बिलासपुर मुख्यालय में कोरबा के भू-विस्थापितों ने दिया धरना, कहा- पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं
कोरबा/ बिलासपुर। एसईसीएल कोल परियोजना कोरबा जिले के दीपका, कुसमुंडा, गेवरा, बुड़बुड़ सहित 70 से 80 गांव के भू-विस्थापित परिवार ने बिलासपुर मुख्यालय का घेराव कर दिया। इस दौरान भू-विस्थापित परिवार अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ पहुंचे थे। यहां इन्होंने जमकर नारेबाजी करते हुए धरना-प्रदर्शन किया। इन परिवारों ने रोजगार सहित मूलभूत समस्याओं को पूरा करने की मांग की है। कोरबा जिले के कोयला खदान प्रभावित क्षेत्र के लोगों ने बताया कि अपनी जरूरी समस्याओं को लेकर स्थानीय स्तर पर लगातार आंदोलन किया जा रहा है। इसके बाद भी खदान के स्थानीय अधिकारी उनकी मांगों को अनसुना कर रहे हैं।
मुख्यालय अफसर से मांग पूरी करने की मांग
खदान के स्थानीय अधिकारी का कहना है कि हमारी जो भी मांगे हैं, वो मुख्यालय स्तर की है। इसे वे पूरा नहीं कर सकते हैं। इसलिए 70 से 80 गांव के लोग एसईसीएल मुख्यालय में बैठे अफसरों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए आए हैं। अभी उन्होंने सांकेतिक प्रदर्शन किया है। इसके बाद भी मुख्यालय के अफसर उनकी मांगों को पूरा नहीं करेंगे तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
एशिया की सबसे बड़ी परियोजना के लोग हैं परेशान
एसईसीएल मुख्यालय पहुंचे आंदोलनकारियों का कहना है कि गेवरा परियोजना कोयला उत्पादन में एशिया का सबसे बड़ी परियोजना है। लेकिन, उसके ही भू-विस्थापितों को मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। पूर्व में स्टेट की पालिसी के तहत 1991 में छोटे किसानों को मुआवजा के साथ नौकरी देने का प्रावधान है। लेकिन, अब उन्हें नौकरी नहीं दी जा रही है। इसके साथ ही जमीन की मूल्यांकन, पानी, ब्लास्टिंग जैसी कई समयाएं हैं, जिन्हें क्षेत्रीय प्रबंधक दूर करने के बजाए मुख्यालय से समस्या का हल होने की बात कह रहे हैं।
भू-विस्थापितों की ये है प्रमुख मांगे
खदान व प्रभावित क्षेत्रों में लंबे समय से रोजगार, मुआवजा नहीं दिया गया है। इसी तरह आंशिक अधिग्रहण, पुनर्वास, एचपीसी रेट,सीएसआर कार्य व ठेका श्रमिकों की समस्याओं के निराकरण की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही उनकी मूलभूत समस्याएं भी हैं, जिसे दूर नहीं की जा रही है। उनकी मांगों पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। क्षेत्रीय प्रबंधक उनकी समस्याओं को नजरंदाज कर रहे हैं, जिससे लोगों का हित प्रभावित हो रहा है।