगल चार्ज में 300 किमी तक उड़ान भरेगी टैक्सी

कंपनी दो मॉडलों पर काम कर रही है। पहला, लीथियम आयन बैटरी संचालित है। यह सिंगल चार्ज में 90 मिनट या 300 किमी तक उड़ेगा। दूसरा हाइड्रोजन फ्यूल सेल मॉडल है, जिसकी रेंज 800 किमी तक होगी। फास्ट चार्जर से बैटरी 50 मिनट में चार्ज होगी।

कंपनी के 3 प्रमुख मॉडल हैं। 2 स्ट्रेचर वाला एम्बुलेंस वर्जन, 5 से 7 सीटर यात्री एयर टैक्सी और कार्गो मॉडल। एयर टूरिज्म, निगरानी एवं टोही विमान और मेडिवैक संस्करण (चिकित्सीय निकासी मॉडल) पर भी काम चल रहा है।

टैक्सी की तरह बुक कर सकेंगे

नलवा एयरो का ईवीटॉल भारत में विकसित पहली और सबसे उन्नत एयर टैक्सी तकनीक है। इसके एडवांस फ्लाइंग कंप्यूटर, टिल्टिंग प्रपल्शन सिस्टम और बॉक्स-विंग डिजाइन पर सालों रिसर्च हुआ है।

विमान 4000 किग्रा अधिकतम टेक-ऑफ भार और 1000 किग्रा पेलोड उठा सकता है। क्रूज स्पीड 350 किमी/ घंटा है जो 400 तक जा सकती है। यह एयर टैक्सी, मेडिकल एम्बुलेंस, डिफेंस सर्विलांस, सर्च एंड रेस्क्यू और कार्गो ट्रांसपोर्ट, सभी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।

  • जीरो कार्बन: एटीएफ नहीं, बिजली/हाइड्रोजन से उड़ेगा। जीरो कार्बन, कम खर्च और आवाज।
  • वर्टिकल तकनीक: रनवे पर इंतजार नहीं, सीधे उठना और उतरना संभव। इमारतों की छत से भी टेक-ऑफ और लैंडिंग हो सकेगी।
  • फ्लाई बाइ वायर: पायलट के हाथ में डिजिटल कंट्रोल, सबकुछ कंप्यूटर नियंत्रित।
  • इंडिया मेक: स्वदेशी डिजाइन और मेक इन इंडिया मिशन के तहत विकसित किया गया है। इसमें लगी 60% तकनीक घरेलू ही है।
  • जॉब: नई स्किल, पायलट ट्रेनिंग, मेंटेनेंस व चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर में हजारों रोजगार होंगे।
  • दूरगामी असर: मेडिकल इमरजेंसी में समय की बचत होगी। कम खर्च में मरीज को जल्द से जल्द उपयुक्त अस्पताल में पहुंचा सकेंगे।

भविष्य: तीन साल बाद बिना पायलट के भी उड़ान संभव नलवा एयरो ने पायलट आधारित और ऑटोनॉमस यानी बिना पायलट उड़ान, दोनों तकनीकों पर समानांतर सफलता हासिल की है। पहले 3 सालों तक यात्री उड़ानें पायलट आधारित रहेंगी। कार्गो फ्लाइट्स पहले ही ऑटोनॉमस के तौर पर शुरू की जा सकती हैं।

तीन साल के बाद ऑटोनॉमस यात्री उड़ानों पर विचार किया जाएगा। जब तक नागरिक उड्डयन महानिदेशालय की सभी सर्टिफिकेशन संबंधी शर्तें पूरी नहीं होतीं, तब तक ऑटोनॉमस यात्री उड़ानें शुरू नहीं की जाएंगी।

इन्फ्रास्ट्रक्चर: मेट्रो स्टेशन में ही बन सकेंगे वर्टिपोर्ट

वर्टिपोर्ट के लिए मौजूदा शहरी ढांचा आधार बन सकता है। मेट्रो स्टेशन व बड़ी इमारतों की छतों पर इनकी लैंडिंग संभव है। सरकार हर 50 किमी पर 1000 हेली पैड्स विकसित कर रही है। वे वर्टिपोर्ट बन सकते हैं। हेलिकॉप्टर के लिए 20×25 मीटर जगह जरूरी है। ईवीटॉल को सिर्फ 12×12 मीटर जगह चाहिए।

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फरवरी से बदल जाएगा महंगाई-GDP मापने का तरीका:सरकार नई सीरीज जारी करेगी, अभी 14 साल पुराने आंकड़ों के आधार पर कैलकुलेट होती है

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नई दिल्ली,एजेंसी। केंद्र सरकार देश की इकोनॉमी को मापने के पैमानों में बड़ा बदलाव करने जा रही है। फरवरी 2026 से रिटेल महंगाई (CPI) और देश की विकास दर यानी GDP के आंकड़े नई सीरीज (नए बेस ईयर) के साथ जारी किए जाएंगे। वहीं मई 2026 से इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन यानी IIP के आंकड़े भी नई सीरीज में जारी होंगे।

GDP और IIP के लिए नया आधार वर्ष 2022-23 होगा। वहीं रिटेल महंगाई के लिए बेस ईयर 2024 होगा। मिनिस्ट्री ऑफ स्टेटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लिमेंटेशन (MoSPI) ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है।

अभी GDP और रिटेल महंगाई के आंकड़े पुराने आधार वर्ष 2011-12 के हिसाब से कैलकुलेट किए जाते हैं। जबकि दुनिया के कई देशों में ये हर 5 साल में अपडेट होता है। बेस ईयर में इस बदलाव का मुख्य मकसद डेटा को मौजूदा दौर की जरूरतों और खपत के हिसाब से ज्यादा सटीक बनाना है।

नए बेस ईयर से क्या बदलेगा?

फिलहाल देश में महंगाई और GDP के कैलकुलेशन के लिए पुराना बेस ईयर (आधार वर्ष) इस्तेमाल किया जा रहा है। लंबे समय से एक्सपर्ट्स यह मांग कर रहे थे कि आधार वर्ष को अपडेट किया जाए।

क्योंकि पिछले एक दशक में लोगों के खर्च करने के तरीके और सामानों की प्राथमिकता बदल गई है। नई सीरीज आने से सरकारी डेटा देश की आर्थिक स्थिति की ज्यादा वास्तविक तस्वीर पेश कर पाएगा।

खाने-पीने की चीजों का वेटेज कम होगा

अभी रिटेल महंगाई के कैलकुलेशन में फूड आइटम्स यानी खाद्य पदार्थों का हिस्सा काफी ज्यादा है। मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, नई सीरीज में खाने-पीने की चीजों के ‘वेटेज’ को कम किया जा सकता है।

ऐसा इसलिए क्योंकि जैसे-जैसे लोगों की कमाई बढ़ती है, वे खाने के बजाय दूसरी सुविधाओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और मनोरंजन पर ज्यादा खर्च करने लगते हैं। नई सीरीज में इन आधुनिक जरूरतों को ज्यादा महत्व दिया जाएगा।

IIP डेटा मई से नई सीरीज में आएगा

इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (IIP), जो देश के मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर की रफ्तार बताता है। उसे मई 2026 से नई सीरीज में शिफ्ट किया जाएगा। इसमें उन नए प्रोडक्ट्स को शामिल किया जाएगा, जिनका उत्पादन हाल के वर्षों में शुरू हुआ है। जबकि उन पुराने सामानों को लिस्ट से हटाया जा सकता है, जिनकी अब बाजार में मांग नहीं रही।

क्यों जरूरी था यह बदलाव?

सांख्यिकी मंत्रालय के सचिव सौरभ गर्ग ने पहले भी संकेत दिए थे कि डेटा में सुधार की प्रोसेस चल रही है। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।

ऐसे में पुराने मानकों पर डेटा जारी करने से कई बार पॉलिसी बनाने में दिक्कत आती है। नया बेस ईयर आने से रिजर्व बैंक (RBI) को भी ब्याज दरों पर फैसला लेने में आसानी होगी। क्योंकि उनके पास महंगाई का ज्यादा सटीक डेटा होगा।

आम जनता पर क्या असर होगा?

सीधे तौर पर इसका आम आदमी की जेब पर असर नहीं पड़ता, लेकिन सरकार की योजनाएं इसी डेटा पर आधारित होती हैं। अगर महंगाई का डेटा सही होगा, तो सरकार कीमतों को कंट्रोल करने के लिए बेहतर कदम उठा पाएगी। साथ ही GDP के सटीक आंकड़ों से विदेशी निवेशकों का भरोसा भी भारत की अर्थव्यवस्था पर बढ़ता है।

बेस ईयर क्या होता है?

बेस ईयर वो साल होता है जिसकी कीमतों को आधार (बेस) माना जाता है। यानी, उसी साल की चीजों की औसत कीमत को 100 का मान देते हैं। फिर, दूसरे सालों की कीमतों की तुलना इसी बेस ईयर से की जाती है। इससे पता चलता है कि महंगाई कितनी बढ़ी या घटी है।

उदाहरण: मान लीजिए 2020 बेस ईयर है। उस साल एक किलो टमाटर ₹50 का था। अब 2025 में वो ₹80 का हो गया। तो महंगाई = (80 – 50) / 50 × 100 = 60% बढ़ी। यही फॉर्मूला CPI में यूज होता है, लेकिन ये पूरे बाजार की चीजों पर लागू होता है।

बेस ईयर कैसे चुना जाता है और कैसे काम करता है?

  • सरकार आमतौर पर हर 5-10 साल में नया बेस ईयर चुनती है।
  • ये ऐसा साल होता है जो सामान्य हो, न ज्यादा सूखा हो, न महामारी, न ज्यादा महंगाई।

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योगी बोले-देश में दो नमूने, एक दिल्ली, दूसरा लखनऊ में:अखिलेश ने कहा- यह आत्मस्वीकृति, भाजपा की आपसी खींचतान चौराहे पर न लाएं

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लखनऊ,एजेंसी। यूपी विधानमंडल के शीतकालीन सत्र का आज दूसरा दिन है। प्रश्न काल के दौरान सीएम योगी ने कफ सिरप मामले में सपा के आरोपों पर कहा- प्रश्न क्या है, मुद्दे क्या उठाए जा रहे हैं। पूरा अध्ययन करके आना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष ने कोडीन के मुद्दे को उठाया है, लेकिन मैं आपकी इस मजबूरी को समझता हूं। एक कहावत है- चोर की दाढ़ी में तिनका। उन्होंने नाम लिए बिना कहा-

देश के अंदर दो नमूने हैं, एक दिल्ली में और एक लखनऊ में बैठते हैं। जब देश में कोई चर्चा होती है तो वो देश छोड़कर चले जाते हैं। मुझे लगता है कि यही आपके बउआ के साथ भी होता है। वह फिर इंग्लैंड सैर सपाटे पर चले जाएंगे और आप यहां चिल्लाते रहेंगे।

योगी के बयान के 40 मिनट बाद ही अखिलेश ने पलटवार किया। X पर लिखा-

आत्म-स्वीकृति… किसी को उम्मीद नहीं थी कि दिल्ली-लखनऊ की लड़ाई यहां तक पहुंच जाएगी। संवैधानिक पदों पर बैठे लोग मर्यादा की सीमा न लांघें। भाजपाई अपनी पार्टी के अंदर की खींचातानी को चौराहे पर न लाएं।

इससे पहले योगी ने कहा- प्रदेश में कोडीन कफ सिरप से कोई मौत नहीं हुई है। 2016 में इसके सबसे बड़े होल सेलर को सपा ने ही लाइसेंस दिया था। पढ़ाई-लिखाई से आपका कोई वास्ता है नहीं, इस कारण आप इस तरह की बात करते हैं। अखिलेश के सिरप माफियाओं पर बुलडोजर चलाने के चैलेंज पर कहा कि चिंता मत कीजिए। समय आने पर बुलडोजर एक्शन भी होगा। उस समय चिल्लाना नहीं।

कोडिन कफ सिरप मामले पर योगी ने कहा- विभोर राणा को लाइसेंस समाजवादी पार्टी ने दिया था। आलोक सिपाही (इस मामले में एक आरोपी) की अखिलेश के साथ कुछ गिफ्ट देते हुए तस्वीरें वायरल हुई थीं। हमने NDPS एक्ट के तहत कार्रवाई की है। हमारी कार्रवाई अभी भी जारी है। हमने अब तक 77 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।

योगी ने विपक्ष से कहा

मैं आपका दर्द समझता हूं। क्योंकि जब सरकार की कार्रवाई अपने आखिरी स्टेज पर पहुंचेगी, तो आप में से कई लोग ‘फातिहा’ पढ़ने जाएंगे। हम आपको ऐसी हालत में भी नहीं छोड़ेंगे कि आप ‘फातिहा’ पढ़ सकें। हम ऐसी ही कार्रवाई करेंगे।

इसके बाद नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय खड़े हुए। उन्होंने कहा-

सीएम सदन के सम्मानित नेता हैं, लेकिन उनकी वाणी देखिए। आपने कहा कि दो नमूने हैं- एक अखिलेश और दूसरा राहुल गांधी।

इस पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि सीएम ने किसी का नाम नहीं लिया है, आप क्यों खुद पर ले रहे हैं। यह सुनते ही सपा विधायक हंगामा करने लगे। समझाने पर भी नहीं माने तो सतीश महाना ने कहा कि एक आदमी नारा लगा रहा था। आप गलत बयानी कर रहे हैं। आप कह रहे हैं कि सैकड़ों मौतें हुई तो नाम बताइए। इसके बाद सपा ने वॉकआउट कर लिया।

विधानसभा में कफ सिरप कांड पर चर्चा की मांग को लेकर सपा विधायक वेल में आ गए।

विधानसभा में कफ सिरप कांड पर चर्चा की मांग को लेकर सपा विधायक वेल में आ गए।

विधानसभा अध्यक्ष ने हंगामा कर रहे सपा विधायकों को अपनी सीट पर जाने को कहा। नहीं माने तो कार्रवाई की चेतावनी दी।

विधानसभा अध्यक्ष ने हंगामा कर रहे सपा विधायकों को अपनी सीट पर जाने को कहा। नहीं माने तो कार्रवाई की चेतावनी दी।

समाजवादी पार्टी के विधायकों ने उत्तर प्रदेश विधानसभा की सीढ़ियों पर कफ सिरप मामले समेत कई मुद्दों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।

समाजवादी पार्टी के विधायकों ने उत्तर प्रदेश विधानसभा की सीढ़ियों पर कफ सिरप मामले समेत कई मुद्दों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।

सपा विधायक कार के कटआउट लेकर विधानसभा पहुंचे। कोडीन सिरप मामले में माफियाओं की सरकार से साठगांठ का आरोप लगाया।

सपा विधायक कार के कटआउट लेकर विधानसभा पहुंचे। कोडीन सिरप मामले में माफियाओं की सरकार से साठगांठ का आरोप लगाया।

कफ सिरप पर चर्चा की मांग पर वेल में आए सपा विधायक

इससे पहले विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही सपा विधायकों ने कोडीन सिरप कांड पर चर्चा की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया। मंजूरी नहीं मिली तो विधायक भड़क गए और वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा- कोडीन सिरप से यूपी में एक भी मौत नहीं हुई है। विपक्ष माहौल खराब कर रहा है।

विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा- सरकार के पक्ष से यदि मैं संतुष्ट नहीं होता हूं तो जरूर चर्चा कराऊंगा। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा- अगर आप लोग अपनी सीट पर वापस नहीं गए तो मुझे कार्रवाई करनी पड़ेगी। उन्होंने सपा के विधायकों से वेल से अपनी सीट पर जाने का आग्रह किया। इसके बाद विधायक अपनी-अपनी सीट पर लौट गए।

विधानसभा में रू.24,496.98 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश

इसके अलावा महिला एवं बाल विकास के लिए रू.535 करोड़, यूपीनेडा (सौर एवं नवीकरणीय ऊर्जा) के लिए रू.500 करोड़, मेडिकल एजुकेशन के लिए रू.423.80 करोड़, गन्ना एवं चीनी मिल क्षेत्र के लिए रू.400 करोड़ की बजटीय व्यवस्था की गई है।

योगी सरकार ने शीतकालीन सत्र के दौरान वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए रू.24,496.98 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश किया। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बजट पेश करते हुए कहा कि यह अनुपूरक बजट प्रदेश में विकास के लिए लाया गया है।

इसमें औद्योगिक विकास के लिए रू.4,874 करोड़, पावर सेक्टर के लिए रू.4,521 करोड़, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के लिए रू.3,500 करोड़, नगर विकास के लिए रू.1,758.56 करोड़, तकनीकी शिक्षा के लिए रू.639.96 करोड़ की धनराशि का प्रावधान किया गया है।

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असम में मोदी बोले- बांग्लादेशी घुसपैठिए कांग्रेस ने ही बसाए:उन्हें बचा भी रही, इसलिए SIR का विरोध, डिब्रूगढ़ में यूरिया प्लांट का उद्घाटन किया

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डिब्रूगढ़,एजेंसी। असम दौरे के दूसरे दिन पीएम नरेंद्र मोदी ने डिब्रूगढ़ में अमोनिया-यूरिया प्लांट का उद्घाटन किया, जिसकी सालाना उत्पादन क्षमता 12.7 लाख टन होगी। यह यूनिट 2030 तक चालू हो जाएगी।

इस दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पहले किसानों को खाद के लिए लाठियां खानी पड़ती थीं। जो काम कांग्रेस को उस समय करना था, उसने नहीं किया। इसलिए मुझे एक्स्ट्रा मेहनत करनी पड़ रही है।

उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को कांग्रेस ने ही बसाया है और कांग्रेस ही उन्हें बचा रही है। SIR का विरोध कर रही है। तुष्टिकरण और वोट बैंक के इस कहर से हमें असम को बचाकर रखना है। मैं आपको गारंटी देता हूं कि असम की पहचान और सम्मान की रक्षा के लिए भाजपा फौलाद बनकर खड़ी है।

इससे पहले पीएम ने गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र नदी में क्रूज पर 25 बच्चों के साथ करीब 45 मिनट परीक्षा पे चर्चा भी की। मोदी ने नामरूप में ब्रह्मपुत्र वैली फर्टिलाइजर कॉर्प लिमिटेड (BVFCL) के मौजूदा परिसर में नए फर्टिलाइजर यूनिट की आधारशिला रखी।

असम आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि दी

पीएम मोदी परीक्षा पे चर्चा के बाद शहीद स्मारक पहुंचे। जहां 1985 में अवैध प्रवासियों के खिलाफ असम आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री ने आंदोलन के पहले शहीद खरगेश्वर तालुकदार की प्रतिमा पर माला चढ़ाई। छह साल तक चले आंदोलन के 860 शहीदों की याद में यहां एक दीया हमेशा जलता रहता है।

170 करोड़ रुपए की लागत से बने इस स्मारक में पानी के कुंड, ऑडिटोरियम, प्रेयर रूम, साइकिल ट्रैक और साउंड एंड लाइट शो जैसी सुविधाएं हैं, जो असम आंदोलन और राज्य के इतिहास के विभिन्न पहलुओं को उजागर करेगा।

पीएम की स्पीच की बड़ी बातें…

  • हमारा लक्ष्य असम को उतना ही शक्तिशाली बनाना है जितना वह सदियों पहले अहोम राजवंश के समय था।
  • हमारे किसानों को खाद की सप्लाई मिलती रहे। डिब्रूगढ़ का यह फर्टिलाइजर प्लांट किसानों की जरूरत को पूरा करेगा। इसमें 11 हजार करोड़ रुपए इंवेस्ट किए जाएंगे।
  • जब देश के कई हिस्सों में खाद की आपूर्ति चुनौती बनी और पुरानी टेक्नोलॉजी खत्म होती गई। तो ऐसे समय में तब की कांग्रेस सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
  • एक समय किसानों के क्या हालात थे। यूरिया के लिए किसानों को लाइनों में घंटों-घंटों तक लगना पड़ता था। यूरिया की दुकानों पर पुलिस लगानी पड़ती थी। पुलिस किसानों पर लाठी बरसाती थी। कांग्रेस ने जिन हालातों को बिगाड़ा था, हमारी सरकार उन्हें सुधारने के लिए ऐड़ी-चोटी की ताकत लगा रही है। और इन्होंने इतना बुरा किया, इतना बुरा किया कि 11 साल से मेहनत करने के बाद भी मुझे अभी बहुत कुछ करना बाकी है।
  • खेती में बढ़ती तकलीफों का कांग्रेस ने हल ही नहीं निकाला। वह अपनी मस्ती में ही रही। आज हमारी सरकार उन परेशानियों को खत्म करने का काम कर रही है।
  • हम यूरिया 3 हजार रुपए में लाते हैं, लेकिन अपने किसान भाईयों को 300 रुपए में देते हैं। यह सारा बोझ हम किसानों पर नहीं पड़ने देते। यह सारा बोझ सरकार उठाती है, जिससे यह बोझ किसानों पर न आए।
  • इसलिए आपको भी मेरी मदद करनी होगी। हम धरती को नहीं बचाएंगे तो इस पर कितनी भी यूरिया डालें। धरती मां हमें नहीं बचाएंगी। हमें उन्हें ज्यादा यूरिया से बचाना है।

12 जिलाें के बच्चे शामिल हुए

मोदी के दौरे के मद्देनजर शनिवार से 2 दिनों के लिए ब्रह्मपुत्र नदी पर फेरी सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं। परीक्षा पे चर्चा से पहले पूरे इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई। नदी पुलिस, NDRF और SDRF के जवान सुबह से ही गश्त करते दिखे।

इवेंट में भाग लेने वाले छात्रों को कामरूप मेट्रोपॉलिटन, मोरीगांव, डिब्रूगढ़, कछार, श्रीभूमि, बक्सा, दीमा हसाओ, कोकराझार, गोलाघाट, कार्बी आंगलोंग और नलबाड़ी जिलों के स्कूलों से चुना गया था।

नई यूरिया यूनिट के बारे में 4 पॉइंट में जानें…

  • इस परियोजना से किसानों को फायदा होगा, यूरिया आयात घटेगा, रोजगार बढ़ेगा और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
  • मार्च में कैबिनेट ने नामरूप में असम वैली फर्टिलाइज़र एंड केमिकल कंपनी लिमिटेड (AVFCCL) यूनिट को मंजूरी दी, जिसका लक्ष्य पूर्वोत्तर में यूरिया उत्पादन बढ़ाना है।
  • बजट में 12.7 लाख टन क्षमता वाले नए यूरिया प्लांट की घोषणा हुई; BVFCL पूर्वी भारत का एकमात्र सरकारी यूरिया प्लांट है।
  • BVFCL 2002 में बना, यह पूरी तरह केंद्र सरकार के अधीन एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है।

कल बंगाल में कहा- TMC सरकार कट और कमीशन में लगी

प्रधानमंत्री ने गुवाहाटी में असम दौरे के पहले दिन राज्य के पहले सीएम रहे लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई की मूर्ति का अनावरण किया। इसके बाद उन्होंने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि कुछ देर पहले गोपीनाथ की प्रतिमा का उद्घाटन करने का मौका मिला। वे असम का गौरव, पहचान , भविष्य थे। उन्होंने कभी समझौता नहीं किया।

असम से पहले शनिवार को पीएम मोदी कोलकाता भी पहुंचे थे। यहां उन्होंने एयरपोर्ट से नादिया जिले के राणाघाट में आयोजित कार्यक्रम को फोन से वर्चुअली संबोधित किया था। मोदी ने कहा- ऐसा नहीं है कि बंगाल के विकास के लिए पैसों की कमी है, लेकिन यहां की सरकार सिर्फ कट और कमीशन में लगी रहती है।

पीएम मोदी के कल के कार्यक्रम की तस्वीरें…

पीएम ने गुवाहाटी में 5000 करोड़ की लागत वाली लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई इंटरनेशनल एयरपोर्ट की नई टर्मिनल बिल्डिंग का उद्घाटन किया।

पीएम ने गुवाहाटी में 5000 करोड़ की लागत वाली लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई इंटरनेशनल एयरपोर्ट की नई टर्मिनल बिल्डिंग का उद्घाटन किया।

गोपीनाथ बोरदोलोई एयरपोर्ट का नया टर्मिनल 1.4 लाख वर्ग मीटर में बना है।

गोपीनाथ बोरदोलोई एयरपोर्ट का नया टर्मिनल 1.4 लाख वर्ग मीटर में बना है।

प्रधानमंत्री ने असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा के साथ एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का निरीक्षण किया।

प्रधानमंत्री ने असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा के साथ एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का निरीक्षण किया।

एयरपोर्ट टर्मिनल में पूर्वोत्तर का 140 मीट्रिक टन बांस लगाया गया है।

एयरपोर्ट टर्मिनल में पूर्वोत्तर का 140 मीट्रिक टन बांस लगाया गया है।

टर्मिनल पर काजीरंगा से प्रेरित गैंडे के प्रतीक वाली डिजाइन बनाई गई है।

टर्मिनल पर काजीरंगा से प्रेरित गैंडे के प्रतीक वाली डिजाइन बनाई गई है।

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